प्रीलिम्स फैक्ट्स: 17 अगस्त, 2018
अटल बिहारी वाजपेयी (1924-2018)
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में हुआ तथा उनका निधन 16 अगस्त, 2018 को भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली में हुआ।
प्रमुख उपलब्धियाँ
- अटल बिहारी वाजपेयी 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए तथा वर्ष 1957 में पहली बार बलरामपुर संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए।
- वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री पद हेतु चुने गए थे पहली बार उनका कार्यकाल वर्ष 1996 में केवल13 दिनों का था, दूसरा कार्यकाल वर्ष 1998 से 1999 तक ग्यारह महीने की समयावधि के लिये और इसके बाद तीसरा कार्यकाल पूर्ण समयावधि यानी वर्ष 1999 से 2004 तक रहा।
- गौरतलब है कि वर्ष 1999 से 2004 के दौरान पूर्णकालिक कार्यकाल पूरा करने वाले वे पहले गैर-कॉन्ग्रेसी प्रधानमंत्री बने।
- मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में 1977 से 1979 तक वे विदेश मंत्री भी रहे।
- इस दौरान 4 अक्तूबर, 1977 को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया और ऐसा करने वाले वाजपेयी पहले व्यक्ति थे।
- वर्ष 2001 में वाजपेयी सरकार ने प्रसिद्ध सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया था जिसका उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना था।
- उनके कार्यकाल के दौरान मई 1998 में भारत ने राजस्थान के पोखरण रेगिस्तान में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण किये तत्पश्चात् भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण (मुस्कुराते हुए बुद्ध) 1974 में आयोजित किया।
- उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार तथा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न ( वर्ष 2015 में) से भी सम्मानित किया गया था।
- उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को 'सुशासन दिवस' घोषित किया गया था।
SWAT टीम
- भारत की पहली, पूर्ण रूप से महिलाओं द्वारा संचालित SWAT टीम को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले में सुरक्षा हेतु तैनात किया गया।
- दिल्ली पुलिस की विशेष सेल के तहत आतंकवाद विरोधी उत्तरदायित्त्व के लिये इस टीम को एनएसजी द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।
- इस टीम की सभी 36 महिलाएँ पूर्वोत्तर से हैं और हाल ही इस टीम को दिल्ली पुलिस में शामिल किया गया था।
- यह टीम AK-47 राइफल्स, MP5 मशीनगन, ग्लॉक 17 या 26 पिस्तौल और कॉर्नर शॉट डिवाइस जैसे अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित हैं।
भारत का पहला आनुवंशिक संसाधन बैंक
- हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव आनुवंशिक संसाधन बैंक का उद्घाटन हैदराबाद, तेलंगाना में सेलुलर और आण्विक जीवविज्ञान (सीसीएमबी) प्रयोगशाला के केंद्र में किया गया।
- यह भारत का पहला आनुवंशिक संसाधन बैंक है जहाँ आनुवंशिक सामग्री को भावी पीढ़ी के लिये संग्रहीत किया जाएगा।
- इसका मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय और संरक्षित किये जाने योग्य जानवरों को संरक्षण प्रदान करना है।
सीसीएमबी (CCMB)
- यह आधुनिक जीवविज्ञान के अग्रगामी क्षेत्रों में शोध करने वाला एक प्रमुख अनुसंधान संगठन है।
- इस अनुसंधान संगठन का उद्देश्य आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी एवं बहुआयामी शोधकार्य एवं उनके संभावित अनुप्रयोगों की खोज करना है। इसकी स्थापना दिनांक 01 अप्रैल, 1979 को हुई।
- इसकी स्थापना के समय सीसीएमबी क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में की गई, किंतु बाद में CSIR द्वारा वर्ष 1978 में आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी एवं बहु-आयामी शोधकार्य के लिये इस केंद्र की स्थापना के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई।
- वर्ष 1981-82 के दौरान सीसीएमबी को एक पूर्ण विकसित राष्ट्रीय प्रयोगशाला का दर्जा दिया गया।
पिंगली वेंकैया
2 अगस्त को महान स्वंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक पिंगली वेंकैया का 142वाँ जन्मदिवस मनाया गया। इस अवसर पर 142 मीटर लंबे राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक रैली भी निकाली गई। उल्लेखनीय है कि पिंगली वेंकैया को राष्ट्र ध्वज को डिज़ाइन करने के लिये जाना जाता है।
- पिंगली वेंकैया का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था।
- उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू और मछलीपट्टनम से प्राप्त की थी।
- वेंकैया ने 19 साल की उम्र में अफ्रीका में एंग्लो बोअर युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में सैनिक के रूप में कार्य किया। वहीँ ये महात्मा गांधी से मिले और उनके विचारों से प्रभावित हुए।
- उन्हें भूविज्ञान और कृषि क्षेत्र से विशेष लगाव था।
- 1906 से 1911 तक पिंगली ने मुख्य रूप से कपास की फसल की विभिन्न किस्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया और बॉम्वोलार्ट कंबोडिया कपास पर अपना एक अध्ययन प्रकाशित किया।
- वे संस्कृत, उर्दू और जापानी का अध्ययन करने के लिये लाहौर के एंग्लो वैदिक स्कूल में भी गए।
- 1918 से 1921 के बीच वेंकैया ने कॉन्ग्रेस के हर सत्र में स्वयं का ध्वज रखने का मुद्दा उठाया।
- प्रारंभ में वेंकैया ने ध्वज में केवल लाल और हरे रंग का प्रयोग किया जो क्रमशः हिंदू तथा मुसलमान समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। लेकिन बाद में इसके केंद्र में एक चरखा और तीसरे रंग (सफेद) को भी शामिल किया गया।
- 1931 में कॉन्ग्रेस ने कराची के अखिल भारतीय सम्मेलन में केसरिया, सफ़ेद और हरे तीन रंगों से बने इस ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकार किया।
- इनकी मृत्यु 4 जुलाई, 1963 को हुई।
- वर्ष 2009 में उन्हें सम्मान देते हुए भारत सरकार द्वारा उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया।
तेलंगाना में बनेगा भारत का पहला ब्लॉकचेन ज़िला
हाल ही में तेलंगाना सरकार ने भारत का पहला ब्लॉकचेन ज़िला लॉन्च करने हेतु टेक महिंद्रा न्यूक्लियस विज़न और इलेवन 01 फाउंडेशन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- ब्लॉकचेन ज़िला ब्लॉकचेन उत्कृष्टता का ऐसा केंद्र होगा जो भारत के ब्लॉकचेन स्टार्टअप व कंपनियों के विकास को प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
- इस समझौते के तहत ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के विकास के लिये पूरा पारितंत्र प्रदान किया जाएगा।
- सरकार के साथ करार करने वाली कंपनियाँ ब्लॉकचेन ज़िले के प्रमुख संस्थापक साझेदार के रूप में काम करेंगी।
ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी
- जिस प्रकार हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर इंटरनेट का अविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार डाटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की लंबी श्रृंखला को जोड़कर उसे ब्लॉकचेन का नाम दिया गया है।
- ब्लॉकचेन तकनीक तीन अलग-अलग तकनीकों का समायोजन है, जिसमें इंटरनेट, पर्सनल 'की' (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है।