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राष्ट्रीय पर्यटन नीति

  • 29 Dec 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में पर्यटन, पर्यटन से संबंधित योजनाएँ, राष्ट्रीय पर्यटन नीति का मसौदा।

मेन्स के लिये:

भारत में पर्यटन से संबंधित सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, महत्त्व तथा चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों? 

संसदीय समितियों का मानना है कि राष्ट्रीय पर्यटन नीति का मसौदा तैयार कर देने मात्र से देश में पर्यटन उद्योग का विकास संभव नहीं है।

  • समिति ने पर्यटन क्षेत्र और इसके हितधारकों को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर केंद्र तथा राज्य सरकारों को सीधे सिफारिशें करने के लिये GST परिषद के समान एक राष्ट्रीय पर्यटन परिषद की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।

समिति द्वारा उठाए गए मुद्दे: 

  • समवर्ती सूची में शामिल करना: 
    • समिति ने पर्यटन मंत्रालय द्वारा समवर्ती सूची में पर्यटन को शामिल करने की अपनी पूर्व की सिफारिश के संबंध में उठाए गए कदमों के संदर्भ में जानकारी हासिल की।
      • समिति के अनुसार, समवर्ती सूची में पर्यटन को शामिल करने से महामारी से प्रभावित भारतीय पर्यटन क्षेत्र के मुद्दों के समाधान में मदद मिलेगी क्योंकिपर्यटन एक बहु-क्षेत्रीय गतिविधि है।  
  • आतिथ्य परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा: 
    • इसने यह भी जानना चाहा कि क्यों 20 राज्यों ने अभी तक आतिथ्य परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा नहीं दिया है और मंत्रालय से पूछा है कि क्या इस संबंध में इन राज्यों द्वारा केंद्र को कुछ भी जानकारी साझा की गई है।
      • अब तक आठ राज्यों (महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड) ने आतिथ्य परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा दिया है। 
  • स्वीकृत परियोजनाओं के संबंध में: 
    • इसने चिंता व्यक्त की है कि पाँच वर्ष पहले या वर्ष 2017-18 से पहले स्वीकृत परियोजनाओं में प्रगति की दर अपेक्षा से कम रही है। 
      • स्वीकृत परियोजनाएँ: जम्मू-कश्मीर में 'हज़रतबल में विकास' और ओडिशा में 'मेगा सर्किट के तहत देउली में श्री जगन्नाथ धाम, पुरी - रामाचंडी - प्राची रिवर फ्रंट में बुनियादी ढाँचा विकास' को मंज़ूरी दी गई है।
      • समिति का विचार है कि पाँच वर्ष से अधिक समय लेने वाली परियोजनाओं में उच्च लागत और समय की अधिकता हो सकती है जिससे मंत्रालय एवं कार्यान्वयन एजेंसियों पर संसाधनों की कमी व अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ जाता है।

राष्ट्रीय पर्यटन नीति के मसौदे की मुख्य विशेषताएँ:

  • पर्यटन सेक्टर को उद्योग का दर्जा:
    • मसौदे के तहत पर्यटन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने हेतु इस क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने के साथ-साथ होटलों को औपचारिक रूप से बुनियादी अवसंरचना में शामिल किये जाने का उल्लेख है।
  • पाँच प्रमुख क्षेत्र:
    • अगले 10 वर्षों में पाँच प्रमुख महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें हरित पर्यटन, डिजिटल पर्यटन, गंतव्य प्रबंधन, आतिथ्य क्षेत्र को कुशल बनाना और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) से संबंधित पर्यटन का समर्थन करना शामिल है।
  • उपयुक्त कराधान और सब्सिडी नीतियों का समर्थन:
    • यह टिकाऊ पर्यटन गतिविधियों में निवेश को प्रोत्साहित करने और अस्थिर पर्यटन को हतोत्साहित करने के लिये उपयुक्त कराधान और सब्सिडी नीतियों का समर्थन करेगा।
  • फ्रेमवर्क शर्तें प्रदान करना:
    • यह मसौदा नीति विशिष्ट परिचालन मुद्दों को संबोधित नहीं करती है, हालाँकि इसमें विशेष रूप से महामारी के मद्देनज़र इस क्षेत्र की मदद करने के लिये फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया गया है।
    • विदेशी और स्थानीय पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिये समग्र मिशन एवं विज़न तैयार किया जा रहा है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र की स्थिति:

भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित चुनौतियांँ 

  • बुनियादी ढांँचे में कमी: 
    • भारत में पर्यटकों को अभी भी कई बुनियादी सुविधाओं से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे-खराब सड़कें, पानी, सीवर, होटल और दूरसंचार आदि। 
  • बचाव और सुरक्षा: 
    • पर्यटकों, विशेषकर विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा पर्यटन के विकास में एक बड़ी बाधा है। विदेशी नागरिकों पर हमला अन्य देशों के पर्यटकों का भारत में स्वागत करने की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। 
  • कुशल जनशक्ति की कमी: 
    • कुशल जनशक्ति की कमी भारत में पर्यटन उद्योग के लिये एक और चुनौती है। 
  • मूलभूत सुविधाओं का अभाव: 
    • पर्यटन स्थलों पर पेयजल, सुव्यवस्थित शौचालय, प्राथमिक उपचार, अल्पाहार गृह आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव। 
  • मौसम: 
    • मौसम की भूमिका को देखें तो अक्तूबर से मार्च तक छह महीने पर्यटन क्षेत्र में मौसमी व्यस्तता सीमित होती है, जबकि नवंबर और दिसंबर में भारी भीड़ देखी जाती है।

आगे की राह

  • भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए पर्यटन क्षेत्र में बेजोड़ विविधता भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने तथा विदेशी राजस्व को आकर्षित करने में एक महत्त्वपूर्ण कारक हो सकती है।
    • भारत का 'वसुधैव कुटुम्बकम' का दर्शन विश्व को एक परिवार के रूप में देखता है। यह भारत को बहुपक्षवाद में अटूट विश्वास प्रदान करता है।
  • दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों सहित समाज में हाशिये पर जी रहे वर्गों के लिये अवसर पैदा करके पर्यटन के समावेशी विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • देश भर में वाँछित पर्यटन स्थलों और प्रमुख बाज़ारों तथा क्षेत्रों की पहचान करने के लिये एक व्यापक बाज़ार अनुसंधान एवं मूल्यांकन अभ्यास किया जा सकता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. विकास की पहल और पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव से पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे बहाल किया जा सकता है?  (वर्ष 2019)

प्रश्न. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य पर्यटन के कारण अपनी पारिस्थितिक वहन क्षमता की सीमा तक पहुँच रहे हैं। समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिये।  (वर्ष 2015)

स्रोत: द हिंदू

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