सामाजिक न्याय
यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2013
- 16 May 2023
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प्रिलिम्स के लिये:सर्वोच्च न्यायालय, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013, विशाखा दिशा-निर्देश, वन स्टॉप सेंटर योजना, नारी शक्ति पुरस्कार मेन्स के लिये:भारत में महिला सुरक्षा से संबंधित पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) (Prevention of Sexual Harassment Act- PoSH) अधिनियम, 2013 के कार्यान्वयन को लेकर चिंता व्यक्त की।
- न्यायालय ने इस अधिनियम से संबंधित गंभीर खामियों और अनिश्चितताओं पर प्रकाश डाला है जिसके कारण कई कामकाज़ी महिलाओं को अपनी नौकरी छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त प्रमुख चिंताएँ:
- PoSH अधिनियम के कार्यान्वयन में गंभीर खामियाँ और अनिश्चितताएँ पाई गई हैं, उदाहरण के लिये 30 राष्ट्रीय खेल संघों में से केवल 16 संघों द्वारा अनिवार्य आंतरिक शिकायत समितियों (Internal Complaints Committees- ICCs) का गठन किया गया था।
- यह PoSH अधिनियम को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार राज्य के अधिकारियों, सार्वजनिक प्राधिकरणों, निजी उपक्रमों, संगठनों और संस्थानों पर खराब प्रभाव डालता है।
- इन खामियों के कारण महिलाओं के आत्मसम्मान, भावनात्मक कल्याण और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त यह महिलाओं को यौन उत्पीड़न की घटनाओं की रिपोर्ट करने से हतोत्साहित करता है क्योंकि वे इसके परिणाम के बारे में अनिश्चित होती हैं और उनमें न्याय व्यवस्था को लेकर विश्वास की कमी भी होती है।
- सिफारिश:
- यदि कार्यस्थल का माहौल शत्रुतापूर्ण, असंवेदनशील और अनुत्तरदायी बना रहता है, तो अधिनियम केवल औपचारिक बनकर रह जाएगा। कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा और सम्मान सुनिश्चित करने हेतु अधिनियम को प्रभावशाली रूप से लागू किया जाना चाहिये।
- प्रासंगिक निकायों ने अधिनियम के तहत ICC, स्थानीय समितियों (LC) और आंतरिक समितियों (IC) का गठन किया है या नहीं, यह सत्यापित करने के लिये एक समयबद्ध अभ्यास प्रक्रिया की आवश्यकता है।
- निकायों को अपनी संबंधित समितियों का विवरण अपनी वेबसाइट्स पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी मंत्रालयों, निकायों को अधिनियम 2013 के आदेशों का पालन करने के लिये आठ सप्ताह का समय दिया है।
PoSH अधिनियम, 2013:
- परिचय:
- PoSH अधिनियम 2013 में भारत सरकार द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा सामना किये जाने वाले यौन उत्पीड़न के मुद्दे को हल करने के लिये बनाया गया एक कानून है।
- अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के लिये एक सुरक्षित और अनुकूल कार्य वातावरण बनाना तथा उन्हें यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है।
- PoSH अधिनियम यौन उत्पीड़न को परिभाषित करता है जिसमें शारीरिक संपर्क और यौन प्रस्ताव, यौन अनुग्रह के लिये मांग या अनुरोध, अश्लील टिप्पणी करना, अश्लील चित्र दिखाना तथा किसी भी अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक व्यवहार जैसे अवांछित कार्य शामिल हैं।
- PoSH अधिनियम 2013 में भारत सरकार द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा सामना किये जाने वाले यौन उत्पीड़न के मुद्दे को हल करने के लिये बनाया गया एक कानून है।
- पृष्ठभूमि: सर्वोच्च न्यायालय ने विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य 1997 मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय में 'विशाखा दिशा-निर्देश' जारी किये।
- इन दिशा-निर्देशों में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 ("यौन उत्पीड़न अधिनियम") को आधार बनाया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 15 (केवल धर्म, जाति, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव के खिलाफ) सहित संविधान के कई प्रावधानों से शक्ति प्राप्त की, साथ ही प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और मानदंडों जैसे सामान्य अनुशंसाओं का भी चित्रण किया, जैसे कि महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (CEDAW), जिसे भारत ने वर्ष 1993 में अनुसमर्थित किया।
- प्रमुख प्रावधान:
- रोकथाम और निषेध: अधिनियम कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिये नियोक्ताओं पर कानूनी दायित्व डालता है।
- आंतरिक शिकायत समिति (ICC): यौन उत्पीड़न की शिकायतें प्राप्त करने और उनका समाधान करने के लिये नियोक्ताओं को 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक कार्यस्थल पर एक ICC का गठन करना आवश्यक है।
- शिकायत समितियों के पास साक्ष्य एकत्र करने के लिये दीवानी अदालतों की शक्तियाँ हैं।
- नियोक्ताओं के कर्तव्य: नियोक्ताओं को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिये, एक सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करना चाहिये और कार्यस्थल पर POSH अधिनियम के बारे में जानकारी प्रदर्शित करनी चाहिये।
- शिकायत तंत्र: अधिनियम शिकायत दर्ज करने, पूछताछ करने और शामिल पक्षों को उचित अवसर प्रदान करने के लिये एक प्रक्रिया निर्धारित करता है।
- दंड: अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने पर दंड का प्रावधान है, जिसमें ज़ुर्माना और व्यवसाय लाइसेंस रद्द करना शामिल है।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न पर जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिशें:
- घरेलू कामगारों को PoSH अधिनियम के दायरे में शामिल किया जाना चाहिये।
- यह एक सुलह प्रक्रिया का प्रस्ताव करता है जहाँ शिकायतकर्त्ता और प्रतिवादी को शुरू में बातचीत और समझौते के माध्यम से मुद्दे को हल करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
- नियोक्ता को यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिला को मुआवज़ा देना चाहिये।
- PoSH अधिनियम में आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee- ICC) के बजाय एक रोज़गार न्यायाधिकरण की स्थापना करना।
महिला सुरक्षा से संबंधित अन्य पहलें:
- वन स्टॉप सेंटर योजना
- उज्ज्वला: तस्करी की रोकथाम और बचाव, तस्करी तथा वाणिज्यिक यौन शोषण के पीड़ितों के पुनर्वास एवं पुन: एकीकरण हेतु व्यापक योजना
- स्वाधार (SWADHAR) गृह (कठिन परिस्थितियों में महिलाओं हेतु योजना)
- नारी शक्ति पुरस्कार