उत्तराखंड
जिम कॉर्बेट में टाइगर सफारी पर प्रतिबंध
- 08 Mar 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर पेड़ों की कटाई और अनधिकृत निर्माण गतिविधियों में शामिल होने के लिये उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाई।
मुख्य बिंदु:
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार एक समिति इस बात पर गौर करेगी कि क्या देश में राष्ट्रीय उद्यानों के बफर या सीमांत क्षेत्रों में बाघ सफारी की अनुमति दी जा सकती है।
- शीर्ष न्यायालय ने केंद्र को पर्यावरण को होने वाली हानि को कम करने के उपायों का प्रस्ताव देने और जवाबदेह लोगों से क्षतिपूर्ति की मांग करने के लिये एक समिति स्थापित करने का भी निर्देश दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने टाइगर रिज़र्व में पेड़ों की अभूतपूर्व कटाई और पर्यावरणीय क्षति पर सरकार की खिंचाई की। इसमें जिम कॉर्बेट में अवैध निर्माण, पेड़ों की कटाई पर तीन महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
- इससे पहले जनवरी में, सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय उद्यानों के भीतर बाघ सफारी स्थापित करने के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिसमें "पर्यटन-केंद्रित" दृष्टिकोण के बजाय "पशु-केंद्रित" दृष्टिकोण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया था।
- न्यायालय का रुख राष्ट्रीय उद्यानों के भीतर वन्यजीवों के कल्याण और संरक्षण को प्राथमिकता देने के महत्त्व को रेखांकित करता है, जो पर्यटकों के आकर्षण पर पशुओं के लिये प्राकृतिक आवास बनाए रखने के सिद्धांत की पुष्टि करता है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
- यह उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में अवस्थित है। वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान) में हुई थी, जो कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का एक हिस्सा है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में की गई थी जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय बंगाल टाइगर का संरक्षण करना था।
- इसका नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया है जिन्होंने इसकी स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- इसके मुख्य क्षेत्र में कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान जबकि बफर ज़ोन में आरक्षित वन और साथ ही सोन नदी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
- रिज़र्व का पूरा क्षेत्र पहाड़ी है और यह शिवालिक तथा बाह्य हिमालय भूवैज्ञानिक प्रांतों के अंतर्गत आता है।
- रामगंगा, सोननदी, मंडल, पालेन और कोसी, रिज़र्व से होकर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।
- 500 वर्ग किलोमीटर में फैला CTR 230 बाघों का वास-स्थान है और प्रति सौ वर्ग किलोमीटर में 14 बाघों के साथ यह दुनिया का सबसे अधिक बाघ घनत्व वाला रिज़र्व है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की अनुशंसाओं के साथ की गई थी।
- बाघ संरक्षण के सशक्तीकरण के लिये वर्ष 2006 में संशोधित वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के सक्षम प्रावधानों के तहत इसे गठित किया गया था।