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इंडिया टीबी रिपोर्ट- 2020

  • 07 Jul 2020
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये:

इंडिया टीबी रिपोर्ट- 2020 के प्रमुख बिंदु

मेन्स के लिये:

टीबी के उन्मूलन के लिये सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय’ ( Ministry of Health and Family Welfare) द्वारा वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से वार्षिक तपेदिक (टीबी) रिपोर्ट, 2020 (Annual Tuberculosis Report, 2020) जारी की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • इंडिया टीबी रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, वर्ष 2019 में लगभग 24.04 लाख टीबी (क्षय) मरीज़ों को अधिसूचित/चिन्हित किया गया है जो वर्ष 2018 की तुलना में 14% अधिक हैं। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में टीबी-एचआईवी से एक साथ होने वाली मौतों की संख्या में भारत  विश्व में दूसरे स्थान पर है  जिसमे  कुल 9% मरीज़ शामिल हैं।
    • इंडिया टीबी की रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, हर वर्ष देश में टीबी-एचआईवी सह-संक्रमण से लगभग 9,700 लोगों की मृत्य हो जाती है।
    • इंडिया टीबी रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, देश में कुल 92000 ऐसे लोगों को अधिसूचित किया गया है जिन्हें टीबी-एचआईवी एक साथ है।
    • सभी अधिसूचित टीबी रोगियों में एचआईवी जाँच को लेकर जागरूकता का स्तर वर्ष 2019 में 81% हो गया जो वर्ष 2018 में  67% था।
  • पिछले दो वर्षों में टीबी रोगियों में उपचार की सफलता दर 70-73% के आसपास रही है। जबकि वर्ष 2014-2016 में यह 76 और 77 % के बीच रही थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीबी के कुल मामलों में से 20 % मधुमेह से पीड़ित लोगों के भी  हैं।
    • वर्ष 2019 में, संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत अधिसूचित टीबी रोगियों में 64 प्रतिशत रोगियों की रक्त शर्करा की जाँच की गई थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, तम्बाकू के उपयोग के कारण 8% टीबी मामलों में वृद्धि देखी गई है जबकि वर्ष 2018 में यह 4 % थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार देश में अभी भी 0.54 मिलियन टीबी की आबादी को अधिसूचित नहीं किया गया है जो एक चिंता का विषय है।

राज्य तपेदिक/टीबी सूचकांक:

  • तपेदिक के कुल मामलों में आधे से अधिक वाले पाँच शीर्ष राज्य:
    • उत्तर प्रदेश (20%), महाराष्ट्र (9%), मध्यप्रदेश (8%) राजस्थान (7%) और बिहार (7%) हैं।
    • रिपोर्ट के अनुसार, देश में तपेदिक के कुल आधे से अधिक मामले उपर्युक्त पाँच राज्यों में देखे गए हैं।
  •  तपेदिक नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन करने वाले बड़े राज्य:
    • गुजरात, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश 50 लाख आबादी वाले राज्यों की श्रेणी में तपेदिक नियंत्रण के लिये शीर्ष तीन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
  • तपेदिक नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छोटे राज्य:
    • नागालैंड और त्रिपुरा 50 लाख से कम आबादी वाले शीर्ष राज्यों की श्रेणी में तपेदिक नियंत्रण के लिये सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
  • तपेदिक नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन करने वाले केंद्रशासित प्रदेश:
    • दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव तपेदिक नियंत्रण के लिये सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शीर्ष केंद्रशासित प्रदेश की सूची में शामिल हैं ।

टीबी/क्षय:

  • टीबी या क्षय रोग बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होता है जो फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
  • टीबी एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसी, छींकने या थूकने के दौरान  हवा के माध्यम से या फिर संक्रमित सतह को छूने से फैलता है। 
  • इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में बलगम और खून के साथ खांसी, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वजन कम होना, तथा  बुखार इत्यादि के लक्षण देखे जाते हैं।   

सरकार द्वारा इस दिशा में प्रयास:

  • भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम’ (National TB Programme- NTP) की शुरूआत वर्ष 1962 में बीसीजी टीकाकरण (BCG vaccination) और टीबी उपचार से जुड़े ज़िला टीबी मॉडल केंद्र के रूप में की गई थी।
  • वर्ष 1978 में बीसीजी टीकाकरण को टीकाकरण विस्तारित कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया। 
  • वर्ष 1993 में ‘राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम’ को ‘संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम’ (Revised National TB Control Program-RNTCP) के रूप में लागू किया गया।
  • वर्ष 1997 में  ‘संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम’ के तहत टीबी/क्षय रोग के इलाज़ के लिये ‘डॉट्स’ पद्धति को शामिल किया गया जिसके अंतर्गत वर्ष 2005 तक पूरे देश को कवर किया गया।
    • डॉट्स का पूरा नाम ‘डायरेक्टली ऑब्ज़र्व्ड थेरेपी शार्टटर्म कोर्सेज़’ (Directly Observed Treatment, Short Course-DOTS) है।
    • इसके माध्यम से टी.बी के रोगियों का इलाज़ किया जाता है। 
    • इस विधि को ‘विश्व स्वास्थय संगठन’  (World Health Organization-WHO) द्वारा विश्व स्तर पर टी.बी. को नियंत्रित करने के लिये अपनाया गया है।
    • इसके अंतर्गत रोगी को एक-दिन छोड़कर हफ्ते में तीन दिन डॉट्स कार्यकर्त्ता के द्वारा दवाई का सेवन कराया जाता है।
  • वर्ष 2006 से वर्ष 2011 तक ‘संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम’ के दूसरे चरण में गुणवत्ता एवं सेवाओं की पहुँच में सुधार करना तथा देश में टीबी से संबंधित सभी  मामलों का पता लगाने तथा उन्हें उपचारित करने का  लक्ष्य निर्धारित किया गया।
  • आरएनटीसीपी द्वारा वर्ष 2025 तक भारत में टीबी नियंत्रण और उन्मूलन के लिये 'क्षय रोग वर्ष 2017-2025' के लिये  'राष्ट्रीय रणनीतिक योजना' जारी की गई है जो चार रणनीतिक स्तंभों  (DTPB) अर्थात पता लगाना (Detect), उपचार करना (Treat), रोकथाम (Prevent) एवं निर्माण (Build)पर आधारित है
  • इसके अलावा ‘पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ को अब ‘राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम’ (National Tuberculosis Elimination Program-NTEP) के नाम से जाना जाएगा।
  • वर्तमान में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization-WHO) द्वारा वर्ष 2030 तक विश्व को टीबी/क्षय/तपेदिक के मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है  परंतु  वर्तमान में भारत सरकार वर्ष 2025 तक देश से क्षय रोग को खत्म करने के लिये प्रतिबद्ध है।
  •  वर्तमान में टीबी के उपचार के लिये 4.5 लाख से अधिक डॉट सेंटर देश के लगभग हर गाँव में उपचार प्रदान करते हैं।
  • ‘निक्षय पोषण योजना’ (Nikshay Poshan Yojana- NPY) के माध्यम से टीबी रोगियों को उनके पोषण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • वर्ष 2019 में ‘टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान’ (TB Harega Desh Jeetega Campaign) की शुरुआत की गई है जो देश में टीबी के उन्मूलन से संबंधित कार्यक्रम है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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