भारत की अगली राष्ट्रीय जनगणना के संबंध में अनिश्चितता
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में जनगणना के लिये प्रशासनिक सीमाएँ तय करने की समय-सीमा समाप्त हो गई, लेकिन नई तिथि की घोषणा नहीं की गई। इस प्रकार जनगणना की प्रक्रिया के समय को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
भारत में जनगणना कार्य के संबंध में नवीनतम अपडेट क्या हैं?
- समय-सीमा विस्तार: जनगणना के लिये आवश्यक प्रशासनिक सीमाओं को निर्धारित करने की समय सीमा दिसंबर 2020 से नौ बार बढ़ाई जा चुकी है।
- हाल के विस्तार का प्रभाव:
- जनगणना समयरेखा पर:
- इस विस्तार से जनगणना की शुरुआत कम-से-कम 1 अक्तूबर, 2024 तक स्थगित हो गई है, क्योंकि इस कार्य के लिये गणनाकर्त्ताओं को तैयार करने में आमतौर पर तीन महीने लगते हैं। स्पष्टता की यह कमी जनगणना कार्यक्रम को लेकर अनिश्चितता को बढ़ाती है।
- महिला आरक्षण अधिनियम पर:
- महिला आरक्षण का कार्यान्वयन, जिसके तहत संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिये 33% सीटें आरक्षित हैं, जनगणना तथा उसके बाद होने वाले परिसीमन कार्य के पूरा होने पर निर्भर करता है।
- आरक्षण लागू करने से पहले नई जनगणना के आँकड़ों के आधार पर परिसीमन आवश्यक है।
- जनगणना समयरेखा पर:
- अतिरिक्त मुद्दों पर विचार करना:
- कुछ राजनीतिक दलों ने आगामी जनगणना प्रक्रिया में जाति जनगणना को शामिल करने की मांग की है। यह मांग भारतीय समाज में सामाजिक वर्गीकरण और प्रतिनिधित्व पर व्यापक चर्चा को रेखांकित करती है।
जनगणना क्या है?
- ऐतिहासिक संदर्भ और आवृत्ति:
- भारत की पहली समकालिक जनगणना वर्ष 1881 में भारत के तत्कालीन जनगणना आयुक्त डब्ल्यू. सी. प्लोडेन के नेतृत्व में हुई थी। तब से यह बिना किसी रुकावट के हर दशक में आयोजित की जाती रही है।
- यद्यपि भारत की जनगणना अधिनियम, 1948 कानूनी ढाँचा प्रदान करता है, लेकिन यह अनिवार्य आवृत्ति निर्दिष्ट नहीं करता।
- दशकीय पैटर्न एक संवैधानिक आवश्यकता के बजाय एक परंपरा है।
- गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त का कार्यालय, इस दशकीय गणना कार्य के संचालन की ज़िम्मेदारी देखता है।
- उद्देश्य:
- जनगणना देश की जनसंख्या का एक संक्षिप्त विवरण उपलब्ध कराती है, जो प्रगति की समीक्षा, सरकारी योजनाओं के मूल्यांकन तथा भावी पहलों की योजना बनाने के लिये आधार का काम करती है।
- प्रविधि: गणना दो मुख्य चरणों में की जाती है:
- मकान सूचीकरण तथा मकान गणना (Houselisting/Housing Census): इस प्रारंभिक चरण में देश की सभी अवसंरचनाओं का विवरण दर्ज किया जाता है, जिसमें उनके प्रकार, उपलब्ध सुविधाएँ और मौजूदा परिसंपत्तियाँ शामिल हैं।
- जनसंख्या गणना: यह अधिक व्यापक चरण देश में प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसकी राष्ट्रीयता भारतीय से भिन्न हो, के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करता है।
- वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
- भारत, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के गणना के लिये एक ही प्रकार के 10-वर्षीय चक्र का पालन किया जाता है जबकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान जैसे कुछ देश प्रत्येक पाँच वर्ष में गणना करते हैं।
जनगणना डेटा 2011
- जनसंख्या: वर्ष 2011 में 17.7% की वृद्धि के साथ जनसंख्या 1.21 बिलियन हो गई, जिसमें महिलाओं की वृद्धि पुरुषों की वृद्धि से अधिक रही।
- साक्षरता: साक्षरता दर बढ़कर 73% हुई, जिसमें महिलाओं की साक्षरता पुरुषों की तुलना में अधिक रही।
- जनसंख्या घनत्व: जनसंख्या घनत्व बढ़कर 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हुआ।
- लिंग अनुपात: सुधार के साथ यह 940 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष हुआ।
- धार्मिक जनसांख्यिकी: 79.8% जनसंख्या हिंदू तथा मुस्लिम जनसंख्या 14.23%।
- नई श्रेणी: इसमें एक "कोई धर्म नहीं" नामक विकल्प पेश किया गया, जिसका चयन 0.24% लोगों ने किया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. सरकार की दो समानांतर चलाई जा रही योजनाएँ, यथा ‘आधार कार्ड’ और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (एन.पी.आर.), एक स्वैच्छिक तथा दूसरी अनिवार्य, ने राष्ट्रीय स्तरों पर वाद-विवादों एवं मुकदमों को जन्म दिया है। गुणों-अवगुणों के आधार पर चर्चा कीजिये कि क्या दोनों योजनाओं को साथ-साथ चलाना आवश्यक है या नहीं है? इन योजनाओं को विकासात्मक लाभों और न्यायोचित संवृद्धि प्राप्त करने की संभाव्यता का विश्लेषण कीजिये। (2014) |
CCPA और लंबित मामले
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority- CCPA) ने एक एडटेक प्लेटफॉर्म (Edtech Platform) के विज्ञापन पर 3 लाख रुपए का ज़ुर्माना लगाया, जिसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 21 के तहत "झूठा और भ्रामक" पाया गया।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) क्या है?
- परिचय:
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA), 2019 की धारा 10 के तहत स्थापित नियामक निकाय है, यह उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है।
- यह अधिनियम CCPA को झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को रोकने तथा उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अधिकार देता है।
- यह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA), 2019 की धारा 10 के तहत स्थापित नियामक निकाय है, यह उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है।
- CPA अधिनियम की धारा 21:
- CPA, 2019 की धारा 21 CPA को झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ निर्देश और दंड जारी करने की शक्ति प्रदान करती है। यह भ्रामक विज्ञापन की परिभाषा, CPA की शक्तियाँ और दंड (2 वर्ष तक की कैद और 10 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना) प्रदान करता है।
- उपभोक्ताओं को लाभ:
- सूचित उपभोक्ता: CCPA भ्रामक विपणन को रोककर सूचित उपभोक्ता निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
- पारदर्शी विज्ञापन: CCPA हस्तक्षेप सत्य विज्ञापन प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं
- विश्वसनीय दावे: CCPA भ्रामक दावों को हतोत्साहित करता है, जिससे उपभोक्ता का विश्वास बढ़ता है।
- निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा: यह भ्रामक दावों के बजाय उत्पाद की योग्यता के आधार पर प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करता है।
केस स्टडी
छुट्टियों के निलंबन के माध्यम से उपभोक्ता न्यायालयों में लंबित मामलों को कम करना:
- राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission) और राज्य उपभोक्ता आयोगों ने पारंपरिक ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रथाओं (Practices) को निलंबित करके लंबित मामलों के निपटान के लिये काम किया है।
- पृष्ठभूमि:
- CCPA की स्थापना (जुलाई 2020) के बाद से 415,104 मामले दर्ज किये गए हैं और 440,971 मामलों का निपटारा किया गया है, जो सकारात्मक रुझान दर्शाता है।
- हालाँकि दिसंबर 2022 तक उपभोक्ता आयोगों के समक्ष 555,000 मामले लंबित हैं।
- CCPA की स्थापना (जुलाई 2020) के बाद से 415,104 मामले दर्ज किये गए हैं और 440,971 मामलों का निपटारा किया गया है, जो सकारात्मक रुझान दर्शाता है।
- बैकलॉग के बारे में:
- वर्ष 2022 में NCDRC ने राज्य उपभोक्ता आयोगों के लिये गर्मियों की छुट्टियों को स्थगित करना शुरू कर दिया।
- NCDRC ने CCPA के प्रावधानों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सभी आयोगों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अवकाश अनुसूची का पालन करना चाहिये और किसी भी राज्य कार्यालय में गर्मियों की छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं है।
- प्रभाव और परिणाम:
- वर्ष 2022 में, NCDRC को 3,420 मामले प्राप्त हुए और 4,138 मामलों का समाधान किया गया, जबकि 2021 में 2,449 मामले प्राप्त हुए तथा 2,011 मामलों का समाधान किया गया।
- वर्ष 2023 में, NCDRC को 5,276 मामले प्राप्त हुए और 6,422 मामलों का समाधान किया गया, जिससे लंबित मामलों में और कमी आई।
- मई 2024 तक उपभोक्ता आयोगों ने 70,576 मामलों का समाधान किया है, जबकि 69,615 मामले दायर किये गए हैं, जो लंबित मामलों के निपटान में सकारात्मक रुझान दर्शाता है।
- ई-कोर्ट की शुरुआत ने उपभोक्ता विवाद निवारण प्रक्रिया की दक्षता बढ़ाने में भी योगदान दिया है।
नोट
- उपभोक्ता फोरम को ज़िला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर वर्गीकृत किया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार, दावे के मूल्य के आधार पर शिकायत दर्ज की जा सकती है।
- 50 लाख रुपए तक के दावों के लिये ज़िला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (DCDRC)।
- 50 लाख रुपए से 2 करोड़ रुपए के बीच के दावों के लिये राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC)।
- 2 करोड़ रुपए से अधिक के दावों के लिये राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC)।
उपभोक्ता संरक्षण हेतु पहल क्या हैं?
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: भारत में कानून के प्रावधानों के तहत 'उपभोक्ताओं' के अधिकारों/विशेषाधिकारों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: c |
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस
उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Adviser- NSA) राजिंदर खन्ना को अतिरिक्त NSA नियुक्त किया गया है। यह प्रथमतः है जब अतिरिक्त NSA के पद पर नियुक्ति की गई है। यह ऐसा पद है जो हमेशा से मौजूद था किंतु अभी तक इस पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई थी।
- इसके अतिरिक्त आसूचना ब्यूरो (Intelligence Bureau) के विशेष निदेशक टी.वी.रविचंद्रन को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है।
- NSA राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (National Security Council Secretariat - NSCS) के सचिव के रूप में कार्य करता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Security Council - NSC) की त्रिस्तरीय संरचना में से एक है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की संगठनात्मक संरचना क्या है?
- गठन: NSC का गठन वर्ष 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा भारत और पाकिस्तान द्वारा परमाणु परीक्षण किये जाने के बाद किया गया था। यह भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन के लिये सर्वोच्च निकाय है।
- NSC के गठन से पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कार्य प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव द्वारा किये जाते थे।
- यह त्रीस्तरीय संरचना यानी सामरिक नीति समूह (Strategic Policy Group- SPG), राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (National Security Advisory Board- NSAB) और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (National Security Council Secretariat- NSCS) के तहत कार्य करता है।
- NSC की त्रिस्तरीय संरचना:
- सामरिक नीति समूह (SPG): SPG की अध्यक्षता मंत्रिमंडल सचिव करते हैं, जिसमें नीति-निर्माण और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में अनुवर्ती कार्रवाई के लिये उत्तरदायी वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं
- इसमें सशस्त्र बलों, आसूचना ब्यूरो और अनुसंधान एवं विश्लेषण विंग (रॉ) के प्रमुख शामिल होते हैं। इसका मुख्य कार्य NSC को नीतिगत सिफारिशें करना है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB): इसमें वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी, शिक्षाविद् और नागरिक समाज के विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
- यह राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर NSC को दीर्घकालिक विश्लेषण और नीति सिफारिशें प्रदान करता है, जिसमें आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा, विदेशी मामले, रक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा आर्थिक मामले जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS): इसकी देख-रेख प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, इसका संचालन NSA के सचिव द्वारा किया जाता है तथा यह आंतरिक और बाह्य सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों के लिये सर्वोच्च निकाय के रूप में कार्य करता है।
- सामरिक नीति समूह (SPG): SPG की अध्यक्षता मंत्रिमंडल सचिव करते हैं, जिसमें नीति-निर्माण और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में अनुवर्ती कार्रवाई के लिये उत्तरदायी वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं
- प्रमुख: NSC का नेतृत्व भारत के प्रधानमंत्री करते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, NSC के सचिव और प्रधानमंत्री के प्राथमिक सलाहकार के रूप में कार्य करता है। NSC का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- अजीत डोभाल वर्तमान NSA हैं, जो तीसरी बार सेवा दे रहे हैं। वे भारत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले NSA हैं, जिनका कार्यकाल 10 वर्ष से अधिक रहा है। ब्रजेश मिश्रा देश के पहले NSA थे।
- भारत में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet- ACC) शीर्ष सरकारी पदों पर नियुक्ति करती है। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री और गृह मंत्री करते हैं।
- समिति वरिष्ठ सरकारी नियुक्तियों के प्रस्तावों पर विचार करती है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसे पदों पर निर्णय लेती है।
- NSC सदस्य: NSC के अतिरिक्त इसमें उप NSA और अतिरिक्त NSA, भारत सरकार के रक्षा, विदेश, गृह एवं वित्तमंत्री तथा राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था (National Institution for Transforming India- नीति आयोग) के उपाध्यक्ष शामिल हैं। इसमें आवश्यकतानुसार मासिक बैठकों में अतिरिक्त अधिकारियों को भी आमंत्रित किया जा सकता है।
एपिलेप्सी (मिर्गी) के उपचार के लिये DBS ब्रेन इम्प्लांट सर्जरी
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ब्रिटेन में रहने वाला एक किशोर दुनिया का पहला व्यक्ति बन गया है, जिसे मिर्गी के दौरों को नियंत्रित करने में सहायता के लिये मस्तिष्क प्रत्यारोपण उपकरण लगाया गया है।
- डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) डिवाइस को उसकी मस्तिष्क में स्थापित किया गया, जिससे दिन में होने वाले दौरे में 80% की कमी आई।
मिर्गी विकार क्या है?
- मिर्गी के बारे में:
- एपिलेप्सी (मिर्गी) एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है, इसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिससे दौरे या असामान्य व्यवहार, संवेदनाएँ और कभी-कभी अभिज्ञता संबंधी हानि होती है
- कारण:
- यह मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण होता है।
- लगभग 50% मामलों में इस बीमारी का कोई पहचान योग्य कारण नहीं होता है। हालाँकि सिर में चोट, मस्तिष्क में ट्यूमर, मेनिन्जाइटिस जैसे कुछ संक्रमण या यहाँ तक कि आनुवंशिक भी मिर्गी का कारण बन सकती है
- यह छोटे बच्चों और वृद्धों में अधिक सामान्य है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में थोड़ा अधिक होता है।
- मिर्गी का उपलब्ध उपचार:
- दौरा-रोधी दवाएँ: ये उपचार की पहली पंक्ति हैं, जिनका उद्देश्य दौरे की आवृत्ति एवं गंभीरता को नियंत्रित करना है।
- कीटोजेनिक आहार: उच्च वसा, कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार उल्लेखनीय रूप से प्रभावी हो सकता है, विशेष रूप से दवा-प्रतिरोधी मिर्गी वाले बच्चों में।
- मिर्गी उपचार हेतु सर्जरी: डॉक्टर मस्तिष्क की सर्जरी करके मस्तिष्क के उस हिस्से को हटा सकते हैं जहाँ से दौरे शुरू होते हैं।
- कॉर्पस कैलोसोटॉमी: इस शल्य प्रक्रिया में डॉक्टर कॉर्पस कैलोसम (मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को जोड़ने वाला भाग) को हटा देते हैं, जो असामान्य विद्युत संकेतों को मस्तिष्क के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जाने की अनुमति नहीं देता है, जिससे असामान्य विद्युत निर्वहन फैलने से रुक जाता है और दौरे पड़ने से रोकता है।
नोट:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने मिर्गी को एक तंत्रिका संबंधी विकार के रूप में मान्यता दी है।
- वर्ष 2022 के लैंसेट अध्ययन के अनुसार, भारत में मिर्गी की व्यापकता प्रति 1,000 व्यक्तियों पर 3 से 11.9 मामलों तक है।
- अनेक एंटी-सीजर दवाओं की उपलब्धता के बावजूद, लगभग 30% रोगी उपचार के प्रति प्रतिरोधी बने रहते हैं।
मिर्गी के इलाज के लिये DBS ब्रेन इम्प्लांट तकनीक क्या है?
- परिचय:
- डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (Deep Brain Stimulation- DBS) में इलेक्ट्रोड युक्त एक चिकित्सा उपकरण प्रत्यारोपित किया जाता है, जो दौरे से जुड़े विशिष्ट मस्तिष्क क्षेत्रों में हल्की विद्युत धारा पहुँचाता है।
- DBS को दवा-प्रतिरोधी मिर्गी के रोगियों के लिये माना जाता है, जहाँ पारंपरिक दवाओं से दौरों पर नियंत्रण नहीं हो पाता।
- मस्तिष्क के ऊतकों को हटाने वाली सर्जरी के विपरीत, DBS अधिक लक्षित दृष्टिकोण प्रदान करता है जिसके दुष्प्रभाव भी कम होते हैं।
- प्रक्रिया:
- यह उपकरण एक न्यूरोस्टिम्यूलेटर है जो मस्तिष्क में असामान्य दौरा पैदा करने वाले संकेतों को बाधित या अवरुद्ध करने के लिये मस्तिष्क को लगातार विद्युत आवेग प्रदान करता है।
- इसके अंतर्गत मस्तिष्क में दो इलेक्ट्रोड अंतर्स्थापित किये गए, जो थैलेमस तक पहुँचते हैं। थैलेमस पेशीय और संवेदी सूचना के लिये एक प्रसारण स्टेशन की भूमिका निभाता है। इसमें इलेक्ट्रोड न्यूरोस्टिम्यूलेटर डिवाइस से जुड़े होते हैं।
- इस डिवाइस को हेडफोन का उपयोग करके बेतार तरीके से रिचार्ज किया जा सकता है।
- लाभ:
- दौरे का प्रभावी नियंत्रण: यह कुछ रोगियों में दौरे की आवृत्ति को लगभग 40% तक कम करने में मदद करता है।
- काम्प्लेक्स मिर्गी के लिये विकल्प: यह उन रोगियों जिनमें मिर्गी मस्तिष्क के विभिन्न भागों से उत्पन्न होती है, के लिये एक व्यवहार्य विकल्प प्रदान करता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में सर्जरी मुश्किल अथवा अव्यावहारिक होती है।
- उपचार-प्रतिरोधी मामले: यह उन मामलों जिनमें औषधि और आहार में बदलाव जैसे परंपरागत विधियाँ दौरे को नियंत्रित करने में विफल रहती हैं, के लिये एक प्रभावी विकल्प हो सकता है।
- सीमाएँ:
- DBS, मिर्गी का स्थाई उपचार नहीं है।
- इसकी कुल लागत लगभग 17 लाख रुपए हो सकती है जो इसे महँगा बनाता है
- DBS की प्रभावकारिता दर सुव्यवस्थित सर्जिकल विकल्पों की अपेक्षा कम है। मस्तिष्क की सर्जरी से लगभग 90% उपयुक्त मामलों में दौरे से मुक्ति मिल सकती है।
न्यूरालिंक (न्यूरोटेक्नोलॉजी संबंधी अमेरिकी कंपनी): न्यूरालिंक के मस्तिष्क प्रत्यारोपण का उद्देश्य अभिघातक चोट वाले रोगियों को अपने विचारों की सहायता से ही कंप्यूटर को नियंत्रित करने में मदद करना है।
- इसका उद्देश्य पार्किंसंस रोग जैसी स्थितियों को संबोधित करके मानव की क्षमताओं में महत्त्वपूर्ण रूप से वृद्धि करना है।
ब्रेनोवेयर: यह मस्तिष्क के ऑर्गेनोइड्स को माइक्रोइलेक्ट्रोड के साथ एकीकृत करता है और इसका उपयोग मानव मस्तिष्क के विकास और मस्तिष्क से संबंधित व्याधियों का अध्ययन करने के लिये किया जा सकता है।
और पढ़ें: एपिलेप्सी
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
भारत ने 2024 का T-20 वर्ल्ड कप जीता
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में भारत ने बारबाडोस में आईसीसी T-20 विश्व कप जीतकर वर्ष 2013 चैंपियंस ट्रॉफी के बाद अपना ICC खिताब हासिल किया।
- इस जीत को प्रमुख आईसीसी टूर्नामेंटों में सूखे के अंत के रूप में देखा गया।
पिछले कुछ वर्षों में T-20 विश्व कप का सफर कैसा रहा है?
- परिचय:
- T-20 विश्व कप पहली बार वर्ष 2007 में खेला गया था, यह एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट चैंपियनशिप है, जो आमतौर पर प्रत्येक दो वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है।
- T-20 विश्व कप वर्ष 2007 में 12 टीमों की प्रतियोगिता के रूप में शुरू हुआ था, इसे वर्ष 2014 के संस्करण से 16 टीमों तक बढ़ा दिया गया था।
- वर्ष 2024 के संस्करण में चार समूहों में 20 टीमों ने भाग लिया।
- भारत का प्रदर्शन:
- भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में फाइनल में पाकिस्तान को हराकर दक्षिण अफ्रीका में पहला पुरुष T-20 विश्व कप जीता।
- भारत वर्ष 2014 में फाइनल में श्रीलंका से हारकर उपविजेता रहा था।
- विजेता:
- दो T-20 विश्व कप जीतने वाली टीमें:
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भारत (2007 और 2024)
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वेस्टइंडीज़ (2012 और 2016)
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इंग्लैंड (2010 और 2022)
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वर्ष 2022 की जीत के साथ, इंग्लैंड एक साथ दोनों पुरुष विश्व कप: वनडे विश्व कप 2019 और T-20 विश्व कप 2022 जीतने वाली पहली टीम बन गई।
- दो T-20 विश्व कप जीतने वाली टीमें:
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विश्व कप 2024 की व्यक्तिगत उपलब्धियाँ:
- भारत के विराट कोहली, वर्ष 2012 में अपने पदार्पण के बाद से 35 मैचों में 1292 रन बनाकर T-20 विश्व कप के इतिहास में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं।
- बांग्लादेश के ऑलराउंडर शाकिब अल हसन T-20 विश्व कप में सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने वर्ष 2007 से वर्ष 2024 के बीच 43 मैचों में 50 विकेट लिये हैं।
- वर्ष 2024, T-20 फाइनल की मुख्य झलकियाँ:
- प्लेयर ऑफ द मैच: विराट कोहली
- प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट: जसप्रीत बुमराह
- T-20 विश्व कप संस्करण में सबसे अधिक विकेट:
- 17 - अर्शदीप सिंह (भारत, 2024)
- 17 - फजलहक फारूकी (अफगानिस्तान, 2024)
- T-20 विश्व कप संस्करण में सबसे कम इकॉनमी रेट:
- 4.17 - जसप्रीत बुमराह (2024)
- यह तीसरी बार है जब किसी टीम ने लक्ष्य का बचाव करते हुए T-20 विश्व कप फाइनल जीता है, इससे पहले वर्ष 2007 में भारत और वर्ष 2012 में वेस्टइंडीज़ ने लक्ष्य का बचाव करते हुए जीत हासिल की थी।
- भारत पूरे टूर्नामेंट में अपराजित रहकर T-20 विश्व कप जीतने वाली पहली टीम बन गई।
- विश्व कप जीत के बाद, तीन भारतीय खिलाड़ियों विराट कोहली, रोहित शर्मा तथा रवींद्र जडेजा ने T-20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों से संन्यास की घोषणा कर दी है।
- भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने T-20 विश्व कप जीतने पर टीम इंडिया को 125 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि देने की घोषणा की है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. वर्ष 2000 में स्थापित लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |
जमा प्रमाण-पत्र
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
हाल ही में क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने आँकड़े जारी किये, जिनसे स्पष्ट हुआ कि वाणिज्यिक बैंकों ने अपनी बैलेंस शीट को मज़बूत करने के लिये जमा प्रमाण-पत्र (Certificates of Deposit - CDs) के माध्यम से 1.45 ट्रिलियन रुपए जुटाए हैं।
जमा प्रमाण-पत्र (Certificates of Deposit - CDs):
- जमा प्रमाण-पत्र बैंकों और क्रेडिट यूनियनों द्वारा प्रस्तुत एक परक्राम्य (negotiable), असुरक्षित मुद्रा बाज़ार साधन है, जो ग्राहक को एक पूर्व निर्धारित अवधि के लिये एकमुश्त जमा को अपरिवर्तित छोड़ने के लिये सहमत होने के बदले में ब्याज दर प्रीमियम प्रदान करता है।
- दूसरे शब्दों में, यह एक निश्चित अवधि के लिये बैंकों में रखे धन पर एक निश्चित ब्याज दर का भुगतान करता है।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों (All-India Financial Institutions - FIs) द्वारा व्यक्तियों (NRI सहित), निगमों, कंपनियों, ट्रस्टों, फंडों, संघों आदि को जमा प्रमाण-पत्र जारी की जा सकती हैं।
- CD की न्यूनतम राशि 1 लाख रुपए होनी चाहिये तथा इसके बाद इसके गुणकों की अनुमति दी जाती है।
- बैंकों द्वारा जारी जमा प्रमाण-पत्रों की परिपक्वता अवधि 7 दिन से एक वर्ष तक होती है, जबकि वित्तीय संस्थाओं के लिये यह सीमा जारी होने की तिथि से 1 वर्ष से 3 वर्ष तक होती है।
भारतीय समाशोधन निगम (Clearing Corporation of India - CCIL):
- वर्ष 2001 में स्थापित यह बैंक मुद्रा और सरकारी प्रतिभूति बाज़ारों में विश्वसनीय समाशोधन तथा निपटान सेवाएँ प्रदान करता है।
और पढ़ें: बैंकिंग क्षेत्र: अवसर और चुनौतियाँ
अंतर्राष्ट्रीय स्टील स्लैग रोड सम्मेलन
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में CSIR द्वारा नई दिल्ली में स्टील स्लैग रोड पर प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
- नीति आयोग ने सड़क निर्माण में स्टील स्लैग के उपयोग के लिये दिशा-निर्देश जारी किये।
स्टील स्लैग रोड प्रौद्योगिकी:
- इस प्रौद्योगिकी में मज़बूत और अधिक टिकाऊ सड़कों के निर्माण के लिये स्टील उत्पादन के दौरान प्राप्त स्टील स्लैग (धातु अपशिष्ट) का उपयोग किया जाता है।
- इस प्रक्रिया में प्राप्त स्लैग में से अशुद्धियाँ और धातु को हटाना तथा सड़क निर्माण के लिये इसे एक एग्रीगेट के रूप में उपयोग करना शामिल है।
- इस प्रसंस्कृत स्टील स्लैग में उच्च स्तर की मज़बूती, कठोरता, घर्षण प्रतिरोध, स्किड प्रतिरोध और जल निकासी क्षमता होती है, जो इसे सड़क निर्माण के लिये उपयुक्त बनाती है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और साथ ही लागत प्रभावी तथा टिकाऊ भी है।
- भारत में निर्माण और रखरखाव परियोजनाओं के लिये प्रत्येक वर्ष लगभग 1.8 बिलियन टन नेचुरल एग्रीगेट्स की आवश्यकता होती है। इस मांग को आंशिक रूप से संसाधित स्टील स्लैग एग्रीगेट का उपयोग करके पूरा किया जा सकता है।
- भारत की पहली स्टील स्लैग सड़क का निर्माण सूरत में किया गया था।
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जैविक अपशिष्ट की सफाई के लिये नया नैनोकंपोजिट
स्रोत: पी. आई. बी.
हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (Institute of Advanced Study in Science and Technology- IASST) के शोधकर्त्ताओं द्वारा एक नया धातु/मेटल ऑक्साइड नैनोकंपोजिट विकसित किया गया है, जिसका उपयोग पर्यावरण की स्वच्छता के लिये सतत् प्रौद्योगिकियों के रूप में किया जा सकता है।
- ये नए मिश्रण प्रदूषकों के अपघटन के लिये फोटोकैटेलिसिस (Photocatalysis ) का उपयोग करते हैं।
- फोटोकैटेलिस्ट (Photocatalysts) वे पदार्थ हैं जो प्रकाश के संपर्क में आने पर रासायनिक प्रतिक्रिया की दर को बदल देते हैं।
- प्रकाश की उपस्थिति में, वे इलेक्ट्रॉन-छिद्र युग्म उत्पन्न करते हैं जो प्रदूषकों को हानिरहित उप-उत्पादों में बदल देते हैं।
- मेटल ऑक्साइड फोटोकैटलिसिस (जैसे- टाइटेनियम डाइऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड और टंगस्टन ट्राइऑक्साइड), अपने उच्च सतह क्षेत्र तथा स्थिरता के कारण, जल निकायों से कार्बनिक प्रदूषकों को हटाने के लिये एक स्थायी समाधान प्रदान करता है।
- इन नए फोटोकैटेलिटिक मेटल ऑक्साइड का उपयोग रंग और दवा क्षेत्र में कार्बनिक प्रदूषकों के विघटन के लिये किया जा सकता है।
- नैनोकंपोजिट (दो या अधिक सामग्रियों का संयोजन, जिनमें से कम-से-कम एक नैनो सामग्री है) का उपयोग उत्प्रेरण, ऊर्जा भंडारण, सेंसर, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स, जैव चिकित्सा क्षेत्र, कोटिंग्स और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकता है।
- गुवाहाटी में स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (Institute of Advanced Study in Science and Technology- IASST) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) का एक स्वायत्त संस्थान है।
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हवलदार अब्दुल हामिद
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख ने उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर स्थित धामूपुर गाँव का दौरा किया, जो वर्ष 1965 के युद्ध के नायक अब्दुल हमीद का पैतृक गाँव है।
- उन्होंने हामिद पर दो पुस्तकें- 'मेरे पापा परमवीर' और 'भारत का मुसलमान' लिखीं।
- अब्दुल हामिद भारतीय सेना में 4 ग्रेनेडियर्स के एक सैनिक थे, जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में असल उत्तर की लड़ाई के दौरान लड़ाई लड़ी और शहीद हो गए।
- असल उत्तर (Asal Uttar) भारत-पाकिस्तान सीमा के पास पंजाब में स्थित है।
- असल उत्तर की लड़ाई वर्ष 1965 के युद्ध के दौरान लड़ी गई सबसे बड़ी टैंक लड़ाइयों में से एक थी, जहाँ भारतीय सेना ने पाकिस्तानी 1 बख्तरबंद डिवीज़न के आक्रमण को ध्वस्त कर दिया था।
- इस लड़ाई के परिणामस्वरूप पाकिस्तानी सेना के 97 पैटन टैंक नष्ट हो गए और एक पूरी पाकिस्तानी बख्तरबंद रेजिमेंट ने आत्मसमर्पण कर दिया।
- हामिद को चीमा गाँव के पास तैनात किया गया था। 10 सितंबर 1965 को उन्होंने 3 पाकिस्तानी टैंक नष्ट कर दिये और चौथे टैंक को निष्क्रिय कर दिया, लेकिन इस प्रक्रिया में वे मारे गए।
- हामिद को उनकी बहादुरी के लिये मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
- उनकी मृत्यु का स्थान अब एक युद्ध स्मारक का हिस्सा है, जहाँ एक कब्ज़ा किया हुआ पाकिस्तानी पैटन टैंक श्रद्धांजलि के रूप में खड़ा है।
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