अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी
- 27 Jun 2023
- 18 min read
प्रिलिम्स के लिये:महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर भारत-अमेरिका पहल, भारत सेमीकंडक्टर मिशन, भारत 6G, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, जीई का F414 लड़ाकू विमान, भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र, भू-स्थानिक इंटेलिजेंस के लिये बुनियादी आदान-प्रदान और सहयोग समझौता, संचार संगतता एवं सुरक्षा समझौता, भारतीय महासागर संवाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन, जैव ईंधन मेन्स के लिये :भारत और अमेरिका के मध्य सहयोग के क्षेत्र: |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका की महत्त्वपूर्ण यात्रा की।
- इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करना था तथा आम चुनौतियों का समाधान करने, वैश्विक मुद्दों पर एक रुख अपनाने, महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी में सहयोग करने, सतत् विकास को बढ़ावा देने एवं स्वच्छ ऊर्जा की ओर बदलाव पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
यात्रा के दौरान चर्चा किये गए सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
- सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत करना: माइक्रोन प्रौद्योगिकी, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के सहयोग से एक नई सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधा में निवेश करेगी।
- सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला में विविधीकरण को बढ़ाने के लिये एप्लाइड मैटेरियल्स भारत में व्यावसायीकरण और नवाचार के लिये एक सेमीकंडक्टर केंद्र स्थापित करेगा।
- लैम रिसर्च का "सेमीवर्स सॉल्यूशन" सेमीकंडक्टर उद्योग में कार्यबल और शैक्षिक विकास के देश के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये 60,000 भारतीय इंजीनियरों को प्रशिक्षित करेगा।
- उन्नत दूरसंचार अनुसंधान: ओपन RAN प्रणाली के विकास और उसके उपयोग के साथ-साथ अत्याधुनिक दूरसंचार अनुसंधान तथा विकास हेतु भारत और अमेरिका द्वारा सार्वजनिक-निजी संयुक्त कार्य बल की स्थापना की गई है।
- भारत और अमेरिका भारत 6G नेक्स्ट जी एलायंस सार्वजनिक-निजी अनुसंधान का सह-नेतृत्व करेंगे, जिसका लक्ष्य लागत कम करना, सुरक्षा बढ़ाना और दूरसंचार नेटवर्क के लचीलेपन में सुधार करना शामिल है।
नोट: ओपन RAN, जिसे ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क के रूप में भी जाना जाता है, दूरसंचार में रेडियो एक्सेस नेटवर्क को डिज़ाइन और कार्यान्वित करने की एक अवधारणा व दृष्टिकोण है। इसका उद्देश्य हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर घटकों को अलग करके और बहु-विक्रेता एकीकरण को बढ़ावा देकर पारंपरिक RAN आर्किटेक्चर में अधिक खुलापन, लचीलापन और अंतर-संचालनीयता लाना है। |
- अंतरिक्ष के क्षेत्र में NASA-ISRO सहयोग: भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण के लिये शांतिपूर्ण, टिकाऊ और पारदर्शी सहयोग हेतु प्रतिबद्ध 26 अन्य देशों में शामिल होकर आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
- नासा वर्ष 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के संयुक्त प्रयास के लक्ष्य के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष यात्रियों को उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
- नासा और इसरो के बीच मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग के लिये एक रणनीतिक रूपरेखा वर्ष 2023 के अंत तक विकसित किये जाने की संभावना है।
- क्वांटम, उन्नत कंप्यूटिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता: क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और उन्नत वायरलेस प्रौद्योगिकियों पर संयुक्त अनुसंधान की सुविधा के लिये भारत-अमेरिका संयुक्त क्वांटम समन्वय तंत्र की स्थापना की गई है।
- यह जेनरेटिव AI सहित भरोसेमंद और रिस्पॉन्सिबल AI पर संयुक्त सहयोग, AI शिक्षा, कार्यबल हेतु पहल और वाणिज्यिक अवसरों को बढ़ावा देगा।
- AI पर वैश्विक साझेदारी के अध्यक्ष के रूप में भारत के नेतृत्व की सराहना की गई और भारतीय स्टार्टअप तथा AI अनुसंधान केंद्र में Google के निवेश की सराहना की गई।
- फाइबर ऑप्टिक्स निवेश: भारत के स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड ने कोलंबिया, दक्षिण कैरोलिना के पास ऑप्टिकल फाइबर केबल विनिर्माण इकाई की स्थापना हेतु 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, जो भारत से ऑप्टिकल फाइबर के 150 मिलियन डॉलर के वार्षिक निर्यात को संभव बनाएगी।
- अत्याधुनिक अनुसंधान: यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन का भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ संयुक्त अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग है तथा उभरती प्रौद्योगिकियों पर भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ एक नई सहयोगात्मक व्यवस्था के तहत समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- इनोवेशन हैंडशेक: यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) का समर्थन करने हेतु यूएस-इंडिया कमर्शियल डायलॉग दोनों देशों के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्रों को जोड़ने के लिये एक नया “इनोवेशन हैंडशेक” लॉन्च करेगा।
- महत्त्वपूर्ण खनिज साझेदारी: भारत, अमेरिका के नेतृत्व वाली खनिज सुरक्षा साझेदारी (MSP) का नया भागीदार बन गया है, जो वैश्विक स्तर पर विविध और टिकाऊ महत्त्वपूर्ण ऊर्जा खनिज आपूर्ति शृंखला विकसित करने पर केंद्रित है।
- भारतीय कंपनी एप्सिलॉन कार्बन लिमिटेड अमेरिका में एक ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी कंपोनेंट फैक्ट्री में निवेश करेगी।
- रक्षा साझेदारी: भारत में GE के F414 लड़ाकू विमान इंजनों के सह-उत्पादन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है जिससे अमेरिकी जेट इंजन प्रौद्योगिकी के और अधिक हस्तांतरण की सुविधा प्राप्त होगी।
- खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं में वृद्धि करने के लिये भारत जनरल एटॉमिक्स से सशस्त्र MQ-9B सी-गार्जियन UAV खरीदना चाहता है।
- भारतीय शिपयार्डों में अमेरिकी नौसेना के जहाज़ों की देखभाल और मरम्मत के लिये दोनों देशों के बीच हुए समझौते से घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
- भारतीय शिपयार्डों के साथ मास्टर शिप मरम्मत समझौते से यात्रा के दौरान और आकस्मिक मरम्मत के लिये अनुबंध प्रक्रियाओं में तेज़ी आएगी।
- रक्षा प्रौद्योगिकियों पर संयुक्त नवाचार को बढ़ावा देने के लिये भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र (India-US Defence Acceleration Ecosystem- INDUS-X) की शुरुआत की गई है, यह भारत के निजी क्षेत्र के रक्षा उद्योग को अमेरिकी रक्षा क्षेत्र के साथ एकीकृत करता है।
- रक्षा उद्योगों को नीतिगत दिशा देने के लिये रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप को अपनाने से काफी मदद मिलेगी।
- इस रोडमैप का उद्देश्य उन्नत रक्षा प्रणालियों के सह-उत्पादन और सहयोगात्मक अनुसंधान, परीक्षण तथा प्रोटोटाइप निर्माण करना है।
नोट:
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- आतंकवाद और नशीली दवाओं की समस्या के विरुद्ध लड़ाई: अमेरिका और भारत आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के सभी रूपों की निंदा करते हैं और वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये एकजुट हैं।
- दोनों देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई है और पाकिस्तान को सुझाव दिया है कि वह अपने क्षेत्र को आतंकवादी गतिविधियों के लिये इस्तेमाल करना बंद करे।
- सिंथेटिक दवाओं सहित अवैध दवाओं के उत्पादन और तस्करी को रोकने के लिये एक मादक द्रव्य निरोधक ढाँचा विकसित किया जाएगा।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग: सुरक्षित, संरक्षित और स्थिर समुद्री क्षेत्र तथा क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा देने के लिये अमेरिका हिंद-प्रशांत महासागर पहल में शामिल होगा।
- पार्टनर्स इन ब्लू पैसिफिक में भारत की भूमिका एक पर्यवेक्षक के रूप में बनी रहेगी।
- क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ाने के लिये विशेषज्ञों और हितधारकों को मंच प्रदान करने हेतु एक हिंद महासागर वार्ता का आयोजन किया जाएगा।
- बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार और इसे मज़बूत करना: दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यता का विस्तार वाले व्यापक संयुक्त राष्ट्र सुधार एजेंडे का समर्थन किया है।
- अमेरिका ने संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और वर्ष 2028-29 कार्यकाल के लिये एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत की उम्मीदवारी को लेकर समर्थन जताया है।
- स्वास्थ्य सेवाओं की पहल: कैंसर के लिये AI-सक्षम डिजिटल पैथोलॉजी प्लेटफॉर्म और AI-आधारित स्वचालित रेडियोथेरेपी उपचार विकसित करने के लिये अनुदान के माध्यम से अमेरिका तथा भारत के वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
- मधुमेह संबंधी अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिये समझौते किये जाएंगे और कैंसर के खिलाफ प्रगति में तेज़ी लाने के लिये अमेरिका-भारत कैंसर वार्ता की मेज़बानी की जाएगी।
- समावेशी विकास के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI):
- DPI दृष्टिकोण की क्षमता को पहचानते हुए दोनों देशों का लक्ष्य समावेशी विकास, प्रतिस्पर्द्धी बाज़ारों को बढ़ावा देना और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करने में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करना है।
- गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और बौद्धिक संपदा के सुरक्षा उपायों के साथ मज़बूत DPI के विकास और तैनाती के लिये सहयोग किया जाएगा।
- विकासशील देशों में DPI विकास और तैनाती को सक्षम करने के लिये भारत-अमेरिका वैश्विक डिजिटल विकास साझेदारी के गठन को लेकर संभावनाएँ तलाशी जा रही हैं।
- DPI दृष्टिकोण की क्षमता को पहचानते हुए दोनों देशों का लक्ष्य समावेशी विकास, प्रतिस्पर्द्धी बाज़ारों को बढ़ावा देना और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करने में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करना है।
- भारत-अमेरिका के बीच व्यापार और निवेश साझेदारी को मज़बूत बनाना:
- उभरती प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ऊर्जा और फार्मास्यूटिकल्स में बढ़ती भागीदारी तथा तकनीकी सहयोग पर ध्यान देने के साथ द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022 में 191 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
- मानकों एवं विनियमों में सामंजस्य स्थापित करना, व्यापार एवं निवेश में बाधाओं को कम करना और अत्याधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्था का समर्थन करना शामिल है।
- भारत-अमेरिका व्यापार नीति मंच के माध्यम से आगे की भागीदारी के साथ शेष विश्व व्यापार संगठन विवादों और बाज़ार पहुँच के मुद्दों का समाधान करना।
- अमेरिका के प्राथमिकता प्रणाली कार्यक्रम के तहत भारत की स्थिति की बहाली और एक व्यापार समझौते अधिनियम के रूप में मान्यता देना।
- सतत् विकास: भारत और अमेरिका के बीच राष्ट्रीय जलवायु और ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सहयोगात्मक प्रयास जारी रहेंगे, जिसमें हाइड्रोजन ब्रेकथ्रू एजेंडा का सह-नेतृत्व भी शामिल है।
- भारत में नवीकरणीय ऊर्जा, बैटरी भंडारण और उभरती हरित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय निजी वित्त को आकर्षित करने हेतु नवीन निवेश मंच विकसित किये जाएंगे।
- अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिये अमेरिकी एजेंसी वर्ष 2030 तक भारतीय रेलवे को "शुद्ध-शून्य" कार्बन उत्सर्जक बनाने का प्रयास करेगी।
- परिवहन क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने और जैव ईंधनों को बढ़ावा देने के लिये पहल की जा रही है।
- भारत में नवीकरणीय ऊर्जा, बैटरी भंडारण और उभरती हरित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय निजी वित्त को आकर्षित करने हेतु नवीन निवेश मंच विकसित किये जाएंगे।
- जन-केंद्रित प्रयास:
- याचिका-आधारित अस्थायी कार्य वीज़ा के लिये वीज़ा नवीनीकरण को सरल बनाने की पहल की गई है जिससे भारतीय नागरिकों को लाभ होगा तथा नवीनीकरण के लिये देश छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी।
- घनिष्ठ राजनयिक संबंधों को बढ़ावा देने हेतु बंगलूरू और अहमदाबाद में नए वाणिज्य दूतावास खोलने की योजना पर विचार चल रहा है।
- भारतीय छात्रों के लिये रिकॉर्ड संख्या में वीज़ा जारी करने के साथ छात्र आदान-प्रदान एवं छात्रवृत्तियों की राशि बढ़ाई गई है। इसी के साथ अमेरिकी स्नातक छात्रों के लिये भारत में अध्ययन या इंटर्नशिप के अवसरों में वृद्धि हुई है।
- शीर्ष नेतृत्व ने ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में तमिल अध्ययन चेयर की स्थापना की जो भारत के इतिहास एवं संस्कृति के अनुसंधान और शिक्षण को आगे बढ़ाएगा तथा शिकागो विश्वविद्यालय में विवेकानंद चेयर को बहाल करने का स्वागत किया गया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. G20 के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: C मेन्स:प्रश्न. भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण वाशिंगटन की अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भी भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज करने में विफलता है, जो भारत के आत्मसम्मान और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके।' उपयुक्त उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019) |