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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 Mar 2023
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जोधपुर में सूचना आयोग की बेंच स्थापित होगी

चर्चा में क्यों?

30 मार्च, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये जोधपुर में सूचना आयोग की बेंच स्थापित करने की मंजूरी प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कार्यालय के संचालन के लिये 12 नवीन पदों तथा आवश्यक वित्तीय प्रावधान की भी स्वीकृति दी है। इन नवीन पदों में एक पद सूचना आयुक्त का है, जिसकी नियमानुसार नियुक्ति की जाएगी।
  • इसके अलावा निजी सहायक, रीडर, सूचना सहायक का एक-एक पद, वरिष्ठ सहायक के 2 पद तथा कनिष्ठ सहायक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 3-3 पद शामिल हैं।
  • सूचना आयोग की बेंच के लिये आवश्यक संसाधन आदि के लिये भी 20 लाख रुपए स्वीकृत किये गए हैं।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में बेंच की स्थापना के लिये घोषणा की गई थी।

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राजस्थान दिवस 2023

चर्चा में क्यों?

30 मार्च, 2023 को राजस्थान का 74वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। आज ही के दिन 30 मार्च, 1949 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर में एक समारोह में वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया था।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि 14 जनवरी, 1949 को उदयपुर की एक सार्वजनिक सभा में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर रियासतों के सैद्धांतिक रूप से विलय की घोषणा की थी।
  • इस घोषणा को मूर्त रूप देने के लिये सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर में 30 मार्च, 1949 को एक समारोह में वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया था, इसलिये राजस्थान दिवस हर वर्ष तीस मार्च को मनाया जाता है।
  • आज़ादी से पहले राजस्थान को ‘राजपूताना’के नाम से जाना जाता था। इतिहासकारों का मानना है कि जार्ज थॉमस ने साल 1800 ईसा में ‘राजपूताना’नाम दिया था। इतिहासकारों का दावा है कि कर्नल जेम्स टॉड ने इस राज्य का नाम राजस्थान रखा। स्थानीय साहित्यिक भाषा में राजाओं के निवास प्रांत को राजस्थान ही कहा जाता था।
  • आज़ादी के वक्त राजस्थान में कुल 22 रियासतें थी। वर्तमान राजस्थान में तत्कालीन 19 देसी रियासतों में राजाओं का शासन हुआ करता था। जबकि, तीन रियासतों (नीमराना, लव और कुशालगढ़) में चीफशिप थी। यहाँ के अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का राज था।
  • तत्कालीन रियासतों के विलय की प्रक्रिया 18 मार्च, 1948 से एक नवंबर 1956 तक चली। इस प्रक्रिया को सात चरणों में पूरा किया गया था।
  • भारत सरकार ने अफजल अली के नेतृत्व में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर ब्रिटिश शासित अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत का 1 नवंबर, 1956 को राजस्थान में विलय कर लिया।
  • इस दौरान ही मध्य प्रदेश की मंदसौर तहसील के गाँव सुनेलटप्पा को भी राजस्थान में शामिल किया गया। जबकि, राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के गाँव सिरोंज को मध्य प्रदेश में शामिल किया गया।
  • भारत सरकार की गठित राव समिति की सिफारिशों के आधार पर 7 सितंबर, 1949 को जयपुर को राजस्थान राज्य की राजधानी बनाया गया।
  • राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है। इसका क्षेत्रफल तीन लाख 42 हज़ार 239 वर्ग किलोमीटर है। यह देश का 1/10 भूभाग है।
  • 2011 जनगणना के अनुसार राजस्थान की जनसंख्या 6.89 करोड़ है, जो कि भारत की जनसंख्या का 5.66 प्रतिशत है। जनसंख्या के अनुसार ये देश में सातवें स्थान पर है।
  • राजस्थान में अभी तक सात संभाग और 33 ज़िले थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 18 मार्च, 2023 को दो ज़िलों का विलय करते हुए 19 नए ज़िले और तीन नए संभाग के गठन की घोषणा की। इसके बाद से अब राजस्थान में कुल 10 संभाग और 50 ज़िले हो गए हैं। हालाँकि नए ज़िलों और संभागों का नोटिफिकेशन अभी जारी नहीं हुआ है।
  • राजस्थान पड़ोसी देश पाकिस्तान से सटा हुआ है। उसके साथ इसकी 1,070 किलोमीटर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा लगती है। राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर ज़िलों की सीमाएँ पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगती हैं। अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे जैसलमेर ज़िले में कुलधरा गाँव सबसे पुराना गाँव है। माना जाता है कि यह गाँव 200 साल से वीरान है।
  • राजस्थान की 4850 किलोमीटर सीमा देश के दूसरे राज्यों से मिलती है जिनमें पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात राजस्थान के सीमावर्ती राज्य हैं।
  • पर्यटन के नक्शे में राजस्थान की विशेष पहचान है। यहाँ दर्जनों ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहाँ रोज़ाना हज़ारों की संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं। वहीं धोरों की धरती जैसलमेर की अपनी अलग पहचान है। वहाँ हिचकोले खाते पर्यटक ऊँटों की सवारी का आनंद लेते देखे जा सकते हैं। झीलों की नगरी उदयपुर हो या पिंक सिटी जयपुर, पर्यटन की दृष्टि से यहाँ कई दर्शनीय स्थान हैं।
  • राजस्थान में कई किले हैं, इनमें 13 प्रमुख हैं। इनमें जयपुर का आमेर और जयगढ़ किला, जोधपुर का मेहरानगढ़ किला, राजसमंद का कुंभलगढ़ किला, सवाई माधोपुर का रणथंभोर किला, बीकानेर का जूनागढ़ किला, भरतपुर का लोहागढ़ किले की दुनियाभर में पहचान है। अन्य किलों और महलों में गागरौन किला, जैसलमेर, सिरोही का अचलगढ़, नागौर का अहिछत्रगढ़, जालौर दुर्ग, सिरोही का खिमसर किला, अलवर का निमराणा किला, सिटी पैलेस आदि भी प्रसिद्ध हैं। अभेद्या किलों के साथ रानियों के रहने के लिये आलीशान महल भी बने हुए थे।
  • राजस्थान, पृथ्वी राज चौहाण, महाराणा प्रताप, राणा सांगा, राणा कुंभा जैसे शूरवीरों के इतिहास को सहेजे हुए है। देश-दुनिया में राजस्थान को वीरों की धरती से ही पहचाना जाता है। हल्दी घाटी का युद्ध, चित्तौड़, खानवा, तराइन, रणथंभौर के युद्ध राजस्थान की धरती पर ही हुए।
  • वर्तमान समय में भारतीय सेना में राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र (सीकर, झुंझुनू और चूरू) से बड़ी संख्या में युवा हैं। देश सेवा के लिये राजस्थान के शेखावाटी से सर्वाधिक युवा सेना में जाते हैं।


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