शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा
प्रिलिम्स के लिये:स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मेन्स के लिये:राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की विशेषताएँ, भारत में शिक्षा क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे, शैक्षिक सुधारों से संबंधित सरकारी पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) जारी की गई, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के नियमों के तहत शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण सुधार हुए।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (National Curriculum Framework- NCF) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के तहत कक्षा 3 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिये शैक्षिक परिदृश्य को नया आकार देते हुए भाषा सीखने, विषय संरचना, मूल्यांकन रणनीतियों और पर्यावरण शिक्षा में बदलाव पेश करती है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा की मुख्य विशेषताएँ:
- भाषा सीखना:
- कक्षा 9 और 10 के विद्यार्थी तीन भाषाएँ सीखते हैं, जिनमें से कम-से-कम दो मूल भारतीय भाषाएँ होती हैं।
- कक्षा 11 और 12 में दो भाषाएँ पढ़ाई जाएंगी, जिनमें एक भारतीय मूल की होगी।
- कम-से-कम एक भारतीय भाषा में भाषायी क्षमता का "साहित्यिक स्तर" हासिल करने का लक्ष्य है।
- बोर्ड परीक्षा और मूल्यांकन:
- यह विद्यार्थियों/छात्रों को एक स्कूल वर्ष (School Year) में कम-से-कम दो बार पर बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति देता है।
- दी गई परीक्षाओं में से केवल सर्वोत्तम स्कोर को ही बरकरार रखा जाएगा।
- यह विद्यार्थियों/छात्रों को एक स्कूल वर्ष (School Year) में कम-से-कम दो बार पर बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति देता है।
- NEP 2020 के साथ संरेखण:
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा NEP 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार है। यह CBSE के तहत ग्रेड 3 से 12 तक नई पाठ्य-पुस्तकें तैयार करने हेतु आवश्यक रूपरेखा प्रदान करती है।
- कक्षा 3 से 12 के लिये पाठ्य-पुस्तकों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना।
- दूरदर्शिता और वर्तमान संदर्भ में समन्वय सुनिश्चित करने पर ध्यान देना।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा NEP 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार है। यह CBSE के तहत ग्रेड 3 से 12 तक नई पाठ्य-पुस्तकें तैयार करने हेतु आवश्यक रूपरेखा प्रदान करती है।
- अनिवार्य एवं वैकल्पिक विषयों में परिवर्तन:
- इससे पहले कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिये पाँच अनिवार्य विषय और एक अतिरिक्त विषय लेने का विकल्प रहता था।
- अब कक्षा 9 और 10 के लिये अनिवार्य विषयों की संख्या सात है तथा कक्षा 11 एवं 12 के लिये छह है।
- इससे पहले कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिये पाँच अनिवार्य विषय और एक अतिरिक्त विषय लेने का विकल्प रहता था।
- वैकल्पिक विषय:
- पहले समूह में कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा सम्मिलित है।
- दूसरे समूह में सामाजिक विज्ञान, मानविकी और अंतःविषय जैसे क्षेत्र सम्मिलित हैं।
- तीसरे समूह में विज्ञान, गणित और कंप्यूटेशनल सोच (Computational Thinking) सम्मिलित है।
- छात्रों के लिये विकल्प की सुविधा:
- अधिक लचीलापन और विकल्प प्रदान करने के लिये ‘माध्यमिक चरण’ को पुनः डिज़ाइन किया गया।
- शैक्षणिक और व्यावसायिक विषयों या विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और शारीरिक शिक्षा जैसे विषयों में कोई बड़ा अंतर नहीं होगा।
- विद्यार्थी अपने स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के लिये विषयों का दिलचस्प संयोजन चुन सकते हैं।
- पर्यावरण शिक्षा:
- पर्यावरण जागरूकता और स्थिरता पर ज़ोर दिया जाएगा।
- पर्यावरण शिक्षा को स्कूली शिक्षा के सभी चरणों में एकीकृत किया गया है।
- माध्यमिक चरण में पर्यावरण शिक्षा के लिये अलग से अध्ययन क्षेत्र होगा।
- सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम के लिये सामग्री वितरण (कक्षा 6-8):
- 20% विषयवस्तु स्थानीय स्तर की होगी।
- 30% विषयवस्तु क्षेत्रीय स्तर की होगी।
- 30% विषयवस्तु राष्ट्रीय स्तर की होगी।
- वैश्विक स्तर की 20% विषयवस्तु होगी।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा:
- परिचय:
- NCF नई शिक्षा नीति (New Education Policy- NEP) 2020 के प्रमुख घटकों में से एक है, जो NEP 2020 के उद्देश्यों, सिद्धांतों और दृष्टिकोण से सूचित इस परिवर्तन को सक्षम एवं सुनिश्चित करती है।
- NCF में पहले चार संशोधन वर्ष 1975, 1988, 2000 और 2005 में हो चुके हैं। यदि प्रस्तावित संशोधन लागू होता है, तो यह ढाँचे का पाँचवा संशोधन होगा।
- NCF के चार खंड:
- स्कूली शिक्षा के लिये NCF (NCF for School Education- NCF-SE)
- प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिये NCF (मूलभूत चरण)
- शिक्षक शिक्षा के लिये NCF
- प्रौढ़ शिक्षा के लिये NCF
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य शिक्षाशास्त्र सहित पाठ्यक्रम में सकारात्मक बदलावों के माध्यम से NEP 2020 में परिकल्पित भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली को सकारात्मक रूप से बदलने में मदद करना है।
- इसका उद्देश्य भारत के संविधान द्वारा परिकल्पित समतामूलक, समावेशी और बहुलवादी समाज को साकार करने के अनुरूप सभी बच्चों को उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020:
- परिचय:
- यह भारत में शिक्षा में सुधार के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है जिसे वर्ष 2020 में मंज़ूरी दी गई थी, इसका उद्देश्य शिक्षा हेतु एक समग्र और बहु-विषयक दृष्टिकोण प्रदान कर भारत की शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाना है।
- NEP 2020 की विशेषताएँ:
- प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण।
- छात्रों के संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास पर आधारित एक नई शैक्षणिक एवं पाठ्यचर्या संरचना का परिचय।
- प्राथमिक शिक्षा में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल के विकास पर ज़ोर।
- शिक्षा में अनुसंधान एवं विकास पर फोकस।
शैक्षिक सुधारों से संबंधित अन्य सरकारी पहल:
- प्रौद्योगिकी संवर्द्धित शिक्षण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम।
- सर्व शिक्षा अभियान।
- प्रज्ञाता।
- मध्याह्न भोजन योजना।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।
- पीएम श्री स्कूल।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 धारणीय विकास लक्ष्य- 4 (2030) के साथ अनुरूपता में है। उसका ध्येय भारत में शिक्षा प्रणाली की पुन:संरचना और पुन:स्थापना है। इस कथन का समालोचनात्मक निरीक्षण कीजिये। (2020) |
शासन व्यवस्था
भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम
प्रिलिम्स के लिये:भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम, ग्लोबल NCAP, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मेन्स के लिये:भारत NCAP से संबंधित सकारात्मक परिणाम और चुनौतियाँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Bharat NCAP) पेश किया है।
- देश में विकसित इस स्टार-रेटिंग प्रणाली का उद्देश्य किसी भी प्रकार की टकराव की स्थिति में वाहनों की सुरक्षा प्रणाली का मूल्यांकन करना है, ताकि उपभोक्ता कार खरीदते समय सूचित निर्णय लेने में सक्षम बन सकें।
- यह व्यापक कार्यक्रम 1 अक्तूबर, 2023 से लागू होगा, यह भारत में सड़क दुर्घटनाओं में मौतों की बढ़ती संख्या को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम:
- परिचय: इसके तहत वाहनों, विशेष रूप से यात्रियों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली कारों को दुर्घटना से बचाने के लिये उनका सख्त नियमों के तहत क्रैश टेस्ट किया जाएगा और जल्द ही प्रकाशित होने वाले ऑटोमोटिव उद्योग मानक 197 में निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें एक से पाँच स्टार तक की सुरक्षा रेटिंग दी जाएगी।
- यह कार्यक्रम उन यात्री वाहनों पर लागू होता है जिनमें चालक की सीट के अतिरिक्त आठ से अधिक सीटें नहीं होती और वाहन का कुल वज़न 3,500 किलोग्राम से अधिक नहीं होता है।
- इस परीक्षण प्रक्रिया में फ्रंटल ऑफसेट टेस्ट, साइड इम्पैक्ट टेस्ट और पोल-साइड इम्पैक्ट टेस्ट शामिल हैं।
- यह रेटिंग उपभोक्ताओं को वाहन के क्रैश टेस्ट सुरक्षा मानकों की स्पष्ट जानकारी प्रदान करेगा।
- वैसे तो भारत NCAP के तहत वाहन की टेस्टिंग कराना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह विनिर्माताओं को अपने वाहनों को परीक्षण के लिये नामांकित करने हेतु प्रोत्साहित करता है ताकि भारतीय बाज़ार में सुरक्षित कारों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके।
- परीक्षण पैरामीटर: भारत NCAP तीन महत्त्वपूर्ण मापदंडों के आधार पर वाहनों का मूल्यांकन करता है:
- वयस्क यात्रियों की सुरक्षा: यह पैरामीटर दुर्घटना की स्थिति में वाहन द्वारा वयस्क यात्रियों को प्रदान की जाने वाली सुरक्षा के स्तर का आकलन करता है।
- छोटे बच्चों की सुरक्षा: छोटे बच्चों की सुरक्षा भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है जितनी कि वयस्कों की। यह पैरामीटर दुर्घटना के दौरान बच्चों की सुरक्षा के मामले में वाहन की प्रभावशीलता का आकलन करता है।
- सुरक्षा में सहायक प्रौद्योगिकियाँ: आधुनिक वाहन कई प्रकार की सुरक्षा सहायक प्रौद्योगिकियों से लैस होते हैं। यह पैरामीटर दुर्घटनाओं को रोकने अथवा उनके प्रभाव को कम करने में इन प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता और प्रभावशीलता की जाँच करता है।
- अनिवार्य और अनुशंसित परीक्षण: हालाँकि भारत NCAP स्वैच्छिक है, किंतु कुछ मामलों में यह अनिवार्य परीक्षण का प्रावधान कर सकता है:
- बेस मॉडल परीक्षण: किसी वाहन का लोकप्रिय संस्करण या फिर सबसे कम कीमत से शुरू होने वाला प्रारंभिक मॉडल (30,000 इकाइयों की न्यूनतम बिक्री के साथ) को इस परीक्षण के अधीन लाया जा सकता है।
- मंत्रालय की सिफारिशें: यदि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बाज़ार की प्रतिक्रिया या सार्वजनिक सुरक्षा चिंताओं के आधार पर सिफारिश की जाती है, तब भी भारत NCAP द्वारा कुछ मॉडलों का परीक्षण किया जा सकता है।
- वैश्विक मानकों के साथ विकास और संरेखण: भारत NCAP की अवधारणा ग्लोबल NCAP से प्रेरित है, जो ब्रिटेन स्थित टुवर्ड्स ज़ीरो फाउंडेशन NGO द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है।
- ग्लोबल NCAP विश्व भर में नई कारों के मूल्यांकन कार्यक्रमों हेतु एक सहयोगी मंच के रूप में कार्य करता है, जिसमें अमेरिका भी शामिल है, अमेरिका ऐसा देश है जिसके पास वर्ष 1978 के बाद से विश्व की सबसे पुरानी दुर्घटना परीक्षण व्यवस्था है।
- पिछले कुछ वर्षों में भारत के परीक्षण प्रोटोकॉल में काफी विकास हुआ है, भारतीय बाज़ार के लिये 50 से अधिक क्रैश टेस्ट परिणाम प्रकाशित किये गए हैं।
- टाटा कंपनी ने वर्ष 2018 में भारत की पहली 5-स्टार कार रेटिंग हासिल की थी।
- संभावित परिणाम:
- मृत्यु दर में कमी: भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 1.5 लाख सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए, भारत NCAP का लक्ष्य सुरक्षित वाहनों के उत्पादन को प्रोत्साहित करके जनहानि को कम करना है।
- स्वास्थ्य देखभाल और बीमा राहत: वाहन सुरक्षा में सुधार से स्वास्थ्य सेवा तथा बीमा क्षेत्रों पर प्रतिबद्धता में कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप सकारात्मक सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।
- निर्माता प्रतिष्ठा: निर्माता उपभोक्ता-केंद्रित प्रथाओं के माध्यम से उच्चतर उपभोक्ता निष्ठा (Higher Consumer Loyalty) को बढ़ावा देकर अपनी ब्रांड प्रतिष्ठा बढ़ा सकते हैं।
- चुनौतियाँ:
- विविध सड़क स्थितियाँ: भारत की सड़क संरचना, भीड़भाड़ वाली शहरी सड़कों से लेकर खराब रख-रखाव वाले ग्रामीण राजमार्गों तक बहुत भिन्न है।
- विभिन्न सड़क स्थितियाँ दुर्घटनाओं के दौरान वाहनों की गतिविधियों के तरीके को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे सभी के लिये उपयुक्त एक सुरक्षा मूल्यांकन ढाँचा तैयार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- सामर्थ्य और बाज़ार की गतिशीलता: भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा बजट-अनुकूल वाहनों की तलाश करता है, जो वाहन निर्माताओं के लिये उन्नत सुरक्षा सुविधाओं से लैस वाहन निर्मित करने में चुनौती उत्पन्न कर सकता है।
- सामर्थ्य और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना एक जटिल कार्य हो सकता है, जिसके लिये नवीन अभियांत्रिकी समाधान की आवश्यकता होगी।
- वाहनों की विविधता: भारत में विविधतापूर्ण ऑटोमोटिव बाज़ार है, जिसमें वाहन के प्रकार और आकार की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
- कॉम्पैक्ट कारों से लेकर SUVs तक इस विविधता में सुरक्षा का प्रभावी ढंग से मूल्यांकन करने वाले दुर्घटना परीक्षणों को डिज़ाइन करने के लिये विभिन्न वाहनों की गतिशीलता पर गहन विचार किये जाने की आवश्यकता होती है।
- उपभोक्ता और उनकी प्राथमिकताएँ: भारत NCAP का लक्ष्य उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना है, जबकि चुनौती सुरक्षा रेटिंग के बारे में जागरूकता पैदा करने और खरीदारों को अन्य सुविधाओं पर सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिये राज़ी करने की है।
- उपभोक्ता की प्राथमिकताएँ अभी भी डिज़ाइन, सुविधाओं और कीमत को लेकर हो सकती हैं, जिससे सुरक्षा रेटिंग का तत्काल प्रभाव सीमित हो सकता है।
- विविध सड़क स्थितियाँ: भारत की सड़क संरचना, भीड़भाड़ वाली शहरी सड़कों से लेकर खराब रख-रखाव वाले ग्रामीण राजमार्गों तक बहुत भिन्न है।
आगे की राह
- सहयोगात्मक सुरक्षा अनुसंधान एवं विकास केंद्र: शैक्षणिक संस्थानों और निर्माताओं के सहयोग से सुरक्षा अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है।
- ये केंद्र संयुक्त अनुसंधान के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने, भारत के लिये विशिष्ट सुरक्षा चुनौतियों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
- कला के माध्यम से सड़क सुरक्षा पे प्रति जागरूकता: दुर्घटना-संभावित क्षेत्रों के पास सुरक्षा-थीम वाले सार्वजनिक कला, चित्रकारी के लिये स्थानीय कलाकारों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है जो सुरक्षित ड्राइविंग के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ा सकते हैं।
- "सुरक्षा स्कोर" एकीकरण: बीमा कंपनियाँ प्रत्येक वाहन मॉडल को उसकी NCAP रेटिंग के आधार पर एक सुरक्षा स्कोर प्रदान कर सकती हैं।
- इस सुरक्षा स्कोर को विज्ञापनों और डीलरशिप पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया जा सकता है, जिससे उपभोक्ताओं का ध्यान सुरक्षा मानकों पर अधिक केंद्रित होगा।
सामाजिक न्याय
सर्वोच्च न्यायालय ने बलात्कार पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति
प्रिलिम्स के लिये:भारत का सर्वोच्च न्यायालय, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट, 1971, भारत में गर्भपात कानून, प्रजनन अधिकार, शांतिलाल शाह समिति मेन्स के लिये:भारत में गर्भपात से संबंधित कानूनी प्रावधान, महिलाओं से संबंधित प्रमुख मुद्दे |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
विवाहेतर गर्भावस्था, विशेष रूप से यौन उत्पीड़न के मामले को हानिकारक और तनाव का कारण मानते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात की एक बलात्कार पीड़िता को 27 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था, साथ ही अस्पताल को बिना किसी विलंब के प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया था।
- मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (Medical Termination of Pregnancy- MTP) संशोधन अधिनियम, 2021 के तहत गर्भावस्था को समाप्त करने की अधिकतम सीमा 24 सप्ताह है।
भारत में गर्भपात से संबंधित कानूनी प्रावधान:
- 1960 के दशक तक भारत में गर्भपात प्रतिबंधित था और इसका उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 312 के तहत कारावास की सज़ा या ज़ुर्माना लगाया जाता था।
- 1960 के दशक के मध्य में गर्भपात नियमों की जाँच के लिये शांतिलाल शाह समिति की स्थापना की गई थी।
- इसके निष्कर्षों के आधार पर मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट, 1971 अधिनियमित किया गया, जिससे सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की अनुमति मिली, महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा की गई, इससे मातृ मृत्यु दर में भी कमी आई।
- MTP अधिनियम, 1971 महिला की सहमति से और पंजीकृत चिकित्सक (RMP) की सलाह पर गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति देता है। हालाँकि वर्ष 2002 और 2021 में कानून को अद्यतन किया गया।
- वर्ष 2021 का संशोधन बलात्कार जैसे विशिष्ट मामलों में दो चिकित्सकों की मंज़ूरी के साथ गर्भावस्था के 20 से 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति देता है।
- यह राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन करता है जो यह तय करता है कि भ्रूण में पर्याप्त असामान्यताओं के मामलों में 24 सप्ताह के बाद गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है या नहीं।
- यह गर्भनिरोधक प्रावधानों की विफलता को अविवाहित महिलाओं (शुरुआत में केवल विवाहित महिलाओं) तक बढ़ाता है, चाहे उनकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो, उन्हें चयन के आधार पर गर्भपात सेवाएँ लेने की अनुमति देता है।
- उम्र और मानसिक स्थिति के आधार पर सहमति की आवश्यकताएँ भिन्न हो सकती हैं, जिसे चिकित्सक की निगरानी में सुनिश्चित किया जाता है।
- वर्ष 2021 का संशोधन बलात्कार जैसे विशिष्ट मामलों में दो चिकित्सकों की मंज़ूरी के साथ गर्भावस्था के 20 से 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति देता है।
- सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले महिलाओं की शारीरिक स्वायत्तता की पुष्टि करते हैं। न्यायालयों ने बलात्कार के मामलों में गर्भपात के अधिकार को मान्यता दी और प्रजनन विकल्प को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के एक घटक के रूप में स्वीकार किया।
नोट:
न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ और अन्य (2017) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के एक हिस्से के रूप में प्रजनन विकल्प चुनने के महिलाओं के संवैधानिक अधिकार को मान्यता दी, जो कि प्रजनन अधिकारों के संबंध में एक ठोस कानून का प्रावधान करता है, इसका आशय यह है कि डॉक्टरों को गर्भपात करने के अधिकार और महिलाओं को गर्भपात कराने के मौलिक अधिकार एक समान नहीं हैं, इसकी कुछ शर्ते भी हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की 20वीं बैठक
प्रिलिम्स के लिये:आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की 20वीं बैठक, आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी, महामारी, आपूर्ति शृंखला, खाद्य सुरक्षा, मुक्त व्यापार समझौता मेन्स के लिये:आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की 20वीं बैठक, भारत-आसियान संबंध |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंडोनेशिया के सेमारंग में आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की 20वीं बैठक आयोजित की गई, यह भारत तथा आसियान सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
बैठक के प्रमुख बिंदु:
- आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करना:
- इस बैठक में आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने, दोनों पक्षों के लिये पर्याप्त लाभ सुनिश्चित करने की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
- मंत्रियों ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
- भारत और आसियान के बीच वर्ष 2022-23 में 131.5 अरब अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। वर्ष 2022-23 में भारत के कुल वैश्विक व्यापार में आसियान के साथ हुए व्यापार की हिस्सेदारी 11.3% थी।
- आसियान-भारत व्यापार परिषद (AIBC):
- इन मंत्रियों ने आसियान-भारत व्यापार परिषद के साथ भी संवाद किया और वर्ष 2023 में AIBC द्वारा आयोजित की गई समस्त गतिविधियों को ध्यान में रखा जिनमें 6 मार्च, 2023 को कुआलालंपुर में आयोजित किया गया 5वाँ आसियान-भारत व्यापार शिखर सम्मेलन भी शामिल था।
- AIBC वर्ष 2005 में आसियान और भारत की सरकारों द्वारा गठित एक संगठन है, जिसका उद्देश्य घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना तथा आसियान व भारत के बीच आर्थिक संबंधों को व्यापक एवं गहरा करने के लिये एक औद्योगिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करना है।
- इसके तहत नॉन-टैरिफ बैरियर (NTB) के संबंध में विभिन्न व्यवसायों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बात की गई, जिसमें दोनों पक्षों के हितधारकों के बीच बढ़ते आदान-प्रदान और संबंधों पर प्रकाश डाला गया।
- NTB से आशय किसी भी प्रकार की ऐसी बाधा अथवा प्रतिबंध से है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में व्यवधान उत्पन्न करता है लेकिन इसमें आयातित वस्तुओं पर प्रत्यक्ष टैरिफ या सीमा शुल्क लगाना शामिल नहीं है। सामान्य या उत्पाद-विशिष्ट कोटा, आयातक देश द्वारा निर्यातक देशों पर लगाई गई गुणवत्ता शर्तें, अनुचित स्वच्छता और पादप-स्वच्छता (Phyto-Sanitary) स्थितियाँ आदि NTB के कुछ उदाहरण हैं।
- इन मंत्रियों ने आसियान-भारत व्यापार परिषद के साथ भी संवाद किया और वर्ष 2023 में AIBC द्वारा आयोजित की गई समस्त गतिविधियों को ध्यान में रखा जिनमें 6 मार्च, 2023 को कुआलालंपुर में आयोजित किया गया 5वाँ आसियान-भारत व्यापार शिखर सम्मेलन भी शामिल था।
- क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का समाधान:
- क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों के जटिल परिदृश्य के बीच मंत्रियों द्वारा कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन, वित्तीय बाज़ार की अस्थिरता, मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनाव के बहुआयामी प्रभावों पर चर्चा की गई।
- साथ ही सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई जिनमें मज़बूत आपूर्ति शृंखला, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय स्थिरता आदि शामिल हैं।
- AITIGA समीक्षा - एक प्रमुख एजेंडा:
- इस वर्ष की बैठक का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु आसियान-भारत माल व्यापार समझौते (AITIGA) की गहन समीक्षा था, जिस पर मूल रूप से वर्ष 2009 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- चर्चा से पहले AITIGA संयुक्त समिति की बैठक हुई, जिसमें समीक्षा के रोडमैप पर विचार-विमर्श किया गया।
- इस प्रक्रिया के दौरान AITIGA समीक्षा वार्ता के लिये संदर्भ की शर्तों और कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया।
- अनुमोदन और समीक्षा की शुरुआत:
- मंत्रियों ने आधिकारिक तौर पर AITIGA के लिये समीक्षा दस्तावेज़ों का समर्थन किया, जिससे पूर्व-निर्धारित तौर-तरीकों के साथ बातचीत की औपचारिक पहल का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- AITIGA समीक्षा की शुरुआत भारतीय व्यवसायों की लंबे समय से चली आ रही मांग को संबोधित करती है और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को व्यापार के लिये अधिक अनुकूल और पारस्परिक रूप से लाभकारी बनाने हेतु प्रतिबद्ध है।
- वर्ष 2025 तक AITIGA समीक्षा को पूरा करने के उद्देश्य से वार्ता के त्रैमासिक कार्यक्रम पर सहमति व्यक्त की गई।
- इस समीक्षा प्रक्रिया से मौजूदा व्यापार असंतुलन को दूर करने के साथ-साथ व्यापार विविधीकरण में वृद्धि लाने की उम्मीद है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान):
- परिचय:
- यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
- इसकी स्थापना अगस्त 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान के संस्थापक सदस्यों अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
- इसके सदस्य राज्यों के नामों (अंग्रेज़ी वर्णमाला क्रम) के आधार पर इसकी अध्यक्षता प्रतिवर्ष परिवर्तित होती रहती है।
- आसियान देशों में अनुमानित 666.19 मिलियन लोग रहते हैं तथा इनका समग्र सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) 3.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- अप्रैल 2021-फरवरी 2022 की अवधि में भारत तथा आसियान देशों के बीच वस्तुओं का व्यापार 98.39 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। भारत के मुख्य व्यापारिक संबंध वाले देशों में इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड शामिल हैं।
- सदस्य:
- आसियान दस दक्षिण-पूर्व एशियाई राज्यों (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) का संगठन है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) के ‘मुक्त व्यापार भागीदारों’ में से हैं? (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) प्रश्न. 'रीजनल काम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) (a) G20 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. शीतयुद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016) |
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
15वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन
प्रिलिम्स के लिये:मेन्स के लिये:समूह और समझौते, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका द्वारा जोहान्सबर्ग में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, भू-राजनीतिक परिवर्तनों और वैश्विक आर्थिक गतिशीलता की पृष्ठभूमि में इस सम्मेलन का काफी महत्त्व है।
- विशेष रूप से यह शिखर सम्मेलन वर्ष 2019 में कोविड -19 महामारी के बाद पहली व्यक्तिगत बैठक है।
- 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का विषय "ब्रिक्स और अफ्रीका: पारस्परिक रूप से त्वरित विकास, धारणीय विकास और समावेशी बहुपक्षवाद के लिये साझेदारी (BRICS and Africa: Partnership for Mutually Accelerated Growth, Sustainable Development and Inclusive Multilateralism)" है।
15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के प्रमुख बिंदु:
- ब्रिक्स का विस्तार:
- ब्रिक्स में शामिल देशों की सदस्य संख्या पाँच से बढ़कर ग्यारह होने के उपलक्ष्य में 15वें शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, यह इसकी वैश्विक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास को दर्शाता है।
- मिस्र, ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया और अर्जेंटीना के ब्रिक्स में शामिल होने से मध्य-पूर्व, अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका में इस समूह का प्रतिनिधित्व बढ़ गया है।
- इनकी पूर्ण सदस्यता 1 जनवरी, 2024 से प्रभावी होगी।
- प्रारंभिक ब्रिक्स सदस्य देशों में दो प्रमुखताएँ समान थीं: बड़ी अर्थव्यवस्था और उच्च संभावित विकास दर।
- विस्तारित ब्रिक्स-11 एक कम सुसंगत समूह है; कुछ देश संकट के दौर से गुज़र रहे हैं, जबकि अन्य फल-फूल रहे हैं। यह अर्थव्यवस्था की दृष्टि से एक अलग एजेंडे के विस्तार का संकेत दे सकता है।
- ब्रिक्स में शामिल देशों की सदस्य संख्या पाँच से बढ़कर ग्यारह होने के उपलक्ष्य में 15वें शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, यह इसकी वैश्विक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास को दर्शाता है।
- ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का भारत के लिये महत्त्व:
- वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन सैन्य गतिरोध के बाद आयोजित यह पहली व्यक्तिगत बैठक भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद दोनों देश सैनिकों को एक दुसरे की सीमा को पार न करने और LAC पर तनाव को कम करने के प्रयास किये जाने पर सहमत हुए हैं।
- भारत ने सदस्यता मानदंडों का मसौदा तैयार करने और नए प्रवेशकों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारत अपने सहयोगियों के नेटवर्क का विस्तार करने और अपने भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के लिये ब्रिक्स का लाभ उठाता है।
- भारत ब्रिक्स को "पश्चिम-विरोधी" समूह के बजाय "गैर-पश्चिमी" समूह के रूप में देखता है, जो इस मंच के दृष्टिकोण की विविधता पर ज़ोर देता है।
- नेतृत्त्व की उद्घोषणा के लिये भारत चीन और रूस के साथ संबंधों को मज़बूत करने की उम्मीद करता है।
- भारतीय प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये ब्रिक्स अंतरिक्ष अन्वेषण संघ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।
- भारत ने लुप्तप्राय बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस के तहत ब्रिक्स के देशों के सहयोग का आह्वान किया।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन सैन्य गतिरोध के बाद आयोजित यह पहली व्यक्तिगत बैठक भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- भू-राजनीतिक संदर्भ और महत्त्व:
- इस शिखर सम्मेलन का काफी महत्त्व है क्योंकि वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा प्रभावित हुई है।
- ऐसा माना जाता है कि ब्रिक्स में होने वाली चर्चाएँ "पश्चिमी विरोधी" दृष्टिकोण रखती हैं।
- यूक्रेन संघर्ष पर रूस को "अलग-थलग" करने के प्रयासों के बीच ब्रिक्स के विचार-विमर्श का महत्त्व बढ़ गया है।
- संयुक्त राष्ट्र सुधार:
- भारत और अन्य ब्रिक्स सदस्य संयुक्त राष्ट्र के सुधार को अधिक लोकतांत्रिक, प्रतिनिधित्वपूर्ण, प्रभावी और कुशल बनाने के लिये सुरक्षा परिषद सहित इसका समर्थन करते हैं।
- जलवायु परिवर्तन:
- ब्रिक्स सदस्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ कम कार्बन और कम उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था के लिये उचित, किफायती एवं टिकाऊ संक्रमण सुनिश्चित करने पर सहमत हुए।
- पाँचों देशों ने विकसित देशों से उदाहरण पेश करके नेतृत्व करने और ऐसे बदलावों के लिये विकासशील देशों का समर्थन करने का आह्वान किया।
- ब्रिक्स देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के बहाने कुछ विकसित देशों द्वारा लगाई गई व्यापार बाधाओं का विरोध किया।
- ब्रिक्स सदस्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ कम कार्बन और कम उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था के लिये उचित, किफायती एवं टिकाऊ संक्रमण सुनिश्चित करने पर सहमत हुए।
ब्रिक्स
- परिचय:
- ब्रिक्स विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका के समूह का संक्षिप्त रूप है।
- वर्ष 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ'नील ने ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन की चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं का वर्णन करने के लिये BRIC शब्द गढ़ा।
- वर्ष 2006 में BRIC विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के दौरान इस समूह को औपचारिक रूप दिया गया था।
- दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को BRIC में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया था, जिसके बाद इस समूह ने संक्षिप्त नाम BRICS अपनाया।
- ब्रिक्स का हिस्सा:
- ब्रिक्स विश्व के पाँच सबसे बड़े विकासशील देशों को एक साथ लाता है, जो वैश्विक आबादी का 41%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24% तथा वैश्विक व्यापार का 16% प्रतिनिधित्व करते हैं।
- अध्यक्षता:
- फोरम की अध्यक्षता B-R-I-C-S के अनुसार, सदस्यों के बीच प्रतिवर्ष परिवर्तित की जाती है।
- भारत ने वर्ष 2021 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की मेज़बानी की।
- फोरम की अध्यक्षता B-R-I-C-S के अनुसार, सदस्यों के बीच प्रतिवर्ष परिवर्तित की जाती है।
- ब्रिक्स की पहल:
- न्यू डेवलपमेंट बैंक:
- वर्ष 2014 में फोर्टालेज़ा (ब्राज़ील) में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB - शंघाई, चीन) की स्थापना के समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- इसने अब तक 70 बुनियादी ढाँचे और सतत् विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।
- आकस्मिक आरक्षित व्यवस्था (Contingent Reserve Arrangement):
- वर्ष 2014 में ब्रिक्स देशों की सरकारों ने आकस्मिक आरक्षित व्यवस्था की स्थापना पर एक संधि पर हस्ताक्षर किये थे।
- इस व्यवस्था का उद्देश्य अल्पकालिक भुगतान संतुलन के दबाव को रोकना, पारस्परिक समर्थन प्रदान करना तथा ब्रिक्स देशों की वित्तीय स्थिरता को मज़बूत करना है।
- सीमा शुल्क समझौते:
- ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार परिवहन के समन्वय तथा सुगमता के लिये सीमा शुल्क समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
- रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट का प्रक्षेपण:
- अगस्त 2021 में पाँच अंतरिक्ष एजेंसियों ने ब्रिक्स रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट तारामंडल के सहयोग को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- यह तारामंडल छह मौजूदा उपग्रहों से बना है: गाओफेन-6 और ज़ियुआन III 02, दोनों चीन द्वारा विकसित; CBERS-4, ब्राज़ील एवं चीन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित; कानोपस-V टाइप, रूस द्वारा विकसित तथा रिसोर्ससैट-2 व 2A, दोनों भारत द्वारा विकसित किये गए।
- अगस्त 2021 में पाँच अंतरिक्ष एजेंसियों ने ब्रिक्स रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट तारामंडल के सहयोग को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- न्यू डेवलपमेंट बैंक:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये” (2016) न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना एन-पी-ई-सी द्वारा की गई है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
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अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-बांग्लादेश संबंध
प्रिलिम्स के लिये:भारत और बांग्लादेश, अभ्यास संप्रीति, अभ्यास बोंगोसागर, अखौरा-अगरतला रेल लिंक, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, रोहिंग्या शरणार्थी, बेल्ट और रोड पहल मेन्स के लिये:भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
भारत और बांग्लादेश के बीच 14वीं संयुक्त सीमा शुल्क समूह (JGC) की बैठक हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित की गई।
- भारत-बांग्लादेश संयुक्त सीमा शुल्क समूह की बैठकें सीमा शुल्क से संबंधित मामलों पर सहयोग को बढ़ावा देने और सीमा पार व्यापार की सुविधा बढ़ाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती हैं।
14वीं JGC बैठक के मुख्य परिणाम:
- भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों का विस्तार: बैठक में नए भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों की स्थापना पर विचार-विमर्श किया गया, जो सीमा पार व्यापार को सुविधाजनक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- बैठक में सीमा शुल्क सहयोग पर एक द्विपक्षीय समझौते में प्रवेश करने की संभावना का पता लगाया गया, जो भविष्य के सहयोग के लिये एक व्यापक ढाँचे के रूप में काम कर सकता है।
- बंदरगाह प्रतिबंधों को सरल बनाना: यह चर्चा बंदरगाह प्रतिबंधों को सरल बनाने के उपायों के इर्द-गिर्द घूमती रही, जिससे बंदरगाह संचालन की समग्र दक्षता में वृद्धि होगी तथा व्यापार बाधाएँ कम होंगी।
- भारत ने 13वीं JGC बैठक में सहमति के अनुसार बांग्लादेश द्वारा ट्रायल रन पूरा करने तथा चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों (ACMP) के उपयोग पर समझौते को क्रियान्वित करने के लिये अधिसूचना की सराहना की।
- ट्रांज़िट मॉड्यूल की इलेक्ट्रॉनिक कनेक्टिविटी: ACMP से संबंधित ट्रांज़िट मॉड्यूल की इलेक्ट्रॉनिक कनेक्टिविटी के संबंध में चर्चा शुरू की गई, जो कुशल डिजिटल सहयोग की दिशा में एक कदम है।
- आगमन-पूर्व सीमा शुल्क डेटा का आदान-प्रदान: दोनों पक्ष सीमा शुल्क डेटा के आगमन-पूर्व आदान-प्रदान के संबंध में बातचीत में लगे हुए हैं। इस कदम का उद्देश्य अधिकारियों को पहले से तैयारी करने में सक्षम बनाकर सीमा शुल्क निकासी प्रक्रिया में तेज़ी लाना है।
भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
- परिचय:
- बांग्लादेश को एक अलग और स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने वाला भारत पहला देश था तथा दिसंबर 1971 में इसकी आज़ादी के तुरंत बाद देश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये।
- बांग्लादेश के साथ भारत के सभ्यतागत, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंध हैं।
- भारत के पूर्वी पड़ोसी के रूप में बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति के कारण इसका रणनीतिक महत्त्व है।
- यह भारत को बंगाल की खाड़ी तक पहुँच और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार तथा कनेक्टिविटी के लिये एक प्रमुख मार्ग प्रदान करता है।
- आर्थिक सहयोग:
- भारतीय उपमहाद्वीप में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान भारत ने बांग्लादेश को 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया।
- भारत ने अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से भारत के भीतर ICDs से बांग्लादेश तक कार्गो के निर्यात का मार्ग प्रशस्त किया।
- इसके अलावा भारत ने बांग्लादेश के माध्यम से तीसरे देशों में कंटेनरीकृत निर्यात कार्गो के ट्रांसशिपमेंट के लिये एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया प्रदान की।
- नदी और भूमि दोनों मार्गों का उपयोग करते हुए यह प्रक्रिया व्यापार मार्गों को सुदृढ़ करने के साथ ही कार्गो की आवाजाही के लिये नए मार्गों की खोज में मदद करेगी।
- भारत ने 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत तंबाकू और शराब को छोड़कर सभी टैरिफ लाइनों पर बांग्लादेश को ड्यूटी फ्री कोटा फ्री पहुँच प्रदान की है।
- जुलाई 2023 में बांग्लादेश और भारत ने रुपए में व्यापारिक लेन-देन शुरू किया, जिसका उद्देश्य अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करना तथा क्षेत्रीय मुद्रा व व्यापार को मज़बूत करना था।
- भारत ने अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से भारत के भीतर ICDs से बांग्लादेश तक कार्गो के निर्यात का मार्ग प्रशस्त किया।
- भारतीय उपमहाद्वीप में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान भारत ने बांग्लादेश को 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया।
नोट: पर्यटन मंत्रालय की भारत पर्यटन सांख्यिकी रिपोर्ट 2022 के अनुसार, बांग्लादेश वर्ष 2021 में भारत के पर्यटन व्यवसाय में योगदान देने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश रहा है।
- रक्षा सहयोग:
- भारत और बांग्लादेश 4096.7 किमी. की सीमा साझा करते हैं। यह भारत द्वारा अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ साझा की जाने वाली सबसे लंबी स्थलीय सीमा है।
- असम, पश्चिम बंगाल, मिज़ोरम, मेघालय और त्रिपुरा की सीमा बांग्लादेश से लगती है।
- दोनों देशों के बीच संयुक्त अभ्यास का भी आयोजन किया जाता है- सेना (संप्रीति अभ्यास) और नौसेना (बोंगोसागर अभ्यास)।
- भारत और बांग्लादेश 4096.7 किमी. की सीमा साझा करते हैं। यह भारत द्वारा अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ साझा की जाने वाली सबसे लंबी स्थलीय सीमा है।
- ऊर्जा और कनेक्टिविटी:
- पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी और बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले के पारबतीपुर को जोड़ने वाली भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन की सहायता से बांग्लादेश तक प्रतिवर्ष दस लाख मीट्रिक टन हाई-स्पीड डीज़ल पहुँचाया जाएगा।
- भारत और बांग्लादेश अखौरा-अगरतला रेल लिंक तथा मैत्री सेतु जैसी सीमा पार बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के विकास में सहयोग कर रहे हैं।
- पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी और बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले के पारबतीपुर को जोड़ने वाली भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन की सहायता से बांग्लादेश तक प्रतिवर्ष दस लाख मीट्रिक टन हाई-स्पीड डीज़ल पहुँचाया जाएगा।
- बहुपक्षीय सहयोग:
भारत और बांग्लादेश के बीच वर्तमान प्रमुख मुद्दे:
- सीमा पार नदी जल का बँटवारा: भारत और बांग्लादेश 54 नदियाँ साझा करते हैं, लेकिन अब तक केवल दो संधियों (गंगा जल संधि और कुशियारा नदी संधि) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- अन्य प्रमुख नदियाँ, जैसे- तीस्ता और फेनी पर अभी भी बातचीत चल रही है।
- अवैध प्रवास: बांग्लादेश से भारत में अवैध प्रवास, जिसमें शरणार्थी और प्रवासी शामिल हैं, एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है।
- यह अंतर्वाह भारतीय सीमावर्ती राज्यों पर दबाव डालता है, जिससे संसाधनों एवं सुरक्षा पर असर पड़ता है। रोहिंग्या शरणार्थियों के बांग्लादेश के रास्ते भारत में प्रवेश करने से समस्या और बढ़ गई है।
- इस तरह के प्रवासन को रोकने के उद्देश्य से बने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens- NRC) ने बांग्लादेश की चिंता बढ़ा दी है।
- मादक पदार्थों की तस्करी: सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी की कई घटनाएँ हुई हैं। इन सीमाओं के माध्यम से मानव (विशेषकर बच्चों एवं महिलाओं) तस्करी की जाती है तथा विभिन्न जानवरों और पक्षियों की प्रजातियों का अवैध शिकार किया जाता है।
- बांग्लादेश में बढ़ता चीनी प्रभाव: वर्तमान में बांग्लादेश बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) में एक सक्रिय भागीदार है (भारत BRI का हिस्सा नहीं है)।
- बांग्लादेश के साथ चीन की बढ़ती भागीदारी संभावित रूप से भारत की क्षेत्रीय स्थिति को कमज़ोर कर सकती है तथा इसकी रणनीतिक आकांक्षाओं में बाधा डाल सकती है।
आगे की राह
- संयुक्त कार्य बल: सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी और मानव तस्करी से प्रभावी ढंग से निपटने हेतु दोनों देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को शामिल करते हुए संयुक्त कार्य बल स्थापित करने की आवश्यकता है। साझा खुफिया जानकारी तथा समन्वित संचालन से अवैध नेटवर्क बाधित हो सकते हैं।
- स्मार्ट सीमा प्रबंधन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा विश्लेषण का उपयोग करने वाले स्मार्ट सीमा प्रबंधन समाधानों को लागू करना सुरक्षा एवं दक्षता सुनिश्चित करते हुए सीमा पार आंदोलनों को सुव्यवस्थित कर सकता है।
- डिजिटल कनेक्टिविटी कॉरिडोर: दोनों देशों के बीच हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल सेवाओं और ई-कॉमर्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक डिजिटल कनेक्टिविटी कॉरिडोर स्थापित करने की आवश्यकता है। इससे व्यापार, सहयोग एवं तकनीकी आदान-प्रदान के नए मार्ग का निर्माण होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. तीस्ता नदी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजये: (2017) 1- तीस्ता नदी का उद्गम वही है जो ब्रह्मपुत्र का है लेकिन यह सिक्किम से होकर बहती है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) |