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डेली न्यूज़

  • 22 Aug, 2024
  • 43 min read
भारतीय समाज

मलयालम फिल्म उद्योग पर हेमा समिति की रिपोर्ट

प्रिलिम्स के लिये:

हेमा समिति की रिपोर्ट, रोज़गार, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013, साइबर खतरे, गोपनीयता, भारतीय न्याय संहिता, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम- 2012, आंतरिक शिकायत समिति (ICC)

मेन्स के लिये:

कार्यस्थल पर यौन शोषण की व्यापकता और प्रभाव तथा उनका निवारण।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मलयालम फिल्म उद्योग पर हेमा समिति की रिपोर्ट ज़ारी की गई। इसमें मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ यौन शोषण, लैंगिक भेदभाव और अमानवीय व्यवहार के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं।

  • इसका नेतृत्व केरल उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. हेमा ने किया, जिसमें अनुभवी अभिनेत्री शारदा और सेवानिवृत्त IAS अधिकारी के. बी. वलसा कुमारी शामिल थे।

रिपोर्ट में प्रमुख मुद्दे क्या हैं?

  • यौन शोषण: इसमें काम शुरू करने से पहले ही अवांछित शारीरिक प्रस्ताव, बलात्कार की धमकीसमझौता करने को लेकर सहमत होने वाली महिलाओं के लिये कोड नाम और अन्य शर्मनाक कृत्य शामिल हैं।
  • कास्टिंग काउच: रिपोर्ट से ‘कास्टिंग काउच’ की सर्वव्यापकता का पता चलता है, जहाँ महिलाओं पर प्रायः रोज़गार की संभावनाओं के लिये यौन संबंधों के लिये मजबूर किया जाता है।
    • निर्देशक तथा निर्माता प्रायः महिला अभिनेत्रियों को समझौता करने के लिये मजबूर करते हैं और जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें ‘सहयोगी कलाकार’ कहा जाता है। 
    • दुर्व्यवहार करने वालों के साथ काम करने के लिये महिलाओं को मजबूर किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गंभीर भावनात्मक आघात सहना पड़ता है।
    • कास्टिंग काउच मनोरंजन उद्योग में नौकरी के आवेदक से रोज़गार, मुख्य रूप से अभिनय भूमिकाओं के बदले में यौन संबंधों की मांग की प्रथा का एक पर्याय है।
  • फिल्म सेट पर सुरक्षा: फिल्म उद्योग में व्याप्त प्रायः यौन संबंधों की मांग और उत्पीड़न के डर से कई महिला फिल्म कर्मी अपने माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों को सेट पर लाती हैं। 
  • आपराधिक प्रभाव: रिपोर्ट से पता चलता है कि मलयालम फिल्म उद्योग आपराधिक प्रभाव से ग्रस्त है।
    • फिल्म जगत के कई पुरुष कभी-कभी शराब या ड्रग्स के प्रभाव में महिला कलाकारों के होटलों के दरवाज़े खटखटाते हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है।
  • परिणामों का भय: यद्यपि ऐसे अपराध भारतीय दंड संहिता और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत दंडनीय हैं, लेकिन फिल्म उद्योग से जुड़ी महिलाएँ औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के परिणामों को लेकर चिंतित रहती हैं।
    • यौन उत्पीड़न से जुड़ा कलंक, विशेष रूप से सार्वजनिक हस्तियों के लिये, अक्सर अभिनेताओं को ऐसी घटनाओं की शिकायत करने से रोकता है।
  • साइबर धमकी: सिनेमा के क्षेत्र में ऑनलाइन उत्पीड़न महिलाओं के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बन गया है, जिसमें महिला और पुरुष दोनों कलाकारों को साइबर धमकी, सार्वजनिक धमकी एवं मानहानि का सामना करना पड़ रहा है।
    • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अश्लील टिप्पणियों, छवियों और वीडियो के लिये माध्यम बन गए हैं, जहाँ महिला कलाकारों को धमकी भरे संदेशों के साथ विशेष रूप से निशाना बनाया जाता है।
  • अपर्याप्त सुविधाएँ: महिला कलाकार अक्सर  शौचालय की अपर्याप्त सुविधाओं के कारण सेट पर पानी पीने से परहेज करती हैं, विशेषकर बाहरी स्थानों पर।
    • मासिक धर्म के दौरान स्थिति और भी खराब हो जाती है, जब महिला कलाकारों को अपने सैनिटरी उत्पादों को बदलने या निपटाने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।
  • अमानवीय कार्य परिस्थितियाँ: जूनियर कलाकारों को उचित पारिश्रमिक नहीं मिलता। कुछ मामलों में जूनियर कलाकारों के साथ ‘गुलामों से भी बदतर व्यवहार’ किया जाता है, जहाँ उनसे 19 घंटे तक काम करवाया जाता है। बिचौलिये उनके भुगतान का एक बड़ा हिस्सा हड़प लेते हैं, जो समय पर नहीं दिया जाता।

फिल्म उद्योग में यौन शोषण से निपटने के लिये कानूनी ढाँचा क्या है?

  • भारतीय दंड संहिता, 1860 (जिसे अब भारतीय न्याय संहिता के रूप में प्रतिस्थापित किया गया है): धारा 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या फिर अनुचित बल-प्रयोग करता है), 354A (यौन उत्पीड़न) और 509 (महिला की शील भंग करने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) यौन अपराधों से संबंधित हैं। 
  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013: यह कानून यौन उत्पीड़न की शिकायतों के समाधान के लिये कार्यस्थलों पर आंतरिक शिकायत समितियों (ICC) की स्थापना को अनिवार्य बनाता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000: आईटी अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण को नियंत्रित करता है, जिसमें फिल्मों में डिजिटल सामग्री शामिल हो सकती है। 
  • यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012: यह अधिनियम विशेष रूप से बच्चों को यौन शोषण और दुर्व्यवहार से बचाता है, जिसमें फिल्मे भी शामिल है। 
  • अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (ITPA): इस अधिनियम का उद्देश्य वाणिज्यिक यौन शोषण के लिये तस्करी को रोकना है।

कास्टिंग काउच

  • "कास्टिंग काउच" शब्द मनोरंजन उद्योग में एक ऐसी प्रथा को संदर्भित करता है, जिसमें व्यक्तियों, आम तौर पर महिलाओं से रोज़गार के अवसरों, विशेष रूप से अभिनय भूमिकाओं के बदले में शारीरिक समझौता करने की अपेक्षा की जाती है
  • इस अनैतिक और शोषणकारी प्रथा में निर्देशक, निर्माता या कास्टिंग एजेंट जैसे शक्तिशाली पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा महत्त्वाकांक्षी अभिनेताओं को समझौता करने वाली स्थितियों में धकेलने या दबाव डालने के लिये अपने अधिकार का दुरुपयोग किया जाता है।
  • यह शब्द फिल्म, टेलीविजन और व्यापक मनोरंजन उद्योगों में कास्टिंग प्रक्रिया में होने वाले सत्ता के दुरुपयोग और शोषण पर प्रकाश डालता है।

रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें क्या हैं?

  • आंतरिक शिकायत समिति (ICC): इसने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की अनिवार्य स्थापना का प्रस्ताव रखा।
    • इसमें केरल फिल्म कर्मचारी संघ (FEFKA) और मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (AMMA) के सदस्य शामिल होने चाहिये।
  • स्वतंत्र न्यायाधिकरण का प्रस्ताव: कुछ सदस्यों ने सिनेमा उद्योग में उत्पीड़न और भेदभाव के मामलों को संभालने हेतु एक स्वतंत्र न्यायाधिकरण का समर्थन किया ।
    • रिपोर्ट में न्यायाधिकरण में बंद कमरे में कार्यवाही की भी वकालत की गई है ताकि पूरी गोपनीयता सुनिश्चित की जा सके और मीडिया रिपोर्टों से नाम गुप्त रखे जाएँ।
  • लिखित अनुबंध: सिनेमा में कार्य करने वाले सभी लोगों के हितों की रक्षा के लिये जूनियर कलाकारों के संयोजकों सहित सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिये लिखित अनुबंध पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिये
  • लैंगिक जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम: यह अनिवार्य किया जाना चाहिये कि सभी कलाकार और क्रू सदस्य निर्माण कार्य शुरू करने से पहले एक मौलिक लैंगिक जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लें।
    • प्रशिक्षण सामग्री मलयालम और अंग्रेज़ी दोनों में बनाई जा सकती है तथा इसे ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया जा सकता है।
  • निर्माता की भूमिका में महिलाएँ: विषयगत रूप से और निर्माण प्रक्रिया में लैंगिक न्याय पर आधारित फिल्मों को प्रोत्साहित करने के लिये पर्याप्त और समय पर बजटीय सहायता उपलब्ध होनी चाहिये।
    • महिलाओं द्वारा निर्मित फिल्मों (पुरुषों के प्रतिनिधि नहीं) के लिये नाममात्र ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराने और शूटिंग हेतु अनुमति को सुव्यवस्थित करने के लिये एकल खिड़की प्रणाली स्थापित की जानी चाहिये। इससे उत्पादन सरल होगा तथा और अधिक महिलाओं को फिल्म उद्योग में प्रवेश करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकेगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: मनोरंजन उद्योग के विशेष संदर्भ में भारत में महिलाओं के यौन शोषण के मुद्दे पर चर्चा कीजिये। कार्यस्थल पर यौन शोषण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इनका निवारण कैसे किया जा सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स

प्रश्न.भारत में महिलाओं के समक्ष समय और स्थान संबंधित निरंतर चुनौतियाँ क्या-क्या हैं? (2019)

प्रश्न . महिलाएँ जिन समस्याओं का सार्वजनिक और निजी दोनों स्थलों पर सामना कर रही है, क्या राष्ट्रीय महिला आयोग उनका समाधान निकालने की रणनीति बनाने में सफल रहा है? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2017)


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत जापान 2+2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-प्रशांत क्षेत्र, आसियान, संयुक्त राष्ट्र चार्टर, वीर गार्जियन, धर्म गार्जियन, जिमेक्स, मानव रहित जमीनी वाहन, 26/11 मुंबई हमला, बौद्ध धर्म

मेन्स के लिये:

भारत-जापान संबंध, रणनीतिक साझेदारी और क्षेत्रीय सुरक्षा, आसियान एवं क्षेत्रीय कूटनीति

स्रोत : द हिंदू

चर्चा में क्यों ? 

भारत और जापान ने हाल ही में नई दिल्ली में अपनी तीसरी 2+2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की। 

  • बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के संदर्भ में हुई चर्चा में विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

भारत और जापान 2+2 बैठक की मुख्य बातें क्या हैं?

  • स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र: दोनों देशों ने स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया।
    • इस रणनीतिक संरेखण को क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति से बढ़ावा मिलता है।
    • मंत्रियों ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया तथा हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण (AOIP) का समर्थन किया।
      • AOIP एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों में सहयोग, स्थिरता एवं शांति को बढ़ावा देने में आसियान की केंद्रीय भूमिका पर ज़ोर देता है। 
      • यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों पर नियम-आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये आसियान की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
    • उन्होंने जुलाई 2024 में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में चर्चा के बाद चतुर्भुज सुरक्षा संवाद  (क्वाड) के भीतर सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। 
    • जापान और भारत ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिये तीसरे देशों को सुरक्षा सहायता में सहयोग करने की सलाह दी है।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: मंत्रियों ने रक्षा सहयोग को अपनी विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के एक स्तंभ के रूप में मान्यता दी। 
    • वर्ष 2022 में ज़ारी जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मज़बूत किया। 
    • वीर गार्जियन (2023), धर्म गार्जियन (सैन्य), जिमेक्स (नौसेना), शिन्यू मैत्री (वायुसेना) और मालाबार (ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ) जैसे बहुपक्षीय अभ्यासों में हुई प्रगति पर ज़ोर दिया गया। 
    • उन्होंने मानव रहित ज़मीनी वाहनों (UGV) और रोबोटिक्स सहयोग में प्रगति की सराहना की।
    • दोनों देश समकालीन सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिये वर्ष 2008 के संयुक्त घोषणा-पत्र को संशोधित और अद्यतन करने पर सहमत हुए। यह अद्यतन वर्तमान प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करेगा और विकसित हो रहे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के साथ संरेखित होगा।
  • आतंकवाद और उग्रवाद: दोनों पक्षों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की निंदा की, विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद पर ज़ोर दिया।
    • उन्होंने 26/11 के मुंबई हमलों और अन्य घटनाओं के अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने का आह्वान किया।
    • आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने, वित्तपोषण चैनलों को बंद करने और आतंकवादियों की आवाज़ाही को रोकने के प्रयासों का समर्थन किया गया, जिसमें अल कायदा, ISIS/Daesh, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे समूहों का विशेष उल्लेख किया गया।
  • प्रौद्योगिकी: चर्चा में जापान के एकीकृत जटिल रेडियो एंटीना (UNICORN) और संबंधित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर प्रकाश डाला गया।
    • यूनिकॉर्न सिस्टम एक एकीकृत जटिल रेडियो एंटीना है, जो कई एंटेना को एक सींग के आकार की संरचना में एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य रडार सिग्नेचर को कम करना है, जिससे युद्धपोतों को दुश्मन बलों द्वारा कम पहचाना जा सके।
      • यह प्रणाली मिसाइलों और ड्रोनों का भी पता लगा सकती है तथा व्यापक क्षेत्र में रेडियो तरंगों को पहचानने की अपनी क्षमता के माध्यम से स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ा सकती है।
    • दोनों पक्षों ने भारत में जापानी नौसेना के जहाज के रख-रखाव की संभावना तलाशने पर सहमति व्यक्त की तथा भविष्य में रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग पर चर्चा की।
  • महिला, शांति और सुरक्षा (WPS): जापान तथा भारत ने शांति अभियानों में महिलाओं की भूमिका पर ज़ोर दिया एवं महिला, शांति व सुरक्षा (WPS) एजेंडे का समर्थन किया।
    • WPS एजेंडा एक वैश्विक ढाँचा है, जिसका उद्देश्य संघर्ष के लैंगिक प्रभावों को संबोधित करना और शांति प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है। इस एजेंडे को वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (UNSCR) 1325 को अपनाने के साथ औपचारिक रूप दिया गया था, जो संघर्षों को रोकने और हल करने, शांति निर्माण और संघर्ष के बाद की बहाली में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।

2+2 बैठकें क्या हैं?

  • परिचय: 2+2 बैठकें दो देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच उच्च स्तरीय राजनयिक वार्ता होती हैं।
    • यह प्रारूप रणनीतिक सुरक्षा और रक्षा मुद्दों पर गहन चर्चा की सुविधा प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना और आपसी चिंताओं का समाधान करना है, जिससे संघर्षों को सुलझाने और मज़बूत साझेदारी बनाने में सहायता मिल सकती है।
  • भारत के 2+2 साझेदार:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका भारत का सबसे पुराना और सबसे प्रमुख 2+2 साझेदार है। भारत और अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता वर्ष 2018 में हुई थी।
      • इस वार्ता ने पूर्ववर्ती सामरिक एवं वाणिज्यिक वार्ता का स्थान लिया तथा इसका उद्देश्य सामरिक सहयोग को बढ़ाना तथा साझा चिंताओं का समाधान करना था।
    • रूस: रूस के साथ पहली 2+2 बैठक 2021 में हुई थी। दोनों देश बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर समान विचार साझा करते हैं और इस मंच का उपयोग क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला पर चर्चा करने के लिये करते हैं।
    • अमेरिका और रूस के अतिरिक्त भारत ने रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने, रणनीतिक सहयोग बढ़ाने एवं बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के अनुरूप कार्य करने के लिये ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्राजील यूनाइटेड किंगडम के साथ 2+2 बैठकें की हैं।

भारत और जापान के लिये ASEAN का क्या महत्त्व है?

  • ASEANअपने सामरिक, आर्थिक एवं भू-राजनीतिक महत्त्व के कारण भारत और जापान दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत के लिये ASEAN उसकी एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार, क्षेत्रीय संपर्क और कूटनीतिक प्रभाव को बढ़ाता है।
    • भारत संबंधों को मज़बूत करने तथा महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बुनियादी अवसरंचना परियोजनाओं और आर्थिक समझौतों में संलग्न है।
  • जापान के लिये ASEAN एक प्रमुख व्यापार साझेदार और निवेश गंतव्य है, जहाँ जापान विकास  सहायता एवं बुनियादी अवसरंचना परियोजनाओं के माध्यम से अपनी आर्थिक उपस्थिति का लाभ उठा रहा है।
    • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी के हस्ताक्षरकर्त्ता के रूप में जापान व्यापार और आर्थिक सहयोग के एक बड़े ढाँचे के माध्यम से ASEAN के साथ अपने आर्थिक संबंधों को मज़बूत करता है।
  • दोनों देश क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने, क्षेत्रीय खतरों का प्रतिकार करने तथा नियम-आधारित व्यवस्था और स्थिर, खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये ASEAN के साथ सहयोग करते हैं।

भारत-जापान संबंध कैसे विकसित हुए हैं?

  • प्रारंभिक आदान-प्रदान: जापान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंध छठी शताब्दी में जापान में बौद्ध धर्म के आगमन के साथ शुरू हुआ, जिसमें भारतीय सांस्कृतिक और दार्शनिक प्रभाव महत्त्वपूर्ण थे।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के संबंध: वर्ष 1949 में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा यूनो चिड़ियाघर (टोक्यो) में एक हाथी भेजना, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नए सिरे से संबंधों की शुरुआत का प्रतीक था।
    • वर्ष 1952 में शांति संधि पर हस्ताक्षर और राजनयिक संबंधों की स्थापना जापान की युद्ध के बाद की पहली संधियों में से एक थी। 
    • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान की रिकवरी को भारतीय लौह अयस्क से सहायता मिली और जापान ने वर्ष 1958 से भारत को येन ऋण देना शुरू कर दिया।
  • सामरिक साझेदारी: 2000 के दशक में "वैश्विक साझेदारी" की स्थापना के साथ यह संबंध और भी मज़बूत हुआ। वर्ष 2014 में "विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी" के स्तर तक उन्नयन सहित नेताओं के बीच बाद की बैठकों ने उनके द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ते महत्त्व को उजागर किया।
  • सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
    • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: 2008 में ज़ारी "सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा" ने "2+2" बैठकों तथा वर्ष 2020 में हस्ताक्षरित अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते (ACSA) सहित चल रहे सुरक्षा संवादों की नींव रखी।
      • दोनों देशों के रक्षा बलों के बीच आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान को सुविधाजनक बनाने के लिये ACSA पर हस्ताक्षर किये गए।
    • आर्थिक संबंध: जापान और भारत के आर्थिक संबंध मज़बूत हुए हैं, क्योंकि जापान भारत में एक महत्त्वपूर्ण निवेशक है। वर्ष 2021 तक जापान भारत का 13वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और 5वाँ सबसे बड़ा निवेशक था।
      • प्रमुख पहलों में "भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता साझेदारी" और "स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी" शामिल हैं, जिनका उद्देश्य आपसी निवेश एवं ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देना है।
      • वर्ष 2019 G20 ओसाका शिखर सम्मेलन के दौरान जापान और भारत ने अहमदाबाद व कोबे के बीच सिस्टर-सिटी संबंध को औपचारिक रूप देने के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
        • यह समझौता वर्ष 2016 के समझौता ज्ञापन पर आधारित है, जिसके तहत गुजरात और ह्योगो प्रान्त के बीच सिस्टर-सिटी संबंध स्थापित किया गया था।
        • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विकसित की गई ‘सिस्टर-सिटी अवधारणा’ को विभिन्न देशों के शहरों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों, व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
      • जापान ने वर्ष 2023 में अगले पाँच वर्षों के दौरान भारत में 5 ट्रिलियन येन (लगभग 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर) निवेश करने का संकल्प लिया है, जो कि इसकी पिछली प्रतिबद्धता में एक बड़ी वृद्धि है।
      • भारत जापानी आधिकारिक विकास सहायता (ODA) का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता रहा है, जिसमें दिल्ली मेट्रो और जापान की शिंकानसेन प्रणाली का उपयोग करके हाई-स्पीड रेलवे पहल जैसी उल्लेखनीय परियोजनाएँ शामिल हैं।
      • वित्त वर्ष 2022 में जापानी सहायता में अनुदान और तकनीकी सहयोग के साथ-साथ 567.5 बिलियन येन का ऋण शामिल था।
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: वर्ष 2017 को जापान-भारत मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान का वर्ष घोषित किया गया।
      • वर्ष 2022 में ‘जापान-दक्षिण-पश्चिम एशिया आदान-प्रदान वर्ष’ भारत व अन्य दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने के लिये जापान की प्रतिबद्धता को और भी उजागर करता है।

नोट: वर्ष 1942 में कैप्टन मोहन सिंह ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की मांग करने वाले भारतीय युद्धबंदियों (POW) के साथ जापानी सहायता से पहली भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया।

  • जापानी सेना के साथ विवाद के कारण दिसंबर 1942 तक इसका विघटन हो गया। 
  • जुलाई 1943 में सुभाष चंद्र बोस ने INA को आज़ाद हिंद फौज़ में पुनर्गठित किया, जिसमें पूर्व INA सैनिकों को भारतीय स्वयंसेवकों के साथ एकजुट किया गया।

जापान के संदर्भ में मुख्य तथ्य:

  • जापान पूर्वी एशिया का एक द्वीप राष्ट्र है, जो प्रशांत महासागर में स्थित है। यह पाँच मुख्य द्वीपों (होक्काइडो, होन्शू, शिकोकू, क्यूशू और ओकिनावा) और लगभग 4,000 छोटे द्वीपों का एक द्वीपसमूह है।
  • जापान जापान सागर, चीन, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया और रूस के पूर्व में स्थित है। यह उत्तर में ओखोटस्क सागर से लेकर दक्षिण में पूर्वी चीन सागर और ताइवान तक फैला हुआ है।
    • जापान के नाम को बनाने वाले अक्षरों का अर्थ है ‘सूर्य की उत्पत्ति (Sun-Origin)’, यही वज़ह है कि जापान को ‘उगते हुए सूर्य का देश’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह एक पर्वतीय देश है, जिसमें जापानी आल्प्स होन्शू से नीचे तक विस्तृत हैं तथा माउंट फ़ूजी इसकी सबसे ऊँची चोटी है।
    • इस देश में प्रायः भूकंप आते रहते हैं और यहाँ लगभग 200 ज्वालामुखी हैं। यह रिंग ऑफ फायर के पश्चिमी तट पर स्थित है।
  • जापान में एक संवैधानिक राजतंत्र के साथ एक संसदीय सरकार है। सम्राट शाही परिवार का मुखिया और औपचारिक राज्य का मुखिया होता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत-जापान संबंधों के विकास पर चर्चा कीजिये और उन प्रमुख कारकों का विश्लेषण कीजिये जिन्होंने उनके द्विपक्षीय संबंधों को आयाम दिया है। ये संबंध व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं? (2020) 

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका एवं तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया एवं न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब एवं वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर एवं दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • G-20 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ 19 देशों तथा यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है।
  • मज़बूत वैश्विक आर्थिक विकास के लिये सदस्य देश जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 80% से अधिक का प्रतिनिधित्व और योगदान करते हैं, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिये प्रमुख मंच पर आए, जिस पर सितंबर 2009 में पेंसिल्वेनिया (USA) में पिट्सबर्ग शिखर सम्मेलन में नेताओं द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी।
  • G-20 के सदस्यों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) शामिल हैं।
  • अतः विकल्प (a) सही है।

आपदा प्रबंधन

बहुआयामी भेद्यता सूचकांक (MVI)

प्रिलिम्स के लिये:

बहुआयामी भेद्यता सूचकांक (MVI), छोटे द्वीप विकासशील राज्य (SIDS), प्रति व्यक्ति GDP, राष्ट्रीय आय, संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान (IFI), ऋण, MVI सचिवालय, MVI सलाहकार समीक्षा पैनल।

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन से प्रेरित आपदाओं के प्रति अधिक लचीला बनाने के लिये जलवायु वित्तपोषण का महत्त्व।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने छोटे द्वीप विकासशील राज्य (SIDS) को कम ब्याज दर पर वित्तपोषण प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिये बहुआयामी भेद्यता सूचकांक (MVI) लॉन्च किया।

  • वर्ष 1990 के दशक से SIDS जो अपेक्षाकृत प्रति व्यक्ति  उच्च GDP के कारण कम ब्याज दर वाले विकास ऋण के लिये अर्हता प्राप्त नहीं करते हैं, ऐसे मानदंड की मांग कर रहे हैं जो जलवायु परिवर्तन जैसे बाह्य झटकों/कारकों के प्रति उनकी भेद्यता को ध्यान में रखते हों।

बहुआयामी भेद्यता सूचकांक (MVI) क्या है?

  • परिचय: MVI राष्ट्रीय स्तर पर सतत् विकास के कई आयामों में संरचनात्मक भेद्यता और संरचनात्मक अनुकूलता की कमी का आकलन करने के लिये एक नया अंतर्राष्ट्रीय मात्रात्मक बेंचमार्क है। 
  • MVI की आवश्यकता:
    • वर्तमान सीमाएँ: राष्ट्रीय आय, जिसका निर्धारण आमतौर पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय द्वारा किया जाता है, विकास और कल्याण का एक अपर्याप्त संकेतक है, विशेषकर उन देशों के लिये जो बाह्य कारकों के उच्च जोखिम का सामना कर रहे हैं।
    • रियायती वित्तपोषण तक पहुँच: देश प्रायः रियायती सहायता जैसे किफायती विकास समर्थन तक पहुँचने के लिये संघर्ष करते हैं, क्योंकि उनकी पात्रता भेद्यता के बजाय आय सीमा पर आधारित होती है।
    • समावेशी सहायता आवंटन: एक व्यापक रूप से स्वीकृत MVI विकास नीतियों, सहायता आवंटन को बेहतर ढंग से निर्देशित कर सकता है और अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता वाले देशों की प्रारंभिक पहचान प्रदान कर सकता है।
  • MVI की संरचना: इसमें दो मुख्य घटक शामिल हैं।
    • सार्वभौमिक स्तर पर मात्रात्मक मूल्यांकन: एक सारांश सूचकांक एक सामान्य पद्धति का उपयोग करके देशों को उनकी संरचनात्मक भेद्यता और लचीलेपन के आधार पर रैंक करता है। इसे समग्र MVI स्कोर के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
    • भेद्यता-लचीलापन देश प्रोफाइल (VRCP): यह किसी देश की भेद्यता और लचीलापन कारकों का अधिक विस्तृत, अनुरूपित और वैयक्तिकृत लक्षण-वर्णन है।

  • MVI सूचकांक निर्माण को निर्देशित करने वाले प्रमुख सिद्धांत: यह MVI के निर्माण में कई मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करता है।
    • बहुआयामी: प्रयुक्त संकेतकों में सतत् विकास के सभी तीन आयाम अर्थात् आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक शामिल होने चाहिये
    • सार्वभौमिकता: सूचकांक के डिज़ाइन में सभी विकासशील देशों की कमज़ोरियों को ध्यान में रखा जाना चाहिये ताकि विश्वसनीयता और तुलनात्मकता सुनिश्चित हो सके।
    • बाह्यता: सूचकांक को नीति-प्रेरित और बहिर्जात (या विरासत में मिले) कारकों के बीच स्पष्ट रूप से अंतर करना चाहिये, ताकि देशों द्वारा सामना की जाने वाली संरचनात्मक और अंतर्निहित चुनौतियों को प्रतिबिंबित किया जा सके, जो उनकी सरकारों की राजनीतिक इच्छा से स्वतंत्र हो।
    • उपलब्धता: सूचकांक में उपलब्ध, मान्यता प्राप्त, तुलनीय और विश्वसनीय डेटा का उपयोग किया जाना चाहिये।
    • पठनीयता: सूचकांक का डिज़ाइन स्पष्ट और आसानी से समझने योग्य होना चाहिये।
  • MVI के लिये संकल्पनात्मक रूपरेखा: MVI दो मुख्य स्तंभों पर आधारित है।
    • संरचनात्मक भेद्यता: यह किसी देश के प्रतिकूल बाहरी झटकों और तनावों के प्रति जोखिम से जुड़ी है।
    • संरचनात्मक लचीलापन: किसी देश की ऐसे झटकों को झेलने और उनसे उबरने की क्षमता।
    • संकल्पनात्मक रूपरेखा सतत् विकास के तीन आयामों अर्थात आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक को विस्तृत रूप से बताती है, क्योंकि वे प्रत्येक स्तंभ पर लागू होते हैं:
      • आर्थिक भेद्यता: प्रतिकूल बाहरी आर्थिक झटकों से जोखिम।
      • पर्यावरणीय भेद्यता: प्राकृतिक खतरों, जलवायु परिवर्तन और मानवजनित झटकों से जोखिम।
      • सामाजिक भेद्यता: सामाजिक झटकों से जोखिम।
      • संरचनात्मक आर्थिक लचीलापन: अंतर्निहित आर्थिक क्षमताएँ और पूंजी, जो किसी देश की उबरने की क्षमता को मज़बूत बनाती हैं।
      • संरचनात्मक पर्यावरणीय लचीलापन: पारिस्थितिक संसाधनों और बुनियादी ढाँचे सहित अंतर्निहित पर्यावरणीय पूंजी, जो भेद्यता को कम करती है।
      • संरचनात्मक सामाजिक लचीलापन: सामाजिक सामंजस्य और मानव पूंजी सहित अंतर्निहित सामाजिक क्षमताएँ, जो अनुकूलन क्षमता को बढ़ाती हैं।

  • संकेतक चयन और सूचकांक निर्माण: MVI पैनल ने उपलब्ध संयुक्त राष्ट्र डेटा का उपयोग करके उच्चतम गुणवत्ता वाले संकेतकों को चुना। उन्होंने इन संकेतकों को पुनर्मापन, एकत्रीकरण और भार के माध्यम से एकल भेद्यता मीट्रिक में संयोजित किया।
    •  MVI पैनल द्वारा मुख्य अवलोकन: 
      • सहसंबंध: उच्च संरचनात्मक भेद्यता वाले देशों में कम संरचनात्मक लचीलापन होता है। 
      • आय स्वतंत्रता: MVI स्कोर आय के साथ सहसंबंधित नहीं हैं, जो इसे GNI के लिये एक मूल्यवान पूरक बनाता है। 
      • छोटे द्वीप विकासशील राज्य (SIDS): एमवीआई छोटे देशों के साथ भेदभाव नहीं करता है, SIDS का 70% स्कोर औसत से ऊपर है।
      • रैंकिंग और सीमा: अधिकांश देश मध्यम रूप से कमज़ोर हैं। परिणामस्वरूप  विकास सहायता आवंटित करने के लिये आमतौर पर उपयोग की जाने वाली आय कटऑफ के समान भेद्यता सीमा या कटऑफ स्थापित करना मुश्किल है।
  • MVI का अनुशंसित उपयोग:
    • दानदाताओं द्वारा समावेशन: अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं (IFI) सहित दानदाताओं को यह जाँच लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये  कि MVI को मौजूदा नीतियों और प्रथाओं में कैसे शामिल किया जा सकता है, ताकि यथासंभव अधिकतम सीमा तक साझा दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
    • ऋण मूल्यांकन: वर्तमान आय-आधारित आकलन के अतिरिक्त, MVI का उपयोग किसी देश के बाह्य ऋण स्थायित्व और रियायती ऋण पुनर्गठन की आवश्यकता का आकलन करने के लिये किया जा सकता है।

निष्कर्ष

बहुआयामी भेद्यता सूचकांक कमज़ोर देशों के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। भेद्यता और लचीलेपन का एक व्यापक, बहुआयामी मूल्यांकन प्रदान करके, MVI में वैश्विक विकास नीतियों को नया रूप देने और यह सुनिश्चित करने की क्षमता है कि सहायता वहाँ निर्देशित की जाए जहाँ इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: जलवायु परिवर्तन से प्रेरित आपदाओं का वित्तपोषण निम्न आय वाले देशों (LICs) और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों (SIDS) के लिये अनिवार्य हो गया है। इस संदर्भ में चर्चा कीजिये कि हाल ही में लॉन्च किया गया बहुआयामी भेद्यता सूचकांक LICs और SIDS की किस तरह सहायता कर सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

मेन्स:

प्रश्न. भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डी० आर० आर०) के लिये 'सेंडाई आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रारूप (2015-2030)' हस्ताक्षरित करने से पूर्व एवं उसके पश्चात् किये गए विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिये। यह प्रारूप 'हगेगो कार्रवाई प्रारूप, 2005' से किस प्रकार भिन्न है? (2018)

प्रश्न. विपदा-पूर्व प्रबंधन के लिये संवेदनशीलता व जोखिम निर्धारण कितना महत्त्वपूर्ण है? प्रशासक के रूप में आप विपदा प्रबंधन प्रणाली में किन मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान देंगे? (2013)


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