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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 11 Jul, 2020
  • 11 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 11 जुलाई, 2020

भाषण चार द्वीप

Bhashan Char Island

COVID-19 के मद्देनज़र बांग्लादेश अप्रैल, 2020 के बाद भाषण चार द्वीप (Bhashan Char Island) पर बसे रोहिंग्याओं के मुद्दे को अमल में नहीं ला सका।

  • गौरतलब है कि बांग्लादेश में कॉक्स बाज़ार (Cox's Bazar) में बने शरणार्थी शिविरों से भागने की कोशिश कर रहे 300 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को नावों द्वारा बचाया गया था जिसके बाद उन्हें अप्रैल, 2020 में भाषण चार द्वीप पर भेजा गया था। 

Bhasan-Char-Island

प्रमुख बिंदु:

  • भाषण चार द्वीप को ‘थेंगार चार द्वीप’ (Thengar Char Island) या चार पिया (Char Piya) के रूप में भी जाना जाता है।  
    • इस द्वीप का गठन दो दशक पहले बंगाल की खाड़ी में मेघना (Meghna) नदी के मुहाने पर हिमालयन गाद से हुआ था।
    • यह द्वीप 40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • यह निर्जन द्वीप दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में हटिया द्वीप (Hatiya Island) से लगभग 30 किलोमीटर पूर्व में स्थित है।
  • भाषण चार द्वीप बाढ़, कटाव एवं चक्रवात के कारण पारिस्थितिक रूप से अतिसंवेदनशील क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
    • हालाँकि बांग्लादेश सरकार ने चक्रवातों एवं ज्वार-भाटा से बचने के लिये इस द्वीप के चारों ओर तीन मीटर ऊँचा तटबंध बनाया है।
  • जून, 2015 में बांग्लादेशी सरकार ने इस द्वीप पर रोहिंग्या शरणार्थियों के लिये निवास-स्थान का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी द्वारा ‘तार्किक रूप से चुनौतीपूर्ण’ के रूप में चित्रित किया गया था।

आश्रयन परियोजना (Ashrayan Project):

  • उल्लेखनीय है कि भाषण चार द्वीप पर बांग्लादेश सरकार ने ‘आश्रयन परियोजना’ (आश्रयन-3) के तहत 2,300 करोड़ रुपए की लागत से एक लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने के लिये घर बनवाए हैं।

नेशनल फिश फार्मर्स डे

National Fish Farmers Day

आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर (ICAR-Central Institute of Freshwater Aquaculture) ने 10 जुलाई को 17वाँ ‘नेशनल फिश फार्मर्स डे’ (National Fish Farmers Day) मनाया। 

प्रमुख बिंदु: 

  • यह दिवस वैज्ञानिकों डॉ. के. एच. अलीकुन्ही (Dr K H Alikunhi) और डॉ. एच. एल. चौधरी (Dr. H.L. Chaudhury) की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 10 जुलाई, 1957 में प्रेरित प्रजनन तकनीक (Induced Breeding Technology) का आविष्कार किया था।

प्रेरित प्रजनन तकनीक (Induced Breeding Technology):

  • यह एक ऐसी तकनीक है जिससे परिपक्व मछली के प्रजनकों को कैद करके प्रजनन के लिये पिट्यूटरी हार्मोन (Pituitary Hormone) द्वारा उत्तेजित किया जाता है।
  • यह उत्तेजना परिपक्व गोनाड्स (Ripe Gonads) से शुक्राणुओं एवं अंडों के सही समय पर निर्मुक्त होने को बढ़ावा देती है।
  • इस तकनीक को हाइपोफिशेशन (Hypophysation) भी कहा जाता है।  
  • इस तकनीक के कारण ही देश में नीली क्रांति (Blue Revolution) का उद्देश्य साकार हो सका।  
  • इस दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मत्स्यपालन विकास बोर्ड (National Fisheries Development Board- NFDB) के सहयोग से मत्स्य विभाग द्वारा एक वेबिनार आयोजित किया गया था, जिसमें केंद्रीय पशुपालन, डेयरी, एवं मत्स्य पालन मंत्री ने भाग लिया।
  • इस अवसर पर ‘राष्ट्र के मछली पालकों के लिये कृतज्ञतापूर्ण आभार’ (Gratitudinal Tribute to Fish Farmers of The Nation) विषय पर एक ऑनलाइन कविता एवं पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।   

असीम

ASEEM

10 जुलाई, 2020 को भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and Entrepreneurship) ने असीम (ASEEM) पोर्टल लॉन्च किया।

ASEEM

प्रमुख बिंदु: 

  • असीम (ASEEM) पोर्टल का पूर्ण रूप 'आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी-नियोक्ता मानचित्रण (Aatamanirbhar Skilled Employee Employer Mapping) है।
  • असीम पोर्टल जो मोबाइल एप के रूप में भी उपलब्ध है, को बंगलुरु स्थित कंपनी बेटरप्लेस के सहयोग से राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (National Skill Development Corporation) द्वारा विकसित एवं प्रबंधित किया गया है।
  • उद्देश्य: इस पोर्टल का उद्देश्य असीम पोर्टल पर उपलब्ध डेटा का विश्लेषण करके नीति निर्धारण में सहायता प्रदान करना है। 
  • इस पोर्टल में तीन आईटी आधारित इंटरफेस हैं:-
    • नियोक्ता पोर्टल- नियोक्ता ऑनबोर्डिंग, डिमांड एग्रीगेशन, उम्मीदवार का चयन।
    • डैशबोर्ड- रिपोर्ट, रुझान, विश्लेषण एवं अंतर को प्रमुखता से दिखाना।
    • उम्मीदवार आवेदन- उम्मीदवार का प्रोफाइल बनाना और ट्रैक करना, नौकरी का सुझाव देना।
  • असीम पोर्टल NSDC और इससे संबंधित ‘क्षेत्रीय कौशल परिषदों’ (Sector Skill Councils) को ‘रियल टाइम डेटा एनालिटिक्स’ प्रदान करने में मदद करेगा।
  • COVID-19 के कारण  भारत के विभिन्न राज्यों से अपने घरों को वापस लौटे श्रमिकों तथा वंदे भारत मिशन के तहत स्वदेश लौटे भारतीय नागरिक जिन्होंने ‘कौशल कार्ड’ में पंजीकरण कराया है, उनके डेटाबेस को भी इस पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाएगा।  
  • इस पोर्टल के माध्यम से कुशल कार्यबल को आजीविका के अवसर तलाशने, बाज़ार में मांग-आपूर्ति के अंतर को कम करने और नियोक्ताओं को कुशल कार्यबल खोजने में मदद करने के मामले में सूचना प्रवाह की स्थिति को बेहतर बनाने के लिये शुरू किया गया है। 
    • विशेष रूप से व्यावसायिक दक्षता एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले एक कुशल कार्यबल की भर्ती के अलावा इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित प्लेटफॉर्म को उद्योग-संबंधित कुशल कार्यबल प्राप्त करने और COVID-19 के बाद की स्थितियों में उभरते नौकरी के अवसरों का पता लगाने में कार्यबल की मदद करने के लिये तैयार किया गया है।
  • विभिन्न क्षेत्रों में कौशल के अंतर की पहचान करने के अलावा असीम पोर्टल नियोक्ताओं को कुशल कार्यबल की उपलब्धता का आकलन करने एवं उनके लिये भर्ती प्रक्रियाओं को तैयार करने के लिये एक मंच प्रदान करेगा।

यूलोफिया ओबटुसा

Eulophia obtusa

दुधवा टाइगर रिज़र्व (Dudhwa Tiger Reserve) में एक नियमित निरीक्षण के दौरान वन विशेषज्ञों द्वारा एक दुर्लभ ऑर्किड प्रजाति ‘यूलोफिया ओबटुसा’ (Eulophia obtusa) की पुनः खोज की गई। 

Eulophia-obtusa

प्रमुख बिंदु: 

  • इस ऑर्किड प्रजाति को ‘ग्राउंड ऑर्किड’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • इंग्लैंड में केव हर्बेरियम (Kew Herbarium) में प्रलेखित तथ्यों के अनुसार, भारत में इस प्रजाति को वर्ष 1902 में उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में खोजा गया था।   
    • किंतु इस प्रजाति को मूल रूप से 19वीं शताब्दी में उत्तराखंड में खोजा गया था। इसे गंगा के मैदानों से वनस्पति विज्ञानियों द्वारा एकत्र किया गया था।
  • जबकि इस प्रजाति को वर्ष 2008 में बांग्लादेश में पहली बार खोजा गया था। 
  • इस प्रजाति को IUCN की रेड लिस्ट में ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है। 

गौरतलब है कि केरल का ‘जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बोटैनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (Jawaharlal Nehru Tropical Botanic Garden & Research Institute) 'सेलिब्रिटी ऑर्किड' के रूप में प्रसिद्ध ‘टाइगर आर्किड’ (Tiger Orchid) के खिलने के कारण आगंतुकों के लिये आकर्षण का केंद्र बना है।

टाइगर आर्किड (Tiger Orchid):

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  • इसका वैज्ञानिक नाम ‘ग्राम्माटोफाइलम स्पेसिओसम’ (Grammatophyllum Speciosum) है। 
  • इसे विशाल आर्किड, गन्ना ऑर्किड या ‘ऑर्किड की रानी’ भी कहा जाता है।
  • यह प्रजाति अपने विशाल आकार एवं टाइगर की त्वचा की तरह दिखने के कारण प्रसिद्ध है।
  • यह न्यू गिनी, इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस की मूल प्रजाति है।
  • इसे ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दुनिया के सबसे ऊँचे आर्किड के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। जहाँ इसकी ऊँचाई 7.62 मीटर (25 फीट) तक दर्ज की गई है।

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