राष्ट्रीय पर्यटन नीति
प्रिलिम्स के लिये:भारत में पर्यटन, पर्यटन से संबंधित योजनाएँ, राष्ट्रीय पर्यटन नीति का मसौदा। मेन्स के लिये:भारत में पर्यटन से संबंधित सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, महत्त्व तथा चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
संसदीय समितियों का मानना है कि राष्ट्रीय पर्यटन नीति का मसौदा तैयार कर देने मात्र से देश में पर्यटन उद्योग का विकास संभव नहीं है।
- समिति ने पर्यटन क्षेत्र और इसके हितधारकों को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर केंद्र तथा राज्य सरकारों को सीधे सिफारिशें करने के लिये GST परिषद के समान एक राष्ट्रीय पर्यटन परिषद की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।
समिति द्वारा उठाए गए मुद्दे:
- समवर्ती सूची में शामिल करना:
- समिति ने पर्यटन मंत्रालय द्वारा समवर्ती सूची में पर्यटन को शामिल करने की अपनी पूर्व की सिफारिश के संबंध में उठाए गए कदमों के संदर्भ में जानकारी हासिल की।
- समिति के अनुसार, समवर्ती सूची में पर्यटन को शामिल करने से महामारी से प्रभावित भारतीय पर्यटन क्षेत्र के मुद्दों के समाधान में मदद मिलेगी क्योंकिपर्यटन एक बहु-क्षेत्रीय गतिविधि है।
- समिति ने पर्यटन मंत्रालय द्वारा समवर्ती सूची में पर्यटन को शामिल करने की अपनी पूर्व की सिफारिश के संबंध में उठाए गए कदमों के संदर्भ में जानकारी हासिल की।
- आतिथ्य परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा:
- इसने यह भी जानना चाहा कि क्यों 20 राज्यों ने अभी तक आतिथ्य परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा नहीं दिया है और मंत्रालय से पूछा है कि क्या इस संबंध में इन राज्यों द्वारा केंद्र को कुछ भी जानकारी साझा की गई है।
- अब तक आठ राज्यों (महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड) ने आतिथ्य परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा दिया है।
- इसने यह भी जानना चाहा कि क्यों 20 राज्यों ने अभी तक आतिथ्य परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा नहीं दिया है और मंत्रालय से पूछा है कि क्या इस संबंध में इन राज्यों द्वारा केंद्र को कुछ भी जानकारी साझा की गई है।
- स्वीकृत परियोजनाओं के संबंध में:
- इसने चिंता व्यक्त की है कि पाँच वर्ष पहले या वर्ष 2017-18 से पहले स्वीकृत परियोजनाओं में प्रगति की दर अपेक्षा से कम रही है।
- स्वीकृत परियोजनाएँ: जम्मू-कश्मीर में 'हज़रतबल में विकास' और ओडिशा में 'मेगा सर्किट के तहत देउली में श्री जगन्नाथ धाम, पुरी - रामाचंडी - प्राची रिवर फ्रंट में बुनियादी ढाँचा विकास' को मंज़ूरी दी गई है।
- समिति का विचार है कि पाँच वर्ष से अधिक समय लेने वाली परियोजनाओं में उच्च लागत और समय की अधिकता हो सकती है जिससे मंत्रालय एवं कार्यान्वयन एजेंसियों पर संसाधनों की कमी व अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ जाता है।
- इसने चिंता व्यक्त की है कि पाँच वर्ष पहले या वर्ष 2017-18 से पहले स्वीकृत परियोजनाओं में प्रगति की दर अपेक्षा से कम रही है।
राष्ट्रीय पर्यटन नीति के मसौदे की मुख्य विशेषताएँ:
- पर्यटन सेक्टर को उद्योग का दर्जा:
- मसौदे के तहत पर्यटन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने हेतु इस क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने के साथ-साथ होटलों को औपचारिक रूप से बुनियादी अवसंरचना में शामिल किये जाने का उल्लेख है।
- पाँच प्रमुख क्षेत्र:
- अगले 10 वर्षों में पाँच प्रमुख महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें हरित पर्यटन, डिजिटल पर्यटन, गंतव्य प्रबंधन, आतिथ्य क्षेत्र को कुशल बनाना और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) से संबंधित पर्यटन का समर्थन करना शामिल है।
- उपयुक्त कराधान और सब्सिडी नीतियों का समर्थन:
- यह टिकाऊ पर्यटन गतिविधियों में निवेश को प्रोत्साहित करने और अस्थिर पर्यटन को हतोत्साहित करने के लिये उपयुक्त कराधान और सब्सिडी नीतियों का समर्थन करेगा।
- फ्रेमवर्क शर्तें प्रदान करना:
- यह मसौदा नीति विशिष्ट परिचालन मुद्दों को संबोधित नहीं करती है, हालाँकि इसमें विशेष रूप से महामारी के मद्देनज़र इस क्षेत्र की मदद करने के लिये फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया गया है।
- विदेशी और स्थानीय पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिये समग्र मिशन एवं विज़न तैयार किया जा रहा है।
भारत में पर्यटन क्षेत्र की स्थिति:
- परिचय:
- विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद की 2021 की रिपोर्ट ने विश्व GDP (सकल घरेलू उत्पाद) में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन को 6वें स्थान पर रखा है।
- वर्तमान में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने अपने यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक 2021 में भारत को 54वाँ स्थान दिया है|
- भारत में वर्ष 2021 तक 'विश्व विरासत सूची' के तहत 40 साइट्स सूचीबद्ध हैं। इस मामले में विश्व में भारत का छठा स्थान (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल) है।
- इनमें धौलावीरा और रामप्पा मंदिर (तेलंगाना) शामिल होने वाली नवीनतम साइट्स हैं।
- वित्त वर्ष 2020 में भारत में पर्यटन क्षेत्र में 39 मिलियन नौकरियाँ थीं जिनकी देश में कुल रोज़गार में 8.0% हिस्सेदारी थी। वर्ष 2029 तक यह आंँकड़ा लगभग 53 मिलियन नौकरियों तक पँहुचने की उम्मीद है।
- विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद की 2021 की रिपोर्ट ने विश्व GDP (सकल घरेलू उत्पाद) में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन को 6वें स्थान पर रखा है।
- नवीनतम पहलें:
- स्वदेश दर्शन योजना
- देखो अपना देश' पहल
- राष्ट्रीय हरित पर्यटन मिशन
- प्रसाद परियोजनाएँ
- बौद्ध सम्मेलन
भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित चुनौतियांँ
- बुनियादी ढांँचे में कमी:
- भारत में पर्यटकों को अभी भी कई बुनियादी सुविधाओं से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे-खराब सड़कें, पानी, सीवर, होटल और दूरसंचार आदि।
- बचाव और सुरक्षा:
- पर्यटकों, विशेषकर विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा पर्यटन के विकास में एक बड़ी बाधा है। विदेशी नागरिकों पर हमला अन्य देशों के पर्यटकों का भारत में स्वागत करने की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
- कुशल जनशक्ति की कमी:
- कुशल जनशक्ति की कमी भारत में पर्यटन उद्योग के लिये एक और चुनौती है।
- मूलभूत सुविधाओं का अभाव:
- पर्यटन स्थलों पर पेयजल, सुव्यवस्थित शौचालय, प्राथमिक उपचार, अल्पाहार गृह आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव।
- मौसम:
- मौसम की भूमिका को देखें तो अक्तूबर से मार्च तक छह महीने पर्यटन क्षेत्र में मौसमी व्यस्तता सीमित होती है, जबकि नवंबर और दिसंबर में भारी भीड़ देखी जाती है।
आगे की राह
- भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए पर्यटन क्षेत्र में बेजोड़ विविधता भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने तथा विदेशी राजस्व को आकर्षित करने में एक महत्त्वपूर्ण कारक हो सकती है।
- भारत का 'वसुधैव कुटुम्बकम' का दर्शन विश्व को एक परिवार के रूप में देखता है। यह भारत को बहुपक्षवाद में अटूट विश्वास प्रदान करता है।
- दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों सहित समाज में हाशिये पर जी रहे वर्गों के लिये अवसर पैदा करके पर्यटन के समावेशी विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- देश भर में वाँछित पर्यटन स्थलों और प्रमुख बाज़ारों तथा क्षेत्रों की पहचान करने के लिये एक व्यापक बाज़ार अनुसंधान एवं मूल्यांकन अभ्यास किया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. विकास की पहल और पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव से पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे बहाल किया जा सकता है? (वर्ष 2019) प्रश्न. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य पर्यटन के कारण अपनी पारिस्थितिक वहन क्षमता की सीमा तक पहुँच रहे हैं। समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिये। (वर्ष 2015) |
स्रोत: द हिंदू
2023 में भारत के लिये भू-राजनीतिक चुनौतियाँ और अवसर
प्रिलिम्स के लिये:G20 शिखर सम्मेलन, यूक्रेन-रूस, तवांग टकराव, श्रीलंका संकट, नेपाल। मेन्स के लिये:भारत को शामिल करने वाले और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह तथा समझौते |
चर्चा में क्यों?
रूस-यूक्रेन युद्ध एवं चीन की आक्रामक नीतियों व राजनयिक तथा सैन्य मोर्चों पर चुनौतियों और अवसरों के साथ भारत 2023 में प्रवेश कर रहा है।
- पूरे चीन में फैले अत्यधिक संक्रामक कोविड-19 संस्करण के साथ अनिश्चितता ने फिर से दुनिया के समक्ष तनाव की स्थिति उत्पन्न कर दी है, इसके साथ ही आर्थिक मंदी का साया भी मंडरा रहा है।
- G20 अध्यक्ष के रूप में भारत दुनिया के सामने मौजूद मुद्दों पर बातचीत किये जाने की आशा कर रहा है।
- 2 वर्षों के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत ने अपने विचारों को प्रस्तुत करने और वैश्विक बातचीत में योगदान देने की मांग की है।
2022 में प्रमुख चिंताएँ:
- रूस-यूक्रेन युद्ध:
- यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्विक व्यवस्था को उलट दिया है, विश्व की खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित किया है तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जाने का कार्य किया है।
- रूसी नेताओं की परमाणु बयानबाज़ी ने चिंता पैदा कर दी है, जबकि रूस और चीन के रणनीतिक संबंध एक और चिंता का विषय है।
- चीन की आक्रामकता:
- यूक्रेन युद्ध ने भी विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया है, साथ ही विश्व ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को देखा है।
- भारत भी अपनी सीमा पर उस आक्रामकता का सामना कर रहा है, जिसमें 2020 के गलवान संघर्ष के बाद अरुणाचल प्रदेश में झड़प हुई थी और इसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे।
- चीन के आक्रामक रुख को दक्षिण चीन सागर में उसकी हालिया गतिविधियों में देखा जा सकता है, जहाँ उसे एक द्वीप पर निर्माण कार्य करते देखा गया है।
- तालिबानी हस्तक्षेप:
- अफगानिस्तान पर तालिबान के फिर से कब्ज़ा करने के एक वर्ष से भी कम समय में भारत ने काबुल में भारतीय दूतावास में अपना संचालन कार्य फिर से शुरू कर खाद्यान्न, टीके तथा आवश्यक दवाओं के रूप में मानवीय सहायता भेजकर फिर से संलग्न होने की प्रक्रिया शुरू की।
- हालाँकि भारत ने अतिवाद के खतरे, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के अधिकारों पर अपनी धारणा स्पष्ट कर दी है, इसके अतिरिक्त भारत ने अफगानिस्तान के भविष्य के लिये दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का भी संकेत दिया है।
- भारत ने अफगानों के जीवन में सुधार के लिये पिछले दो दशकों में अपनी 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता के अलावा 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भी प्रतिबद्धता जताई है।
- इसका मतलब यह है कि भारत तालिबान को एक राजनीतिक अभिनेता के रूप में देख रहा है, हालाँकि यह पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान से प्रभावित और नियंत्रित भी है।
- संकट में पड़ोस:
- श्रीलंका का आर्थिक और राजनीतिक संकट पड़ोस में एक बड़ी चुनौती थी। भारत ने उसे इतने कम समय में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक मानवीय सहायता, ईंधन, दवाएँ प्रदान की हैं।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आर्थिक ऋण राहत पैकेज पर बातचीत करने में भी श्रीलंका की मदद कर रहा है।
- श्रीलंका में चीन के प्रतिद्वंद्वी के रूप में होने के कारण भारत एक ऐसी सरकार चाहता है जो भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों को समझती हो।
- म्याँमार के साथ बातचीत सीमित महत्त्वपूर्ण यात्राओं और सैन्य जुंटा शासन को सहायता के रूप में जारी रही है।
- म्याँमार से उत्तर-पूर्वी राज्यों में सुभेद्य सीमाओं के माध्यम से शरणार्थियों की आमद तथा निजी प्रभाव चिंता का मुख्य विषय है जो उत्तर-पूर्व में परेशानी उत्पन्न कर रहे हैं।
- श्रीलंका का आर्थिक और राजनीतिक संकट पड़ोस में एक बड़ी चुनौती थी। भारत ने उसे इतने कम समय में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक मानवीय सहायता, ईंधन, दवाएँ प्रदान की हैं।
आगे की चुनौतियाँ और अवसर:
- चीन का मुद्दा:
- हाल ही में तवांग झड़प ने दिखाया है कि चीन न केवल पूर्वी लद्दाख में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी यथास्थिति को चुनौती दे रहा है।
- यह स्पष्ट है कि चीन अतीत के विपरीत सबसे बड़ा विरोधी है जहाँ उसे संदेह का कुछ लाभ मिला था।
- भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया इस सोच से निर्देशित है कि किसी को धमकाने वाले के खिलाफ खड़ा होना होगा लेकिन इसकी कीमत चुकानी पड़ी है, क्योंकि सैनिकों ने लगातार तीन वर्ष तक पूर्वी लद्दाख में कड़ाके की सर्दी का सामना किया है।
- जैसा कि चीन खुद को एक महाशक्ति के रूप में देखता है जिस कारन भारत के साथ अधिक संघर्ष और प्रतिस्पर्द्धा संभावना है। अब वह समय आ गया है जब बातचीत के माध्यम से समस्याओं को हल करना होगा।
- रूस के साथ सहयोग:
- रूस पिछले सात दशकों से रक्षा उपकरणों का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्त्ता रहा है तथा अमेरिका, फ्राँस और इज़रायल सहित अन्य देशों के विविधीकरण के बावजूद यह अभी भी इस क्षेत्र पर हावी है।
- लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध से एक जटिल स्थिति उत्पन्न हो गई है, जहाँ रूसी उपकरणों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा रहा है वहीँ आपूर्ति शृंखला तनाव में है।
- भारत के लिये चीन सबसे बड़ी चिंता का विषय रहा है और भारत की चिंता यह है कि चीन और रूस के संबंध उसके कुछ फैसलों को प्रभावित करते हैं।
- शीत युद्ध के बाद के युग में, आर्थिक संबंधों ने चीन-रूस संबंधों के लिये "नया रणनीतिक आधार" तैयार किया है।
- चीन रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यह रूस में एशिया का सबसे बड़ा निवेशक है।
- युद्ध के बाद रूस के प्रति पश्चिमी देशों के दृष्टिकोण ने मॉस्को को चीन के बहुत करीब ला दिया है। दिल्ली का प्रयास रूस और पश्चिम देश दोनों के साथ जुड़ना होगा, और अपने रणनीतिक रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को पहले रखना होगा।
- वैश्विक मंच के रूप में G20:
- G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी वर्ष 2024 में आम चुनाव से महीनों पहले वैश्विक स्तर पर भारत के उत्थान के सबसे बड़े भूमिकाओं में से एक होगी।
- विकासशील और कम विकसित देशों के संदर्भ में, भारत ने पहले ही खुद को "वैश्विक दक्षिण की आवाज़" के रूप में स्थापित कर लिया है, और इसके साथ ही वैश्विक मंच पर अपनी प्राथमिकताओं को रखने की कोशिश करेगा।
- इस संदर्भ में, भारत रूसी और पश्चिमी वार्ताकारों और नेताओं को एकजुट करने और यूरोप में संघर्ष को समाप्त करने का भी प्रयास करेगा।
- यदि भारत ऐसा करने में सफल होता है, तो यह एक कूटनीतिक जीत की तरह होगी, जिसका घरेलू समर्थकों द्वारा स्वागत किया जाएगा।
- पश्चिमी देशों के साथ संबंध:
- भारत को अपने यूरोपीय और अमेरिकी भागीदारों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करना होगा क्योंकि वह सस्ता तेल खरीद रहा है और रूस के विरुद्ध पश्चिम का समर्थन नहीं कर रहा है।असल में G-20 संबंधी तैयारियाँ इस प्रकार का अवसर प्रदान कर सकती हैं।
- पड़ोसी देशों से संबंधित चुनौती:
- श्रीलंका और मालदीव:
- आने वाले वर्ष में, श्रीलंका को अभी भी भारत के मानवीय, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता होगी, और भारत मालदीव में राजनीतिक संवाद का एक हिस्सा होगा।
- सितंबर 2023 में मालदीव में चुनाव होने जा रहे हैं, और "इंडिया आउट" अभियान की वजह से राजनीतिक बहस तेज़ होने की संभावना है। केंद्र सरकार इस बात पर नज़र रखने का प्रयास कर रही होगी कि राजनीतिक दल भारत को किस रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं।
- आने वाले वर्ष में, श्रीलंका को अभी भी भारत के मानवीय, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता होगी, और भारत मालदीव में राजनीतिक संवाद का एक हिस्सा होगा।
- बांग्लादेश:
- शेख हसीना के सख्त शासन के बाद, जनवरी 2024 में बांग्लादेश में भी चुनाव आपेक्षित है।
- भारत के पूर्वी राज्यों को सुरक्षा प्रदान करने वाली एक लंबी और अबाधित राजनीतिक यात्रा के बाद, भारत अपने भविष्य की ओर देख रहा है।
- नेपाल:
- नेपाल ने विद्रोही से राजनेता बने पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के प्रधानमंत्री बनने और हाल के वर्षों में पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के सरकार पर नियंत्रण में भारत विरोधी घटनाओं में उल्लेखनीय परिवर्तन का अनुभव किया।
- यह भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती पेश करेगा, क्योकि हाल के वर्षों में बीजिंग, चीन का प्रभाव काठमांडू, नेपाल में बढ़ा है।
- श्रीलंका और मालदीव:
- पाकिस्तान हेतु महत्त्वपूर्ण वर्ष:
- पाकिस्तान में चुनाव वर्ष 2023 के अंत में निर्धारित हैं। यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा कि नई नागरिक सरकार और सेना प्रमुख भारत के प्रति अपने दृष्टिकोण को कैसे आकार देंगे।
- भारत में वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और इस दौरान पाकिस्तान समस्या को भारत किस तरह से उठाएगा और प्रबंधित करेगा, यह संबंधों के अगले कदमों की कुंजी हो सकती है।
आगे की राह
- भारत को अपने प्रयासों के लिये दूसरों के साथ स्मार्ट साझेदारी पर बल देने की आवश्यकता है।
- नए मित्र बनाते समय भारत को रूस जैसे पुराने सहयोगियों को अपने पक्ष में रखने, चीन सहित सभी देशों को शामिल करने और छोटे पड़ोसियों के साथ लंबित मामलों को हल करने की आवश्यकता है, जिन्होंने दशकों से विदेश नीति को बाधित किया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):प्रश्न. भारत-श्रीलंका संबंधों के संदर्भ में चर्चा कीजिये कि घरेलू कारक विदेश नीति को कैसे प्रभावित करते हैं। (मुख्य परीक्षा, 2013) प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिकांश राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय संबंध अन्य राष्ट्रों के हितों की परवाह किये बिना अपने स्वयं के राष्ट्रीय हित को बढ़ावा देने की नीति पर संचालित होते हैं। इससे राष्ट्रों के बीच संघर्ष और तनाव पैदा होता है। नैतिक विचार ऐसे तनावों को हल करने में कैसे मदद कर सकते हैं? विशिष्ट उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2015) प्रश्न. 'उभरती हुई वैश्विक व्यवस्था में भारत द्वारा प्राप्त नव भूमिका के कारण उत्पीड़ित और उपेक्षित राष्ट्रों के नेता के मुखिया के रूप में दीर्घकाल से संपोषित भारत की छवि लुप्त हो गई है।' विस्तार से समझाइये। (मुख्य परीक्षा, 2019) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
कॉर्पोरेट गवर्नेंस
प्रिलिम्स के लिये:कॉरपोरेट गवर्नेंस, केंद्रीय जाँच ब्यूरो, बैंकिंग विनियमन अधिनियम मेन्स के लिये:कॉर्पोरेट गवर्नेंस और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
चंदा कोचर (ICICI बैंक की पूर्व CEO) कॉर्पोरेट जगत में धोखाधड़ी संबंधी खतरे के सचेतक के रूप में शामिल हैं।
- केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने आरोप लगाया है कि ICICI बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, RBI के दिशा-निर्देशों और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपए का क्रेडिट स्वीकृत किया था।
कॉर्पोरेट गवर्नेंस:
- परिचय:
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस नियमों, प्रथाओं और प्रक्रियाओं की प्रणाली को संदर्भित करता है, इसके द्वारा एक कंपनी को निर्देशित और नियंत्रित किया जाता है, जो यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि व्यवसाय नैतिक रूप से तथा उनके हितधारकों के सर्वोत्तम हित में चलाए जाते हैं।
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस की प्रमुख ज़िम्मेदारियों में से एक कॉर्पोरेट लालच को रोकना तथा यह सुनिश्चित करना है कि व्यवसायों को उत्तरदायी और पारदर्शी तरीके से संचालित किया जाए।
- मज़बूत नैतिक मानकों को लागू करके तथा व्यक्तियों को उनके कार्यों के लिये उत्तरदायी बनाकर, कॉर्पोरेट गवर्नेंस लालच को रोकने और शेयरधारकों, ग्राहकों एवं व्यापक समुदाय के हितों की रक्षा करने में मदद कर सकता है।
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस के सिद्धांत:
- निष्पक्षता:
- निदेशक मंडल को शेयरधारकों, कर्मचारियों, विक्रेताओं और समुदायों के साथ उचित एवं समान विचार से व्यवहार करना चाहिये।
- पारदर्शिता:
- बोर्ड को वित्तीय प्रदर्शन, हित संबंधी मतभेद और शेयरधारकों एवं अन्य हितधारकों को ज़ोखिम जैसी स्थिति के बारे में समय पर सटीक तथा स्पष्ट जानकारी प्रदान करनी चाहिये।
- ज़ोखिम प्रबंधन:
- बोर्ड और प्रबंधन को सभी प्रकार के ज़ोखिमों का निर्धारण तथा उन्हें नियंत्रित करना चाहिये। उन्हें प्रबंधित करने के लिये संबद्ध सिफारिशों पर कार्रवाई करनी चाहिये। उन्हें सभी संबंधित पक्षों को ज़ोखिमों की मौजूदगी तथा स्थिति के बारे में सूचित करना चाहिये।
- ज़िम्मेदारी:
- बोर्ड कॉर्पोरेट मामलों और प्रबंधन गतिविधियों की निगरानी के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसे कंपनी की प्रगति और प्रदर्शन के बारे में पता होना चाहिये, साथ ही उसका समर्थन करना चाहिये। इसकी ज़िम्मेदारी में CEO की भर्ती और नियुक्ति करना भी शामिल है। इसे किसी कंपनी एवं उसके निवेशकों के सर्वोत्तम हित में कार्य करना चाहिये।
- जवाबदेही:
- बोर्ड को कंपनी की गतिविधियों के उद्देश्य और उसके आचरण के परिणामों की व्याख्या करनी चाहिये। बोर्ड एवं कंपनी का नेतृत्त्व कंपनी की क्षमता एवं प्रदर्शन के आकलन के लिये जवाबदेह है। इसे शेयरधारकों के महत्त्व के मुद्दों को संप्रेषित करना चाहिये।
- निष्पक्षता:
भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन के संदर्भ में नैतिक मुद्दे:
- व्यक्तिगत रुचि के बीच मतभेद:
- शेयरधारकों की कीमत पर संभावित रूप से व्यक्तिगत रुचि को समृद्ध करने वाले प्रबंधकों की चुनौती एक बड़ी समस्या है, हाल ही की एक घटना में ICICI बैंक की पूर्व कार्यकारी चंदा कोचर ने अपने पति के लिये एक व्यापार के हिस्से के रूप में वीडियोकॉन कंपनी को ऋण स्वीकृति किया।
- कमज़ोर बोर्ड:
- अनुभव और पृष्ठभूमि की विविधता का अभाव इन बोर्डों की कमज़ोरी का एक प्रमुख विषय रहा है। शेयरधारकों के व्यापक हितों के मामले में बोर्ड के प्रदर्शन पर सवाल उठते रहे हैं।
- स्वामित्त्व और प्रबंधन का पृथक्करण:
- परिवार द्वारा संचालित कंपनियों के मामले में भारत की कुछ शीर्ष कंपनियों सहित अधिकांश कंपनियों में स्वामित्त्व और प्रबंधन को अलग करना एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।
- स्वतंत्र निदेशक:
- स्वतंत्र निदेशक पक्षपातपूर्ण होते हैं और प्रमोटरों की अनैतिक प्रथाओं की जाँच करने में सक्षम नहीं होते हैं।
संबंधित पहलें
- भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस पहल की ज़िम्मेदारी कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs- MCA) एवं भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) पर है। उदारीकरण के बाद वर्ष 1990 के दशक में भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र को बड़े बदलावों का सामना करना पड़ा है।
- सेबी खंड 49 के माध्यम से भारत में सूचीबद्ध कंपनियों के कॉर्पोरेट गवर्नेंस की निगरानी और नियमन करता है।
- कंपनी अधिनियम, 2013 बढ़े हुए और नए अनुपालन मानदंडों के माध्यम से प्रकटीकरण, रिपोर्टिंग एवं पारदर्शिता को बढ़ाकर कॉर्पोरेट गवर्नेंस के लिये औपचारिक संरचना प्रदान करता है।
भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस में सुधार:
- विविध बोर्ड बेहतर बोर्ड:
- इस संदर्भ में व्यापक 'विविधता' है, जिसमें लिंग, जातीयता, कौशल और अनुभव शामिल हैं।
- मज़बूत जोखिम प्रबंधन नीतियाँ:
- बेहतर निर्णय लेने के लिये प्रभावी और मज़बूत जोखिम प्रबंधन नीतियों को अपनाना क्योंकि यह सभी निगमों के सामने आने वाले रिस्क-रिवॉर्ड ट्रेड-ऑफ के मामले में गहरी अंतर्दृष्टि विकसित करता है।
- प्रभावी शासन अवसंरचना:
- चूँकि अंततः बोर्ड किसी संगठन के सभी कार्यों और निर्णयों के लिये ज़िम्मेदार होता है, इसलिये संगठनात्मक व्यवहार को निर्देशित करने के लिये विशिष्ट नीतियों की आवश्यकता होगी।
- यह सुनिश्चित करने के लिये बोर्ड और प्रबंधन के बीच उत्तरदायित्त्वों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है, बोर्ड के लिये प्रतिनिधिमंडलों के संबंध में नीतियाँ विकसित करना विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- बोर्ड के प्रदर्शन का मूल्यांकन:
- बोर्डों को मूल्यांकन में सामने आई कमज़ोरियों को दूर करके अपनी शासन प्रक्रियाओं में सुधार करना चाहिये।
- संवाद:
- बोर्ड के साथ शेयरधारकों के संवाद को सुगम बनाना महत्त्वपूर्ण है। एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जिसके साथ शेयरधारक किसी भी मुद्दे पर चर्चा कर सकें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. सत्यम कांड (2009) के परिपेक्ष्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये कॉर्पोरेट प्रशासन में लाए गए परिवर्तनों पर चर्चा कीजिये। (2015) प्रश्न. 'शासन', 'सुशासन' और 'नैतिक शासन' शब्दों से आप क्या समझते हैं?(2016) |
स्रोत: लाइव मिंट
सिंगल सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध
प्रिलिम्स के लिये:कैंसर, तंबाकू, सिंगल स्टिक सिगरेट, गुटका, स्वास्थ्य, WHO। मेन्स के लिये:सिंगल सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध और इसके निहितार्थ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति ने कैंसर प्रबंधन, रोकथाम एवं निदान के बारे में अपनी रिपोर्ट में सिंगल स्टिक सिगरेट (एकल सिगरेट) की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
प्रतिबंधित करने की आवश्यकता:
- कैंसर संबधी:
- देश में कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले मुँह के कैंसर के हैं।
- तंबाकू की भूमिका सभी तरह के कैंसरों में लगभग 50% है, जिसे सामूहिक रूप से तंबाकू से संबंधित कैंसर कहा जाता है।
- सिंगल स्टिक सहज उपलब्ध:
- सिगरेट के पूरे पैक की तुलना में सिंगल स्टिक खरीदना अधिक किफायती है।
- सिंगल-स्टिक की बिक्री पर प्रतिबंध एक संभावित उपभोक्ता को पूरे पैक को खरीदने के लिये मजबूर करेगा जो विशेष रूप से किफायती नहीं हो सकता है, इस प्रकार संभावित प्रयोग और नियमित सेवन की गुंज़ाइश पर अंकुश लगेगा।
- इसके अलावा संभावित प्रतिबंध का मतलब यह भी होगा कि उपभोक्ता को पैकेट लेकर घूमना होगा।
- उपयोग पर रिपोर्ट में चिंता:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने पाया कि तंबाकू के सभी रूप हानिकारक हैं और तंबाकू के संपर्क में आने से कोई सुरक्षित नहीं है।
- इसमें यह भी कहा गया है कि सिगरेट पीना दुनिया भर में तंबाकू उपयोग का सबसे आम तरीका है।
- मेडिकल जर्नल, लैंसेट ने जून 2020 में सूचित किया कि वर्ष 2030 तक धूम्रपान से होने वाली वार्षिक मौतों में से 7 मिलियन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होने की संभावना है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने पाया कि तंबाकू के सभी रूप हानिकारक हैं और तंबाकू के संपर्क में आने से कोई सुरक्षित नहीं है।
- गंभीर आदी:
- WHO के अनुसार, तंबाकू उत्पादों में निकोटीन के कारण इसके अत्यधिक नशे संबंधी प्रकृति का अर्थ है कि तंबाकू का उपयोग बंद करने की कोशिश करने वाले उपयोगकर्त्ताओं में से केवल 4% ही सफल होंगे।
सुझाव:
- तंबाकू की बिक्री पर रोक लगाना:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) वर्ष 2025 तक वर्तमान तंबाकू के उपयोग में 30% की सापेक्ष कमी लाने हेतु प्रयासरत है, इसके लिये यह आवश्यक है कि सरकार तंबाकू उत्पादों की बिक्री को रोकने के लिये प्रभावी उपाय करे।
- इस आशय के लिये यह अनुशंसा करता है कि सरकार सिंगल स्टिक सिगरेट की बिक्री पर रोक के साथ अपराधियों पर कठोर दंड और जुर्माना लगाए।
- धूम्रपान क्षेत्रों का उन्मूलन:
- सरकार को विभिन्न संगठनों में धूम्रपान-मुक्त नीति को प्रोत्साहित करने के अतिरिक्त हवाई अड्डों, होटलों और रेस्तराँ में सभी निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों को समाप्त कर देना चाहिये।
- कर वृद्धि में मदद:
- भारत में तंबाकू उत्पादों की कीमतें सबसे कम हैं और इस प्रकार वे अधिक सुलभ हैं, उन उत्पादों पर करों को बढ़ाना इसकी रोकथाम संबंधी एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।
- अतिरिक्त कराधान से प्राप्त राजस्व का उपयोग कैंसर की रोकथाम और जागरूकता के लिये किया जा सकता है।
- गुटखा पर प्रतिबंध:
- गुटका और पान मसाला पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ उनके प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की गई है।
- इस अवलोकन का आधार पर भारत में 80% से अधिक तंबाकू की खपत सुपारी के साथ या उसके बिना चबाने वाले तंबाकू के रूप में होती है, जिसका प्रचार माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है।
यह प्रतिबंध कितना प्रभावी हो सकता है?
- अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिबंध संभव नहीं:
- खुदरा सिगरेट की बिक्री पर अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिबंध लगाना व्यावहारिक नहीं है। सिगरेट और तंबाकू उत्पाद बेचने वाली छोटी दुकानों और स्टालों के बड़े पैमाने पर होने के कारण यह बिल्कुल भी संभव नहीं है।
- अवैध सिगरेट के व्यापार हेतु अन्य तरीकों की खोज पर बल देना :
- मान्य सिगरेट के रूप में कुल तंबाकू का केवल 8% सेवन किया जाता है। शेष की खपत 29 कर चोरी-प्रवण उत्पादों जैसे बीड़ी, चबाने वाले तंबाकू, खैनी और अवैध सिगरेट के माध्यम से की जाती है।
- यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के अनुसार, 2021 में भारत में अवैध सिगरेट की मात्रा 26.8 बिलियन स्टिक होने का अनुमान लगाया गया था। भारत विश्व में चौथा सबसे बड़ा अवैध सिगरेट बाज़ार है।
- वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने से उन्हें प्राप्त करने के लिये अवैध रास्ता अपनाना पड़ता है। अवैध बाज़ार में सिगरेट और भी निम्न गुणवत्ता की हो जाती है जिससे व्यक्ति की भलाई से ज़्यादा और अधिक नुकसान हो सकता है।
- मान्य सिगरेट के रूप में कुल तंबाकू का केवल 8% सेवन किया जाता है। शेष की खपत 29 कर चोरी-प्रवण उत्पादों जैसे बीड़ी, चबाने वाले तंबाकू, खैनी और अवैध सिगरेट के माध्यम से की जाती है।
- वेंडर लाइसेंसिंग व्यवस्था का अभाव:
- बहरहाल, प्रस्तावित कदम से खपत और बिक्री में कमी आएगी, लेकिन अगर वेंडर लाइसेंसिंग व्यवस्था स्थापित नहीं की जाती है तो प्रतिबंध बहुत प्रभावी नहीं होगा।
- सरकार को विक्रेता लाइसेंसिंग सुनिश्चित किये जाने पर भी विचार करना चाहिये।
- क्योंकि सिगरेट हर जगह उपलब्ध नहीं होगी, खपत की पुनरावृत्ति की संभावना कम हो जाएगी।
भारत में तंबाकू नियंत्रण के उपाय
- अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन:
- देशों की सरकारें WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (WHO FCTC) के तंबाकू नियंत्रण प्रावधानों को अपनाती और लागू करती हैं।
- यह WHO के तत्त्वावधान में की गई पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
- इसे 21 मई, 2003 को विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा अपनाया गया और 27 फरवरी, 2005 को लागू किया गया था ।
- सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003:
- इसने 1975 के सिगरेट अधिनियम को प्रतिस्थापित किया (यह बड़े पैमाने पर वैधानिक चेतावनियों- 'सिगरेट धूम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है', के साथ सिगरेट पैक और विज्ञापनों में प्रदर्शित किया गया था तथा इसमें गैर-सिगरेट शामिल नहीं थे)।
- 2003 के अधिनियम में सिगार, बीड़ी, चुरूट, पाइप तंबाकू, हुक्का, चबाने वाला तंबाकू, पान मसाला और गुटका भी शामिल थे।
- राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP), 2008:
- उद्देश्य: तंबाकू की खपत को नियंत्रित करना और तंबाकू की खपत से संबंधित मौतों को कम करना
- गतिविधियाँ: प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण; सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियाँ; तंबाकू नियंत्रण कानून; रिपोर्टिंग सर्वेक्षण और निगरानी तथा तंबाकू की समाप्ति।
- सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) संशोधन नियम, 2020:
- यह अनिवार्य था कि निर्दिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी पैकेज के मुख्य प्रदर्शन क्षेत्र के कम-से-कम 85% हिस्स्से को कवर करे।
- इसमें से 60% चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनी को कवर करेंगे और 25% पाठ्य स्वास्थ्य चेतावनी को कवर करेंगे।
- एम-सेसेशन (mCessation) कार्यक्रम:
- यह तंबाकू की समाप्ति के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली एक पहल है।
- सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में भारत ने 2016 में पाठ संदेशों का उपयोग करते हुए mCessation लॉन्च किया था।
- यह तंबाकू सेवन छोड़ने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति और उन्हें गतिशील समर्थन प्रदान करने वाले कार्यक्रम विशेषज्ञों के बीच दो-तरफा संदेश का उपयोग करता है।
- प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम, 1981: यह अधिनियम धूम्रपान को वायु प्रदूषक के रूप में मानता है।
- केबल टेलीविज़न नेटवर्क संशोधन अधिनियम, 2000: यह भारत में तंबाकू और शराब से संबंधित विज्ञापनों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाता है।
- भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत विनियम जारी किये हैं, जिनमें यह निर्धारित किया गया है कि तंबाकू या निकोटीन का उपयोग खाद्य उत्पादों में नहीं किया जा सकता है।
- तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रत्येक वर्ष 31 मई को 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
आगे की राह
- व्यापक तंबाकू नियंत्रण नीति, COTPA के कार्यान्वयन को मज़बूत करने वाली सुलभ और सस्ती सेवाओं की समाप्ति, तंबाकू कृषक, प्रसंस्करण और विनिर्माण में लगे लोगों के लिये वैकल्पिक अवसरों की आवश्यकता है।
- शिक्षा और जागरूकता के बढ़ते स्तर के साथ खुली सिगरेट खरीदने का अनुपात कम करना। अभियानों, स्कूलों में शैक्षिक कार्यक्रमों, मज़बूत और प्रमुख ग्राफिक के रूप में स्वास्थ्य चेतावनियों के माध्यम से जन जागरूकता बढ़ाना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन से कारक/कारण बेंजीन प्रदूषण उत्पन्न करते हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक पादप-समूह ‘नवीन विश्व (न्यू वर्ल्ड)’ में कृषि-योग्य बनाया गया तथा इसका प्रचलन ‘प्राचीन विश्व (ओल्ड वर्ल्ड)’ में था? (a) तंबाकू, कोको और रबड़ उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। |
स्रोत: द हिंदू
DST की वर्षांत समीक्षा
प्रिलिम्स के लिये:ARTPARK, NIDHI कार्यक्रम, SWAMITVA योजना मेन्स के लिये:DST की उपलब्धियाँ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology- DST) की वर्षांत समीक्षा जारी की गई।
2022 में DST की प्रमुख उपलब्धियाँ:
- वैश्विक S&T सूचकांकों में भारत की रैंकिंग:
- भारत ने वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक 2022 में विश्व की बड़ी नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाओं में 40वाँ स्थान हासिल किया है।
- नेशनल साइंस फाउंडेशन डेटाबेस के अनुसार, वैज्ञानिक प्रकाशन, उच्च शिक्षा प्रणाली में पीएचडी की संख्या और स्टार्ट-अप की संख्या के लिहाज़ से देश शीर्ष 3 देशों में बना हुआ है।
- मज़बूत स्टार्ट-अप और नवोन्मेष पारिस्थितिकी तंत्र निर्माण:
- नवाचारों के विकास एवं संवर्द्धन के लिये राष्ट्रीय पहल (National Initiative for Developing and Harnessing Innovations- NIDHI) कार्यक्रम के तहत DST देश भर में टेक्नोलॉजी बिज़नस इन्क्यूबेटर्स (TBI) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एंटरप्रेन्योर्स पार्क्स (STEP) का नेटवर्क स्थापित करने में अग्रणी रहा है।
- नए PRAYAS केंद्रों के माध्यम से वर्ष 2022 के दौरान देश भर में चल रहे अन्य PRAYAS केंद्रों को समर्थन प्रदान किया गया जो युवा नवप्रवर्तकों को उनके विचारों को व्यावहारिकता में बदलने में सहायता कर रहे हैं।
- सुपरकंप्यूटिंग में नए मुकाम हासिल कर रहा है भारत:
- देश के पाँच संस्थानों (IIT खड़गपुर, NIT त्रिची, IIT गांधीनगर, IIT गुवाहाटी, IIT मंडी) में उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर स्थापित किये गए हैं।
- साइबर फिजिकल डोमेन में प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2018 में अंतःविषयक साइबर भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber Physical Systems- NM-ICPS) को पाँच साल की अवधि के लिये मंज़ूरी दी, जिसे DST द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
- मिशन को देश भर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में बनाए गए 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों (Technology Innovation Hubs- TIHs) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
- कुछ नए नवाचारों में शामिल हैं:
- XraySetu: ARTPARK के AI शोधकर्त्ताओं ने XraySetu नामक एक AI संचालित प्लेटफॉर्म विकसित किया है जो पिक्चर से चेस्ट एक्स-रे का विश्लेषण कर पाएगा।
- रक्षक: IIT बॉम्बे के वैज्ञानिकों की एक टीम ने उपचारात्मक कार्रवाई, ज्ञान स्किमिंग और कोविड-19 के समग्र विश्लेषण (रक्षक) के तहत कोविड-19 की जाँच के लिये एक टेपेस्ट्री विधि विकसित की है, जो IIT जोधपुर में टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (TIH) द्वारा समर्थित एक प्रयास है।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2018 में अंतःविषयक साइबर भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber Physical Systems- NM-ICPS) को पाँच साल की अवधि के लिये मंज़ूरी दी, जिसे DST द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
- अंतर्राष्ट्रीय एस एंड टी जुड़ाव पर भारत की स्थिति मज़बूत करना:
- भारत ने हाल ही में G20 की अध्यक्षता ग्रहण की है और वर्ष 2023 में देश में पहली बार G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा।
- इसी के हिस्से के रूप में DST 2023 में भारत जी20 अध्यक्षता के दौरान साइंस-20 (S20) एवं रिसर्च इनोवेशन इनिशिएटिव गैदरिंग (RIIG) जुड़ाव समूहों की गतिविधियों के समन्वय की ज़िम्मेदारी लेता है।
- पहले चरण में संयुक्त रूप से 20 क्यूबिट सुपरकंडक्टिंग आधारित क्वांटम कंप्यूटर तैयार करना है और दूसरे चरण में इसे 54 क्यूबिट तक बढ़ाने की योजना है। क्वांटम कंप्यूटिंग में वर्चुअल नेटवर्क सेंटर स्थापित करने के लिये भारत ने फिनलैंड के साथ हाथ मिलाया है।
- भारत ने हाल ही में G20 की अध्यक्षता ग्रहण की है और वर्ष 2023 में देश में पहली बार G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा।
- भू-स्थानिक डेटा, अवसंरचना एवं प्रौद्योगिकी:
- हाल ही में दूसरा संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कॉन्ग्रेस (UNWGIC) 'ग्लोबल विलेज को भू-सक्षम बनाना: कोई भी पीछे न रहे' विषय पर हैदराबाद में 10-14 अक्तूबर, 2022 तक सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
- देश के राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण संगठन, भारतीय सर्वेक्षण विभाग (SOI) ने स्वामित्त्व (ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक की मदद से मैपिंग एवं गाँवों के सर्वे की योजना) के हिस्से के रूप में 2 लाख से अधिक गाँवों की आबादी वाले इलाकों का ड्रोन से सफलतापूर्वक सर्वेक्षण किया है।
- उपयोगकर्त्ताओं को विभिन्न डिजिटल भू-स्थानिक उत्पाद (मुफ्त और उचित एवं पारदर्शी मूल्य के साथ) प्रदान करने के लिये ऑनलाइन मानचित्र पोर्टल शुरू किया गया।
- बाढ़ ज़ोखिम के बेहतर मानचित्रण और योजना संबंधी उद्देश्यों के लिये बेहद स्पष्ट GIS और डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM) प्रदान करने के लिये प्रमुख नदी बेसिनों हेतु उच्च रिज़ॉल्यूशन का मानचित्रण किया जा रहा है।
- सभी हितधारकों के लिये वैज्ञानिक बुनियादी ढाँचा सुलभ करना:
- S&T इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिये कोष' के तहत 'विश्वविद्यालय शोध और वैज्ञानिक उत्कृष्टता (PURSE) को प्रोत्साहन' के तहत चार नए विश्वविद्यालयों और विभिन्न शैक्षणिक संगठनों एवं विश्वविद्यालयों में 65 विभागों को अनुसंधान बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये फंड फॉर इंप्रूवमेंट ऑफ S&T इंफ्रास्ट्रक्चर (FIST) के तहत सहायता प्रदान की गई।
- ऊर्जा और पर्यावरण चुनौतियों का समाधान:
- अपनी तरह की पहली डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम ऑपरेटर (DSO) रिपोर्ट तैयार की गई है जो भारतीय विद्युत क्षेत्र की परिचालन और वित्तीय स्थिति को बदलने में मदद कर सकती है। इससे उद्योग में आवश्यक निवेश व नवाचार को आकर्षित करने के लिये निजी क्षेत्र के भरोसे को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- एक रियल टाइम प्रदूषण निगरानी फोटोनिक सिस्टम, एयर यूनिक क्वॉलिटी मॉनीटरिंग सिस्टम (AUM) विकसित किया गया है जो सभी वायु गुणवत्ता मानकों की उच्च संवेदनशीलता और सटीकता के साथ वास्तविक समय में दूरस्थ निगरानी करने में सक्षम है।
- हैदराबाद में स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया पहला उच्च राख कोयला गैसीकरण आधारित मेथनॉल उत्पादन संयंत्र स्थापित किया गया है।
- इसके साथ सरकारी स्वामित्त्व वाली इंजीनियरिंग फर्म भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) ने उच्च राख वाले भारतीय कोयले से मेथनॉल बनाने की सुविधा का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।
- नए क्षेत्रों में विस्तार:
- विभाग जलवायु परिवर्तन पर दो राष्ट्रीय मिशनों को संचालित कर रहा है। चार नए राज्य जलवायु परिवर्तन प्रकोष्ठ (SCCC) गोवा, केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़, झारखंड और उत्तर प्रदेश में स्थापित किये गए हैं।
- महिला वैज्ञानिकों के लिये कॅरियर के अवसर:
- DST अपनी प्रमुख पहल 'विज्ञान ज्योति' के माध्यम से मेधावी लड़कियों को कम प्रतिनिधित्त्व वाले विज्ञान प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्रों में उच्च शिक्षा और कॅरियर के लिये प्रोत्साहित कर रहा है।
- बेसिक और अप्लाइड साइंसेज़ के 5 विषय क्षेत्रों में अनुसंधान के लिये महिला वैज्ञानिक योजना-A (WOS-A) के तहत महिला वैज्ञानिकों को अनुसंधान सहायता प्रदान की गई।
- महिला वैज्ञानिकों को 01-03 महीने की अवधि के लिये दुनिया भर के प्रमुख संस्थानों/विश्वविद्यालयों का दौरा करने की सुविधा प्रदान करने हेतु 'सर्ब-पावर मोबिलिटी ग्रांट' (SERB-POWER Mobility Grant) की शुरुआत की गई।
- विरासत का संरक्षण:
- DST के विज्ञान एवं विरासत अनुसंधान पहल (श्री) कार्यक्रम के तहत पट्टामदाई चटाई (MAT) के उपयोग की संभावनाएँ खोजी गई हैं। यह एक ऐसी चटाई होती है जिसे कोरई घास को सूती धागों से बुनकर बनाया जाता है। इसका कक्षाओं में बाहरी शोरगुल को दूर रखने और स्टूडियो में उपयोग करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
- इससे तमिलनाडु के तिरुनेलवेली की इस पारंपरिक कला की मांग बढ़ सकती है।
- DST के विज्ञान एवं विरासत अनुसंधान पहल (श्री) कार्यक्रम के तहत पट्टामदाई चटाई (MAT) के उपयोग की संभावनाएँ खोजी गई हैं। यह एक ऐसी चटाई होती है जिसे कोरई घास को सूती धागों से बुनकर बनाया जाता है। इसका कक्षाओं में बाहरी शोरगुल को दूर रखने और स्टूडियो में उपयोग करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
- राज्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान क्षमताएँ:
- समर्पित योजना, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (Science and Engineering Research Board- SERB) द्वारा स्टेट यूनिवर्सिटी रिसर्च एक्सीलेंस (State University Research Excellence SERB-SURE) शुरू की गई है। इसका मकसद निजी सहित राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एक मज़बूत अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है।
- अच्छा प्रयोगशाला अभ्यास (Good Laboratory Practice- GLP):
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development- OECD) सिद्धांतों के अनुसार गैर-नैदानिक स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा अध्ययन करने, भारतीय टेस्ट सुविधाओं/प्रयोगशालाओं के प्रमाणन के लिये बेहतर राष्ट्रीय प्रयोगशाला अभ्यास (GLP) अनुपालन निगरानी कार्यक्रम लागू कर रहा है।
- कुछ प्रमुख क्षेत्रों में नीति निर्माण:
- इस वर्ष दो दिशा-निर्देश जारी किये गए और दो प्रमुख नीतियों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है।
- वैज्ञानिक अनुसंधान अवसंरचना साझा रखरखाव एवं नेटवर्क (Scientific Research Infrastructure Sharing Maintenance and Networks- SRIMAN) दिशा-निर्देश
- वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्त्व (Scientific Social Responsibility- SSR) दिशा-निर्देश
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार (Science, Technology and Innovation- STI) नीति
- राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति
- इस वर्ष दो दिशा-निर्देश जारी किये गए और दो प्रमुख नीतियों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. विज्ञान किस प्रकार हमारे जीवन के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है? विज्ञान आधारित तकनीकों से कृषि में कौन से उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं? (मुख्य परीक्षा, 2020) |
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत में वैवाहिक बलात्कार
प्रिलिम्स के लिये:वैवाहिक बलात्कार, IPC की धारा 375, न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति मेन्स के लिये:वैवाहिक बलात्कार का अपराधीकरण, IPC की धारा 375 न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005, भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ |
चर्चा में क्यों?
दुनिया के 185 देशों में से, 77 देशों में ऐसे कानून हैं जो स्पष्ट रूप से वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखते हैं, जबकि 34 देश ऐसे हैं जो स्पष्ट रूप से वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर मानते हैं या संक्षेप में कहें तो, अपनी पत्नी की सहमति के विरुद्ध यौन अत्याचार करने वाले पति को प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं।
- भारत उन 34 देशों में से एक है, जिन्होंने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है
वैवाहिक बलात्कार पर भारतीय कानून:
- भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 375:
- भारतीय दंड संहिता की धारा 375 उन कृत्यों को परिभाषित करती है जो एक पुरुष द्वारा किये बलात्कार को परिभाषित करते हैं।
- हालाँकि यह प्रावधान दो अपवादों को भी निर्धारित करता है।
- वैवाहिक बलात्कार को अपराधमुक्त करने के अलावा यह उल्लेख करता है कि चिकित्सा प्रक्रियाओं या हस्तक्षेप को बलात्कार नहीं माना जाएगा।
- धारा 375 के अपवाद 2 में कहा गया है कि "किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग या यौन कृत्य, यदि पत्नी की उम्र पंद्रह वर्ष से कम नहीं है, बलात्कार नहीं है"।
- घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005:
- यह ‘लिव-इन’ या विवाह संबंध में किसी भी प्रकार के यौन शोषण द्वारा वैवाहिक बलात्कार का संकेत देता है।
- हालाँकि यह केवल नागरिक उपचार प्रदान करता है। भारत में वैवाहिक बलात्कार पीड़ितों के लिये अपराधी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का कोई तरीका नहीं है।
भारत में वैवाहिक बलात्कार कानून का इतिहास:
- न्यायपालिका:
- घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005:
- दिल्ली उच्च न्यायालय वर्ष 2015 से इस मामले में दलीलें सुन रहा है।
- जनवरी 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों ने छूट को चुनौती देने वाले व्यक्तियों और नागरिक समाज संगठनों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
- मई 2022 तक वे एक विवादास्पद द्विपक्षीय फैसले पर पहुँचे थे। एक न्यायाधीश वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक घोषित करने के पक्ष में था क्योंकि यह किसी महिला की सहमति के अधिकार का उल्लंघन करता है, जबकि दूसरा न्यायाधीश यह कहते हुए कि विवाह में "आवश्यक रूप से" सहमति होती है, इसके खिलाफ था।
- फिर यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुँचा।
- घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005:
- सर्वोच्च न्यायालय:
- सितंबर 2022 में वैवाहिक स्थिति की परवाह किये बिना महिलाओं के सुरक्षित गर्भपात के अधिकार पर सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के उद्देश्यों के लिये बलात्कार की परिभाषा में वैवाहिक बलात्कार को शामिल किया जाना चाहिये।
- भारत का विधि आयोग:
- यौन हिंसा पर भारत के कानूनों में सुधार के कई प्रस्तावों पर विचार करते हुए वर्ष 2000 में भारत के विधि आयोग द्वारा वैवाहिक बलात्कार अपवाद को हटाने की आवश्यकता को खारिज़ कर दिया गया था।
- न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति:
- वर्ष 2012 में न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति को भारत के बलात्कार कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव पेश करने का काम सौंपा गया था।
- जबकि इसकी कुछ सिफारिशों ने वर्ष 2013 में पारित आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम को आकार देने में मदद की, वैवाहिक बलात्कार सहित कुछ अन्य सुझावों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- संसद:
- इस मामले को संसद में भी उठाया गया है।
- वर्ष 2015 में एक संसद सत्र में सवाल किये जाने पर वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक बनाने के विचार को इस दृष्टिकोण से खारिज़ कर दिया गया था कि "वैवाहिक बलात्कार को देश में लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि विवाह को भारतीय समाज में एक संस्कार या पवित्र माना जाता है"।
- सरकार का पक्ष:
- केंद्र सरकार ने शुरू में बलात्कार अपवाद का बचाव किया लेकिन बाद में अपना पक्ष बदल दिया और न्यायालय को बताया कि सरकार कानून की समीक्षा कर रही है, यह भी कि "इस मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता है"।
- दिल्ली सरकार ने वैवाहिक बलात्कार अपवाद को बरकरार रखने के पक्ष में तर्क दिया।
- सरकार की दलीलें पुरुषों को पत्नियों द्वारा कानून के संभावित दुरुपयोग से बचाने से लेकर शादी की संस्थात्मक व्यवस्था की रक्षा संबंधी तत्त्वों की व्याख्या करती हैं।
वैवाहिक बलात्कार को अपवाद मानने से संबंधित मुद्दे:
- महिलाओं के मूल अधिकारों के खिलाफ:
- वैवाहिक बलात्कार को अपवाद मानना अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार) तथा अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों में निहित व्यक्तिगत स्वायत्तता, गरिमा व लैंगिक समानता के संवैधानिक लक्ष्यों का तिरस्कार है।
- यह महिलाओं को अपने शरीर से संबंधित निर्णय लेने से दूर करता है और उन्हें एक साधन के रूप में प्रस्तुत करता है।
- वैवाहिक बलात्कार को अपवाद मानना अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार) तथा अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों में निहित व्यक्तिगत स्वायत्तता, गरिमा व लैंगिक समानता के संवैधानिक लक्ष्यों का तिरस्कार है।
- न्यायिक प्रणाली की निराशाजनक स्थिति:
- भारत में वैवाहिक बलात्कार के मामलों में अभियोजन की कम दर के कुछ कारणों में शामिल हैं:
- सामाजिक अनुकूलन और कानूनी जागरूकता के अभाव के कारण अपराधों की कम रिपोर्टिंग।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंँकड़ों के संग्रह का गलत तरीका।
- न्याय की लंबी प्रक्रिया/स्वीकार्य प्रमाण की कमी के कारण न्यायालय के बाहर समझौता।
- भारत में वैवाहिक बलात्कार के मामलों में अभियोजन की कम दर के कुछ कारणों में शामिल हैं:
वैवाहिक बलात्कार अपवाद और भारतीय दंड संहिता (IPC):
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन:
- 1860 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत में IPC को लागू किया गया था।
- नियमों के पहले संस्करण के तहत वैवाहिक बलात्कार अपवाद 10 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं पर लागू था, जिसे 1940 में बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया था।
- 1847 का लॉर्ड मैकाले का मसौदा:
- जनवरी 2022 में न्याय मित्र (Amicus Curiae) द्वारा यह तर्क दिया गया कि IPC औपनिवेशिक युग के भारत में स्थापित प्रथम विधि आयोग के अध्यक्ष लॉर्ड मैकाले के 1847 के मसौदे पर आधारित है।
- मसौदे ने बिना किसी आयु सीमा के वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।
- यह प्रावधान एक सदी पुराना विचार है जिसका तात्पर्य विवाहित महिलाओं की सहमति से है और जो पति के वैवाहिक अधिकारों की रक्षा करता है।
- सहमति का विचार 1736 में तत्कालीन ब्रिटिश मुख्य न्यायाधीश मैथ्यू हेल द्वारा दिये गए ‘हेल सिद्धांत’ से प्रेरित है।
- इसमें कहा गया है कि पति बलात्कार का दोषी नहीं हो सकता है क्योंकि "आपसी वैवाहिक सहमति और अनुबंध द्वारा पत्नी ने पति के समक्ष अपने-आप को समर्पित कर दिया है"।
- पति-आश्रय का सिद्धांत:
- पति-आश्रय के सिद्धांत के अनुसार, शादी के बाद एक महिला की कोई व्यक्तिगत कानूनी पहचान नहीं होती है।
- विशेष रूप से पति-आश्रय के सिद्धांत के विषय पर सुनवाई के दौरान भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में व्यभिचार को अपराध घोषित कर दिया था।
- यह माना गया कि धारा 497, जो कि व्यभिचार को अपराध के रूप में वर्गीकृत करती है, पति-आश्रय के सिद्धांत पर आधारित है।
- यह सिद्धांत, संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है जो यह मानता है कि एक महिला शादी के साथ ही अपनी पहचान और कानूनी अधिकार खो देती है, परंतु यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
वैश्विक स्तर पर वैवाहिक बलात्कार की स्थिति:
- परिचय:
- संयुक्त राष्ट्र ने देशों से कानूनों में व्याप्त खामियों को दूर करके वैवाहिक बलात्कार को समाप्त करने का आग्रह करते हुए कहा है कि "घर महिलाओं के लिये सबसे खतरनाक जगहों में से एक है"।
- वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने वाले देश:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: वर्ष 1993 में अमेरिका के सभी 50 राज्यों में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित कर दिया गया था, लेकिन कानून अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं।
- यूनाइटेड किंगडम: ब्रिटेन में भी वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किया गया है और दोषी पाए जाने वालों को आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है।
- दक्षिण अफ्रीका: दक्षिण अफ्रीका में वर्ष 1993 से वैवाहिक बलात्कार अवैध है।
- कनाडा: कनाडा में वैवाहिक बलात्कार दंडनीय है।
- वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले देश:
- घाना, भारत, इंडोनेशिया, जॉर्डन, लेसोथो, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, श्रीलंका और तंजानिया स्पष्ट रूप से किसी महिला या लड़की के साथ उसके पति द्वारा किये गए वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर रखते हैं।
आगे की राह
- भारतीय कानून अब पति और पत्नी को अलग एवं स्वतंत्र कानूनी पहचान प्रदान करता है तथा आधुनिक युग में न्यायशास्त्र स्पष्ट रूप से महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित है।
- इसलिये यह सही समय है कि विधायिका को इस कानूनी दुर्बलता का संज्ञान लेना चाहिये और IPC की धारा 375 (अपवाद 2) को समाप्त करके वैवाहिक बलात्कार को बलात्कार कानूनों के दायरे में लाना चाहिये।
- ऐसे कानूनों की आवश्यकता है जो सीमाओं को स्पष्ट करते हैं कि हम एक-दूसरे से कैसे संबंधित हैं और व्यवहार में उनके सीमित उपयोग के बारे में अप्रिय सामाजिक वास्तविकताओं के साथ समानता, गरिमा एवं शारीरिक स्वायत्तता के संवैधानिक विचारों को बनाए रखते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. हमें देश में महिलाओं के खिलाफ यौन-उत्पीड़न के बढ़ते हुए दृष्टांत दिखाई दे रहे हैं। इस कुकृत्य के विरूद्ध विद्यमान विधिक उपबंधों के होते हुए भी ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस संकट से निपटने के लिये कुछ नवाचारी उपाय सुझाएँ। (Mains-2014) |