डेली न्यूज़ (24 Mar, 2022)



डिजिटल कौशल को बढ़ाना

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल कौशल, कोविड-19 महामारी, साइबर सुरक्षा, मशीन लर्निंग, डिजी सक्षम पहल

मेन्स के लिये:

डिजिटल कौशल और इससे संबंधित पहलों को बढ़ाने की आवश्यकता, डिजिटल कौशल बढ़ाने से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के अनुसार, देश के 7% कार्यबल का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 27.3 मिलियन श्रमिकों को अगले वर्ष अपनी नौकरियों के लिये डिजिटल कौशल प्रशिक्षण (Digital Skills Training) की आवश्यकता होगी।

  • 'बिल्डिंग डिजिटल स्किल्स फॉर द चेंजिंग वर्कफोर्स' नामक यह रिपोर्ट अल्फाबीटा द्वारा तैयार की गई है और अमेज़ॅन वेब सर्विसेज, इंक (Amazon Web Services-AWS) जो कि एक Amazon.com कंपनी. द्वारा कमीशन किया गया है। 
  • वर्ष 2025 तक भारत में नियोक्ताओं द्वारा अधिक उन्नत क्लाउड कंप्यूटिंग कौशल की आवश्यकता, मशीन लर्निंग और क्लाउड आर्किटेक्चर डिजाइन सहित सर्वाधिक मांग वाले पांँचवें और छठे डिजिटल कौशल के रूप में उभरे हैं।

प्रमुख बिंदु: 

डिजिटल कौशल

  • डिजिटल कौशल को बुनियादी ऑनलाइन सर्च, ईमेल से लेकर विशेषज्ञ प्रोग्रामिंग और विकास तक "डिजिटल उपकरणों, संचार अनुप्रयोगों, सूचनाओं तक पहुंँचने तथा प्रबंधित करने के लिये नेटवर्क का उपयोग करने" हेतु व्यापक अर्थों में आवश्यक कौशल के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • डिजिटल कौशल उत्कृष्टता विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) विषयों में एक सामान नहीं है।

Digital-Skill

डिजिटल कौशल से संबंधित मुद्दे: 

  • अपर्याप्त क्षमता: कुशल श्रमिकों की भारी मांग को देखते हुए देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में उपलब्ध मौजूदा बुनियादी सुविधाएंँ अपर्याप्त हैं क्योंकि बड़ी संख्या में प्रशिक्षित और उच्च कुशल प्रशिक्षक की कमी बनी हुई हैं।
  • लामबंदी/संचालन का अभाव: कौशल विकास से जुड़े लोगों का दृष्टिकोण अभी भी बहुत पारंपरिक है और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिये छात्रों का नामांकन एक गंभीर चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है।
  • मापनीयता: सफल होने के लिये किसी भी मॉडल को विभिन्न हितधारकों से बहुत अधिक समर्थन की आवश्यकता होती है। चूंँकि कॉर्पोरेट क्षेत्र से सीमित खरीद-फरोख्त है, इसलिये इस तरह की पहलों की प्रगति धीमी बनी हुई है।
  • बेमेल/असंतुलित कौशल: उद्योग-संकाय संपर्क का अभाव देखने को मिलता है जिसके कारण शैक्षिक और प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा प्रदान किये गए कौशल सेट नियोक्ताओं की आवश्यकताओं हेतु अनुरूप नहीं हैं। नतीजतन लोग भले ही डिजिटल कुशलताहों लेकिन उन्हें रोज़गार नहीं मिलता है।
  • डिजिटल कौशल हेतु बाधा: 'बिल्डिंग डिजिटल स्किल्स फॉर द चेंजिंग वर्कफोर्स' नामक एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रशिक्षण हेतु समय की कमी ‘डिजिटल कौशल’ को बढ़ावा देने में सबसे बड़ी बाधा है।
    • अन्य कारणों में प्रशिक्षण विकल्पों के बारे में सीमित जागरूकता, कम प्रशिक्षण गुणवत्ता और उच्च प्रशिक्षण लागत शामिल हैं।

Changing-Workforce

संबंधित पहल क्या हैं?

आगे की राह

  • शिक्षण संबंधी इन विविध एवं बढ़ती डिजिटल ज़रूरतों को पूरा करने के लिये सरकारों को नियोक्ताओं, प्रशिक्षण प्रदाताओं और श्रमिकों के साथ मिलकर काम करने की तत्काल आवश्यकता है।
  • बड़े पैमाने पर कौशल विकास एक राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिये और तकनीकी प्रतिभा के विकास के लिये देश को वैश्विक महाशक्ति के रूप में विकसित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिये।
  • डिजिटल भविष्य में विकास के लिये उभरती प्रौद्योगिकियों पर कौशल कार्यक्रमों के नए स्वरूपों का निर्माण और वितरण बड़े पैमाने पर किया जाना चाहिये।
  • चूँकि, भारत के पास एक विशाल 'जनसांख्यिकीय लाभांश' है, जिसका अर्थ है कि भारत में श्रम बाज़ार को कुशल जनशक्ति प्रदान करने की बहुत अधिक गुंजाइश है, इसलिये मौजूदा समय में यह महत्त्वपूर्ण है कि सभी हितधारकों से समन्वित प्रयास किया जाए।
  • कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिये पारंपरिक बाधाओं को समाप्त करना और कमाई करते समय सीखने की पद्धति को अपनाना महत्त्वपूर्ण है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्र. जनसांख्यिकीय लाभांश का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिये भारत को क्या करना चाहिये? (2013)

(a) कौशल विकास को बढ़ावा देना
(b) अधिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की शुरुआत 
(c) शिशु मृत्यु दर में कमी
(d) उच्च शिक्षा का निजीकरण

उत्तर: (a)


प्रश्न. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. यह श्रम और रोज़गार मंत्रालय की प्रमुख योजना है।
  2. अन्य बातों के अलावा यह सॉफ्ट स्किल्स, उद्यमिता, वित्तीय एवं डिजिटल साक्षरता में प्रशिक्षण भी प्रदान करती है।
  3. इसका उद्देश्य देश के अनियमित कार्यबल की दक्षताओं को राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के अनुरूप बनाना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1और 3 
(b) केवल 2 
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: c


प्रश्न. राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF)’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2017)

  1. NSQF के अधीन शिक्षार्थी सक्षमता का प्रमाणपत्र केवल औपचारिक शिक्षा के माध्यम से ही प्राप्त कर सकता है।
  2. NSQF के क्रियान्वयन का एक प्रत्याशित परिणाम व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के मध्य संचरण है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न. पूर्व अधिगम की मान्यता स्कीम (रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग स्कीम)’ का कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में उल्लेख किया जाता है?

(a) निर्माण कार्य में लगे कर्मकारों के पारंपरिक मार्गों से अर्जित कौशल का प्रमाणन
(b) दूरस्थ अधिगम कार्यक्रमों के लिये विश्वविद्यालयों में व्यक्तियों को पंजीकृत करना
(c) सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ उपक्रमों में ग्रामीण और नगरीय निर्धन लोगों के लिये कुछ कुशल कार्य आरक्षित करना
(d) राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के अधीन प्रशिक्षणार्थियों द्वारा अर्जित कौशल का प्रमाणन

उत्तर: (a)

स्रोत: द हिंदू


शहीदी दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

शहीदी दिवस, भगत सिंह, हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन, चंद्र शेखर आज़ाद, काकोरी केस

मेन्स के लिये:

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, भगत सिंह और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान।

चर्चा में क्यों?

शहीदी दिवस, जिसे शहीद दिवस या सर्वोदय दिवस के रूप में भी जाना जाता है, प्रतिवर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है।

  • ज्ञातव्य है कि 30 जनवरी, जिस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है न कि शहीदी दिवस के रूप में।

शहीदी दिवस का इतिहास

  • इसी दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1931 में फांँसी दी थी।
    • इन तीनों को वर्ष 1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या के आरोप में फांँसी पर लटका दिया गया था। क्योकि उन्होंने जॉन सॉन्डर्स को ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट समझकर उसकी हत्या कर दी थी।
      • स्कॉट ने ही लाठीचार्ज का आदेश दिया था जिसके कारण अंततः लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई।
    • लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की सार्वजनिक घोषणा करने वाले भगत सिंह इस गोलीबारी के बाद कई महीनों तक छिपते रहे और उन्होंने एक सहयोगी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर अप्रैल 1929 में दिल्ली में केंद्रीय विधानसभा में दो विस्फोट किये।
      • "इंकलाब जिंदाबाद" का नारा लगाते हुए खुद को गिरफ्तार होने दिया।
  • उनके जीवन ने अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया और उनकी मृत्यु ने इन्हें एक मिसाल के रूप में कायम किया। उन्होंने आज़ादी के लिये अपना रास्ता खुद बनाया और वीरता के साथ राष्ट्र हेतु कुछ करने की अपनी इच्छा को पूरा किया। उसके बाद कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा भी उनके मार्ग का अनुसरण किया गया।

भगत सिंह के बारे में:  

Bhagat-Singh

  • प्रारंभिक जीवन:
    • भगत सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1907 में  भागनवाला (Bhaganwala) के रूप में हुआ तथा इनका पालन पोषण पंजाब के दोआब क्षेत्र में स्थित जालंधर ज़िले में संधू जाट किसान परिवार में हुआ।
      • ये एक ऐसी पीढ़ी से संबंधित थे जो भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दो निर्णायक चरणों में हस्तक्षेप करती थी- पहला लाल-बाल-पाल के 'अतिवाद' का चरण और दूसरा अहिंसक सामूहिक कार्रवाई का गांधीवादी चरण।
  • स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
    • वर्ष 1923 में भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज, लाहौर में प्रवेश लिया, जिसकी स्थापना और प्रबंधन लाला लाजपत राय एवं भाई परमानंद ने किया था।
      • शिक्षा के क्षेत्र में स्वदेशी का विचार लाने के उद्देश्य से इस कॉलेज को सरकार द्वारा चलाए जा रहे संस्थानों के विकल्प के रूप में स्थापित किया गया था।
      • हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य के रूप में भगत सिंह ने ‘बम का  दर्शन’ (Philosophy of the Bomb) को गंभीरता से लेना शुरू किया।
        • क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा द्वारा प्रसिद्ध लेख ‘बम का  दर्शन’ लिखा गया। बम के दर्शन सहित उन्होंने तीन अन्य महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दस्तावेज़ लिखे जिनमें नौजवान सभा के घोषणापत्र (Manifesto of Naujawan Sabha) और एचएसआरए के घोषणापत्र (Manifesto of HSRA) थे।
      • उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ सशस्त्र क्रांति को एकमात्र हथियार माना।
    • वर्ष 1925 में भगत सिंह लाहौर लौट आए और अगले एक वर्ष के भीतर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ‘नौजवान भारत सभा’ नामक एक उग्रवादी युवा संगठन का गठन किया।
    • अप्रैल 1926 में भगत सिंह ने सोहन सिंह जोश के साथ संपर्क स्थापित किया तथा उनके साथ मिलकर ‘श्रमिक और किसान पार्टी’ की स्थापना की, जिसने पंजाबी में एक मासिक पत्रिका कीर्ति का प्रकाशन किया। 
      • भगत सिंह द्वारा पूरे जोश के साथ कार्य किया गया और अगले वर्ष वे कीर्ति के संपादकीय बोर्ड में शामिल हो गए।
    • उन्हें वर्ष 1927 में काकोरी कांड (Kakori Case) में संलिप्त होने के आरोप में पहली बार गिरफ्तार किया गया था तथा अपने विद्रोही (Vidrohi) नाम से लिखे गए लेख हेतु आरोपी माना गया। उन पर दशहरा मेले के दौरान लाहौर में एक बम विस्फोट के लिये ज़िम्मेदार होने का भी आरोप लगाया गया था।
    • वर्ष 1928 में भगत सिंह ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन (HSRA) कर दिया। वर्ष 1930 में जब आज़ाद को गोली मारी गई, तो उनके साथ ही HSRA भी समाप्त हो गया।
      • नौजवान भारत सभा ने पंजाब में HSRA का स्थान ले लिया।
    • जेल में उनका समय कैदियों के लिये रहने की बेहतर स्थिति की मांग हेतु विरोध प्रदर्शन करते हुए बीता। उन्होंने जनता की सहानुभूति प्राप्त की, खासकर तब जब वे साथी अभियुक्त जतिन दास के साथ भूख हड़ताल में शामिल हुए।
      • सितंबर 1929 में जतिन दास की भूख से मृत्यु होने के कारण हड़ताल समाप्त हो गई। इसके दो साल बाद भगत सिंह को दोषी ठहराकर 23 साल की उम्र में फांँसी दे दी गई।

स्रोत: पी.आई.बी.


विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2021

प्रिलिम्स के लिये:

2021 विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), BS-VI वाहन, सम-विषम नीति, वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये नया आयोग, टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन।

मेन्स के लिये:

वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट के प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2021 जारी की गई, रिपोर्ट में वर्ष 2021 की वैश्विक वायु गुणवत्ता स्थिति का अवलोकन प्रस्तुत किया गया।

  • IQAir, एक स्विस समूह है जो पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 की सांद्रता के आधार पर वायु गुणवत्ता के स्तर को मापता है।
  • IQAir सरकारों, शोधकर्त्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों, कंपनियों और नागरिकों को शामिल करने, शिक्षित करने और प्रेरित करने का प्रयास करता है ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार और स्वस्थ समुदायों और शहरों का निर्माण किया जा सके।

World-Air-Quality-Report-2021

रिपोर्ट की आवश्यकता:

  • वायु प्रदूषण को अब दुनिया का सबसे बड़ा पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरा माना जाता है, जो दुनिया भर में प्रतिवर्ष 70 लाख मौतों का कारण बनता है।
  • वायु प्रदूषण अस्थमा से लेकर कैंसर, फेफड़ों की बीमारियों और हृदय रोग जैसी कई बीमारियों का कारण बनता है और उन्हें बढ़ाता है।
  • वायु प्रदूषण की अनुमानित दैनिक आर्थिक लागत 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर या सकल वैश्विक उत्पाद (जीडब्ल्यूपी) की 3 से 4% आँकी गई है।
    • जीडब्ल्यूपी दुनिया के सभी देशों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) है जो कुल वैश्विक जीडीपी के बराबर है।
  • वायु प्रदूषण उन लोगों को प्रभावित करता है जो सबसे अधिक असुरक्षित हैं। अनुमान है कि 2021 में पाँच वर्ष से कम आयु के 40,000 बच्चों की मौत का सीधा संबंध PM2.5 प्रदूषण से था।
  • इसके अलावा कोविड-19 के दौरान शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि PM2.5 के संपर्क में आने से वायरस के फैलने का ज़ोखिम तथा मृत्यु सहित गंभीर लक्षणों के साथ संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

PM 2.5 का मापन

  • यह रिपोर्ट दुनिया भर के 117 देशों के 6,475 शहरों के PM2.5 वायु गुणवत्ता डेटा पर आधारित है।
  • 2.5 माइक्रोन या उससे छोटे व्यास वाले महीन एयरोसोल कणों से युक्त पार्टिकुलेट मैटर, छह नियमित रूप से मापे गए वायु प्रदूषकों में से एक है जिसे आमतौर पर स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव और पर्यावरण में व्यापकता के कारण मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे हानिकारक कणों के रूप माना गया है। ।
  • PM 2.5 कई स्रोतों से उत्पन्न होते है तथा इनकी रासायनिक संरचना और भौतिक विशेषताएँ भिन्न भिन्न हो सकती है।
    • PM 2.5 के सामान्य रासायनिक घटकों में सल्फेट्स, नाइट्रेट्स, ब्लैक कार्बन और अमोनियम शामिल हैं।
  • सामान्यतः मानव निर्मित स्रोतों में आंतरिक दहन इंजन, बिजली उत्पादन, औद्योगिक प्रक्रियाएँ, कृषि प्रक्रियाएँ, निर्माण व आवासीय लकड़ी तथा कोयला का जलना शामिल हैं।
  • PM 2.5 के सबसे आम प्राकृतिक स्रोत धूल भरी आंधी, बालू के तूफान और जंगल की आग हैं।

भारतीय परिदृश्य:

  • वायु गुणवत्ता में सुधार के तीन साल के रुझान के बाद भारत का वार्षिक औसत PM 2.5 स्तर वर्ष 2021 में 58.1 µg/m³ (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) तक पहुँच गया था। जो वर्ष 2019 में मापी गई पूर्व-संगरोध सांद्रता के स्तर के बराबर आ गया था।
  • वर्ष 2021 में मध्य और दक्षिण एशिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 11 शहर भारत के थे।
  • वर्ष 2021 में मुंबई ने PM 2.5 का वार्षिक औसत 46.4 माइक्रोग्राम / क्यूबिक मीटर दर्ज किया जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सीमा से लगभग नौ गुना अधिक था।

भारत के समक्ष चुनौतियांँ:

  • भारत में वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
  • यह रोगों का दूसरा सबसे बड़ा जोखिम कारक है साथ ही वायु प्रदूषण की आर्थिक लागत सालाना 150 बिलियन अमेरीकी डाॅलर से अधिक होने का अनुमान है।
  • भारत में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में वाहन उत्सर्जन, विद्युत उत्पादन, औद्योगिक अपशिष्ट, खाना पकाने हेतु बायोमास दहन, निर्माण क्षेत्र और फसल जलने जैसी प्रासंगिक घटनाएंँ शामिल हैं।
  • वर्ष 2019 में भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEF & CC) द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Program- NCAP) अधिनियमित किया गया।
    • वर्ष 2024 तक यह योजना सभी पहचाने गए गैर-लाभप्रद शहरों में  पीएम सांद्रता को 20% से 30% तक कम करने, वायु गुणवत्ता निगरानी में वृद्धि करने तथा एक शहर, क्षेत्रीय और राज्य-विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजना को लागू करने के साथ-साथ संचालन स्रोत विभाजन के अध्ययन पर आधारित है। 
  • हालाँकि COVID-19 महामारी के कारण लॉकडाउन, प्रतिबंधों और परिणामस्वरूप आर्थिक मंदी के चलते  अकेले वायु प्रदूषण के स्तर के आधार पर योजना के प्रभाव को निर्धारित करना मुश्किल बना दिया है।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु भारत की पहलें:

आगे की राह

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की 4-पिलर रणनीति का पालन करना: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को दूर करने हेतु एक प्रस्ताव (2015) अपनाया। इसके तहत रेखांकित किये गए रोडमैप का सही ढंग से पालन किया जाना आवश्यकता है।
    • यह 4-पिलर रणनीति वायु प्रदूषण के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के लिये एक बढ़ी हुई वैश्विक प्रतिक्रिया की मांग करती है। वे चार पिलर हैं:
      • ज्ञान आधार का विस्तार
      • निगरानी और रिपोर्टिंग
      • वैश्विक नेतृत्त्व और समन्वय
      • संस्थागत क्षमता सुदृढ़ीकरण
  • अन्याय को संबोधित करना: वायु प्रदूषण की समस्या के केंद्र में भारी अन्याय मौजूद है, क्योंकि गरीब लोग ही वायु प्रदूषण के सबसे अधिक शिकार होते हैं।
    • इस प्रकार ‘प्रदूषणक भुगतान सिद्धांत’ को लागू करने की आवश्यकता है और साथ ही प्रकृति को प्रदूषित करने वाले उद्योगों पर ‘पर्यावरण कर’ लगाया जाना चाहिये।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2011)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2. नाइट्रोजन ऑक्साइड
  3. सल्फर ऑक्साइड

उपरोक्त में से कौन-सा/से ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले के दहन से उत्सर्जित होता है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' तैयार की जाती है: (2016)

(a) यूरोपीय सेंट्रल बैंक
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(c) पुनर्निर्माण एवं विकास हेतु अंतर्राष्ट्रीय बैंक
(d) आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन

उत्तर: (b)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विश्व क्षय रोग दिवस 2022

प्रिलिम्स के लिये:

क्षय रोग, तपेदिक से निपटने के प्रयास।

मेन्स के लिये:

विश्व क्षय रोग दिवस, स्वास्थ्य, सरकारी नीतियों और हस्तक्षेपों के पालन का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस इसके विनाशकारी सामाजिक आर्थिक और स्वास्थ्य परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने तथा विश्व स्तर पर टीबी महामारी को समाप्त करने के प्रयास करने के लिये मनाया जाता है।

विश्व टीबी दिवस और इसका महत्त्व:

  • इस दिन 1882 में डॉ. रॉबर्ट कोच ने एक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की घोषणा की जो टीबी का कारण बनता है और उनकी खोज ने इस बीमारी के निदान और इलाज का रास्ता खोल दिया।
  • आज भी टीबी दुनिया के सबसे घातक संक्रामक रोगों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर दिन 4100 से अधिक लोग टीबी से अपनी जान गँवाते हैं और लगभग 28,000 लोग इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। एक दशक से अधिक समय में पहली बार 2020 में टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है।
    • डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वर्ष 2020 में लगभग 9,900,000 लोग टीबी के कारण बीमार पड़ गए और लगभग 1,500,000 लोगों की मृत्यु हो गई। वर्ष 2000 से टीबी को समाप्त करने के लिये विश्व स्तर पर किये गए प्रयासों से 66,000,000 लोगों की जान बचाई गई है।
    • दुनिया भर में कुल टीबी मामलों में भारत का हिस्सा लगभग 26% है। 
  • इसलिये विश्व टीबी दिवस दुनिया भर के लोगों को टीबी रोग और उसके प्रभाव के बारे में शिक्षित करने के लिये मनाया जाता है।

विश्व टीबी दिवस 2022 की थीम

  • इस वर्ष की थीम है- "इन्वेस्ट टू एंड टीबी. सेव लाइव्स।"
  • यह विषय तपेदिक (टीबी) के खिलाफ लड़ाई में तेज़ी लाने और तपेदिक को समाप्त करने हेतु दुनिया भर के नेताओं द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये संसाधनों के निवेश की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।

टीबी से निपटने हेतु पहल

‘क्षय रोग’ (TB)

  • परिचय:
    • टीबी या क्षय रोग ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो कि लगभग 200 सदस्यों वाले ‘माइकोबैक्टीरियासी परिवार’ से संबंधित है।
      • कुछ माइकोबैक्टीरिया मनुष्यों में टीबी और कुष्ठ रोग का कारण बनते हैं तथा अन्य काफी व्यापक स्तर पर जानवरों को संक्रमित करते हैं।
    • टीबी, मनुष्यों में सबसे अधिक फेफड़ों (पल्मोनरी टीबी) को प्रभावित करता है, लेकिन यह अन्य अंगों (एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी) को भी प्रभावित कर सकता है।
    • टीबी एक बहुत ही प्राचीन रोग है और मिस्र में तकरीबन 3000 ईसा पूर्व में इसके अस्तित्व में होने का दस्तावेज़ीकरण किया गया था। टीबी एक इलाज योग्य रोग है।
  • ट्रांसमिशन
    • टीबी रोग हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब ‘पल्मोनरी टीबी’ से पीड़ित कोई व्यक्ति खाँसता, छींकता या थूकता है, तो वह टीबी के कीटाणुओं को हवा में फैला देता है।
  • लक्षण
    • ‘पल्मोनरी टीबी’ के सामान्य लक्षणों में बलगम के साथ खाँसी और कई बार खून आना, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वज़न कम होना, बुखार और रात को पसीना आना शामिल है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)

'डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (मेडिसिन सैंस फ्रंटियर्स)' जो प्रायः समाचारों में आया है: 2016

(a) विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक प्रभाग
(b) एक गैर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन
(c) यूरोपीय संघ द्वारा प्रायोजित एक अंतःसरकारी एजेंसी
(d) संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी

उत्तर: (b)

स्रोत: पी.आई.बी.


नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम

प्रिलिम्स के लिये:

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA), आर्टेमिस I, मून मिशन, चंद्रयान प्रोजेक्ट, हिस्ट्री ऑफ मून एक्सप्लोरेशन

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष अन्वेषण, मून मिशन, चंद्रमा और मंगल पर मानव को भेजने का मिशन 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने अपने आर्टेमिस I मून मिशन के परीक्षण के लिये फ्लोरिडा, संयुक्त राज्य अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्चपैड तैयार किया है।

The-Gist

आर्टेमिस मिशन

  • नासा के आर्टेमिस मिशन को चंद्र अन्वेषण की अगली पीढ़ी के रूप में जाना जाता है तथा इसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं से अपोलो की जुड़वां बहन के नाम पर रखा गया है।
    • आर्टेमिस चंद्रमा की देवी भी हैं।
    • यह जटिल मिशनों की शृंखला में पहला है जो चंद्रमा तथा मंगल पर मानव के अन्वेषण को सक्षम बनाएगा।
  • आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम (Artemis Lunar Exploration Program) के माध्यम से NASA वर्ष 2024 तक पहली महिला और पहले पुरुष को चंद्रमा पर भेजने की योजना बना रहा है। 
  • NASA रोबोट और अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अन्वेषण में सहायता के लिये सतह पर एक आर्टेमिस बेस कैंप और चंद्रमा की कक्षा में एक गेटवे (चंद्रमा के चारों ओर दूरवर्ती स्थान) स्थापित करेगा।
    • यह गेटवे नासा के स्थायी चंद्र संचालन का एक महतत्त्वपूर्ण घटक है और यह चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले बहुउद्देश्यीय दूरवर्ती स्थान के रूप में कार्य करेगा।
  • अन्य अंतरिक्ष एजेंसियाँ भी आर्टेमिस कार्यक्रम में शामिल हैं।
    • कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी ने गेटवे के लिये उन्नत रोबोटिक्स प्रदान करने का वादा किया है,
    • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय आवास और ESPRIT मॉड्यूल प्रदान करेगी जो अन्य चीजों के अलावा अतिरिक्त संचार क्षमता प्रदान करेगा।
    • जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी आवासीय  घटकों (Habitation Components) और रसद की आपूर्ति करने के लिये योजना बना रही है।

आर्टेमिस- I मिशन के प्रमुख बिंदु:

  • आर्टेमिस I, पूर्व में एक्सप्लोरेशन मिशन -1, नासा के डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन सिस्टम (Deep Space Exploration Systems) का पहला एकीकृत उड़ान परीक्षण होगा:
    • ओरियन अंतरिक्षयान: ओरियन अंतरिक्षयान एक अंतरिक्ष स्टेशन को डॉक/संक्षिप्त किये बिना अंतरिक्ष में रहने वाला है, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिये  किसी भी जहाज़ से पहले कभी नहीं किया गया है।
    • स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट: यह विश्व का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है जो मिशन के दौरान चार से छह सप्ताह तक पृथ्वी से 2,80,000 मील की दूरी तय करता है।
    • फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में कैनेडी स्पेस सेंटर में नव उन्नत एक्सप्लोरेशन ग्राउंड सिस्टम (Newly upgraded Exploration Ground Systems)।
  • यह एक मानव रहित अंतरिक्ष मिशन है जहांँ अंतरिक्षयान को एक SLS रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
  • मिशन का प्राथमिक परिचालन लक्ष्य एक सुरक्षित क्रू मॉड्यूल प्रविष्टि, स्प्लैशडाउन (Splashdown)और पुनर्प्राप्ति को सुनिश्चित करना है। 
  • आर्टेमिस I के तहत SLS और ओरियन को वर्ष 2022 की गर्मियों में अमेरिका के फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।
  • मिशन की समाप्ति ओरियन अंतरिक्षयान की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी के साथ होगी।

Artemis

आर्टेमिस कार्यक्रम के अंतर्गत भविष्य के मिशन:

  • कार्यक्रम के तहत दूसरी उड़ान में एक चालक दल सवार होगा और यान पर मनुष्यों के साथ ओरियन की महत्त्वपूर्ण प्रणालियों (Orion’s critical systems) का परीक्षण करेगा।
  • अंततः आर्टेमिस कार्यक्रम के अनुभवों का उपयोग मंगल पर पहले अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिये किया जाएगा।
  • नासा द्वारा सौर मंडल में अंतरिक्ष की मानव खोज को आगे बढ़ाने हेतु आवश्यक अनुभव प्राप्त करने के लिये लूनर ऑर्बिट (Lunar Orbit) का उपयोग करने की योजना है।

चंद्रमा अन्वेषण का इतिहास

  • वर्ष 1959 में, सोवियत संघ का मानव रहित लूना-1 और 2 चंद्रमा पर जाने वाला पहला रोवर बना।
  • अमेरिका ने वर्ष 1961 की शुरुआत से ही लोगों को अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश शुरू कर दी थी।
  • आठ साल बाद, 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग, एडविन ‘बज़’ एल्ड्रिन के साथ अपोलो 11 मिशन के हिस्से के रूप में चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले इंसान बने।
    • अपोलो-11 मिशन को चंद्रमा पर भेजने से पूर्व अमेरिका ने वर्ष 1961 और वर्ष 1968 के बीच रोबोट मिशन के तीन वर्ग भेजे।
  • जुलाई 1969 के बाद वर्ष 1972 तक 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर चले।
  • वर्ष 1990 के दशक में, अमेरिका ने रोबोटिक मिशन ‘क्लेमेंटाइन’ और ‘लूनर प्रॉस्पेक्टर’ के साथ चंद्र अन्वेषण फिर से शुरू किया।
  • वर्ष 2009 में, अमेरिका ने ‘लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर’ (LRO) और ‘लूनर क्रेटर ऑब्जर्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट’ (LCROSS) के प्रक्षेपण के साथ रोबोटिक चंद्र मिशन की एक नई शृंखला शुरू की।
  • नासा ने वर्ष 2011 में आर्टेमिस मिशन की शुरुआत की थी।
  • वर्ष 2012 में ‘ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी’ (GRAIL) अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान, चीन और भारत ने चंद्रमा का पता लगाने के लिये मिशन भेजे हैं।
  • चीन ने सतह पर दो रोवर उतारे, जिसमें वर्ष 2019 में चंद्रमा की सतह पर सुदूर क्षेत्र पर पहली बार लैंडिंग करना शामिल है।

इसरो के चंद्रमा अन्वेषण संबंधी प्रयास

  • चंद्रयान-1:
    • चंद्रयान परियोजना वर्ष 2007 में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और रूस के राॅसकाॅसमाॅस के बीच आपसी सहयोग हेतु एक समझौते के साथ शुरू हुई थी।
    • हालाँकि, इस मिशन को जनवरी 2013 में स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि रूस समय पर लैंडर को विकसित करने में असमर्थ था, इसे बाद वर्ष 2016 में इसे पुनः शुरू किया गया।
    • निष्कर्ष: चंद्रमा पर जल की उपस्थिति की पुष्टि।
      • एक पुराने ‘लूनर लावा’ प्रवाह द्वारा निर्मित ‘लूनर केव्स’ के साक्ष्य।
      • चंद्र सतह पर विगत विवर्तनिक गतिविधि पाई गई थी।
      • खोजे गए भ्रंश और फ्रैक्चर उल्कापिंड प्रभावों के साथ मिलकर पिछली आंतरिक टेक्टोनिक गतिविधि की विशेषताएँ हो सकते हैं।
  • चंद्रयान-2 चंद्रमा के लिये भारत का दूसरा मिशन है और इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं।
    • रोवर प्रज्ञान को विक्रम लैंडर के अंदर रखा गया है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की घोषणा की, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।

विगत वर्षों के प्रश्न:

Q. निम्नलिखित में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?  (2014)

अंतरिक्षयान                  उद्देश्य

  1. कैसिनी-ह्यूजेन्स : शुक्र की परिक्रमा करना और डेटा को पृथ्वी पर प्रेषित करना
  2. मैसेंजर : बुध का मानचित्रण और जाँच
  3. वोयजर 1 और 2 : बाहरी सौर मंडल की खोज

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


Q.अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" क्या है?

(a) भारत में दूरस्थ शिक्षा बढ़ावा को देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह
(b) चंद्रयान-II के लिये अगले मून इंपैक्ट प्रोब को दिया गया नाम,
(c) भारत की 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जियोपोर्टल
(d) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन

Ans: (c)


Q. हाल ही में चर्चा में रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के थेमिस मिशन का क्या उद्देश्य है? (2008)

(a) मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का अध्ययन करना
(b)
शनि के उपग्रहों का अध्ययन करना
(c) उच्च अक्षांश आकाश के रंगीन प्रदर्शन का अध्ययन करना
(d) तारकीय विस्फोट का अध्ययन करने के लिये एक अंतरिक्ष प्रयोगशाला बनाना

Ans: (c)

स्रोत- द हिंदू


विश्व मौसम विज्ञान दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व मौसम विज्ञान दिवस, ग्रीनहाउस गैसें, पार्टियों का सम्मेलन, बाढ़, सूखा, हीटवेव, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन, यूएनएफसीसीसी।

मेन्स के लिये:

आपदा से निपटने में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की भूमिका, बढ़ती आपदा से संबंधित मुद्दे तथा इनसे निपटने के उपाय ।

चर्चा में क्यों?

पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) 192 देशों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
    • भारत विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य देश है।
  • इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 के वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कांग्रेस के बाद स्थापित किया गया था।
  • 23 मार्च 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित WMO, मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा इससे संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गई है।
  • WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस की मुख्य विशेषताएँ

  • परिचय:
    • यह दिन विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसे वर्ष 1950 में स्थापित किया गया था।
    • यह वर्ष 1961 से मनाया जा रहा है, यह दिन लोगों को पृथ्वी के वायुमंडल की रक्षा करने तथा उनकी भूमिका के बारे में जागरूक करने के लिये भी मनाया जाता है।
  • वर्ष 2022 की थीम:
    • प्रारंभिक चेतावनी और प्रारंभिक कार्रवाई (Early warning and early action) - यह आपदा ज़ोखिम में कमी के लिये जल-मौसम विज्ञान तथा जलवायु से संबंधित जानकारी की आवश्यकता पर ज़ोर देती है।
  • आपदाओं की स्थिति::
    • विश्व:
      • पिछले 50 वर्षों में औसतन प्रतिदिन मौसम या जलवायु के खतरे से संबंधित आपदा आई है जिसमे 115 लोगों की मृत्यु तथा प्रतिदिन 202 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है।
        • WMO एटलस ऑफ मॉर्टेलिटी एंड इकोनॉमिक लॉस फ्रॉम वेदर, क्लाइमेट एंड वाटर एक्सट्रीम (1970 - 2019) के अनुसार विश्व स्तर पर इन खतरों के लिये ज़िम्मेदार 11,000 से अधिक आपदाएँ रिपोर्ट की गई थी।
      • जलवायु परिवर्तन, अधिक चरम मौसम और बेहतर रिपोर्टिंग तंत्र के कारण 50-वर्ष की अवधि में आपदाओं की संख्या में पाँच गुना वृद्धि हुई है।
      • प्रत्येक वर्ष अधिक-से-अधिक ग्रीनहाउस गैसों के वातावरण में शामिल होने के कारण चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि होना तय है, जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग होती है।
    • भारत:
      • अरब सागर के ऊपर गंभीर चक्रवातों की संख्या में प्रति दशक 1 की वृद्धि हुई है और भारत में वर्ष 1901 के बाद से अधिकतम तापमान में 0.99 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
      • भारत में भी भारी वर्षा की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

WMO दिवस पर आपदा से निपटने के लिये की गई पहलें:

  • पूर्व चेतावनी प्रणाली पर कार्य योजना:
    • WMO नवंबर 2022 में मिस्र में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के कोप-27 में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पर एक कार्य योजना प्रस्तुत करेगा।
      • बाढ़, सूखा, हीटवेव या तूफान के लिये एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, एक एकीकृत प्रणाली है जो लोगों को खतरनाक मौसम के प्रति सचेत करती है। यह भी सूचित करता है कि सरकारें, समुदाय और व्यक्ति मौसम की घटना के संभावित प्रभावों को कम करने के लिये कैसे कार्य कर सकते हैं।
      • इसका उद्देश्य यह समझना है कि आने वाले तूफानों से प्रभावित क्षेत्र के लिये कौन से जोखिम हो सकते हैं जो कि शहर या ग्रामीण क्षेत्र, ध्रुवीय, तटीय या पहाड़ी क्षेत्रों में भिन्न हो सकते हैं।
  • आवश्यकता:
    • दुनिया के एक-तिहाई लोग, मुख्य रूप से सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) और छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों (एसआईडीएस) में अभी भी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली से आच्छादित नहीं हैं। 
      • अफ्रीका में स्थिति और भी बुरी है: 60% लोगों के पास कवरेज की कमी है।

भारत में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थिति:

  • परिचय:
    • भारत में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जैसे कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा नियमित चक्रवात अलर्ट, राज्य और ज़िला प्रशासन द्वारा की गई तेज़ कार्रवाई ने पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों या हज़ारों लोगों की जान बचाई है।
    • लेकिन इस संबंध में अभी और भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है, खासकर ज़िला और ग्रामीण स्तर पर मौसम की भविष्यवाणी एवं पूर्व चेतावनी के क्षेत्र।
  • पूर्व चेतावनी संबंधी पहल:

आगे की राह

  • राष्ट्रीय मौसम विज्ञान एवं जल विज्ञान सेवाओं, आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और विकास एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय बेहतर रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
  • अल्प-विकसित देशों में सेवाओं एवं संबंधित बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता में सुधार के लिये आने वाले पाँच वर्षों के दौरान निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।

विगत वर्षों के प्रश्न

‘मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” किसके द्वारा शुरू की गई एक पहल है? (2018)

(a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल
(b) यूएनईपी सचिवालय
(c) यूएनएफसीसीसी सचिवालय
(d) विश्व मौसम विज्ञान संगठन

उत्तर: c


निम्नलिखित में से कौन संयुक्त राष्ट्र से संबंधित नहीं है? (2010)

(a) बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी
(b) अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम
(c) निवेश विवादों के निपटान हेतु अंतर्राष्ट्रीय केंद्र
(d) बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स

उत्तर: (d)

स्रोत: डाउन टू अर्थ