विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
NSIL के लिये पहला अनुबंध
- 12 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO) की नव निर्मित दूसरी वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited-NSIL) ने अपना पहला अनुबंध प्राप्त किया है।
- एक निजी अमेरिकी अंतरिक्ष सेवा प्रदाता ‘स्पेसफ्लाइट’ ने इसरो के लघु उपग्रह लॉन्च वाहन (Small Satellite Launch Vehicle-SSLV) के साथ यह अनुबंध किया है।
लघु उपग्रह प्रमोचन वाहन
(Small Satellite Launch Vehicle-SSLV)
- SSLV सबसे छोटा वाहन है जिसका वज़न केवल 110 टन है।
- PSLV या GSLV जैसे प्रमोचन/लॉन्च वाहनों के लिये आवश्यक 70 दिनों के विपरीत इसे एकीकृत (Integrate) करने में केवल 72 घंटे का समय लगेगा।
- लागत प्रभावी: इसकी लागत लगभग 30 करोड़ रुपए होगी।
- यह ऑन-डिमांड वाहन होगा।
- SSLV एक बार में कई सूक्ष्म उपग्रहों को लॉन्च करने में सक्षम है और यह मल्टीपल ऑर्बिटल ड्रॉप-ऑफ (Multiple Orbital Drop-Offs) को भी समर्थन देता है।
- SSLV 500 किलोग्राम तक के वज़न वाले उपग्रहों को पृथ्वी की निम्न कक्षा यानी Low Earth Orbit-LEO में ले जा सकता है, जबकि PSLV 1,000 किलोग्राम तक के वज़न वाले उपग्रहों को प्रक्षेपित कर सकता है।
लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) क्या है?
- पृथ्वी की सतह के 160 किमी. से 2000 किमी. की परिधि को लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) कहते हैं। इस कक्षा में मौसम, निगरानी करने वाले उपग्रह और जासूसी उपग्रहों को स्थापित किया जाता है।
- पृथ्वी की सतह से सबसे नज़दीक होने की वज़ह से इस कक्षा में किसी उपग्रह को स्थापित करने के लिये कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- इस कक्षा की खास बातविशेषता यह भी है कि इसमें अधिक शक्तिशाली संचार प्रणाली को भी स्थापित किया जा सकता है। ये उपग्रह जिस गति से अपनी कक्षा में घूमते हैं उनका व्यवहार भू-स्थिर (जिओ-स्टेशनरी) की तरह ही होता है।
- लो अर्थ ऑर्बिट के बाद मीडियम अर्थ (इंटरमीडिएट सर्कुलर) ऑर्बिट और उसके बाद पृथ्वी की सतह से 35,786 किलोमीटर पर हाई अर्थ (जिओसिंक्रोनस) ऑर्बिट है।
- इसरो का SSLV मूल रूप से जुलाई 2019 में अपनी पहली विकास उड़ान भरने वाला था, लेकिन इसे वर्ष 2019 के अंत तक दाल दिया गया है।
न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड
- हाल ही में न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited-NSIL) का आधिकारिक रूप से बंगलूरु में उद्घाटन किया गया है। गौरतलब है कि न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO) की एक वाणिज्यिक शाखा है।
- अंतरिक्ष के क्षेत्र में ISRO द्वारा की गई अनुसंधान और विकास गतिविधियों के व्यावसायिक उपयोग हेतु न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड को 100 करोड़ रुपए की अधिकृत शेयर पूंजी (पेड-अप कैपिटल 10 करोड़ रुपए) के साथ 6 मार्च, 2019 को शामिल किया गया था।
- यह ‘एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन’ के बाद इसरो की दूसरी व्यावसायिक शाखा है। एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन को मुख्य रूप से वर्ष 1992 में इसरो के विदेशी उपग्रहों के वाणिज्यिक प्रक्षेपण की सुविधा हेतु स्थापित किया गया था।
उद्देश्य
- NSIL का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उद्योग की भागीदारी को बढ़ाना है।
- NSIL अंतरिक्ष से संबंधित सभी गतिविधियों को एक साथ लाएगा और संबंधित प्रौद्योगिकियों में निजी उद्यमशीलता का विकास करेगा।
NSIL का उत्तरदायित्व
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर मैकेनिज़्म के माध्यम से लघु उपग्रह प्रमोचन वाहन (Small Satellite Launch Vehicle-SSLV) और ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन (Polar Satellite Launch Vehicle-PSLV) का निर्माण और उत्पादन।
- यह उभरती हुई वैश्विक वाणिज्यिक SSLV बाज़ार की मांग को भी पूरा करेगा, जिसमें उपग्रह निर्माण और उपग्रह-आधारित सेवाएँ प्रदान करना शामिल है।