लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक न्यूनतम कर

  • 21 Dec 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये :

वैश्विक न्यूनतम कर, यूरोपीय संघ, OECD, BEPS कार्यक्रम।

मेन्स के लिये :

वैश्विक न्यूनतम कर और संबंधित मुद्दों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में यूरोपीय संघ के सदस्य वर्ष 2021 में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा तैयार किये गए वैश्विक कर समझौते के स्तंभ 2 के अनुसार बड़े व्यवसायों पर 15% की न्यूनतम कर दर लागू करने पर सहमत हुए हैं।

  • वर्ष 2021 में भारत सहित 136 देशों ने अपने अधिकार क्षेत्रों में कर अधिकारों को पुनर्वितरित करने और बड़े बहुराष्ट्रीय निगमों पर 15% की न्यूनतम कर दर लागू करने की योजना पर सहमति व्यक्त की थी।

वैश्विक न्यूनतम कर: 

  • वैश्विक न्यूनतम कर (GMT) दुनिया भर में कॉर्पोरेट आय आधार को परिभाषित करने के लिये मानक न्यूनतम कर दर को लागू करता है।
    • OECD ने बड़े बहुराष्ट्रीय निगमों के विदेशी मुनाफे पर 15% कॉर्पोरेट न्यूनतम कर का  प्रस्ताव किया है, जो देशों को 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नया वार्षिक कर राजस्व प्रदान करेगा।
    • GMT का उद्देश्य कम कर दरों के माध्यम से राष्ट्रों को कर प्रतिस्पर्द्धा से हतोत्साहित करना है, क्योंकि इसकी वजह से कॉर्पोरेट लाभ में बदलाव और कर आधार का क्षरण होता है।

योजना के प्रमुख बिंदु:

  • दो स्तंभ योजना:
    • स्तंभ 1:
      • बड़े और  लाभदायक बहुराष्ट्रीय उद्यम (MNEs ) के मुनाफे का 25% एक निर्धारित लाभ मार्जिन बाज़ार के अधिकार क्षेत्र में फिर से आवंटित किया जाएगा जहाँ MNEs  के उपयोगकर्त्ता और ग्राहक मौजूद हैं।
      • यह देश के भीतर आधारभूत विपणन और वितरण गतिविधियों के लिये आसान  सिद्धांत के अनुप्रयोग हेतु एक सरलीकृत एवं सुव्यवस्थित दृष्टिकोण भी प्रदान करता है।
      • इसमें दोहरे कराधान के किसी भी प्रकार के जोखिम को दूर करने के लिये विवाद निवारण और विवाद समाधान सुनिश्चित करने की विशेषताएँ भी शामिल हैं, हालाँकि कम क्षमता वाले देशों के लिये एक वैकल्पिक तंत्र भी शामिल है।
      • यह नुकसान पहुँचाने वाले व्यापार विवादों को रोकने के लिये डिजिटल सेवा कर (DST) और इसी तरह के प्रासंगिक उपायों को रोकने तथा ठहराव पर भी ज़ोर देता है।
    • स्तंभ 2:  
      • यह कॉर्पोरेट लाभ पर न्यूनतम 15% कर प्रदान करता है और कर प्रतिस्पर्द्धा पर सीमा निर्धारित करता है।  
      • यह 750 मिलियन यूरो से अधिक वार्षिक वैश्विक राजस्व वाले बहुराष्ट्रीय समूहों पर लागू होगा। विश्व की सरकारें अपने अधिकार क्षेत्र में मुख्यालय वाले MNEs के विदेशी मुनाफे पर कम-से-कम सहमत न्यूनतम दर पर अतिरिक्त कर लागू करेंगी। 
        • इसका मतलब यह है कि अगर किसी कंपनी की कमाई पर टैक्स नहीं लगता है या किसी टैक्स हेवन में कम टैक्स लगता है, तो उनका देश टॉप-अप टैक्स के रुप में एक टैक्स लगाएगा जिससे कुल प्रभावी दर 15% हो जाएगी। 
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वैश्विक परिचालन वाले बड़े व्यवसायों को टैक्स बचाने के लिये टैक्स हेवन में रहने से लाभ की प्राप्ति न हो।
    • न्यूनतम कर और अन्य प्रावधानों का उद्देश्य विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये सरकारों के बीच दशकों से चली आ रही कर प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त करना है।

इस कदम का महत्त्व:

  • रेस टू द बॉटम का अंत:
    • यह "रेस टू द बॉटम" को समाप्त करने की कोशिश करता है जिसने सरकारों के लिये अपने बढ़ते खर्च संबंधी बजट के लिये आवश्यक आय उत्पन्न करना अधिक कठिन बना दिया है।
      • रेस टू द बॉटम का अंत एक प्रतिस्पर्द्धी स्थिति है जहाँ एक कंपनी, राज्य या राष्ट्र द्वरा प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त अथवा विनिर्माण लागत में कमी के लिये गुणवत्ता मानकों को नज़रअंदाज कर दिया जाता है।
  • टैक्स हेवन की ओर होने वाले वित्तीय विचलन पर रोक:  
    • अमूर्त स्रोतों जैसे- ड्रग पेटेंट, सॉफ्टवेयर और बौद्धिक संपदा पर रॉयल्टी/शुल्क आदि के माध्यम से प्राप्त होने वाली आय का अधिकांश हिस्सा टैक्स हेवन की तरफ स्थानांतरित हुआ है, परिणामतः कंपनियाँ पारंपरिक रूप से अपने मूल देश में उच्च करों का भुगतान करने से बच जाती हैं।
  • वित्तीय संसाधनों का संग्रहण:
    • कोविड-19 के बाद बजट की कमी की समस्या को देखते हुए कई सरकारों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने मुनाफे और कर राजस्व को कम कर (tax) वाले देशों में अंतरित करने पर अंकुश लगाना चाहिये, भले ही उन्होंने व्यापार कहीं भी किया हो। 
  • वैश्विक कर सुधार: बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से GMT का प्रस्ताव वैश्विक कराधान सुधारों की दिशा में एक और सकारात्मक कदम है। 
    • BEPS कर से बचने की रणनीतियों को संदर्भित करता है जो कर नियमों में अंतराल और बेमेल का फायदा उठाते हुए कृत्रिम रूप से मुनाफे को कम या बिना कर वाले स्थानों पर स्थानांतरित करते हैं। OECD ने इसे संबोधित करने के लिये 15 कार्रवाई मदें जारी की हैं।
  • वैश्विक असमानता से निपटना:
    • न्यूनतम कर प्रस्ताव विशेष रूप से ऐसे समय में प्रासंगिक है जब विश्व भर में सरकारों की राजकोषीय स्थिति खराब हो गई है, जैसा कि सार्वजनिक ऋण मेट्रिक्स की बिगड़ती स्थिति में देखा गया है। 
  • ऐसा माना जा रहा है कि यह योजना बढ़ती वैश्विक असमानता का मुकाबला करने में भी मदद करेगी, जिससे बड़े व्यवसायों के लिये टैक्स हेवन की सेवाओं का लाभ उठाकर कम करों का भुगतान करना मुश्किल हो जाएगा।

संबंधित मुद्दे: 

  • कर प्रतिस्पर्द्धा का खतरा:
    • इसे कर प्रतिस्पर्द्धा का खतरा माना जाता है, यह उन सरकारों पर नज़र रखता है जो अन्यथा अपने नागरिकों पर भारी कर लगाएंगे ताकि व्यय कार्यक्रमों को निधि प्रदान की जा सके।
  • आसन्न संप्रभुता:
    • यह किसी देश की कर नीति तय करने के संप्रभु अधिकार का उल्लंघन करता है। 
    • एक वैश्विक न्यूनतम दर अनिवार्य रूप से उस उपकरण को दूर कर देगी जिसका उपयोग देश उन नीतियों को आगे बढ़ाने के लिये करता है जो उनके अनुकूल हैं।
  • प्रभावकारिता का प्रश्न: 
    • इस समझौते की आलोचना भी की गई है; ऑक्सफैम जैसे समूहों का कहना है कि यह समझौता टैक्स हेवन को समाप्त नहीं करेगा।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD):

  • OECD एक अंतर-सरकारी आर्थिक संगठन है, जिसकी स्थापना आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये की गई है।
  • स्थापना: 1961
  • मुख्यालय: पेरिस, फ्राँस
  • कुल सदस्य: 36
  • भारत इसका सदस्य नहीं है, बल्कि एक प्रमुख आर्थिक भागीदार है।

आगे की राह

  • चूँकि OECD की योजना अनिवार्य रूप से एक वैश्विक कर कार्टेल बनाने की कोशिश करना है, इसलिये इसे हमेशा कार्टेल के बाहर कम कर वाले क्षेत्रों में खोने और कार्टेल के भीतर सदस्यों द्वारा धोखाधड़ी के ज़ोखिम का सामना करना पड़ेगा।  
  • आखिरकार कार्टेल के भीतर और बाहर दोनों देशों के व्यवसायों में कम कर दरों की पेशकश करके अपने संबंधित अधिकार क्षेत्रों के भीतर निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहन मिलेगा।  
  • यह एक संरचनात्मक समस्या है जो तब तक बनी रहेगी जब तक वैश्विक कर कार्टेल मौजूद रहता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्र. 'आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण' शब्द को कभी-कभी समाचारों में किसके संदर्भ में देखा जाता है? (2016)

(a) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा संसाधन संपन्न लेकिन पिछड़े क्षेत्रों में खनन संचालन
(b) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कर अपवंचन पर अंकुश लगाना
(c) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किसी देश के अनुवांशिक संसाधनों का शोषण
(d) विकास परियोजनाओं की योजना और कार्यान्वयन में पर्यावरणीय लागत के विचार की कमी

उत्तर (B) 

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2