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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 27- 07- 2019

  • 27 Jul 2019
  • 7 min read

देशज फसलों के संरक्षण हेतु बीज बैंकर

Seed Bankers for Conserving Native Crops

हाल ही में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture & Farmers Welfare) द्वारा राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो अपने राष्ट्रीय जीन बैंक (National Gene Bank-NGB) में बीजों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिये उनके जर्मप्लाज़्म का संरक्षण कर रहा है।

  • इस तकनीकी के तहत बीजों को संरक्षित करने के लिये उन्हें लगभग -20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर किया जाता है।
  • राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो और राष्ट्रीय सक्रिय जर्मप्लाज़्म साइट्स, जो विभिन्न राज्यों में जीन बैंकों के रूप में प्रचालित हैं, का उद्देश्य कृषि अनुसंधान उद्देश्य हेतु सब्जियों, अनाजों की देशी किस्मों सहित विभिन्न फसलों की वन्य प्रजातियों की परंपरागत किस्मों और भूमि किस्मों, वन्य किस्मों के साथ-साथ उनके जर्मप्लाज़्म को एकत्र करना, उनकी विशिष्टता बताना, मूल्यांकन तथा संरक्षण करना और उसे उपलब्ध कराना है। ये जीन बैंक स्थानीय किस्मों को भी संरक्षित करते हैं।
  • इन बैंकों में रखे जाने वाले बीज फसलों की लघु और मध्यमावधि किस्म के होते हैं जो क्षेत्र के अनुकूल होते हैं और आकस्मिक स्थिति में आवश्यकता को पूरा करते हैं।
  • इन बीज बैंकों का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं और अन्य अप्रत्याशित स्थितियों, जैसे- सूखा, बाढ़ की स्थिति की चलते बीज की आवश्यकता को पूरा करना है।
  • स्थान विशिष्ट किस्मों के प्रमाणिक और आधारित बीजों, जिसमें स्थानीय किस्मों को बीज बैंक में रखा जाता है, जो इस प्रकार की स्थितियों हेतु अनुकूल होते हैं।

अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना

Ambedkar Hastshilp Vikas Yojana

वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान सरकार ने अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना (Ambedkar Hastshilp Vikas Yojana-AHVY) के तहत निर्माता कंपनी के कार्यक्षेत्र के बारे में कारीगरों को सामूहिक रूप से शिक्षित करने के लिये एक अभियान की पहल की है।

  • कपड़ा मंत्रालय (Ministry of Textiles) द्वारा शुरू की गई अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना के अंतर्गत कारीगरों को सामूहिक रूप से शिक्षित करने का उद्देश्य दीर्घकालिक व्यापार विकास को बढ़ावा देना तथा देशभर के विभिन्न समूह क्षेत्रों में उत्पादक कंपनियों के निर्माण के लिये भावी कारीगरों/ स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को प्रेरित करना है।
  • इस योजना के तहत सरकार ने देशभर में 90 समूहों की पहचान कर उन्हें सामूहिक रूप से शिक्षित करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत आकांक्षी ज़िलों, महिला समूहों, कमज़ोर वर्गों तथा संभावित निर्यातक समूहों को भी कवर किया जाएगा।
  • इस योजना का लक्ष्य स्वयं-सहायता समूहों/कारीगरों की आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करके 3 साल की समयावधि में इन समूहों में परिवर्तन लाना है ताकि दीर्घकालिक व्यापार विकास में ऐसे समूहों का योगदान सुनिश्चित किया जा सके।
  • इस योजना के तहत सरकार ने आधार लिंक पहचान कार्ड, विपणन सुविधा, मुद्रा ऋण, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा आम आदमी बीमा योजना आदि सुविधाओं के लिये देशभर में 300 से अधिक स्थानों पर हस्तकला सहयोग शिविरों का आयोजन किया है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2001-2002 में कपड़ा मंत्रालय ने अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना की शुरुआत की थी।
  • इस योजना के अंतर्गत कारीगरों/हस्तशिल्पियों को स्वयं सहायता समूह के निर्माण एवं ऋण देने के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूहों के गठन तथा सामुदायिक व्यवसाय उद्यमों को चलाने के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया।
  • इस योजना की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
    • अम्बेडकर हस्तशिल्प विकास योजना (आधारभूत सर्वे एवं कारीगरों को एकत्र करना)
    • डिज़ाइन एवं प्रौद्योगिकी उन्नयन
    • मानव संसाधन विकास
    • कारीगरों को सीधा लाभ
    • अवसंरचना एवं तकनीकी सहयोग
    • अनुसंधान एवं विकास
    • विपणन सहायता और सेवाएँ

आर्थिक गणना 2019

Economic Census 2019

29 जुलाई, 2019 को त्रिपुरा से 7वीं आर्थिक गणना के क्षेत्र कार्य की शुरुआत की जाएगी इसके बाद यह कार्य पुद्दुचेरी में किया जाएगा।

  • अन्य राज्यों/संघशासित प्रदेशों में क्षेत्र कार्य अगस्त/सितंबर, 2019 में शुरू होगा।
  • इस कार्य के लिये आँकड़े एकत्रित करने उनके प्रमाणीकरण, रिपोर्ट तैयार करने तथा इनके प्रसार हेतु विकसित मोबाइल एप्लीकेशन पर आँकड़े एकत्र करने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) द्वारा इस कार्य में लगाए जाने वाले गणनाकारों एवं पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • यह गणना सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 2019 में कराई जा रही है।
  • आँकड़े जुटाने, उनके प्रमाणीकरण, रिपोर्ट तैयार करने तथा इनके प्रसार के लिए IT आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • इसमें परिवारों के उद्यमों, गैर-जोत कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र में वस्तुओं/सेवाओं (स्वयं के उपभोग के अलावा) के उत्पादन एवं वितरण की गणना की जाएगी।
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