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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका के साथ भारत का जेट इंजन समझौता

  • 23 Jun 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हल्का लड़ाकू विमान तेजस Mk2, F414 इंजन, रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO), महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियाँ

मेन्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने हेतु भारत के प्रयासों का महत्त्व, महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी में सहयोग के संभावित लाभ

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत ने अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निगम जनरल इलेक्ट्रिक (GE) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौते की घोषणा की है। इस समझौते में महत्त्वपूर्ण जेट इंजन प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण तथा भारत के हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस Mk2 के लिये GE के F414 इंजन का निर्माण शामिल है।

  • यह समझौता भारत की उन्नत लड़ाकू जेट इंजन प्रौद्योगिकी के विकास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

नोट: 

  • प्रधानमंत्री की मौजूदा यात्रा के दौरान भारत-अमेरिका डिफेंस एक्सेलेरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X) भी लॉन्च किया गया।
  • INDUS-X का उद्देश्य भारतीय और अमेरिकी स्टार्ट-अप एवं तकनीकी कंपनियों के लिये उन्नत प्रौद्योगिकियों के सह-विकास एवं सह-उत्पादन में सहयोग करना है।

GE का F414 इंजन: 

  • परिचय: 
    • GE का F414 इंजन एक टर्बोफैन इंजन है जिसका उपयोग अमेरिकी नौसेना 30 वर्षों से अधिक समय से कर रही है।
      • यह एक दोहरे चैनल फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (FADEC), छह-चरण वाला उच्च दबाव कंप्रेसर, उन्नत उच्च दबाव टरबाइन और नोजल नियंत्रण हेतु "फ्यूलड्रॉलिक" प्रणाली से युक्त है।
    • यह असाधारण थ्रॉटल प्रतिक्रिया, उत्कृष्ट प्रकाश और स्थिरता एवं आवश्यकता पड़ने पर यह इंजन उच्च क्षमता का प्रदर्शन करता है।
    • F414 इंजन आठ देशों में सैन्य विमानों को संचालित करता है, जिससे यह आधुनिक लड़ाकू जेट हेतु एक विश्वसनीय विकल्प बन गया है।

  • भारत की इंजन आवश्यकताएँ:  
    • भारत के लिये विशेषकर LCA तेजस Mk2 के संदर्भ में F414 इंजन बहुत महत्त्व रखता है।
      • DRDO की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने LCA तेजस Mk2 हेतु इंजन के भारत-विशिष्ट संस्करण का चयन किया है, जिसे F414-INS6 के नाम से जाना जाता है।
    • यह रणनीतिक निर्णय भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और विदेशी आपूर्तिकर्त्ताओं पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य को दर्शाता है।

LCA तेजस Mk2:  

  • LCA तेजस Mk2 भारत में विकसित स्वदेशी लड़ाकू विमान का उन्नत संस्करण है।
  • इसमें आठ बियॉन्ड-विज़ुअल-रेंज (BVR) मिसाइलों को एक साथ ले जाने और अन्य देशों के स्थानीय एवं उन्नत दोनों प्रकार के हथियारों को एकीकृत करने की क्षमता है।
  • LCA Mk2 अपने पूर्ववर्ती की तुलना में 120 मिनट की मिशन संचालन शक्ति के साथ बेहतर रेंज प्रदान करता है, जबकि LCA तेजस Mk1 के लिये यह 57 मिनट है। 
  • इसका उद्देश्य जगुआर, मिग-29 और मिराज 2000 के प्रतिस्थापन के रूप में काम करना है क्योंकि वे आने वाले दशक में सेवामुक्त हो जाएंगे। विनिर्माण पहले ही शुरू हो चुका है और विमान के वर्ष 2024 तक तैयार होने की उम्मीद है।

भारत-अमेरिका जेट इंजन समझौते का महत्त्व:   

  • संवेदनशील तकनीकों में आत्मनिर्भरता: 
    • लड़ाकू विमानों हेतु इंजन बनाने के लिये उन्नत तकनीक और धातु विज्ञान की आवश्यकता होती है, जिनका निर्माण केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्राँस में ही होता है। 
      • भारत, क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन सहित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता के लिये बल देने के बावजूद इस सूची में शामिल नहीं हो पाया है।  
    • जिन देशों के पास लड़ाकू विमानों के लिये उन्नत इंजन बनाने की तकनीक है, वे परंपरागत रूप से उन्हें साझा करने के लिये तैयार नहीं हैं, यही कारण है कि यह समझौता पथ-प्रदर्शक के रूप में है। 
  • iCET का महत्त्वपूर्ण घटक: 
  • DRDO द्वारा विकास के प्रयास:: 
    • DRDO के गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (GTRE) ने LCA के लिये GTX-37 इंजन के विकास की शुरुआत की, इसके बाद 1989 में महत्त्वाकांक्षी कावेरी इंजन परियोजना शुरू की गई।
      • 9 पूर्ण प्रोटोटाइप इंजन और 4 कोर इंजन के विकास एवं व्यापक परीक्षण के बावजूद इंजन लड़ाकू विमान की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते थे, जिससे यह सौदा रक्षा क्षमताओं के लिये महत्त्वपूर्ण हो गया।
  • प्रौद्योगिकी अस्वीकरण व्यवस्था का अंत:
    • यह समझौता अंततः उस बात पर विराम लगाता है जिसे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री (2008 में) ने अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिम द्वारा भारत पर थोपी गई "प्रौद्योगिकी अस्वीकरण व्यवस्था" के रूप में वर्णित किया था।
    • यह जेट इंजन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता इस यात्रा में एक और महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। 

रक्षा क्षेत्र में भारत के हालिया विकास:

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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