शासन व्यवस्था
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
प्रिलिम्स के लिये:आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना मेन्स के लिये:आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन : डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission) की शुरुआत की।
- इस पहल का राष्ट्रव्यापी रोलआउट राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) द्वारा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) की तीसरी वर्षगाँठ के अवसर पर किया गया।
- आयुष्मान भारत, भारत की एक प्रमुख योजना है जिसे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की सिफारिश के अनुसार शुरू किया गया था।
- इस मिशन को राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) के रूप में भी जाना जाता है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- इसका उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को अस्पतालों, बीमा कंपनियों और आवश्यकता पड़ने पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँचने में सहायता करने के लिये डिजिटल स्वास्थ्य आईडी प्रदान करना है।
- मिशन के पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2020 को लाल किले की प्राचीर से की थी।
- यह पायलट परियोजना छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चरणबद्ध रूप में लागू की जा रही है।
- मिशन की विशेषताएँ:
- स्वास्थ्य आईडी:
- यह प्रत्येक नागरिक को प्रदान किया जाएगा जो उनके स्वास्थ्य खाते के रूप में भी काम करेगा। इस स्वास्थ्य खाते में हर परीक्षण, हर बीमारी, डॉक्टर से अपॉइंटमेंट, ली गई दवाओं और निदान का विवरण होगा।
- स्वास्थ्य आईडी निःशुल्क व स्वैच्छिक है। यह स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण करने में मदद करेगा और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बेहतर नियोजन, बजट और कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा।
- स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ और पेशेवर रजिस्ट्री:
- कार्यक्रम के अन्य प्रमुख घटकों- हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (HPR) और हेल्थकेयर फैसिलिटीज़ रजिस्ट्री (HFR) को निर्मित किया गया है, जिससे मेडिकल प्रोफेशनल्स और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तक आसान इलेक्ट्रॉनिक एक्सेस की अनुमति मिलती है।
- HPR चिकित्सा की आधुनिक और पारंपरिक दोनों प्रणालियों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाले सभी स्वास्थ्य पेशेवरों का एक व्यापक डिजिटल भंडार होगा।
- HFR डेटाबेस में देश की सभी स्वास्थ्य सुविधाओं का रिकॉर्ड होगा।
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन सैंडबॉक्स:
- मिशन के एक हिस्से के रूप में निर्मित सैंडबॉक्स, प्रौद्योगिकी और उत्पाद परीक्षण हेतु एक रूपरेखा के रूप में कार्य करेगा जो संगठनों की मदद करेगा। इसमें राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बनने के इच्छुक प्राइवेट प्लेयर्स शामिल होते हैं। स्वास्थ्य सूचना प्रदाता या स्वास्थ्य सूचना उपयोगकर्त्ता आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ कुशलतापूर्वक जुड़ सकते हैं।
- स्वास्थ्य आईडी:
- क्रियान्वयन एजेंसी:
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority- NHA)।
- संभावित लाभ:
- डॉक्टरों और अस्पतालों तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये व्यवसाय करने में आसानी।
- उनकी सहमति से नागरिकों के देशांतरीय स्वास्थ्य रिकॉर्ड (Longitudinal Health Records) तक पहुंँच और आदान-प्रदान को सक्षम बनाना।
- भुगतान प्रणाली में आए क्रांतिकारी बदलाव में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) द्वारा निभाई गई भूमिका के समान डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करने में साहयक।
- डॉक्टरों और अस्पतालों तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये व्यवसाय करने में आसानी।
- चिंताएँ:
- डेटा सुरक्षा बिल की कमी के कारण निजी फर्मों और बेड प्लेयर्स द्वारा डेटा का दुरुपयोग हो सकता है।
- नागरिकों का बहिष्करण और सिस्टम में खराबी के कारण स्वास्थ्य सेवा से वंचित होना भी चिंता का विषय है।
आगे की राह
- NDHM अभी भी स्वास्थ्य को न्यायोचित अधिकार के रूप में मान्यता नहीं देता है। जैसा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2015 के मसौदे में निर्धारित किया गया है, स्वास्थ्य को अधिकार बनाने हेतु एक पुश ड्राफ्ट (Push Draft) होना चाहिये।
- इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में एक समान राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (National Health Service- NHS) की विफलता से सीख ली जानी चाहिये और मिशन को अखिल भारतीय स्तर पर शुरू करने से पहले तकनीकी एवं कार्यान्वयन संबंधी कमियों को सक्रिय रूप से संबोधित किया जाना चाहिये।
- देश भर में NDHM आर्किटेक्चर के मानकीकरण हेतु राज्य-विशिष्ट नियमों को समायोजित करने के तरीके खोजने की आवश्यकता होगी। इसे सरकारी योजनाओं जैसे- आयुष्मान भारत योजना और अन्य आईटी-सक्षम योजनाओं जैसे- प्रजनन बाल स्वास्थ्य देखभाल एवं निक्षय पोषण योजना आदि के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता है।
स्रोत:द हिंदू
भारतीय राजव्यवस्था
सरकारी सहायता मौलिक अधिकार नहीं: SC
प्रिलिम्स के लियेसरकारी सहायता, मौलिक अधिकार, सर्वोच्च न्यायालय मेन्स के लियेसरकारी सहायता नीति और मौलिक अधिकार के नियम और शर्तें |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने फैसला सुनाया कि किसी संस्था को दी जाने वाली सरकारी सहायता नीति का विषय है, यह मौलिक अधिकार नहीं है।
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 30 (शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के लिये अल्पसंख्यकों के अधिकारों से संबंधित) अपने स्वयं के प्रतिबंधों के अधीन है।
प्रमुख बिंदु
- सहायता एक मौलिक अधिकार नहीं:
- कोई भी संस्था चाहे वह बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा संचालित हो, सरकारी सहायता प्राप्त करने का अधिकार उसका मौलिक अधिकार नहीं है। दोनों ही मामलों में सहायता के नियमों और शर्तों का समान रूप से पालन करना होगा।
- कारण:
- सरकारी सहायता एक नीतिगत निर्णय है। यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जिसमें संस्था के हित और सरकार की कार्यप्रणाली को समझने की क्षमता शामिल है।
- वित्तीय बाधाएँ और कमियाँ ऐसे कारक हैं जिन्हें सहायता देते समय कोई भी निर्णय लेने में प्रासंगिक माना जाता है, इसमें सहायता प्रदान करने का निर्णय एवं सहायता के वितरण के तरीके दोनों शामिल हैं।
- सहायता वापस लेना:
- यदि सरकार ने सहायता वापस लेने के लिये कोई नीति बनाई है तो कोई भी संस्था इस निर्णय पर प्रश्न नहीं उठा सकती है।
- यदि कोई संस्था ऐसी सहायता से जुड़ी शर्तों को स्वीकार और उनका पालन नहीं करना चाहती है तो वह अनुदान को अस्वीकार करने तथा अपने तरीके से आगे बढ़ सकती है। इसके विपरीत किसी संस्था को यह अनुमति नहीं दी जा सकती कि सहायता अनुदान उसकी अपनी शर्तों पर मिलना चाहिये।
अनुच्छेद 30
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30(1) अल्पसंख्यकों, चाहे धार्मिक हों या भाषायी, को अधिकार प्रदान करता है कि सभी अल्पसंख्यक वर्गों को उनकी रुचि की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना का अधिकार होगा।
- अनुच्छेद 30(1A) अल्पसंख्यक समूहों द्वारा स्थापित किसी भी शैक्षणिक संस्थान की संपत्ति के अधिग्रहण के लिये राशि के निर्धारण से संबंधित है।
- अनुच्छेद 30(2) में कहा गया है सरकार को आर्थिक सहायता देते समय अल्पसंख्यक द्वारा प्रबंधित किसी भी शैक्षणिक संस्थान के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिये।
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री का भाषण
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र महासभा, यूएनएससी प्रस्ताव 2593, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस, पीएम जन आरोग्य योजना, पीएम आवास योजना, जल जीवन मिशन, mRNA वैक्सीन, हरित हाइड्रोजन। मेन्स के लिये:कोविड-19 महामारी, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन आदि से निपटने के लिये महासागरों में नेविगेशन की स्वतंत्रता तथा इसकी सुरक्षा की आवश्यकता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) के 76वें सत्र को संबोधित किया।
- इस वर्ष के लिये यूएनजीए का विषय "कोविड-19 से उबरने की आशा के माध्यम से लचीले रुख का निर्माण, स्थायी रूप से पुनर्निर्माण, ग्रह की ज़रूरतों का जवाब देना, लोगों के अधिकारों का सम्मान करना और संयुक्त राष्ट्र को पुनर्जीवित करना" है।
- पीएम ने कोविड-19 महामारी, आतंकवाद के खतरे, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये भारत की कार्रवाई और महासागरों में नेविगेशन की स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता जैसे विषयों पर बात की।
संयुक्त राष्ट्र महासभा
- महासभा संयुक्त राष्ट्र का महत्त्वपूर्ण अंग है। यह विचार-विमर्श, नीति-निर्धारण जैसे कार्यों के लिये उत्तरदायी है।
- महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व है, जो इसे सार्वभौमिक प्रतिनिधित्व वाला एकमात्र संयुक्त राष्ट्र निकाय बनाता है।
- प्रतिवर्ष सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की वार्षिक महासभा का आयोजन न्यूयॉर्क के जनरल असेंबली में किया जाता है और इसमें सामान्य बहस होती है तथा कई राष्ट्र प्रमुखता से भाग लेते हैं।
- महासभा में महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर निर्णय लेने, जैसे कि शांति एवं सुरक्षा, नए सदस्यों के प्रवेश तथा बजटीय मामलों के लिये दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
- अन्य प्रश्नों पर निर्णय साधारण बहुमत से लिया जाता है।
- महासभा के अध्यक्ष को प्रत्येक वर्ष महासभा द्वारा एक वर्ष के कार्यकाल के लिये चुना जाता है।
- मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को वर्ष 2021-22 के लिये यूएनजीए के 76वें सत्र के लिये अध्यक्ष चुना गया है।
- यूएनजीए ने एंटोनियो गुटेरेस को 1 जनवरी, 2022 से शुरू होने वाले और 31 दिसंबर, 2026 को समाप्त होने वाले दूसरे कार्यकाल के लिये नौवें संयुक्त राष्ट्र महासचिव (UNSG) के रूप में नियुक्त किया है।
प्रमुख बिंदु
- आतंकवाद का खतरा: विश्व प्रतिगामी सोच और उग्रवाद के बढ़ते खतरे का सामना कर रहा है तथा कई देश "आतंकवाद को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग कर रहे हैं"।
- इन्होंने यूएनएससी प्रस्ताव 2593 का पालन करने पर भी ज़ोर दिया।
- इस प्रस्ताव में मांग की गई है कि किसी भी देश को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को पनाह देने और प्रशिक्षित करने के लिये अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये।
- भारत का महत्त्व: आज विश्व का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। इस प्रकार जब भारतीय प्रगति करते हैं, तो विश्व के विकास को भी गति मिलती है।
- इन्होंने भारत को 'लोकतंत्र की जननी' माना और लोकतंत्र के माध्यम से कई सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
- भारत का विकासात्मक मॉडल: दीन दयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद का हवाला देते हुए भारत के विकास मॉडल में एक सर्व-समावेशी, सर्व-व्यापक और सार्वभौमिक दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है। उदाहरण के लिये:
- यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UP) और जन धन खातों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ाया है।
- पीएम जन आरोग्य योजना ने 500 मिलियन से अधिक लोगों को अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की है और उन्हें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच प्रदान की है।
- पीएम आवास योजना के तहत बेघर परिवारों के लिये करीब 3 करोड़ घर बनाए जा रहे हैं।
- जल जीवन मिशन द्वारा यह सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है कि पाइप के माध्यम से साफ पानी 170 मिलियन से अधिक घरों तक पहुँचे।
- कोविड-19 से निपटना: भारत ने विश्व का पहला डीएनए वैक्सीन विकसित कर लिया है। इसे 12 वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को लगाया जा सकता है।
- mRNA वैक्सीन विकास के अंतिम चरण में है।
- भारतीय वैज्ञानिक भी कोविड-19 का नोज़ल वैक्सीन (Nasal Vaccine) विकसित कर रहे हैं।
- अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी संतुलन: भारत 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
- साथ ही भारत विश्व का सबसे बड़ा हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) हब बनने के लिये तैयार है।
- नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना: भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के विस्तारवाद पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महासागर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा हैं और उन्हें विस्तार तथा बहिष्कार की दौड़ से संरक्षित किया जाना चाहिये।
- इस संदर्भ में भारत की अध्यक्षता के दौरान सुरक्षा परिषद में बनी व्यापक सहमति विश्व को समुद्री सुरक्षा के लिये आगे का रास्ता दिखाती है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय राजव्यवस्था
निष्क्रिय राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की मांग
प्रिलिम्स के लिये:भारत निर्वाचन आयोग, प्रवासी भारतीय मेन्स के लिये:जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951,भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) ने पंजीकृत राजनीतिक दलों की अद्यतन सूची को अधिसूचित किया है, पंजीकृत राजनीतिक दल चुनाव नहीं लड़ने वाले दलों के पंजीकरण को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा आयकर छूट कानून के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई गई है।
प्रमुख बिंदु
- देश में दो हज़ार से अधिक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियांँ हैं। चुनाव आयोग ने आयकर छूट कानून का दुरुपयोग करने वाली ऐसी निष्क्रिय पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की शक्ति की मांग की है।
- चुनाव आयोग डिजिटलीकरण, जाली मतदान को रोकने, प्रवासी भारतीयों (Non-Resident Indians- NRIs), यहांँ तक कि देश के प्रवासी श्रमिकों के लिये भी दूरस्थ मतदान को सक्षम करने हेतु चुनावी सुधारों की एक विस्तृत शृंखला पर ज़ोर देता रहा है।
- पंजीकरण रद्द करने की शक्ति:
- चुनाव आयोग को संविधान का उल्लंघन करने या पंजीकरण के समय पार्टियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने के आधार पर पार्टियों के पंजीकरण को रद्द करने का अधिकार नहीं है।
- ECI के पास जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, (RPA) 1951 के तहत पार्टियों को पंजीकृत करने की शक्ति है, लेकिन निष्क्रिय पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति नहीं है।
- किसी पार्टी का पंजीकरण केवल तब रद्द किया जा सकता है जब उसने धोखाधड़ी से पंजीकरण किया हो, अगर इसे केंद्र सरकार द्वारा अवैध घोषित किया जाता है या कोई पार्टी अपने आंतरिक संविधान में संशोधन करती है और चुनाव आयोग को सूचित करती है कि वह अब भारतीय संविधान का पालन नहीं कर सकती है।
- संबंधित चिंता:
- यदि कोई गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हो जाती है तो वह आयकर से छूट प्राप्त कर सकती है।
- चुनावी मुद्दों पर निगरानी रखने वाले गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या में दो गुना वृद्धि हुई है।
- आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13A में राजनीतिक दलों को उनकी गृह संपत्ति से प्राप्त आय, अन्य स्रोतों से आय, पूंजीगत लाभ और किसी भी व्यक्ति से प्राप्त स्वैच्छिक योगदान पर कुछ शर्तों के अधीन 100% छूट दी गई है।
- यदि कोई गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हो जाती है तो वह आयकर से छूट प्राप्त कर सकती है।
- ECI के लिये अन्य चुनौतियाँ:
- शक्तियों का अपरिभाषित दायरा:
- आदर्श आचार संहिता (MCC) और चुनावों से संबंधित अन्य निर्णयों को लागू करने में ईसीआई को उपलब्ध शक्तियों की सीमा और प्रकृति के बारे में काफी हद तक भ्रम की स्थिति है।
- संहिता यह स्पष्ट नहीं करती है कि चुनाव आयोग क्या कर सकता है; इसमें केवल उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और सरकारों के लिये दिशा-निर्देश हैं।
- MCC का कोई कानूनी समर्थन नहीं:
- MCC को राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति के आधार पर तैयार किया गया है, इसे कोई कानूनी समर्थन नहीं दिया गया है।
- हालाँकि इसका कोई वैधानिक मूल्य नहीं है तथा इसे केवल चुनाव आयोग के नैतिक और संवैधानिक अधिकार द्वारा लागू किया जाता है।
- अधिकारियों का स्थानांतरण:
- प्रमुख चिंताओं में से एक आयोग के आदेश द्वारा राज्य सरकारों के तहत काम कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों का अचानक स्थानांतरण करना है।
- अधिकारियों का स्थानांतरण संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत बनाए गए नियमों द्वारा शासित होता है जिसे अनुच्छेद 324 द्वारा प्रदत्त शक्ति के कथित अभ्यास के तहत ECI द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता है।
- कानूनी विवाद:
- MCC के अनुसार, मंत्री किसी भी रूप में किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकते हैं, सड़कों के निर्माण, पेयजल सुविधाओं का प्रावधान आदि का कोई वादा नहीं कर सकते हैं या सरकार में कोई तदर्थ नियुक्तियाँ नहीं कर सकते हैं।
- हालाँकि आरपीए अधिनियम,1951 की धारा 123(2)(b) में प्रावधान है कि सार्वजनिक नीति की घोषणा या कानूनी अधिकार के प्रयोग को चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप नहीं माना जाएगा।
- प्रवर्तनीयता का अभाव:
- चुनाव आयोग के पास चुनावी कदाचार करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति नहीं है। आयोग केवल मामला पंजीकृत करने का निर्देश दे सकता है।
- 2019 के आम चुनाव में ECI ने सर्वोच्च न्यायालय में स्वीकार किया कि वह "टूथलेस"(Toothless) था और चुनाव अभियान में भड़काऊ या विभाजनकारी भाषणों से निपटने के लिये उसके पास पर्याप्त शक्तियाँ नहीं थीं।
- चुनाव आयोग के पास चुनावी कदाचार करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति नहीं है। आयोग केवल मामला पंजीकृत करने का निर्देश दे सकता है।
- शक्तियों का अपरिभाषित दायरा:
आगे की राह
- देश में निर्वाचित विधायी निकायों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने में ECI द्वारा निभाई गई भूमिका ने भारतीय नागरिकों के मन में उसके प्रति उच्च स्तर का विश्वास बनाया है।
- हालाँकि कानूनी रूप से दुर्गम क्षेत्रों को परिभाषित किया जाना चाहिये, ताकि चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के माध्यम से लोकतंत्र के उचित कामकाज को सुनिश्चित कर सके।
- अब समय आ गया है कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर केवल बयानबाज़ी के बजाय संवैधानिक निकाय की सुरक्षा के लिये कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किये जाएँ।
- इसके अतिरिक्त आयोग को अपने दृष्टिकोण को फिर से स्थापित करना होगा ताकि लोकतंत्र के मूल सिद्धांत उसकी नींव से डगमगाएँ नहीं।
स्रोत: द हिंदू
आंतरिक सुरक्षा
चीन ने भारत की अग्नि-V मिसाइल परियोजना पर सवाल उठाया
प्रिलिम्स के लिये:UNSC प्रस्ताव 1172, अग्नि-V मिसाइल, अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि-पी (प्राइम) मेन्स के लिये:भारत के मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम : अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा कानून |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत द्वारा अग्नि-V अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का आगामी परीक्षण किये जाने की खबरों के बीच चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव का हवाला देते हुए भारत के मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम पर सवाल उठाया है।
- भारत के 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद UNSC प्रस्ताव 1172 जारी किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- अग्नि-V मिसाइल के बारे में:
- अग्नि-V देश में निर्मित सबसे उन्नत सतह-से-सतह पर मार करने वाली स्वदेशी बैलेस्टिक मिसाइल है।
- यह तीन चरणों की ठोस ईंधन वाली 17 मीटर लंबी मिसाइल है तथा लगभग 1.5 टन के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
- अग्नि-V एक फायर एंड फॉरगेट (दागों और भूल जाओ) मिसाइल है, जिसे एक बार दागने के बाद इंटरसेप्टर मिसाइल के अलावा रोका नहीं जा सकता है।
- इसे इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) के तहत विकसित किया गया है।
- IGMDP की स्थापना का विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया था ताकि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। इसे भारत सरकार द्वारा वर्ष 1983 में अनुमोदित किया गया था और या कार्य मार्च 2012 में पूरा किया गया था।
- इस कार्यक्रम के तहत विकसित 5 मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं: पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, नाग, आकाश।
- मिसाइलों की अग्नि श्रेणी:
- ये मिसाइलें भारत की परमाणु प्रक्षेपण क्षमता का मुख्य आधार हैं।
- श्रेणी:
- अग्नि-I: 700-800 किमी. की रेंज।
- अग्नि-II: 2000 किमी. से अधिक रेंज।
- अग्नि-III: 2,500 किमी. से अधिक की रेंज।
- अग्नि-IV: इसकी रेंज 3,500 किमी. से अधिक है और यह एक रोड मोबाइल लॉन्चर से फायर कर सकती है।
- अग्नि-V: यह अग्नि शृंखला की सबसे लंबी, एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है जिसकी रेंज 5,000 किमी. से अधिक है।
- अग्नि-पी (प्राइम): यह एक कनस्तर वाली मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किमी. के बीच है। यह अग्नि I मिसाइल की जगह लेगी।
- इस मिसाइल का पाँच बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है और यह सेना में शामिल होने की प्रक्रिया में है।
- अमेरिका, चीन, रूस, फ्राँस और उत्तर कोरिया सहित बहुत कम देशों के पास अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है।
- ICBM एक भूमि आधारित, परमाणु-सशस्त्र बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 5,600 किमी. से अधिक है।
- UNSC प्रस्ताव 1172 के बारे में:
- यह प्रस्ताव 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत और पाकिस्तान को संदर्भित करता:
- अपने परमाणु हथियार विकास कार्यक्रमों को रोकने के लिये।
- शस्त्रीकरण या परमाणु हथियारों की तैनाती रोकने के लिये।
- परमाणु हथियार पहुँचाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों और परमाणु हथियारों के लिये विखंडनीय सामग्री के किसी भी उत्पादन को रोकने के लिये।
- उपकरण, सामग्री या प्रौद्योगिकी का निर्यात न करने की उनकी नीतियों की पुष्टि करने के लिये जो सामूहिक विनाश के हथियारों या वितरित करने में सक्षम मिसाइलों में योगदान कर सकते हैं।
- यह प्रस्ताव 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत और पाकिस्तान को संदर्भित करता:
- चीन द्वारा किये जा रहे दावों की समस्याएँ:
- ‘अग्नि-V’ ने चीनी मीडिया का ध्यान व्यापक रूप से आकर्षित किया है और इस बात की चर्चा की जा रही है कि 5,000 किलोमीटर की दूरी की परमाणु-सक्षम मिसाइल चीन के कई शहरों को अपनी सीमा के भीतर कवर कर सकती है।
- भारत के मिसाइल कार्यक्रम के प्रस्ताव का हवाला देते हुए चीन इसके विपरीत पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के विकास में सहायता करता रहा है।
- चीन परमाणु सक्षम मिसाइलों के लिये पाकिस्तान को समृद्ध यूरेनियम और तकनीक मुहैया कराता रहा है।
- इसके अलावा वर्ष 2018 में चीन ने मल्टी-वारहेड मिसाइलों के विकास में तेज़ी लाने के लिये पाकिस्तान को एक ट्रैकिंग सिस्टम की बिक्री की थी।
आगे की राह
- भारत को इस बात पर ज़ोर देते हुए और अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है कि संपूर्ण एशिया में सामरिक स्थिरता के लिये चीन के साथ एक व्यापक परमाणु वार्ता आवश्यक है।
- हालाँकि चीन इस तरह की वार्ता में शामिल होने से इनकार कर सकता है, क्योंकि वह भारत के परमाणु हथियारों की स्थिति को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं देना चाहता, जबकि पाकिस्तान को परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइल डिज़ाइन करने में मदद के साथ ही आवश्यक सामग्री प्रदान कर रहा है। पाकिस्तान को किया जा रहा यह हस्तांतरण परमाणु अप्रसार संधि के तहत चीन द्वारा अपने दायित्वों की पूरी तरह से अवहेलना है।
- अब तक भारत काफी अधिक रक्षात्मक रहा है और वैश्विक स्तर पर चीन-पाकिस्तान परमाणु/मिसाइल गठजोड़ को उजागर करने से बचता रहा है। एशिया के भीतर चीन के मौजूदा प्रभुत्व को देखते हुए भारत को जापान, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ करीबी परामर्श एवं वार्ता शुरू करनी चाहिये।
स्रोत: द हिंदू
शासन व्यवस्था
मेघालय उद्यम स्थापत्य परियोजना (MeghEA)
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल इंडिया मेन्स के लिये:मेघालय उद्यम स्थापत्य परियोजना के मुख्य प्रावधान एवं उद्देश्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मेघालय उद्यम स्थापत्य परियोजना (Meghalaya Enterprise Architecture Project (MeghEA) का शुभारंभ किया गया है।
- इस परियोजना का उद्देश्य डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने वाले लोगों के लिये सेवाओं के वितरण और शासन व्यवस्था में सुधार करना है।
- उद्यम स्थापत्य/एंटरप्राइज़ आर्किटेक्चर (Enterprise Architecture- EA) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा संगठन व्यावसायिक लक्ष्यों के साथ संरेखित करने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांँचे को मानकीकृत और व्यवस्थित करते हैं।
प्रमुख बिंदु
- मेघालय उद्यम स्थापत्य परियोजना के बारे में:
- MeghEA पहल के तहत वर्ष 2030 तक मेघालय को एक उच्च आय वाला राज्य बनाने हेतु 6 स्तंभों अर्थात् शासन, मानव संसाधन, उद्यमिता, प्राथमिक क्षेत्र, बुनियादी ढांँचा और पर्यावरण पर आधारित है।
- यह पहल डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप है जो भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने पर केंद्रित है।
- वर्ष 2018 में भारत उद्यम स्थापत्य/इंडिया एंटरप्राइज़ आर्किटेक्चर (India Enterprise Architecture- IndEA) की अधिसूचना के साथ ही एकीकृत एवं राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबल एंड स्केलेबल डिजिटल प्लेटफॉर्म के डिज़ाइन और कार्यान्वयन ने एक नई गति प्राप्त की है।
- इंडिया एंटरप्राइज़आर्किटेक्चर (IndEA):
- IndEA सरकार को एक उद्यम या उद्यमों के उद्यम के रूप में मानते हुए एक समग्र वास्तुकला/आर्किटेक्चर विकसित करने हेतु ढांँचा प्रदान करता है, जो कार्यात्मक रूप से परस्पर जुड़े हुए हैं।
- यह कई संदर्भ मॉडलों का संयोजन है, जो एक साथ सरकार के सभी क्षेत्रों में सीमा-रहित और हितधारकों अर्थात् नागरिकों, व्यवसायों और कर्मचारियों को एकीकृत सेवाओं के वितरण की सुविधा प्रदान करता है।
- IndEA ढांँचे में 8 संदर्भ मॉडल शामिल हैं, जैसे- व्यवसाय, अनुप्रयोग, डेटा, प्रौद्योगिकी, परफॉरमेंस, सुरक्षा, एकीकरण और आर्किटेक्चर गवर्नेंस।
- यह सरकारों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology-ICT) सक्षम परिवर्तन का समर्थन करने हेतु एंटरप्राइज़ आर्किटेक्चर विकसित करने के लिये एक व्यापक और सुविधाजनक ढांँचा प्रदान करता है।
- यह ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में विविधता में एकता स्थापित करने का एक तरीका है।
- बेहतर प्रशासनिक व्यवहार्यता, कार्यान्वयन के विकेंद्रीकरण की आवश्यकता, ई-गवर्नेंस के चल रहे प्रयासों तथा राज्य सरकारों को राज्य विशिष्ट आईसीटी सेवाओं के निर्माण में लचीलापन लाने की आवश्यकता है।
- IndEA के लाभ:
- नागरिकों और व्यवसायों को वन गवर्मेंट एक्सपेरीमेंट (ONE Government Experience) प्रदान करना।
- सेवाओं के वितरण की दक्षता में वृद्धि।
- समग्र प्रदर्शन प्रबंधन के माध्यम से विकासात्मक और कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की प्रभावशीलता में सुधार करना।
- सूचना तक आसान पहुंँच के माध्यम से कर्मचारियों और एजेंसियों की उत्पादकता में वृद्धि करना।
- सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के साथ तालमेल बिठाने और नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाने हेतु सिस्टम में बदलाव के लिये लचीलापन और तेज़ी लाना।
- साझा बुनियादी ढांँचे और सेवाओं के उपयोग के माध्यम से लागत-प्रभावशीलता का एहसास करना।
- डेटा की सुरक्षा और व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता के बीच सही संतुलन बनाने में।
स्रोत: पीआईबी
कृषि
चावल की हर्बीसाइड-टोलेरेंट किस्म
प्रिलिम्स के लियेधान का प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR), इमाज़ेथापायर मेन्स के लियेचावल की नई किस्मों का लाभ, धान रोपाई vs धान का प्रत्यक्ष बीजारोपण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान’ (IARI) ने देश की पहली गैर-जीएम (आनुवंशिक रूप से संशोधित) हर्बीसाइड-टोलेरेंट चावल की किस्में (पूसा बासमती 1979 और पूसा बासमती 1985) विकसित की हैं।
- इन किस्मों को प्रत्यक्ष तौर पर बोया जा सकता है और पारंपरिक रोपाई की तुलना में इनमें पानी एवं श्रम की काफी बचत होती है।
- ICAR-IARI एक डीम्ड यूनिवर्सिटी है।
प्रमुख बिंदु
- चावल की नई किस्मों के विषय में:
- नई किस्मों में एक उत्परिवर्तित ‘एसीटोलैक्टेट सिंथेज़’ (ALS) जीन शामिल है, जो किसानों के लिये खरपतवारों को नियंत्रित करने हेतु एक व्यापक स्पेक्ट्रम हर्बिसाइड- ‘इमाज़ेथापायर’ का छिड़काव करना संभव बनाता है।
- चावल में ‘एसीटोलैक्टेट सिंथेज़’ जीन एक एंज़ाइम (प्रोटीन) कोड है, जो फसल की वृद्धि एवं विकास के लिये अमीनो एसिड का संश्लेषण करता है।
- सामान्य चावल के पौधों पर छिड़काव किया जाने वाला हर्बीसाइड अमीनो एसिड के उत्पादन को बाधित करता है।
- ‘इमाज़ेथापायर’ चौड़ी पत्ती, घास और खरपतवारों के विरुद्ध प्रभावी होता है, हालाँकि सामान्य धान की किस्मों पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह फसल और आक्रामक पौधों के बीच अंतर नहीं करता है।
- हालाँकि नई बासमती किस्मों में एक उत्परिवर्तित ‘एसीटोलैक्टेट सिंथेज़’ (ALS) जीन मौजूद होता है जिसका डीएनए अनुक्रम एक रासायनिक उत्परिवर्ती एथिल मिथेनसल्फोनेट का उपयोग करके बदल दिया गया है।
- नतीजतन ‘एसीटोलैक्टेट सिंथेज़’ एंज़ाइम में अब इमाज़ेथापायर के लिये बाध्यकारी नहीं हैं, जिससे अमीनो एसिड संश्लेषण बाधित नहीं होता है।
- इससे पौधे हर्बीसाइड के अनुप्रयोग को ‘टोलेरेट’ कर सकते हैं और इस प्रकार हर्बीसाइड केवल खरपतवार एवं आक्रामक पौधों के लिये विनाशकारी है।
- यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है, चूँकि इस प्रक्रिया में कोई विदेशी जीन शामिल नहीं है, इसलिये हर्बीसाइड-टोलेरेंट का गुण उत्परिवर्तन प्रजनन के माध्यम से उत्पन्न होता है। इस प्रकार यह किस्म आनुवंशिक रूप से संशोधित किस्म नहीं है।
- नई किस्मों में एक उत्परिवर्तित ‘एसीटोलैक्टेट सिंथेज़’ (ALS) जीन शामिल है, जो किसानों के लिये खरपतवारों को नियंत्रित करने हेतु एक व्यापक स्पेक्ट्रम हर्बिसाइड- ‘इमाज़ेथापायर’ का छिड़काव करना संभव बनाता है।
- इन किस्मों के लाभ:
- धान का प्रत्यक्ष बीजारोपण: नई किस्में बस पानी को इमाज़ेथापायर (Imazethapyr) से बदल देती हैं और नर्सरी, पोखर, रोपाई तथा खेतों में अधिक जल की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
- पानी एक प्राकृतिक शाकनाशी है जो धान की फसल के शुरुआती विकास की अवधि में खरपतवारों को उत्पन्न नहीं होने देता है।
- नई किस्मों से धान के प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR) में मदद मिलेगी, जिसके धान की रोपाई में कई फायदे हैं।
- सस्ता विकल्प: DSR की खेती वर्तमान में दो जड़ी-बूटियों, पेंडीमेथालिन और बिसपायरीबैक-सोडियम पर आधारित है।
- हालाँकि इमाज़ेथापायर इन दो विकल्पों की तुलना में सस्ता है।
- सुरक्षित विकल्प: इसके अलावा इमाज़ेथापायर की व्यापक खरपतवार नियंत्रण सीमा है और यह सुरक्षित है, क्योंकि ALS जीन मनुष्यों और स्तनधारियों में मौजूद नहीं हैं।.
- धान का प्रत्यक्ष बीजारोपण: नई किस्में बस पानी को इमाज़ेथापायर (Imazethapyr) से बदल देती हैं और नर्सरी, पोखर, रोपाई तथा खेतों में अधिक जल की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
धान रोपाई vs धान का प्रत्यक्ष बीजारोपण
- धान रोपाई:
- जिस खेत में धान की रोपाई की जाती है, उसकी जुताई पानी भरने के दौरान की करनी पड़ती है।
- रोपाई के बाद पहले तीन हफ्तों तक 4-5 सेंटीमीटर पानी की गहराई बनाए रखने के लिये पौधों को लगभग दैनिक रूप से सिंचित किया जाता है।
- किसान दो-तीन दिनों के अंतराल पर खेतों में पानी भरते हैं, यहाँ तक कि अगले चार-पाँच सप्ताह तक जब फसल टिलरिंग (तना विकास) अवस्था में होती है।
- धान की रोपाई श्रम और जल-गहन है।
- धान का प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR):
- DSR में पहले से अंकुरित बीजों को ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन द्वारा सीधे खेत में ड्रिल किया जाता है।
- इस पद्धति में कोई नर्सरी तैयारी या प्रत्यारोपण शामिल नहीं है।
- किसानों को केवल अपनी ज़मीन को समतल करना होता है और बुवाई से पहले सिंचाई करनी होती है।
- धान के प्रत्यक्ष बीजारोपण के लाभ:
- पानी की बचत।
- श्रमिकों की कम संख्या की आवश्यकता।
- श्रम लागत में बचत।
- कम बाढ़ अवधि मीथेन उत्सर्जन को सीमित कर चावल की रोपाई की तुलना में मिट्टी के क्षरण को कम करती है।
- धान के प्रत्यक्ष बीजारोपण से हानि:
- रोपाई में 4-5 किग्रा/एकड़ की तुलना में DSR में 8-10 किग्रा/एकड़ बीज की आवश्यकता होती है।
- इसके अलावा DSR में लेज़र लैंड लेवलिंग अनिवार्य है। रोपाई में ऐसा अपरिहार्य नहीं है।
- बुवाई समय पर करने की आवश्यकता होती है ताकि मानसून की बारिश से पहले पौधे ठीक से निकल आए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
SHGs के लिये ‘सीड कैपिटल मॉड्यूल’
प्रिलिम्स के लियेस्वयं सहायता समूह, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना, सीड कैपिटल मॉड्यूल,दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन मेन्स के लियेSHGs के लिये ‘सीड कैपिटल मॉड्यूल’ का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने ‘स्वयं सहायता समूहों’ (SHGs) की सहायता के लिये ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ (PMFME) के तहत ‘सीड कैपिटल मॉड्यूल’ लॉन्च किया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- इसे ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ (DAY-NULM) के ‘प्रबंधन सूचना प्रणाली’ पोर्टल पर भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में काम कर रहे शहरी स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को ‘सीड कैपिटल’ सहायता के लिये लॉन्च किया गया था।
- ‘सीड कैपिटल’ सहायता प्राप्त करने के लिये स्वयं सहायता समूहों द्वारा ‘सीड कैपिटल’ पोर्टल का उपयोग किया जा सकता है।
- सीड कैपिटल एक व्यवसाय या नए उत्पाद के लिये विचार विकसित करने हेतु जुटाई गई धनराशि होती है।
- छोटे उपकरणों और कार्यशील पूंजी से खरीद हेतु सीड कैपिटल का लाभ उठाने के लिये स्वयं सहायता समूहों को ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन’ योजना के विषय में सूचित जाएगा।
- PMFME योजना
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना तथा किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों व उत्पादक सहकारी समितियों को उनकी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के साथ सहायता प्रदान करना है।
- 2020-21 से 2024-25 तक पाँच वर्षों की अवधि में 10,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ इस योजना में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम के उन्नयन के लिये वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने हेतु 2,00,000 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की सीधे सहायता करने की परिकल्पना की गई है।
- PMFME योजना के तहत लाभ:
- प्रति एसएचजी सदस्य 40,000 रुपए की पूंजी सहायता।
- 10 लाख रुपये की सीमा के साथ 35% तक पूंजी निवेश के लिये क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी।
- साझा बुनियादी अवसंरचना की स्थापना के लिये 35% तक क्रेडिट लिंक्ड अनुदान सहायता।
- DPR (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने के लिये हैंडहोल्डिंग समर्थन।
- क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण सहायता।
- SHG से संबंधित अन्य योजनाएँ:
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM)
- यह वर्ष 2014 में शुरू की गई केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य कौशल विकास के माध्यम से स्थायी आजीविका के अवसरों को बढ़ाकर शहरी गरीबों का उत्थान करना है।
- इसके लक्षित लाभार्थी शहरी गरीब (स्ट्रीट वेंडर, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, बेघर, कूड़ा बीनने वाले), बेरोज़गार और विकलांग हैं। यह इन लोगों को कौशल प्रशिक्षण और रोज़गार प्रदान करता है।
- यह शहरी गरीबों को व्यक्तिगत परियोजनाओं के लिये 5 से 7 प्रतिशत की दर से 2 लाख रुपए की ब्याज़ सब्सिडी और समूह उद्यमों पर 10 लाख रुपए की ब्याज़ सब्सिडी प्रदान करता है।