नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

NASA का आर्टेमिस मिशन

  • 17 Jan 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

NASA, आर्टेमिस मिशन, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, स्पेस लॉन्च सिस्टम, ओरियन अंतरिक्ष यान

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष अन्वेषण और मानव, अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में किये गए नवाचार, भारत और अंतरिक्ष कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

10 जनवरी, 2020 को भारतीय मूल के अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री राजा चारी को नासा (National Aeronautics and Space Administration- NASA) के आर्टेमिस मिशन हेतु चुना गया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • राजा चारी सहित नए अंतरिक्ष यात्रियों के इस समूह को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS), चंद्रमा और मंगल पर अंतरिक्ष मिशन में शामिल किया जा सकता है।
  • ध्यातव्य है कि NASA ने वर्ष 2030 तक मंगल पर मानव अन्वेषण मिशन को लक्षित किया है।
  • वर्ष 2017 के अंतरिक्ष यात्री कैंडिडेट क्लास के लिये NASA द्वारा राजा चारी को चुना गया था।

आर्टेमिस मिशन (Artemis Mission) के बारे में

  • आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम (Artemis Lunar Exploration Program) के माध्यम से NASA वर्ष 2024 तक पहली महिला और अगले पुरुष को चंद्रमा पर भेजना चाहता है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव सहित चंद्रमा की सतह पर अन्य जगहों पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतरना है।
  • आर्टेमिस मिशन के माध्यम से NASA नई प्रौद्योगिकियों, क्षमताओं और व्यापार दृष्टिकोण का प्रदर्शन करना चाहता है जो भविष्य में मंगल ग्रह में अन्वेषण के लिये आवश्यक होंगे।
  • आर्टेमिस मिशन के लिये नासा के नए रॉकेट जिसे स्पेस लॉन्च सिस्टम (Space Launch System- SLS) कहा जाता है, को चुना गया है। ध्यातव्य है कि यह रॉकेट ओरियन अंतरिक्ष यान (Orion Spacecraft) में सवार अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा।
  • गौरतलब है कि ओरियन अंतरिक्ष यान में सवार अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा के चारों ओर रहने और काम करने में सक्षम होंगे साथ ही चंद्रमा की सतह पर अभियान करने में भी सक्षम होंगे। ध्यातव्य है कि ओरियन अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा के चारों ओर चक्कर लगाने वाला एक छोटा सा यान है।
  • आर्टेमिस मिशन के लिये जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिये नए स्पेस-सूट डिज़ाइन किये गए हैं, जिन्हें एक्सप्लोरेशन एक्स्ट्रावेहिकुलर मोबिलिटी यूनिट (Exploration Extravehicular Mobility Unit) या xEMU कहा जाता है। इस स्पेस-सूट में उन्नत गतिशीलता और संचार तथा विनिमेय भागों (Interchangeable Parts) की सुविधा है, जिसे माइक्रोग्रैविटी में या ग्रहीय सतह पर स्पेसवॉक (Spacewalk) के लिये उपयुक्त आकर दिया जा सकता है।

NASA और चंद्रमा से संबंधित तथ्य

  • अमेरिका ने वर्ष 1961 की शुरुआत में ही मनुष्य को अंतरिक्ष में ले जाने की कोशिश शुरू कर दी थी। आठ वर्ष बाद 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग अपोलो 11 मिशन के तहत चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले मानव बने।
  • अपोलो 11 मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों ने एक संकेत के साथ चंद्रमा पर एक अमेरिकी ध्वज छोड़ा था।
  • अंतरिक्ष अन्वेषण के उद्देश्य के अलावा NASA द्वारा अमेरिकियों को फिर से चंद्रमा पर भेजने का प्रयास अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिकी नेतृत्व को प्रदर्शित करना और चंद्रमा पर एक रणनीतिक उपस्थिति स्थापित करना है।

चंद्रमा पर अन्वेषण कार्यक्रम से संबंधित तथ्य

  • वर्ष 1959 में सोवियत संघ का लूना (Luna) 1 और 2 चंद्रमा पर जाने वाला पहला रोवर बना। गौरतलब है कि तब से लेकर अब तक कुल सात देश यह कार्य करने में सफल हुए हैं।
  • अमेरिका ने चंद्रमा पर अपोलो 11 मिशन भेजने से पहले वर्ष 1961 और 1968 के बीच रोबोटिक मिशन के तीन वर्ग भेजे थे। जुलाई 1969 के बाद और वर्ष 1972 तक 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर गए, साथ ही अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों ने अध्ययन के लिये पृथ्वी पर 382 किलोग्राम चंद्रमा की चट्टान और मिट्टी लाये थे।
  • फिर 1990 के दशक में अमेरिका ने रोबोट मिशन क्लेमेंटाइन (Robotic Missions Clementine) और लूनर प्रॉस्पेक्टर (Lunar Prospector) के साथ चंद्रमा पर अन्वेषण फिर से शुरू किया। वर्ष 2009 में, इसने लूनर रिकॉनाइसेंस ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter- LRO) और लूनर क्रेटर ऑब्ज़र्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट (Lunar Crater Observation and Sensing Satellite- LCROSS) के प्रक्षेपण के साथ रोबोट लूनर मिशन की एक नई शृंखला की शुरूआत की।
  • वर्ष 2011 में NASA ने पुनरुद्देशित अंतरिक्ष यान (Repurpose Spacecraft) का उपयोग करके आर्टेमिस मिशन (Acceleration, Reconnection, Turbulence, and Electrodynamics of the Moon’s Interaction with the Sun- ARTEMIS) की शुरुआत की और वर्ष 2012 में नासा के ग्रैविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया।
  • अमेरिका के अलावा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान, चीन और भारत ने चंद्रमा पर अन्वेषण मिशन भेजे हैं।
  • वर्ष 2019 में चीन ने दो रोवर्स को चंद्रमा की सतह पर उतारा है जिससे चीन चंद्रमा के दूरस्थ भाग पर ऐसा करने वाला पहला देश बन गया।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -3 की घोषणा की है जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow