अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता
- 14 Nov 2023
- 17 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत और अमेरिका संबंध, भारत-अमेरिका 2+2 संवाद, संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान), क्वाड। मेन्स के लिये:भारत-अमेरिका 2+2 संवाद, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद के 5वें संस्करण का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों देशों ने रक्षा, सेमीकंडक्टर, उभरती प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य आदि सहित द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति पर प्रकाश डाला।
- वर्ष 2018 से अमेरिकी नेताओं के साथ प्रत्येक वर्ष 2+2 बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
2+2 बैठक क्या है?
- परिचय:
- 2+2 बैठकें दोनों देशों में से प्रत्येक के दो उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों, विदेश एवं रक्षा विभागों के मंत्रियों की भागीदारी का संकेत देती हैं, जिनका उद्देश्य उनके बीच बातचीत के दायरे को बढ़ाना है।
- इस तरह के तंत्र से साझेदार दोनों पक्षों के राजनीतिक कारकों को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे की रणनीतिक चिंताओं एवं संवेदनशीलताओं को अधिक प्रभावी ढंग से समझने और महत्त्व देने में सक्षम बनाया जा सकता है। इससे बदलते वैश्विक परिवेश में मज़बूत, अधिक एकीकृत रणनीतिक संबंध बनाने में मदद मिलती है।
- भारत के 2+2 भागीदार:
- अमेरिका भारत का सबसे पुराना और सबसे प्रमुख 2+2 वार्ता भागीदार है।
- इसके अतिरिक्त भारत ने ऑस्ट्रेलिया, जापान, यूनाइटेड किंगडम और रूस के मंत्रियों के साथ 2+2 बैठकें की हैं।
भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- रक्षा सौदे:
- दोनों देशों का लक्ष्य रक्षा प्रौद्योगिकियों में गहरी साझेदारी को बढ़ावा देते हुए सहयोगात्मक रूप से रक्षा प्रणालियों का सह-विकास एवं सह-उत्पादन करना है।
- भारत तथा अमेरिका वर्तमान में MQ-9B मानव रहित हवाई वाहनों की खरीद और भारत में जनरल इलेक्ट्रिक के F-414 जेट इंजन के लाइसेंस प्राप्त निर्माता के लिये सौदे पर बातचीत कर रहे हैं।
- ये सौदे भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लक्ष्य के अनुरूप हैं।
- दोनों देशों के मंत्री आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा (Security of Supply Arrangement- SOSA) को अंतिम रूप देने के लिये तत्पर देखे गए, जो रोडमैप में एक प्रमुख प्राथमिकता है तथा यह आपूर्ति शृंखला की अनुकूलता को मज़बूत करते हुए दोनों देशों के रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को एकीकृत करेगा।
- इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स और भविष्य की योजनाएँ:
- दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग सहयोग रोडमैप के हिस्से के रूप में इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स/पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों, विशेष रूप से स्ट्राइकर (Stryker) पर चर्चा की।
- भारतीय सेना की ज़रूरतों को निर्धारित किये जाने तथा भारतीय व अमेरिकी उद्योग तथा सैन्य टीमों के बीच सहयोग के माध्यम से एक ठोस उत्पादन योजना स्थापित होने के बाद इन्फेंट्री कॉम्बैट प्रणालियों के बीच सहयोग को औपचारिक रूप दिया जाएगा।
- रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग में प्रगति:
- दोनों पक्षों ने जून 2023 में लॉन्च किये गए भारत-अमेरिका रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र, INDUS-X की प्रगति की समीक्षा की, जिसका उद्देश्य रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करना है।
- संयुक्त समुद्री बलों में सदस्यता:
- बहरीन में मुख्यालय वाली बहुपक्षीय संरचना, संयुक्त समुद्री बलों का पूर्ण सदस्य बनने के भारत के फैसले का अमेरिका के रक्षा सचिव ने स्वागत किया।
- यह कदम क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- बहरीन में मुख्यालय वाली बहुपक्षीय संरचना, संयुक्त समुद्री बलों का पूर्ण सदस्य बनने के भारत के फैसले का अमेरिका के रक्षा सचिव ने स्वागत किया।
- समुद्री सुरक्षा:
- दोनों देशों ने महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के महत्त्व को स्वीकार करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
- अंतरिक्ष और सेमीकंडक्टर सहयोग:
- मंत्रियों ने वाणिज्यिक और रक्षा दोनों क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी मूल्य शृंखला सहयोग बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकी (iCET) पर भारत-अमेरिका पहल के तहत हुई तीव्र प्रगति का स्वागत किया।
- उन्होंने संबंधित सरकारों, शैक्षणिक, अनुसंधान और कॉर्पोरेट क्षेत्रों से वैश्विक नवाचार में तेज़ी लाने तथा दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुँचाने के लिये क्वांटम, दूरसंचार, जैव प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं सेमीकंडक्टर जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में इन रणनीतिक साझेदारियों को सक्रिय रूप से जारी रखने का आह्वान किया।
- उन्होंने रणनीतिक व्यापार संवाद निगरानी तंत्र की शीघ्र बैठक का स्वागत किया।
- चीन आक्रामकता पर चर्चा:
- अमेरिका ने इस बात पर ज़ोर दिया कि द्विपक्षीय संबंध चीन द्वारा पेश की गई चुनौतियों से निपटने से परे हैं।
- भारत-कनाडा विवाद:
- भारत और कनाडा के बीच विवाद, विशेष रूप से अमेरिका और कनाडा में स्थित खालिस्तान अलगाववादियों से संबंधित सुरक्षा चिंताओं को संबोधित किया गया।
- भारत ने अपने साझेदारों को मुख्य सुरक्षा चिंताओं से अवगत कराया।
- इज़रायल-हमास युद्ध:
- भारत ने इज़रायल-हमास संघर्ष पर अपना रुख दोहराया, टू स्टेट सॉल्यूशन (आधिकारिक तौर पर सीमांकित और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दो देश) तथा बातचीत को जल्द-से-जल्द फिर से शुरू करने का समर्थन किया।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के पालन और नागरिक हताहतों की निंदा पर ज़ोर देते हुए मानवीय सहायता प्रदान करने की मांग की गई है।
अमेरिका के साथ भारत के संबंध कैसे रहे हैं?
- परिचय:
- अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को बनाए रखने सहित साझा मूल्यों पर आधारित है।
- व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में दोनों के साझा हित हैं।
- आर्थिक संबंध:
- दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों के कारण वर्ष 2022-23 में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है।
- भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 7.65% बढ़कर 128.55 अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 119.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- वर्ष 2022-23 में अमेरिका के साथ निर्यात 2.81% बढ़कर 78.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 76.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर था तथा आयात लगभग 16% बढ़कर 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान), क्षेत्रीय फोरम, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन सहित बहुपक्षीय संगठनों में भारत एवं संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों देश मज़बूत सहयोगी हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2021 में दो साल के कार्यकाल के लिये भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल करने का स्वागत किया। इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन किया जिसमें भारत एक स्थायी सदस्य के रूप में शामिल है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने एक मुक्त तथा स्वतंत्र भारत-प्रशांत सहयोग को बढ़ावा देने एवं क्षेत्र को उचित लाभ प्रदान करने के लिये ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड समूह का गठन किया है।
- भारत समृद्धि के लिये हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (Indo-Pacific Economic Framework for Prosperity- IPEF) पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साझेदारी करने वाले बारह देशों में से है।
- भारत इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) का सदस्य है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एक संवाद भागीदार है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हो गया, जिसका मुख्यालय भारत में है और यह वर्ष 2022 में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) में भी शामिल हुआ।
- आधारभूत समझौते का ट्रोइका:
- भारत ने अब अमेरिका के साथ सभी चार आधारभूत समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं- वर्ष 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), वर्ष 2018 में संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) तथा 2020 में भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौते (BECA)।
- जबकि सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (GSOMIA) पर काफी समय पहले हस्ताक्षर किये गए थे, इसके विस्तार, औद्योगिक सुरक्षा अनुबंध (ISA) पर वर्ष 2019 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- भारत ने अब अमेरिका के साथ सभी चार आधारभूत समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं- वर्ष 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), वर्ष 2018 में संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) तथा 2020 में भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौते (BECA)।
भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर प्रमुख चुनौतियाँ:
- अमेरिका द्वारा भारतीय विदेश नीति की आलोचना:
- भारतीय अभिजात वर्ग ने लंबे समय से विश्व को गुटनिरपेक्षता के चश्मे से देखा है, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही गठबंधन संबंध अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में रहा है।
- भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति, विशेषकर शीत युद्ध के दौरान हमेशा पश्चिम और विशेष रूप से अमेरिका के लिये चिंता का विषय रही है।
- 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका ने भारत से अफगानिस्तान में सेना भेजने की मांग की थी लेकिन भारतीय सेना ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था।
- वर्ष 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया, तब भी भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने सैन्य समर्थन से इनकार कर दिया था।
- हाल में भी रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत ने अमेरिका के दृष्टिकोण का पालन करने से इनकार कर दिया और राष्ट्रीय आवश्यकता के अनुरूप सस्ते रूसी तेल का आयात रिकॉर्ड स्तर पर जारी रखा है।
- भारत को ‘इतिहास के सही पक्ष’ में लाने की मांग को लेकर प्रायः अमेरिका समर्थक आवाज़ें उठती रही हैं।
- भारतीय अभिजात वर्ग ने लंबे समय से विश्व को गुटनिरपेक्षता के चश्मे से देखा है, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही गठबंधन संबंध अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में रहा है।
- अमेरिका के विरोधियों के साथ भारत की संलग्नता:
- भारत ने ईरान और वेनेज़ुएला के तेल के खुले बाज़ार पहुँच पर अमेरिकी प्रतिबंध की आलोचना की है।
- ईरान को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में लाने के लिये भारत ने भी सक्रिय रूप से कार्य किया है।
- चीन समर्थित एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) में प्रमुख भागीदार बने रहने के अलावा भारत ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिये चीन के साथ 18 दौर की वार्ता भी संपन्न की है।
- अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र की आलोचना:
- विभिन्न अमेरिकी संगठन और फाउंडेशन, कुछ अमेरिकी कॉन्ग्रेस एवं सीनेट सदस्यों के मौन समर्थन के साथ भारत में लोकतांत्रिक विमर्श, प्रेस और धार्मिक स्वतंत्रता एवं अल्पसंख्यकों की वर्तमान स्थिति को प्रश्नगत करने वाली रिपोर्ट्स पेश करते रहे हैं।
- अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2023 और भारत पर मानवाधिकार रिपोर्ट 2021 ऐसी कुछ चर्चित रिपोर्ट्स रही हैं।
- विभिन्न अमेरिकी संगठन और फाउंडेशन, कुछ अमेरिकी कॉन्ग्रेस एवं सीनेट सदस्यों के मौन समर्थन के साथ भारत में लोकतांत्रिक विमर्श, प्रेस और धार्मिक स्वतंत्रता एवं अल्पसंख्यकों की वर्तमान स्थिति को प्रश्नगत करने वाली रिपोर्ट्स पेश करते रहे हैं।
- आर्थिक तनाव:
- आत्मनिर्भर भारत अभियान ने अमेरिका में इस विचार को तीव्रता प्रदान की है कि भारत तेज़ी से एक संरक्षणवादी बंद बाज़ार अर्थव्यवस्था में परिणत होता जा रहा है।
- अमेरिका ने GSP कार्यक्रम के तहत भारतीय निर्यातकों को प्राप्त शुल्क-मुक्त लाभों की समाप्ति का निर्णय लिया (जून 2019 से प्रभावी), जिससे भारत के दवा, कपड़ा, कृषि उत्पाद और ऑटोमोटिव पार्ट्स जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।
आगे की राह
- मुक्त, खुले और विनियमित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिये दोनों देशों के बीच साझेदारी होना महत्त्वपूर्ण है।
- अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश अमेरिकी और भारतीय फर्मों के लिये तकनीकी हस्तांतरण, निर्माण, व्यापार एवं निवेश हेतु बड़े अवसर प्रदान करता है।
- भारत, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में अग्रणी अभिकर्त्ता के रूप में उभरने के साथ ही एक अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। भारत अपनी वर्तमान स्थिति का उपयोग करते हुए आगे बढ़ने के अवसरों का पता लगाने का प्रयास करेगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण वाशिंगटन अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज करने में विफल रहा है, जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके।' उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019) |