शासन व्यवस्था
विस्थापित बच्चों हेतु संयुक्त राष्ट्र दिशानिर्देश
- 29 Jul 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर माइग्रेशन (IOM), UN चिल्ड्रन फंड (UNICEF), क्लाइमेट चेंज, चिल्ड्रन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स, नोट्रे डेम ग्लोबल एडेप्टेशन इनिशिएटिव (ND-GAIN) इंडेक्स मेन्स के लिये:प्रवासी बच्चों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र समर्थित एजेंसियों ने जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित हुए बच्चों की सुरक्षा के लिये पहली बार वैश्विक नीति ढाँचा प्रदान करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
जलवायु परिवर्तन का बच्चों पर प्रभाव:
- जलवायु परिवर्तन मौजूदा पर्यावरणीय, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय स्थितियों के बीच विभाजन की स्थिति पैदा कर रहा है जो लोगों के स्थानांतरित होने का निर्णय लेने में योगदान दे रहा है।
- आने वाले वर्षों में लाखों और बच्चों को स्थानांतरित होने के लिये मज़बूर किया जा सकता है।
- अकेले वर्ष2020 में मौसम संबंधी प्रभावों के बाद लगभग 10 मिलियन बच्चे विस्थापित हो गए।
- इसके अतिरिक्त दुनिया के 2.2 बिलियन बच्चों में से लगभग आधे या लगभग एक बिलियन लड़के और लड़कियाँ 33 देशों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के उच्च जोखिम में रहते हैं।
- इसके अलावा चरम जलवायु जैसे बढ़ते समुद्र के स्तर, तूफान, वनाग्नि, खराब फसलें अधिक-से-अधिक बच्चों और परिवारों को अपने घरों से दूर कर रही हैं।
- दुनिया भर में प्रवासी बच्चे ज़ेनोफोबिया के खतरनाक स्तर, कोविड -19 महामारी के सामाजिक आर्थिक परिणामों और आवश्यक सेवाओं तक सीमित पहुँच का सामना कर रहे हैं।
- विस्थापित बच्चों को दुर्व्यवहार, तस्करी और शोषण का अधिक खतरा होता है।
- उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच खोने की अधिक संभावना है तथा उन्हें अक्सर जल्दी शादी एवं बाल श्रम के लिये मजबूर किया जाता है।
विस्थापित बच्चों हेतु संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देश:
- ये दिशा-निर्देश प्रवासन हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगठन (IOM), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय और संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय की एक संयुक्त पहल है।
- दिशा-निर्देश आंतरिक और साथ ही सीमा पार प्रवास दोनों को कवर करते हैं।
- इसमें नौ सिद्धांतों का एक समूह है जो उन बच्चों की अनूठी कमज़ोरियों को संबोधित करता है जिन्हें समाप्त कर दिया गया है।
- सिद्धांत बाल अधिकारों पर अभिसमय पर आधारित हैं और मौजूदा परिचालन दिशा-निर्देशों तथा रूपरेखाओं द्वारा सूचित किये जाते हैं।
- ये नौ सिद्धांत इस प्रकार हैं:
- अधिकार-आधारित दृष्टिकोण
- बच्चे के सर्वोत्तम हित
- जवाबदेही
- जागरूकता और निर्णय लेने में भागीदारी
- पारिवारिक एकता
- रक्षा, सुरक्षा और संरक्षण
- शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सेवाओं तक पहुँच
- गैर भेदभाव
- राष्ट्रीयता
बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय:
- वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक स्तर पर बाल अधिकारों का अभिसमय अपनाया गया।
- अभिसमय के तहत 18 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक व्यक्ति को एक बच्चे के रूप में मान्यता दी जाती है।
- यह अभिसमय प्रत्येक बच्चे के नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों को निर्धारित करता है।
- इसमें शिक्षा का अधिकार, आराम और अवकाश का अधिकार, बलात्कार एवं यौन शोषण सहित मानसिक या शारीरिक शोषण से सुरक्षा का अधिकार जैसे विषय शामिल हैं।
- यह दुनिया की सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत मानवाधिकार संधि है।
दिशा-निर्देशों की आवश्यकता:
- जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में आगे बढ़ने वाले बच्चों की जरूरतों और अधिकारों को संबोधित करने के लिये वर्तमान में कोई वैश्विक नीतिगत ढाँचा नहीं है।
- जहाँ बच्चों से संबंधित प्रवास नीतियाँ मौजूद हैं, वे जलवायु और पर्यावरणीय कारकों पर विचार नहीं करते हैं, और जहाँ जलवायु परिवर्तन से संबंधित नीतियाँ विद्यमान हैं, वे आमतौर पर बच्चों की ज़रूरतों को नज़रअंदाज कर देते हैं।
- जलवायु आपातकाल का मानव गतिशीलता पर गहरा प्रभाव पड़ता है और आगे भी इसकी संभावना विद्यमान है।
- इसका प्रभाव हमारे समुदायों के विशेष वर्गों जैसे कि बच्चों पर सबसे गंभीर होगा।
- ये बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली नीतियों को विकसित करने के लिये राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज समूहों हेतु एक रूपरेखा के रूप में काम करेंगे।
जलवायु परिवर्तन का बच्चों पर पड़ने वाला प्रभाव:
- बच्चों का जलवायु जोखिम सूचकांक:
- यह बच्चों के आवश्यक सेवाओं तक पहुँच के आधार पर जलवायु और पर्यावरणीय आपदाओं, जैसे कि चक्रवात और हीटवेव के साथ-साथ उन आपदाओं के प्रति उनकी भेद्यता के आधार पर देशों को रैंक प्रदान करता है।
- यह बच्चों के दृष्टिकोण से जलवायु जोखिम का पहला व्यापक विश्लेषण है।
- नोट्रे डेम ग्लोबल एडाप्टेशन इनिशिएटिव (ND-GAIN) इंडेक्स:
- सूचकांक से पता चलता है कि बच्चे जलवायु परिवर्तन का परिणाम भुगतते हैं क्योंकि यह उनके अस्तित्व, सुरक्षा, विकास और भागीदारी के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है।
- बच्चों पर जलवायु परिवर्तन के अन्य संभावित प्रभाव में अनाथ होना, तस्करी, बाल श्रम, शिक्षा और विकास के अवसरों की हानि, परिवार से अलग होना, बेघर होना, भीख माँगना, आघात, भावनात्मक व्यवधान, बीमारियाँ आदि शामिल हैं।
आगे की राह
- जबकि नए ढाँचे में नए कानूनी दायित्व शामिल नहीं हैं, वे प्रमुख सिद्धांतों को शामिल करते हैं और उनका लाभ उठाते हैं जिनकी पहले ही अंतर्राष्ट्रीय कानून में पुष्टि की जा चुकी है, इसे दुनिया भर की सरकारों द्वारा अपनाया गया है।
- इसके अलावा दुनिया भर की सरकारों को मार्गदर्शक सिद्धांतों के आलोक में अपनी नीतियों की समीक्षा करने और अभी ऐसे उपाय करने की आवश्यकता है जो यह सुनिश्चित कर सकें कि जलवायु परिवर्तन का सामना करने वाले बच्चों को वर्तमान व भविष्य में संरक्षित किया जा सके।
- इन सिद्धांतों द्वारा सूचित समन्वित कार्रवाई के माध्यम से एक साथ काम कर सरकारें, नागरिक समाज और अंतर्राष्ट्रीय संगठन इस कदम पर बच्चों के अधिकारों और कल्याण की बेहतर रक्षा कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:Q. बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से बच्चे का अधिकार है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: D व्याख्या:
अतः विकल्प D सही उत्तर है। |