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शासन व्यवस्था

ड्रोन नीति का मसौदा, 2021

  • 16 Jul 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मानवरहित विमान प्रणाली, ड्रोन उड़ान संबंधी नियम

मेन्स के लिये:

ड्रोन नियम 2021 का मसौदा तथा इसके निहितार्थ

चर्चा में क्यों?

नागर विमानन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने ‘‘विश्वास, स्वप्रमाणन एवं बिना किसी हस्तक्षेप के निगरानी’’ के आधार पर भारत में ड्रोन का आसानी से इस्तेमाल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मसौदा नियम जारी किये हैं।

प्रमुख बिंदु:

उद्देश्य

  • विभिन्न प्रकार अनुमोदन प्राप्त करने के लिये व्यवसाय के अनुकूल सिंगल-विंडो ऑनलाइन सिस्टम के रूप में "डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म" का निर्माण करना।
    • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर मानव हस्तक्षेप न्यूनतम होगा और अधिकांश अनुमतियाँ सेल्फ-जनरेटेड होंगी।

प्रावधान:

  • अनुमोदन: विशिष्ट प्राधिकार संख्या, विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान संख्या, अनुरूपता प्रमाणपत्र, रखरखाव प्रमाणपत्र, आयात क्लियरंस, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, संचालन परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकार, छात्र रिमोट पायलट लाइसेंस, रिपोट पायलट प्रशिक्षक प्राधिकार, ड्रोन पोर्ट प्राधिकार आदि संबंधी मंज़ूरी को रद्द करना।
    • शुल्क को न्यूनतम स्तर पर करना। 
  • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म: डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल ज़ोन के तौर पर वायुसीमा मानचित्र प्रदर्शित किया जायेगा।
    • यह एक सुरक्षित और स्केलेबल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा जो ‘नो पर्मिशन–नो टेक-ऑफ’ (NPNT), वास्तविक समय में ट्रैकिंग, जियो-फेंसिंग जैसे सुरक्षा तत्त्वों को समर्थन प्रदान करेगा।
  • हवाई अड्डे की परिधि में कमी: मसौदा नियम हवाई अड्डे की परिधि को 45 किमी. से घटाकर 12 किमी. करने का प्रावधान करते हैं।
    • नियम के अनुसार, हरे ज़ोन में 400 फीट तक और हवाईअड्डे की 8 से 12 किमी. की परिधि में 200 फीट तक की उड़ान के लिये ‘नो फ्लाइट’ अनुमति लेना आवश्यक होगा।
  • पायलट लाइसेंस: गैर-व्यावसायिक उपयोग, नैनो ड्रोन और अनुसंधान एवं विकास संगठनों के माइक्रो ड्रोन के लिये किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।
    • भारत में पंजीकृत विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा ड्रोन संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
  • ड्रोन कॉरिडोर: मंत्रालय कार्गो डिलीवरी के लिये ड्रोन कॉरिडोर के विकास की सुविधा भी देगा और व्यापार के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिये एक ड्रोन संवर्द्धन परिषद की स्थापना की जाएगी।
  • सुरक्षा विशेषताएँ: मसौदा नियम में रीयल-टाइम ट्रैकिंग और जियो-फेंसिंग जैसी सुरक्षा सुविधाओं का भी प्रावधान है, जिन्हें भविष्य में अधिसूचित किये जाने की आशा है और अनुपालन के लिये छह महीने का समय दिया जाएगा।
  • ड्रोन कवरेज़ में वृद्धि: ड्रोन कवरेज़ को 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है। इसमें ड्रोन टैक्सी भी शामिल हैं, जबकि उड़ान योग्यता प्रमाणपत्र जारी करने का काम भारतीय गुणवत्ता परिषद तथा इसके द्वारा अधिकृत प्रमाणन संस्थाओं को सौंपा गया है।

विश्लेषण:

  • जम्मू में हाल की ड्रोन घटनाओं के बाद भी ड्रोन नीति को उदार बनाने का निर्णय इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिये सरकार के साहसिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है और ड्रोन द्वारा उत्पन्न खतरे को दूर करने हेतु काउंटर-ड्रोन तकनीक के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • वर्तमान मसौदा एक स्वागत योग्य कदम है जो भारत में ड्रोन प्रौद्योगिकी में निवेश को सुविधाजनक बनाने में सहायता करेगा।

भारत में ड्रोन विनियमों के नियम:

ड्रोन

  • ड्रोन मानव रहित विमान (Unmanned Aircraft) के लिये प्रयुक्त एक आम शब्दावली है। मानव रहित विमान के तीन उप-सेट हैं- रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (Remotely Piloted Aircraft), ऑटोनॉमस एयरक्राफ्ट (Autonomous Aircraft) और मॉडल एयरक्राफ्ट (Model Aircraft)।
    • रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट में रिमोट पायलट स्टेशन, आवश्यक कमांड और कंट्रोल लिंक तथा अन्य घटक होते हैं।
  • ड्रोन को उनके वज़न के आधार पर पाँच श्रेणियों में बाँटा गया है-
    • नैनो- 250 ग्राम से कम
    • माइक्रो- 250 ग्राम से 2 किग्रा. तक
    • स्माल- 2 किग्रा. से 25 किग्रा. तक
    • मीडियम- 25 किग्रा. से 150 किग्रा. तक
    • लार्ज- 150 किग्रा. से अधिक

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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