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जैव विविधता और पर्यावरण

ब्रेकथ्रू एजेंडा रिपोर्ट 2022

  • 23 Sep 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

IEA, IRENA, जलवायु परिवर्तन, COP26, पेरिस समझौता।

मेन्स के लिये:

ब्रेकथ्रू एजेंडा रिपोर्ट 2022 और इसकी सिफारिशें।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA), अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के उच्च-स्तरीय अभिकर्त्ताओं द्वारा द ब्रेकथ्रू एजेंडा रिपोर्ट 2022 जारी की गई, जिसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेज़ी से कमी लाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह पाँच प्रमुख क्षेत्रों - विद्युत , हाइड्रोजन, सड़क परिवहन, इस्पात और कृषि में उत्सर्जन को कम करने की प्रगति का आकलन करता है।
    • यह अपनी तरह की पहली वार्षिक प्रगति रिपोर्ट है, जिसका अनुरोध विश्व नेताओं द्वारा नवंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP 26 में ब्रेकथ्रू एजेंडा के शुभारंभ के हिस्से के रूप में किया गया था।
    • ब्रेकथ्रू एजेंडा वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था के दो-तिहाई से अधिक को कवर करता है, जिसे G7, चीन और भारत सहित 45 विश्व के देशों का समर्थन प्राप्त है।
  • परिणाम:
    • हाल के वर्षों में व्यावहारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि के साथ ही आवश्यक प्रौद्योगिकियों को तैनात करने में प्रगति हुई है, जिसमें वर्ष 2022 में वैश्विक नवीकरणीय क्षमता में 8% की वृद्धि का पूर्वानुमान शामिल है जो पहली बार 300GW के साथ लगभग 225 मिलियन घरों को विद्युत उपलब्ध कराने के बराबर है।
    • रिपोर्ट में विश्लेषण किये गए पाँच क्षेत्रों में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन का लगभग 60% हिस्सा है, और वर्ष 2030 तक आवश्यक उत्सर्जन में कमी कर सकता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को अधिकतम 1.5 डिग्री सेल्सियस, पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप तक सीमित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।
    • विश्व सही मायने में पहले से ही वैश्विक ऊर्जा संकट के दौर में है, विश्व अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से विकासशील देशों को इस संकट के अधिक घातक प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है।
      • तेल, गैस और बिजली से जुड़े बाज़ारों में ऊर्जा संकट उभर कर सामने आया है तथा महामारी, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव व रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण यह संकट और बढ़ गया है।
    • ऊर्जा और जलवायु संकट ने 20वीं शताब्दी की उस प्रणाली की कमज़ोरियों एवं सुभेद्यताओं को उजागर किया है जो ईंधन पर बहुत अधिक निर्भर है।

Agriculture-land

  • सिफारिशें:
    • समाधानों की सीमा का विस्तार करने और परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये लचीली कम कार्बन वाली विद्युत प्रणालियों का प्रदर्शन और परीक्षण करना।
    • कम कार्बन युक्त ऊर्जा में व्यापार बढ़ाने, उत्सर्जन को कम करने, ऊर्जा सुरक्षा में सुधार और तंत्र में लचीलापन बढ़ाने के लिये इस दशक में नए क्रॉस-बॉर्डर सुपरग्रिड का निर्माण करना।
    • कोयला उत्पादक देशों के स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के रूपांतरण में मदद करने के लिये वित्त और तकनीकी सहायता के चैनल के लिये विशेषज्ञता के नए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करना।
    • एक सामान्य परिभाषा और लक्ष्य तिथियों पर सहमत होना जिसके द्वारा सभी नए वाहनों के शुद्ध शून्य उत्सर्जक होंने के लक्ष्य को वर्ष 2035 तथा भारी वाहनों के लिये वर्ष 2040 के दशक को लक्षित करना।
    • विकासशील देशों के लिये प्राथमिक सहायता सहित चार्जिंग बुनियादी ढाँचे के लिये निवेश जुटाना और निवेश को बढ़ावा देने तथा वैश्विक स्तर पर अपनाने में तेज़ी लाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय चार्जिंग मानकों में सामंजस्य स्थापित करना।
    • कोबाल्ट और लिथियम जैसी कीमती धातुओं पर निर्भरता को कम करने के लिये बैटरी निर्माण हेतु रसायन विज्ञान में वैकल्पिक बैटरी और सुपरचार्जिंग अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिये।
    • वैश्विक व्यापार को सक्षम बनाने के लिये मानकों के साथ-साथ कम कार्बन और नवीकरणीय हाइड्रोजन की मांग तथा तैनाती हेतु सरकारी नीतियाँ एवं निजी क्षेत्र की खरीद प्रतिबद्धताएँ तय हों।
    • कृषि प्रौद्योगिकियों और कृषि पद्धतियों में निवेश जो कि पशुधन एवं उर्वरकों से उत्सर्जन में कटौती कर सकते हैं, वैकल्पिक प्रोटीन की उपलब्धता का विस्तार कर सकते हैं और जलवायु अनुकूल फसलों के विकास में तेज़ीजी ला सकते हैं।

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  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC)  पार्टियों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत ने क्या प्रतिबद्धताएँ तय की हैं? (2021)

प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने हेतु नियंत्रण उपायों की व्याख्या कीजिये। (2022)

स्रोत:इकोनॉमिक टाइम्स

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