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जैव विविधता और पर्यावरण

स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत सूचीबद्ध सात स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों के सत्यापन को मंज़ूरी

  • 08 Oct 2020
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्टॉकहोम कन्वेंशन, वैश्विक पर्यावरण सुविधा, स्‍थायी कार्बनिक प्रदूषक, 

मेन्स के लिये:

स्थायी कार्बनिक प्रदूषक तथा स्टॉकहोम कन्वेंशन और कन्वेंशन के तहत सूचीबद्ध स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों के सत्यापन का महत्त्व

चर्चा  में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्‍थायी कार्बनिक प्रदूषकों (Persistent Organic Pollutants- POPs) के बारे में स्टॉकहोम समझौते में सूचीबद्ध सात रसायनों के सत्‍यापन की मंज़ूरी दे दी है। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने घरेलू नियमों के तहत विनियमित की गई प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्‍य से POPs के संबंध में अपनी शक्तियाँ केंद्रीय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs-MEA) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change-MoEFCC) को सौंप दी हैं।

प्रमुख बिंदु:

स्‍थायी कार्बनिक प्रदूषक (POPs): POPs चिह्नित रसायनिक पदार्थ हैं, जिनकी विशेषता इस प्रकार है-

  • पर्यावरण में दीर्घकाल तक उपस्थिति
  • सजीवों के फैटी एसिड में जैव-संचय
  • मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव
    • POPs के संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है, केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचता है, प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी बीमारियाँ होती है, प्रजनन संबंधी विकार उत्पन्न होते हैं और सामान्य शिशुओं एवं बच्‍चों का विकास बाधित हो सकता है।
  • ये लॉन्ग रेंज एनवायरमेंटल ट्रांसपोर्ट (LERT) की प्रकृति रखते हैं।

स्टॉकहोम कन्वेंशन:

(Stockholm Convention)

  • यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को POPs से बचाने के लिये एक वैश्विक संधि है।
  • यह समझौता स्टॉकहोम (स्वीडन) में वर्ष 2001 में हस्ताक्षर के लिये आमंत्रित किया गया था और वर्ष 2004 में प्रभावी हो गया।
  • सदस्य देशों के बीच गहन वैज्ञानिक अनुसंधान, विचार-विमर्श और वार्ता के बाद स्टॉकहोम कन्वेंशन के विभिन्न अनुलग्नकों में POPs को सूचीबद्ध किया गया है।
  • यह अभिसमय एक दर्ज़न खराब रसायनों/Dirty Dozen Chemicals (प्रमुख POPs) में से नौ पर प्रतिबंध लगाने, DDT का उपयोग मलेरिया नियंत्रण तक सीमित करने और डायोक्सिन एवं फ़्यूरेन के असावधानीपूर्वक किये जाने वाले उत्पादन पर अंकुश लगाने के लिये लाया गया है। यह अभिसमय/समझौता/कन्वेंशन बारह अलग-अलग रसायनों को तीन श्रेणियों में सूचीबद्ध करता है:
    • आठ कीटनाशक (एल्ड्रिन, क्लोर्डेन, डीडीटी, डाइड्रिन, एंड्रीन, हेप्टाक्लोर, मिरेक्स और टॉक्सैफिन)
    • दो औद्योगिक रसायन (पॉली क्लोरीनेटिड बाइफिनाइल और हेक्साक्लोरोबेंज़ेन)
    • क्लोरीन निहित कई औद्योगिक प्रक्रियाओं के दो अनभिप्रेत उप-उत्पाद, उदाहरण के तौर पर-अपशिष्ट भस्मीकरण (Waste Incineration), रासायनिक एवं कीटनाशक उत्पादक तथा लुगदी और पेपर ब्लीचिंग (पॉली क्लोरीनेटिड डिबेंज़ो-पी-डाइऑक्सिन एवं डाइबेंज़ोफ्यूरेन, आमतौर पर इन्हें डाइऑक्सिन और फ्यूरेन के रूप में जाना जाता है)।

उद्देश्य:

  • सुरक्षित विकल्पों के संक्रमण का समर्थन करना।
  • कार्रवाई के लिये अतिरिक्त POPs को लक्षित करना।
  • POPs युक्त पुराने स्टॉकपाइल्स और उपकरण की सफाई करना।
  • POP-मुक्त भविष्य के लिये मिलकर काम करना।

भारत द्वारा समझौते की पुष्टि:

  • भारत ने अनुच्छेद 25 (4) के अनुसार, 13 जनवरी, 2006 को स्टॉकहोम समझौते की पुष्टि की थी जिसने इसे स्वयं को एक डिफ़ॉल्ट "ऑप्ट-आउट" स्थिति में रखने के लिये सक्षम बनाया, ताकि समझौते के विभिन्न अनुलग्नकों में संशोधन तब तक लागू न हो सकें जब तक कि सत्‍यापन/स्वीकृति/अनुमोदन या मंज़ूरी का प्रपत्र स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र के न्यासी/धरोहर स्थान (Depositary) में जमा न हो जाए।

मंत्रिमंडल का हालिया निर्णय: 

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत सूचीबद्ध सात रसायनों के अनुसमर्थन को मंज़ूरी दी है। इन रसायनों को POPs के लिये निम्नलिखित घरेलू प्रावधान के तहत विनियमित किया जाता है:
  • सुरक्षित वातावरण प्रदान करने और मानव स्वास्थ्य जोखिमों को दूर करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को ध्‍यान में रखते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत 5 मार्च, 2018 को ‘दीर्घकालिक/स्थायी जैविक प्रदूषकों के विनियमन' को अधिसूचित किया था।
  • अन्‍य बातों के अलावा विनियमन में निम्नलिखित सात रसायनों के उत्‍पादन, व्यापार, उपयोग, आयात और निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था, जो स्टॉकहोम समझौते के अंतर्गत POPs के रूप में पहले से ही सूचीबद्ध हैं: 
    1. क्‍लोरडीकोन (Chlordecone)
    2. हेक्‍साब्रोमोडीफिनाइल (Hexabromobiphenyl)
    3. हेक्‍साब्रोमोडीफिनाइल इथर और हेप्टाब्रोमोडीफिनाइल (कमर्शियल पेंटा-बीडीई) [Hexabromodiphenyl ether and Hepta Bromodiphenyl Ether (Commercial octa-BDE)]
    4. टेट्राब्रोमोडीफिनाइल इथर और पेंटाब्रोमोडीफिनाइल [Tetrabromodiphenyl ether and Pentabromodiphenyl ether (Commercial penta-BDE)]
    5. पेंटाक्‍लोरोबेंजीन (Pentachlorobenzene)
    6. हेक्‍साब्रोमोसाइक्‍लोडोडीकेन (Hexabromocyclododecane)
    7. हेक्‍साक्‍लोरोबूटाडीन (Hexachlorobutadiene)

निर्णय का महत्त्व:

  • POPs के सत्‍यापन के लिये कैबिनेट की मंज़ूरी पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के संबंध में अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 
  • यह नियंत्रण उपायों को लागू करने, अनजाने में उत्पादित रसायनों के लिये कार्य योजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करने, रसायनों के भंडार के आविष्कारों को विकसित करने तथा समीक्षा करने के साथ-साथ अपनी राष्ट्रीय कार्यान्वयन योजना (NIP) को अद्यतन करने के लिये POPs पर सरकार के संकल्प को भी दर्शाता है।
  • सत्‍यापन प्रक्रिया भारत को NIP को आधुनिक बनाने में वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) वित्तीय संसाधनों तक पहुँचने में सक्षम बनाएगी।

वैश्विक पर्यावरण सुविधा:

(Global Environment Facility- GEF)

  • GEF की स्थापना वर्ष 1992 के रियो पृथ्वी  शिखर सम्मेलन (Rio Earth Summit) के दौरान हुई थी।
  • इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका में है।
  • GEF का प्रबंधन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
  • इस वित्तीय तंत्र की स्थापना हमारे ग्रह की सबसे व्यापक पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने में मदद करने के लिये की गई थी।
  • यह जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता, ओज़ोन परत आदि से संबंधित परियोजनाओं के लिये विकासशील देशों और संक्रमण अर्थव्यवस्थाओं को निधि उपलब्ध कराता है।
  • यह 5 प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलनों के लिये एक वित्तीय तंत्र उपलब्ध कराता है:

स्रोत: पी.आई.बी.

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