शासन व्यवस्था
आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रक्षा भूमि का सर्वेक्षण
- 11 Jan 2022
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प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल इंडिया, आजादी का अमृत महोत्सव। मेंन्स के लिये:भूमि सर्वेक्षण में उभरती आधुनिक तकनीकों की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने प्रभावी भूमि उपयोग और योजना बनाने तथा अतिक्रमणों को रोकने के लिये देश भर में 4,900 क्षेत्रों में फैली लगभग 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि का सर्वेक्षण किया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है क्योंकि आजादी के बाद पहली बार नवीनतम सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग करके और विभिन्न राज्य सरकारों के राजस्व अधिकारियों के सहयोग से बड़ी संख्या में पूरी रक्षा भूमि का सर्वेक्षण किया गया है।
- आधुनिक तकनीक का उपयोग:
- सर्वेक्षण में इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन (ETS) और डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (DGPS) जैसी आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग किया गया है।
- ETS को इलेक्ट्रॉनिक दूरी मापन (Electronic Distance Measurement- EDM) के साथ एकीकृत किया गया है ताकि ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज कोण एवं उपकरण से ढलान की दूरी को एक विशेष बिंदु तक मापने के लिये तथा डेटा को एकत्र करने व त्रिभुज गणना करने हेतु एक ऑन-बोर्ड कंप्यूटर हो।
- DGPS, GPS नेविगेशन का एक उन्नत रूप है जो मानक GPS की तुलना में अधिक सटीक स्थिति प्रदान करता है।
- विश्वसनीय, मजबूत और समयबद्ध परिणामों के लिये ड्रोन इमेजरी (Drone imagery) और सैटेलाइट इमेजरी (Satellite Imagery) आधारित सर्वेक्षणों का उपयोग किया गया।
- राजस्थान में पहली बार लाखों एकड़ रक्षा भूमि के सर्वेक्षण के लिये ड्रोन इमेजरी आधारित सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया गया था।
- इसके अलावा कुछ रक्षा भूमि क्षेत्रों के लिये पहली बार सैटेलाइट इमेजरी आधारित सर्वेक्षण किया गया था।
- भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (Bhabha Atomic Research Centre- BARC) के सहयोग से डिजिटल एलिवेशन मॉडल (Digital Elevation Model- DEM) का उपयोग कर पहाड़ी क्षेत्र में रक्षा भूमि के बेहतर दृश्य के लिये 3डी मॉडलिंग तकनीक भी शुरू की गई है।
- एक डिजिटल एलिवेशन मॉडल (Digital Elevation Model- DEM) पेड़ों, इमारतों और सतह की किसी भी अन्य वस्तुओं को छोड़कर पृथ्वी की नग्न सतह की स्थलाकृतिकयों को दर्शाता है।
- सर्वेक्षण में इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन (ETS) और डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (DGPS) जैसी आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग किया गया है।
- इस उपलब्धि का महत्त्व:
- लगभग 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि के सर्वेक्षण की यह विशाल पहल केद्र सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के अनुरूप कम समय में भूमि सर्वेक्षण हेतु उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने का एक अनूठा उदाहरण है।
- आज़ादी के 75 वर्षों बाद इस अभ्यास को आयोजित करने से यह ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत आयोजित होने वाले समारोहों का भी हिस्सा बन जाता है।
- भूमि सर्वेक्षण हेतु क्षमता निर्माण:
- नवीनतम सर्वेक्षण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में रक्षा संपदा अधिकारियों के क्षमता निर्माण हेतु ‘राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान’ में भूमि सर्वेक्षण और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) मानचित्रण पर एक उत्कृष्टता केंद्र (CoE) भी स्थापित किया गया है।
- इस उत्कृष्टता केंद्र का लक्ष्य एक शीर्ष सर्वेक्षण संस्थान का निर्माण करना है, जो केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के अधिकारियों को विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण देने में सक्षम है।