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भारतीय अर्थव्यवस्था पर अंतरिक्ष मिशनों का प्रभाव

  • 26 Aug 2024
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड, IN-SPACe, अंतरिक्ष विभाग, ISRO

मेन्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023, निजी क्षेत्र का महत्त्व, नीति में खामियाँ, अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित FDI नीति में प्रमुख संशोधन

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों?

 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा यूरोपीय अंतरिक्ष परामर्शदाता नोवास्पेस (Novaspace) के सहयोग से कराए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि ISRO के अंतरिक्ष मिशनों के परिणामस्वरूप मछुआरों, कृषि, फसल पूर्वानुमान, प्राकृतिक संसाधन नियोजन एवं आपदा निवारण के लिये सहायता प्रणालियों का विकास हुआ है और इसके अतिरिक्त लाखों लोगों के लिये रोज़गार के अवसरों का भी सृजन हुआ है।

ISRO के अंतरिक्ष कार्यक्रमों और अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश से समाज को किस प्रकार लाभ हुआ है?

  • रोज़गार सृजन: ISRO ने वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों को प्रत्यक्ष रूप से नौकरियाँ उपलब्ध कराते हुए अनेक रोज़गार सृजित किये हैं तथा उपग्रह निर्माण एवं डेटा विश्लेषण जैसे संबंधित उद्योगों में अप्रत्यक्ष रूप से अवसर उत्पन्न किये हैं।
  • अन्य आर्थिक लाभ: ISRO के अनुमान के अनुसार, अंतरिक्ष मिशनों में निवेश करने से व्यय की गई राशि का लगभग 2.54 गुना लाभ प्राप्त हुआ है।
    • नोवास्पेस की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2014 और 2024 के बीच भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिये 60 बिलियन अमरीकी डॉलर उत्पन्न किये हैं, 4.7 मिलियन रोज़गार उत्पन्न किये और कर राजस्व में 24 बिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान दिया है।
    • ISRO के उपग्रह संचार, मौसम पूर्वानुमान एवं नेविगेशन में सहायता प्रदान करते हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों को लाभ मिलता है और आर्थिक उत्पादकता बढ़ती है।
  • कृषि विकास: ISRO के पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, जैसे रिसोर्ससैट और कार्टोसैट फसल स्वास्थ्य, मृदा की नमी तथा भूमि उपयोग की निगरानी करके कृषि विकास को बढ़ावा देते हैं, जिससे किसानों को उचित निर्णय लेने एवं उत्पादकता में सुधार करने में सहायता मिलती है।
  • आपदा प्रबंधन और संसाधन नियोजन: उपग्रह आपदा प्रबंधन हेतु  महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करते हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के लिये समय पर प्रतिक्रिया संभव हो पाती है। वे प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी, ​​सतत् प्रबंधन और कृषि नियोजन में भी सहायता करते हैं।
    • ISRO ने प्रतिदिन लगभग 8 लाख मछुआरों और 1.4 अरब भारतीयों को उपग्रह आधारित मौसम पूर्वानुमान का लाभ दिलाने में सहायता की है।
  • शहरी नियोजन और बुनियादी अवसरंचना का विकास: उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली सैटेलाइट इमेजरी शहरी मानचित्रण, यातायात प्रबंधन और बुनियादी अवसरंचना की निगरानी में सहायता करती है। यह डेटा शहरों को भूमि उपयोग को अनुकूलित करने और सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाने में सहायता करता है, जिससे सतत् शहरी विकास में योगदान मिलता है।
  • युवाओं को प्रेरित करना और शिक्षा: चंद्रयान और मंगलयान जैसी ISRO की उपलब्धियाँ छात्रों को प्रेरित करती हैं तथा STEM क्षेत्रों में कॅरियर को बढ़ावा देती हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित शैक्षिक पहल विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि को और बढ़ाती हैं।
  • चंद्र अन्वेषण और वैज्ञानिक उन्नति: चंद्रयान मिशन ने चंद्र अन्वेषण को आगे बढ़ाया और अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित किया, राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा दिया तथा वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में योगदान दिया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सॉफ्ट पावर: 300 से अधिक विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में ISRO की सफलता ने इसे वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी संस्था के रूप में स्थापित कर दिया है, जिससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और सॉफ्ट पावर में वृद्धि हुई है तथा वैश्विक सहयोग को बढ़ावा मिला है।
    • मंगलयान जैसे अंतरिक्ष मिशनों के लिये ISRO का कम लागत वाला दृष्टिकोण भारत को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये एक आकर्षक भागीदार बनाता है
    • अंतरिक्ष से संबंधित स्टार्टअप की वृद्धि नवाचार को बढ़ावा देती है और आर्थिक विकास में योगदान देती है

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • वर्ष 2024 तक भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य लगभग 6,700 करोड़ रुपए (8.4 बिलियन अमरीकी डॉलर) हो गया है, जो वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 2%-3% का योगदान देता है, जिसके वर्ष 2025 तक 6% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि (CAGR) के साथ 13 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • ISRO के नए अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2014 से 2023 के दौरान भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र ने 60 बिलियन अमरीकी डॉलर का सकल मूल्य संवर्द्धन किया है, जो आगामी 10 वर्षों में 89 बिलियन अमरीकी डॉलर से लेकर 131 बिलियन अमरीकी डॉलर तक जा सकता है।
    • भारत का लक्ष्य अगले दशक तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में 10% हिस्सेदारी प्राप्त करना है।
  • ISRO विश्व की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है और इसके लॉन्च मिशनों की सफलता दर बहुत अधिक है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका की NASA, चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA), यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) और रसियन फेडरल स्पेस एजेंसी (Roscosmos) अन्य पाँच प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियाँ हैं।
  • भारत में 400 से अधिक निजी अंतरिक्ष कंपनियाँ हैं। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) की स्थापना के साथ वर्ष 2020 में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या 54 से बढ़कर वर्तमान में 200 से अधिक हो गई

अंतरिक्ष क्षेत्र के लिये संशोधित FDI नीति

  • परिचय
  • अंतरिक्ष क्षेत्र के लिये FDI नीति में संशोधन:
    • 100% FDI की अनुमति: हाल ही में किये गए संशोधन के बाद अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति है, जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कंपनियों के लिये संभावित निवेशकों को आकर्षित करना है।
    • उदारीकृत प्रवेश मार्ग: विभिन्न अंतरिक्ष गतिविधियों के लिये प्रवेश मार्ग इस प्रकार हैं:
      • स्वचालित मार्ग के तहत 74% तक: उपग्रह-विनिर्माण और संचालन, उपग्रह डेटा उत्पाद, ग्राउंड सेगमेंट और यूज़र सेगमेंट।
        • 74% से अधिक पर सरकारी मार्ग लागू होता है।
      • स्वचालित मार्ग के तहत 49% तक: लॉन्च वाहन, संबंधित सिस्टम या सब-सिस्टम, स्पेसपोर्ट का निर्माण।
        • 49% से अधिक पर सरकारी मार्ग लागू होता है।
      • स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक: उपग्रहों, ग्राउंड सेगमेंट और उपयोगकर्त्ता सेगमेंट के लिये घटकों तथा प्रणालियों/उप-प्रणालियों का विनिर्माण।

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 क्या है?

  • ISRO की भूमिका में बदलाव: भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023, पारंपरिक रूप से ISRO द्वारा प्रबंधित अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिये 4 प्रमुख संस्थाओं की स्थापना करती है:
    • ISRO को नियमित कार्यों से हटकर अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने, अंतरिक्ष अवसंरचना, परिवहन, अनुप्रयोग, क्षमता निर्माण एवं मानव अंतरिक्ष उड़ान में भारत के नेतृत्व को बनाए रखने के लिये उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का विकास करने का निर्देश दिया गया है।
      • ISRO ने वर्ष 2034 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2% से बढ़ाकर 10% करने के अपने दृष्टिकोण की घोषणा की है।
    • भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (InSPACe): अंतरिक्ष गतिविधियों को अधिकृत करने और उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये सिंगल विंडो एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
    • न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL): इसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों और प्लेटफॉर्मों का व्यावसायीकरण करने, अंतरिक्ष घटकों का निर्माण, पट्टे पर देने या खरीद करने तथा वाणिज्यिक सिद्धांतों पर अंतरिक्ष-आधारित आवश्यकताओं की सेवा करने का काम सौंपा गया है।
    • अंतरिक्ष विभाग: नीतियों को लागू करता है और सुरक्षित अंतरिक्ष संचालन सुनिश्चित करता है तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का समन्वय करता है।
  • निजी भागीदारी को प्रोत्साहन: निजी कंपनियों, जिन्हें गैर-सरकारी संस्थाएँ कहा जाता है, को संपूर्ण अंतरिक्ष गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दी गई, जिसमें उपग्रहों का प्रक्षेपण और संचालन, रॉकेट विकसित करना, स्पेसपोर्ट्स का निर्माण करना तथा घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचार, सुदूर संवेदन व नेविगेशन जैसी सेवाएँ प्रदान करना शामिल है।

भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रमुख विकास

  • हाल के प्रमुख सफल मिशन:
    • आदित्य L1 
    • चंद्रयान 3

    • मंगल ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान)

  • प्रक्षेपण वाहनों में प्रगति:

  • अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के लिये मिशन:

    • TeLEOS-2 (2023): सिंगापुर का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह

    • PSLV-C51 (2021): ब्राजील के अमेजोनिया-1 उपग्रह और 18 छोटे उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया।
  • अन्य प्रमुख घटनाक्रम:

भारत अर्थव्यवस्था में अंतरिक्ष क्षेत्र की हिस्सेदारी कैसे बढ़ा सकता है?

  • कौशल विकास: नवोन्मेषी अंतरिक्ष परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए उच्च कुशल कार्यबल तैयार करने हेतु अंतरिक्ष-संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना आवश्यक है।
    • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन केंद्रों की स्थापना से प्रतिभा को पोषित करने और उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास: अंतरिक्ष प्रक्षेपण सुविधाओं और अनुसंधान केंद्रों का उन्नयन यह सुनिश्चित करता है कि भारत के पास अधिक महत्त्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा है।
    • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में वर्चुअल लॉन्च कंट्रोल सेंटर (Virtual Launch Control Center- VLCC) का विकास सही दिशा में उठाया गया एक अच्छा कदम है, जो परिचालन क्षमताओं को बढ़ाएगा।
  • सरकार-उद्योग के बीच सहयोग: सरकारी एजेंसियों और निजी उद्यमों के बीच साझेदारी को सुदृढ़ करने से दोनों क्षेत्रों की क्षमता का लाभ उठाया जा सकता है। सहयोगात्मक प्रयास अंतरिक्ष अन्वेषण तथा प्रौद्योगिकी में प्रगति को गति दे सकते हैं, नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं एवं क्षमताओं का विस्तार कर सकते हैं।
  • स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना: स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित करने से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा तथा अंतरिक्ष हार्डवेयर के लिये बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम होगी। स्वदेशी अनुसंधान और विनिर्माण में निवेश करने से भारत की उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों की डिज़ाइन एवं उत्पादन करने की क्षमता बढ़ेगी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में वृद्धि के प्रमुख चालक के रूप में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। भारत इस क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने के लिये अपनी क्षमता का लाभ कैसे उठा सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान

  1. को मंगल ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है। 
  2. के कारण अमेरिका के बाद मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला भारत दूसरा देश बना
  3. ने भारत को अपने अंतरिक्ष यान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल होने वाला एकमात्र देश बना दिया।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a)केवल 1
(b)केवल 2 और 3
(c)केवल 1 और 3
(d)1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न. भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा? (2019)

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016)

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