प्रारंभिक परीक्षा
ग्रेट रेज़िगनेशन
हाल ही में कोविड-19 के बाद बड़ी संख्या में लोग "एंटीवर्क" के सिद्धांत को अपनाकर अपनी नौकरी से बाहर निकल रहे हैं विशेष कर अमेरिका और यूरोपीय देशों में।
- यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स (BLS) के अनुसार, अगस्त 2021 में रिकॉर्ड 4.3 मिलियन लोगों ने इस्तीफा दिया, जो जुलाई से 2,42,000 अधिक है।
- अमेरिकी मनोवैज्ञानिक एंथनी क्लॉट्ज़ ने इसे "ग्रेट रेज़िगनेशन" कहा है जो कार्य-जीवन समीकरण में प्राथमिकताओं को फिर से तैयार करने का आह्वान है।
प्रमुख बिंदु:
- कोविड का प्रभाव:
- कार्य से बाहर निकलने वालों में प्रमुख रूप से खुदरा और आतिथ्य क्षेत्र के वे कर्मचारी शामिल हैं जो नौकरी बदलने या अपने विकल्पों का पुनर्मूल्यांकन करने के इच्छुक थे।
- मध्य और पूर्वी यूरोप के कई देशों ने कुशल श्रम शक्ति में गिरावट दर्ज की है।
- हालाँकि यह मज़बूत सामाजिक सुरक्षा जाल के कारण हो सकता है।
- महामारी और लॉकडाउन के मध्य जीवित रहना और इसका सामना करना कई लोगों को ‘काम-मुक्त’ जीवन को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखने हेतु प्रेरित करता है।
- ‘ग्रेट रेज़िगनेशन’ का महत्त्व
- कम वेतन, अव्यावहारिक कार्य समय-सीमा और खराब लीडरशिप या बॉस आदि से संबंधित समस्याओं ने ‘ग्रेट रेज़िगनेशन’ को और अधिक बढ़ावा दिया है।
- इसका मतलब यह भी है कि इन श्रमिकों के पास अपने मौजूदा नियोक्ताओं से परे बाज़ार मूल्य मौजूद हैं और वे इससे अधिक बेहतर रोज़गार प्राप्त कर सकते हैं।
- वे बेहतर नौकरी के अवसर प्राप्त करने या स्टार्ट-अप चुनने के लिये अपने अनुभव पर भरोसा करते हैं।
- एक सामान्य आशंका यह भी है कि क्षमता निर्माण में पर्याप्त पूंजी आवंटन नहीं किया गया है।
- भारत की स्थिति:
- सामाजिक सुरक्षा और बेरोज़गारी लाभ की अनुपस्थिति के कारण भारत में ऐसी कोई घटना नहीं देखी गई है।
- नौकरियों से बाहर निकलने की विलासिता या विशेषाधिकार भारत में अधिकांश लोगों के लिये उपलब्ध नहीं था।
- हालाँकि ‘रिमोट वर्किंग’ या ‘वर्क फ्रॉम होम’ ने कॉरपोरेट्स और कर्मचारियों के लिये लचीले वर्क मॉडल को संभव बना दिया है।
- इससे टियर-II और टियर-III शहरों में लोगों की नौकरियाँ जा रही हैं। जिससे भारत की स्थानिक अर्थव्यवस्था में बदलाव आ रहा है।
- साथ ही वर्क फ्रॉम होम ने बाज़ार में मांग संरचना में बदलाव को गति दी है।
- इसके अलावा भारतीय आईटी और आईटीईएस क्षेत्रों में भी लोग अपनी नौकरी बदल रहे हैं।
- कई स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न बन गए हैं और कई थोक में काम पर रख रहे हैं तथा काफी अधिक भुगतान करने के लिये तैयार हैं।
- सामाजिक सुरक्षा और बेरोज़गारी लाभ की अनुपस्थिति के कारण भारत में ऐसी कोई घटना नहीं देखी गई है।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
प्रौद्योगिकी
स्ट्रीट्स फॉर पीपल एंड नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) ने स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज के लिये ग्यारह विजेता शहरों की घोषणा की और नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के पायलट चरण के लिये दस विजेता शहरों की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज:
- यह शहरों के नेतृत्त्व वाली एक एक डिज़ाइन प्रतियोगिता है।
- यह प्रतियोगिता हितधारकों और नागरिकों के परामर्श से लोगों के लिये सड़कों की एकीकृत दृष्टि विकसित करने हेतु देश भर के शहरों का समर्थन करती है।
- इसके तहत प्रत्येक शहर स्थान, समय-सीमा और पुरस्कारों पर विशिष्ट विवरण के साथ अपनी खुद की डिज़ाइन प्रतियोगिता शुरू करता है।
- नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज:
- यह एक तीन वर्षीय कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारतीय शहरों और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर सार्वजनिक स्थान, गतिशीलता, पड़ोस योजना, प्रारंभिक बचपन संबंधी सेवाओं और सुविधाओं तक सभी की पहुँच तथा शहरी एजेंसियों के डेटा प्रबंधन में सुधार करने के लिये विभिन्न मानकों एवं तरीकों का समर्थन करना है।
- यह सभी स्मार्ट शहरों, 5,00,000 से अधिक आबादी वाले अन्य शहरों और राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की राजधानियों के लिये खुला होगा।
- क्षमता निर्माण में शहरों को निम्नलिखित हेतु तकनीकी एवं अन्य प्रकार की सहायता प्राप्त होगी:
- पार्कों एवं खुले स्थानों की पुनः परिकल्पना
- बाल-देखभाल सुविधाओं तक पहुँच में सुधार
- बचपन उन्मुख सुविधाओं के साथ सार्वजनिक स्थानों को अपनाना
- छोटे बच्चों और परिवारों के लिये सुलभ, सुरक्षित, चलने योग्य सड़कों का निर्माण
- अन्य नवीनतम पहलें:
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 जनवरी, 2022
सुगंधित पौधे
जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिये रोजगार के अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने जम्मू-कश्मीर में एक विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है। अभियान CSR फ्लैगशिप कार्यक्रमों के तहत शुरू किया गया ताकि उत्पादकों को बड़े पैमाने पर सुगंधित पौधों की खेती करने में मदद मिल सके। भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (Indian Institute of Integrative Medicine – IIIM) के विभाग द्वारा इस जागरूकता कार्यक्रम को शुरू किया गया और कृषि विभाग द्वारा विशेष जागरूकता कार्यक्रम शुरू किये गए। इन पौधों की मदद से उत्पादक और युवा उद्यमी अपनी इकाइयांँ स्थापित कर तथा रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर अन्य लोगों को भी इस अभियान में शामिल कर सकेंगे। इस कार्यक्रम के तहत वैज्ञानिक और विशेषज्ञ अपने ज्ञान को साझा करेंगे ताकि उत्पादकों को सही दृष्टिकोण लागू करने और नुकसान से बचने में मदद मिल सके। सुगंधित पौधों की खेती और प्रसंस्करण के बारे में उत्पादकों को उचित जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से यह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। सुगंधित पौधे वे होते हैं जिनमें सुगंधित यौगिक पाए जाते हैं, मूल रूप से आवश्यक तेल (Essential Oils)। ये आवश्यक तेल (Essential Oils) कमरे के तापमान पर अस्थिर होते हैं और गंधयुक्त, हाइड्रोफोबिक और अत्यधिक केंद्रित होते हैं। उन्हें फूल, कलियों, बीज, पत्तियों, छाल, टहनियों, फलों, जड़ों और लकड़ी से प्राप्त किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट
फरवरी 2017 में मलयालम फिल्म उद्योग (मोलीवुड) की प्रमुख महिला अभिनेत्री का एक फिल्म में पुरुषों के एक समूह द्वारा अपहरण और यौन उत्पीड़न किया गया था। अभिनेत्री के सहयोगी और मुख्य अभिनेता दिलीप को आरोपी/साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया, जिसने यौन उत्पीड़न और अपराध करने के लिये पैसे दिये थे। इसमें लगभग 20 गवाह अभियुक्तों के प्रभाव को देखते हुए अभियोजन पक्ष से मुकर गए और हाल ही में एक नया मामला दर्ज किया गया है। हालाँकि इस घटना ने महिला अभिनेत्रियों द्वारा की गई शिकायतों की एक शृंखला को जन्म दिया, जिससे बाकी महिला अभिनेताओं के उत्पीड़न को प्रकाश में लाया गया। उसी समय ‘वूमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ द्वारा एक ज्ञापन (मोलीवुड में महिला कलाकारों द्वारा सामना किये जाने वाले भेदभाव और उत्पीड़न पर प्रकाश डालने के लिये) प्रस्तुत किया गया था। इस समिति का गठन 01 जुलाई, 2017 को किया गया था और दो साल बाद 31 दिसंबर, 2019 को 5000 पृष्ठ की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। तब से, इसमें निहित जानकारी की 'संवेदनशीलता' के कारण रिपोर्ट को "गोपनीय" रखा गया है। रिपोर्ट के खुलासे के लिये आरटीआई अनुरोधों को खारिज़ कर दिया गया है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, समिति की सिफारिशों का वर्तमान में विश्लेषण किया जा रहा है।
जागरूक वोटर कैंपेन
हाल ही में मतदाताओं को सशक्त बनाने के लिये ट्विटर ने "जागरूक वोटर" अभियान शुरू किया है। पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव 2022 से पहले, ट्विटर ने गुरुवार को 'जागरूक वोटर' अभियान के तहत कई पहलों की घोषणा की, जिसका उद्देश्य नागरिकों को ‘अपना वोट डालने से पहले सही ज्ञान’ के साथ सशक्त बनाना है। ट्विटर की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, एक ओपन इंटरनेट द्वारा संचालित ये पहले न केवल मतदाता द्वारा मतदान को सुनिश्चित करने के लिये निर्देशित हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करने में भी सहायता करती हैं कि मतदाता पूरी चुनाव प्रक्रिया में शामिल हों और सभी एक 'जागरुक वोटर' की भूमिका निभाएँ। ट्विटर द्वारा प्रारंभ की गई अन्य पहलों में "अधिसूचना एवं अनुस्मारक तंत्र" के साथ समर्थित एक अनुकूलित इमोजी को लॉन्च करना शामिल है, जो मतदाताओं को मतदान शुरू होने के दिन अनुस्मारक के लिये स्वेच्छा से साइन-अप करने की अनुमति देता है एवं ट्विटर ने भारत के चुनाव आयोग (@ECISVEEP) द्वारा संचालित अपने समर्पित खोज संकेत का विस्तार किया है, ताकि लोगों को विश्वसनीय और आधिकारिक स्रोतों से चुनावों पर रीयल-टाइम अपडेट और विकास किया जा सके।
विश्व आर्थिक मंच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 जनवरी, 2022 को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के दावोस एजेंडा में अपना ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड’ विशेष संबोधन दिया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड -19 के संकट से निपटने तथा टीकाकरण अभियान के प्रबंधन में भारत द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के पुनर्गठन की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। कोविड-19 महामारी पर डेटा, आँकड़े और तथ्यों के साथ उन्होंने भारत को भविष्य की तकनीक के साथ-साथ विश्व आर्थिक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत को विश्व समुदाय के एक अनिवार्य सदस्य के रूप में भी संबोधित किया। विश्व आर्थिक मंच एक स्विस गैर-लाभकारी एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इसकी स्थापना 1971 में हुई थी। इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है। यह फोरम वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक एजेंडा को आकार देने के लिये राजनीतिक, व्यापारिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र के अग्रणी नेतृत्व को एक साझा मंच उपलब्ध कराता है। यह एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष संगठन है जिसका स्वयं का कोई हित नहीं है। यह फोरम स्विट्ज़रलैंड के पूर्वी आल्पस क्षेत्र दावोस में जनवरी के अंत में वार्षिक बैठक के आयोजन के लिये प्रसिद्ध है। इस वर्ष 22-26 जनवरी को आयोजित की जाने वाली बैठक विश्व आर्थिक मंच की 48वीं सालाना बैठक होगी।