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जैव विविधता और पर्यावरण

वायु गुणवत्ता में सुधार

  • 30 Mar 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’ (सफर)

मेन्स के लिये:

भारत में COVID-19 का प्रभाव, वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत में COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिये सरकार द्वारा देशव्यापी बंद (Lockdown) के आदेश के बाद देश के 90 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता में अत्यधिक सुधार देखने को मिला है।

मुख्य बिंदु:

‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’- सफर

(The System of Air Quality and Weather Forecasting And Research- SAFAR):

  • सफर की स्थापना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministery of Earth Science- MoES) की पहल के तहत वर्ष 2010 की गई थी।
  • सफर, भारत में महानगरों के प्रदूषण स्तर और वायु गुणवत्ता को मापने के लिये शुरू की गई एक राष्ट्रीय पहल है।
  • इसका निर्माण ‘भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान’ (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM) पुणे, ‘भारतीय मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department- IMD) और ‘राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र’ (National Centre for Medium Range Weather Forecasting- NCMRWF) के सहयोग से किया गया था।
  • इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी उपलब्ध कराना और वायु प्रदूषण के संदर्भ में जागरूकता कार्यक्रम चलाना तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिये नीति निर्माण में सहायता करना है।
  • इसका संचालन भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) द्वारा किया जाता है।
  • सफर से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में देश की राजधानी दिल्ली में वायु में उपस्थित पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) की मात्रा में 30% तक की कमी देखी गई है।
  • साथ ही अहमदाबाद (गुजरात) और पुणे (महाराष्ट्र) में वायु में उपस्थित पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) की मात्रा में 15% की कमी दर्ज़ की गई है।
  • सफर में कार्यरत एक वैज्ञानिक के अनुसार, सामान्यतः भारत में मार्च के महीने में वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ (Moderate) श्रेणी (वायु गुणवत्ता सूचकांक 100-200) के बीच रहती है, परंतु वर्तमान में यह ‘संतोषजनक’ (Satisfactory) श्रेणी (वायु गुणवत्ता सूचकांक 50-100) या ‘अच्छा’ (Good) श्रेणी (वायु गुणवत्ता सूचकांक 10-50) में है।
  • साथ ही देश के अलग-अलग शहरों में वायु में उपस्थित अन्य प्रदूषणकारी पदार्थों जैसे- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (Nitrogen Oxide- NOx) आदि की मात्रा में भी भारी कमी देखने को मिली है।
  • पुणे (महाराष्ट्र) में पिछले कुछ दिनों में वायु में उपस्थित NOx की मात्रा में 43% तक की कमी दर्ज़ की गई है, साथ ही महाराष्ट्र में ही स्थित मुंबई शहर में वायु में उपस्थित NOx की मात्रा में 38% की कमी और अहमदाबाद (गुजरात) में 50% कमी दर्ज़ की गई है।
  • ध्यातव्य है कि देश में COVID-19 के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा 24 मार्च, 2020 को देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू करने की घोषणा की गई थी।

अन्य आँकड़े:

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) के अनुसार, वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता अच्छा (Good) की श्रेणी जबकि कानपुर (उत्तर प्रदेश), जो सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाले शहरों में से एक है, वहाँ की वायु गुणवत्ता ‘संतोषजनक’ (Satisfactory) श्रेणी में दर्ज़ की गई है।
  • CPCB के निगरानी केंद्रों पर देश के 92 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘अच्छा’ और ‘संतोषजनक’ के बीच पाया गया।
  • CPCB के आँकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में देश के लगभग 39 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर अच्छा (Good) और लगभग 51 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक (Satisfactory) श्रेणी में पाया गया।

वायु प्रदूषण में गिरावट के कारण:

  • वैज्ञानिकों के अनुसार, औद्योगिक इकाइयों और निर्माण (Construction) की गतिविधियों का बंद होना वायु प्रदूषण में गिरावट का एक बड़ा कारण है।
  • राज्यों की सीमाओं के बंद होने और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच यातायात साधनों की आवाजाही पर रोक से उत्सर्जन की मात्रा में भारी कमी आई है।
  • साथ ही वायु में उपस्थित प्रदूषणकारी सूक्ष्म कणों की मात्रा में कमी का एक कारण बारिश का होना भी है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में प्रदूषण के ज़्यादातर कारण मानव जनित ही हैं।

मानव शरीर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, वायु में NOx की उपस्थिति से श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि होती है, वायु में NOx की उपस्थिति का एक बड़ा स्रोत वाहनों से होने वाला उत्सर्जन है।
  • साथ ही पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) सांस और हृदय से जुड़ी बीमारियों का मुख्य कारण है और वायु में इसकी अत्यधिक मात्रा फेफड़े के कैंसर को भी बढ़ावा देती है।

आगे की राह:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण को कम करने के लिये अर्थव्यवस्था को कमज़ोर करना ही एक मात्र विकल्प नहीं है, परंतु वर्तमान आँकड़ों से यह स्पष्ट हो गया है कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • विकास कार्यों के दौरान पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिये अंतराष्ट्रीय प्रयासों जैसे- संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्य के मूल्यों का अनुसरण किया जाना चाहिये।
  • पर्यावरण प्रदूषण के सामूहिक प्रयासों के अतिरिक्त स्थानीय सरकारों और नागरिक स्तर पर जागरूकता तथा जन-भागीदारी के मामलों में वृद्धि की जानी चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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