लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी अभिकर्त्ता

  • 20 May 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिवहन नीति (NSTP), इन-स्पेस, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISPA)

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष क्रांति की आवश्यकता और उससे संबंधित कदम 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री (DOS)ने लोकसभा को सूचित किया कि सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने पर विचार कर रही है।

इस कदम से इसरो को प्राप्त होने वाले लाभ:

  • अनुसंधान और विकास गतिविधियाँ:
    • ये सुधार इसरो को नई प्रौद्योगिकियों, अन्वेषण मिशनों और मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में सहायता करेंगे।
      • कुछ ग्रह अन्वेषण मिशन भी 'अवसर की घोषणा' (Announcement of Opportunity) तंत्र के माध्यम से निजी क्षेत्र के लिये खोले जाएंगे।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का उपयोगी प्रसार:
    • उद्योगों एवं अन्य जैसे- छात्रों, शोधकर्त्ताओं या अकादमिक निकायों को अंतरिक्ष संपत्तियों तक अधिक पहुँच की अनुमति देने से भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में संसाधनों का बेहतर उपयोग हो पाएगा। 
  • प्रौद्योगिकी पावरहाउस:  
    • यह भारतीय उद्योग को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण प्रतिस्पर्द्धी बनने में सक्षम बनाएगा।
      • इससे प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं, साथ ही भारत वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महाशक्ति बन सकता है।
  • प्रभावी लागत:
    • राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) द्वारा अपने समकक्षों की तुलना में भारत में बेस स्थापित करने तथा अंतरिक्ष उपग्रहों को लॉन्च करने की परिचालन लागत तुलनात्मक रूप से बहुत कम है।
    • FDI यह भी सुनिश्चित करेगा कि नई तकनीक कीमत के साथ-साथ दक्षता में अधिक प्रभावी हो।
  •  सफलता दर:
    • असाधारण सफलता दर के साथ इसरो दुनिया की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है।
      • भारत ने 34 से अधिक देशों के लगभग 342 विदेशी उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण द्वारा विश्व-स्तर पर कीर्तिमान स्थापित किया है।

विदेशी अभिकर्त्ताओं को लाभ:

  • नवीन उपकरण: 
    • इसरो के पास अत्याधुनिक उपकरण हैं और यह निजी कंपनियों के सहयोग से SSLV (छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान) लॉन्च करने की प्रक्रिया में है।
    • यह विदेशी निवेशकों को भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के साथ साझेदारी करने पर अधिक लाभ प्रदान करेगा। 
  • उदारीकृत अंतरिक्ष क्षेत्र:
    • इसरो ने पिछले कुछ वर्षों में कई औद्योगिक उद्यमों के साथ मज़बूत संबंध विकसित किये हैं, जो भारत में आधार स्थापित करने वाले विदेशी अभिकर्त्ताओं के लिये लाभदायक होगा।

अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता:

  • क्षेत्र का विस्तार: 
    • इसरो को केंद्र द्वारा वित्त प्रदान किया जाता है और इसका वार्षिक बजट 14,000-15,000 करोड़ रुपए के बीच है, यह समुद्र में एक बूंँद जैसा है जिसका अधिकांश उपयोग रॉकेट और उपग्रहों के निर्माण में किया जाता है।
    • इस क्षेत्र के पैमाने को बढ़ाने के लिये निजी अभिकर्त्ताओं का बाज़ार में प्रवेश करना अनिवार्य है।
    • इसरो सभी निजी अभिकर्त्ताओं को ज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे कि रॉकेट एवं उपग्रहों का निर्माण करने की साझा योजना बना रहा है।
      • संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और रूस के अंतरिक्ष उद्योगों में बोइंग, स्पेसएक्स, एयरबस और वर्जिन गेलेक्टिक जैसे प्रमुख निवेशक हैं। 
  • निजी अभिकर्त्ताओं में सुधार:
    • निजी अभिकर्त्ता अंतरिक्ष आधारित अनुप्रयोगों और सेवाओं के विकास के लिये आवश्यक नवाचार ला सकते हैं।  
    • इसके अतिरिक्त इन सेवाओं की मांग और भारत के साथ-साथ विश्व भर में बढ़ रही है, अधिकांश क्षेत्रों में उपग्रह आंँकड़े, इमेज़री और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।
      • निजी अभिकर्त्ता अंतरिक्षयान के लिये ग्राउंड स्टेशनों की स्थापना में भाग ले सकते हैं जो अंतरिक्ष क्षेत्र के बजट का 48 प्रतिशत है, साथ ही अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग हेतु यह अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का 45 प्रतिशत है।

अन्य संबंधित पहलें:

  • भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe): 
    • भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) को वर्ष 2020 में निजी कंपनियों को भारतीय अंतरिक्ष बुनियादी ढाँचे का उपयोग करने के लिये एक समान अवसर प्रदान करने हेतु अनुमोदित किया गया था।
    • यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों में भाग लेने या भारत के अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग करने वाले सभी लोगों के बीच एकल-बिंदु इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।
  • न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL): 
    • बजट 2019 में घोषित NSIL का उद्देश्य भारतीय उद्योग भागीदारों के माध्यम से वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये इसरो द्वारा वर्षों से किये गए अनुसंधान और विकास का उपयोग करना है।
  • भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA): 
    • ISpA भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की सामूहिक अभिव्यक्ति बनेगा। ISpA का प्रतिनिधित्व प्रमुख घरेलू और वैश्विक निगमों द्वारा किया जाएगा जिनके पास अंतरिक्ष एवं उपग्रह प्रौद्योगिकियों में उन्नत क्षमताएँ हैं।

आगे की राह 

  • भारत के पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अंतरिक्ष कार्यक्रमों में से एक होने के साथ-साथ अंतरिक्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के भारत के कदम को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में एक बड़े अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित करेगा। 
  • अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश विदेशी पक्षों को भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में उद्यम करने की अनुमति देगा, यह भारतीय राष्ट्रीय और विदेशी मुद्रा भंडार में योगदान देगा तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व अनुसंधान नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा।
  • इसके अलावा भारतीय अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक की शुरुआत से निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र का एक अभिन्न अंग बनने के बारे में अधिक स्पष्टता सुनिश्चित होगी।

विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. PSLVs पृथ्वी संसाधनों की निगरानी के लिये उपयोगी उपग्रहों को लॉन्च करते हैं, जबकि GSLVs को मुख्य रूप से संचार उपग्रहों को लॉन्च करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  2. PSLVs द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह पृथ्वी पर किसी विशेष स्थान से देखने पर आकाश में उसी स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं।
  3. GSLV Mk-III एक चार चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जिसमें पहले और तीसरे चरण में ठोस रॉकेट मोटर्स का उपयोग तथा दूसरे व चौथे चरण में तरल रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 3

उत्तर: (A)

व्याख्या: 

  • PSLV भारत की तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है। PSLV पहला लॉन्च वाहन है जो तरल चरण (Liquid Stages) से सुसज्जित है। इसका उपयोग मुख्य रूप से निम्न पृथ्वी की कक्षाओं में विभिन्न उपग्रहों विशेष रूप से भारतीय उपग्रहों की रिमोट सेंसिंग शृंखला को स्थापित करने के लिये किया जाता है। यह 600 किमी. की ऊँचाई पर सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षाओं में 1,750 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है।
  • GSLV को मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इनसैट) को स्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, यह दूरसंचार, प्रसारण, मौसम विज्ञान और खोज एवं बचाव कार्यों जैसी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये इसरो द्वारा प्रक्षेपित बहुउद्देशीय भू-स्थिर उपग्रहों की एक शृंखला है। यह उपग्रहों को अत्यधिक दीर्घवृत्तीय भू-तुल्यकालिक कक्षा (जीटीओ) में स्थापित करता है। अत: कथन 1 सही है।
  • भू-तुल्यकालिक कक्षाओं में उपग्रह आकाश में एक ही स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • GSLV Mk-III चौथी पीढ़ी तथा तीन चरण का प्रक्षेपण यान है जिसमें चार तरल स्ट्रैप-ऑन हैं। स्वदेशी रूप से विकसित सीयूएस जो कि उड़ने में सक्षम है, GSLV Mk-III के तीसरे चरण का निर्माण करता है। रॉकेट में दो ठोस मोटर स्ट्रैप-ऑन (S200) के साथ एक तरल प्रणोदक कोर चरण (L110) और एक क्रायोजेनिक चरण (C-25) के साथ तीन चरण शामिल हैं। अत: कथन 3 सही नहीं हैअतः विकल्प (A) सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2