भारत-EFTA व्यापार समझौता
प्रिलिम्स के लिये:व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते, यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ, "डेटा विशिष्टता", बौद्धिक संपदा अधिकार, सतत् विकास के लिये नीली अर्थव्यवस्था पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स। मेन्स के लिये:भारत की आर्थिक कूटनीति, भारत और ईएफटीए संबंधों में प्रमुख विकास। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
भारत एवं यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ द्वारा हाल ही में व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत ने पहले समझौते में "डेटा विशिष्टता" खंड को शामिल करने से इनकार कर दिया था, जो भारतीय दवा कंपनियों की जेनेरिक दवाओं के उत्पादन को प्रतिबंधित करता था।
- वर्तमान में, भारत और EFTA द्वारा सर्वाधिक "संवेदनशील" कृषि उत्पादों एवं सोने के आयात को समझौते से बाहर करने पर सहमति व्यक्त की है।
TEPA की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- परिचय: असहमति के कारण वर्ष 2013 में प्रारंभिक वार्ता टूटने के एक दशक बाद भारत-EFTA व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया था।
- हाल के भू-राजनीतिक परिवर्तन एवं चीन पर निर्भरता कम करने के साझा लक्ष्य ने समझौते को सुविधाजनक बनाया।
- TEPA निर्माण के चौदह अध्यायों में शामिल किये गए प्राथमिक विषय हैं- वस्तुओं से संबंधित बाज़ार पहुँच, उत्पत्ति के नियम, व्यापार उपचार, स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपाय, व्यापार सुविधा, तकनीकी व्यापार बाधाएँ, निवेश प्रोत्साहन, सेवाओं के संबंध में बाज़ार पहुँच, बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार तथा सतत् विकास और अन्य कानूनी व क्षैतिज प्रावधान आदि हैं।
- प्रमुख बिंदु:
- ईएफटीए प्रतिबद्धताएँ: भारत में 15 वर्षों में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाना। इस निवेश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शामिल नहीं है।
- इन निवेशों के माध्यम से भारत में 1 मिलियन प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित करने का लक्ष्य।
- TEPA में बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रतिबद्धताएँ,बौद्धिक संपदा अधिकार स्तर के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर हैं।
- टैरिफ ऑफर: EFTA भारत के 99.6% निर्यात को कवर करते हुए 92.2% टैरिफ लाइनें प्रदान करता है।
- भारत 82.7% टैरिफ लाइनों की पेशकश करता है जो 95.3% EFTA निर्यात को कवर करती है।
- भारत ने डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों को शुल्क रियायतों से बाहर रखा है।
- पारस्परिक मान्यता: TEPA में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि जैसी व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों के प्रावधान हैं।
- बाज़ार एकीकरण: TEPA भारत को यूरोपीय संघ के बाज़ारों में एकीकृत होने का अवसर प्रदान करता है।
- स्विट्ज़रलैंड का 40% से अधिक वैश्विक सेवा निर्यात यूरोपीय संघ को होता है।
- भारतीय कंपनियाँ यूरोपीय संघ तक अपनी बाज़ार पहुँच बढ़ाने के लिये स्विट्ज़रलैंड को आधार के रूप में उपयोग कर सकती हैं।
- EFTA से सेवाओं की पेशकश: EFTA द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी (मोड 1), वाणिज्यिक उपस्थिति (मोड 3) एवं प्रमुख कर्मियों के प्रवेश व अस्थायी प्रवास के लिये बेहतर प्रतिबद्धताओं और निश्चितता (मोड 4) के माध्यम से बेहतर पहुँच शामिल है।
- ईएफटीए प्रतिबद्धताएँ: भारत में 15 वर्षों में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाना। इस निवेश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शामिल नहीं है।
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ क्या है?
- परिचय: EFTA आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड का अंतर-सरकारी संगठन है (ये चारों यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं हैं)।
- इसकी स्थापना वर्ष 1960 में स्टॉकहोम कन्वेंशन द्वारा की गई थी।
- इसका उद्देश्य अपने चार सदस्य देशों और विश्व भर में उनके व्यापारिक भागीदारों के लाभ के लिये मुक्त व्यापार एवं आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।
- भारत और EFTA: यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और चीन के बाद भारत EFTA का 5वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- सत्र 2022-23 में भारत और EFTA के बीच द्विपक्षीय व्यापार 18.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि भारत के लिये व्यापार घाटा 14.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- देशों के इस समूह में स्विट्ज़रलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, उसके बाद नॉर्वे है।
- भारत में सबसे बड़ा निर्यात फार्मास्युटिकल आइटम (11.4%) और मशीनरी (17.5%) का था, जबकि EFTA आयात का आयात का बड़ा हिस्सा कार्बनिक रसायन (27.5%) थे।
- सत्र 2022-23 में भारत और EFTA के बीच द्विपक्षीय व्यापार 18.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि भारत के लिये व्यापार घाटा 14.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
नोट: TEPA पिछले 3 वर्षों में व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये भारत द्वारा हस्ताक्षरित चौथा बड़ा सौदा है। अन्य ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात के साथ हैं।
EFTA राष्ट्रों के साथ भारत के संबंध कैसे हैं?
- भारत और नॉर्वे
- वर्ष 1947 में संबंधों की स्थापना के बाद से भारत और नॉर्वे के बीच सौहार्दपूर्ण तथा मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं।
- भारत में नॉर्वे का पहला वाणिज्य दूतावास क्रमशः वर्ष 1845 और वर्ष 1857 में कोलकाता तथा मुंबई में स्थापित किया गया।
- नॉर्वे ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था, वासेनार व्यवस्था और ऑस्ट्रेलिया समूह जैसे निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है।
- वर्ष 2020 में, सतत् विकास के लिये ब्लू इकोनॉमी पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स का उद्घाटन दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
- HIMADRI, भारत का पहला अनुसंधान स्टेशन अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक अनुसंधान आधार, NyAlesund, स्वालबार्ड, नॉर्वे में स्थित है।
- भारत और स्विट्ज़रलैंड संबंध:
- स्वतंत्रता के तुरंत बाद स्विट्ज़रलैंड ने भारत के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये। 14 अगस्त 1948 को नई दिल्ली में भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच मित्रता की संधि पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत एशिया में स्विट्ज़रलैंड का चौथा और दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- नेस्ले, होलसिम, सुल्ज़र और नोवार्टिस जैसी 300 से अधिक स्विस कंपनियों का भारत में संचालन होता है तथा भारतीय IT प्रमुख TCS, इंफोसिस एवं HCL स्विट्ज़रलैंड में कार्य करती हैं।
- भारत और आइसलैंड
- भारत और आइसलैंड के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत वर्ष 1972 से शुरू हुई तथा वर्ष 2005 से उच्च स्तरीय वार्ता तथा आदान-प्रदान के साथ दोनों देशों के संबंध सुदृढ़ हुए हैं।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिये भारत की उम्मीदवारी को सार्वजनिक रूप से समर्थन देने वाला आइसलैंड पहला नॉर्डिक देश था।
- भारत और आइसलैंड ने हाल ही में नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, डीकार्बोनाइज़ेशन पहल तथा भूतापीय ऊर्जा के संबंध में सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- भारत और लिकटेंस्टीन
- भारत और लिकटेंस्टीन ने वर्ष 1993 में राजनयिक संबंध स्थापित किये।
- RBI के आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2000 से मार्च 2020 तक लिकटेंस्टीन से FDI अंतर्वाह 44.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'व्यापक-आधायुक्त व्यापार और निवेश करार (ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट/BTIA)' कभी-कभी समाचारों में भारत तथा निम्नलिखित में से किस एक के बीच बातचीत के संदर्भ में दिखाई पड़ता है। (2017) (a) यूरोपीय संघ उत्तर: A प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) के ‘मुक्त व्यापार भागीदारों’ में से हैं? (a) 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) प्रश्न. 'रीज़नल कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) (a) G20 उत्तर: (b) |
SHG के माध्यम से महिला-सशक्तीकरण पर SBI का अध्ययन
प्रिलिम्स के लिये:लखपति दीदी, स्वयं सहायता समूह, नाबार्ड, SHG-बैंक लिंकेज कार्यक्रम, डे- NRLM मेन्स के लिये:महिलाओं को सशक्त बनाने में SHG की भूमिका, SHG से संबंधित पहल |
स्रोत: स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने पर SBI का अध्ययन
चर्चा में क्यों?
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने हाल ही में भारत में स्वयं सहायता समूहों की उभरती गतिशीलता पर प्रकाश डालते हुए एक शोध अध्ययन का अनावरण किया।
- यह अध्ययन SHG, उनके सदस्यों और 'लखपति दीदी' के नाम से जाने जाने वाले उभरते समूह के बीच ऋण उपयोग एवं डिजिटल व्यवहार के पैटर्न पर प्रकाश डालता है।
अध्ययन के मुख्य तथ्य क्या हैं?
- SHG और लखपति दीदी का उदय:
- भारत में स्वयं सहायता समूह, जिनकी संख्या लगभग 8.5 मिलियन है और जिनमें लगभग 92.1 मिलियन सदस्य हैं, एक परिवर्तनकारी क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं।
- इस गति का एक उल्लेखनीय परिणाम लखपति दीदियों का बढ़ता अनुपात है।
- लखपति दीदी एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य SHG में महिलाओं को स्थायी आजीविका प्रथाओं के माध्यम से प्रति वर्ष कम-से-कम 1,00,000 रुपए कमाने के लिये सशक्त बनाना है।
- यह कार्यक्रम वर्ष 2023 में 2 करोड़ महिलाओं के प्रारंभिक लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था, लेकिन सत्र 2024-25 में लक्ष्य को बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है।
- यह गति सकल मूल्य वर्द्धन और आर्थिक उत्पादन में महिलाओं के बढ़ते योगदान को रेखांकित करता है।
- औपचारिकीकरण पहल के माध्यम से, औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी स्पष्ट है, जैसा कि बढ़ती महिला श्रम बल भागीदारी दर में परिलक्षित होता है।
- इस गति का एक उल्लेखनीय परिणाम लखपति दीदियों का बढ़ता अनुपात है।
- भारत में स्वयं सहायता समूह, जिनकी संख्या लगभग 8.5 मिलियन है और जिनमें लगभग 92.1 मिलियन सदस्य हैं, एक परिवर्तनकारी क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं।
- बैंक लिंकेज और क्रेडिट पहुँच:
- SHG बैंक लिंकेज प्रोग्राम, एक गेम-चेंजर के रूप में स्थापित हुआ है, जिसमें लगभग 97.5% SHG के अब बैंक खाते हैं।
- यह मज़बूत बैंकिंग संबंध समय पर ऋण पहुँच को सक्षम बनाता है, जो आर्थिक मूल्यवर्द्धन के लिये महत्त्वपूर्ण है। कम ब्याज दरों पर इष्टतम फंड के साथ, SHG बाधाओं पर नियंत्रण कर अपनी पूरी मार्केटिंग क्षमता का उपयोग करते हैं।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का SHG पोर्टफोलियो अब लगभग 2 ट्रिलियन रुपए है।
- SHG बैंक लिंकेज प्रोग्राम, एक गेम-चेंजर के रूप में स्थापित हुआ है, जिसमें लगभग 97.5% SHG के अब बैंक खाते हैं।
- क्रेडिट उपयोग और पुनर्भुगतान:
- वित्त वर्ष 2019 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में SHG को स्वीकृत औसत सीमा 2.2 गुना बढ़ा दी गई है।
- क्रेडिट पुनर्भुगतान में काफी सुधार हुआ है, वित्त वर्ष 2019 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में औसत पुनर्भुगतान 3.9 गुना बढ़ गया है, जो विवेकपूर्ण और समय पर पुनर्भुगतान को दर्शाता है।
- डिजिटल समावेशन:
- बैंक मित्र और डिजिटल दीदी अभूतपूर्व पैमाने पर वित्तीयकरण को सक्षम कर रहे हैं।
- सरस मेला जैसी पहल सराहनीय हैं, लेकिन इन्हें ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शामिल करके इसे और बढ़ाया जा सकता है।
- सभी क्षेत्रों में आधार सक्षम भुगतान प्रणाली के माध्यम से व्यय FY23 से FY24 में कम-से-कम 3 गुना बढ़ गया।
- आय वृद्धि:
- FY19-FY24 के दौरान महिला SHG सदस्यों की आय तीन गुना हो गई है, शहरी सदस्यों की आय में 4.6 गुना वृद्धि देखी गई है।
- FY24 बनाम FY19 में लगभग 65% ग्रामीण SHG सदस्यों की सापेक्ष आय में वृद्धि हुई है।
- राज्यवार प्रगति:
- जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना SHG में अग्रणी हैं, तमिलनाडु, उत्तराखंड, केरल, पंजाब तथा गुजरात जैसे अन्य राज्यों ने भी महिला SHG आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
- FY27 तक भारत के प्रत्येक राज्य में लखपति दीदीयों की संख्या में वृद्धि होकर इनकी संख्या लाखों में होने की उम्मीद है।
- जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना SHG में अग्रणी हैं, तमिलनाडु, उत्तराखंड, केरल, पंजाब तथा गुजरात जैसे अन्य राज्यों ने भी महिला SHG आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
स्वयं सहायता समूह (SHG)
- स्वयं सहायता समूह (SHG) समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के अनौपचारिक संघ हैं जिनका लक्ष्य निर्धनता, अशिक्षा और कौशल की कमी जैसे सामान्य मुद्दों का सामूहिक रूप से समाधान करना है।
- ये समूह हाशिये पर जीवन यापन करने वाले समुदायों के भीतर स्व-रोज़गार और निर्धनता उन्मूलन को बढ़ावा देते हुए स्व-शासन तथा सहकर्मी समर्थन को प्रोत्साहन देते हैं।
- भारत में SHG मॉडल प्रोफेसर यूनुस के ग्रामीण बैंक मॉडल से प्रेरित होकर वर्ष 1984 में प्रस्तुत किया गया था।
- केरल में कुदुंबश्री, महाराष्ट्र में महिला आर्थिक विकास महामंडल और लूम्स ऑफ लद्दाख सफल SHG के कुछ उदाहरण हैं।
SHG-बैंक लिंकेज प्रोग्राम (SHG-BLP)
- वर्ष 1989 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा शुरू किया गया SHG-BLP, वर्ष 1992 तक एक एक्शन रिसर्च से एक पायलट प्रोजेक्ट में बदल गया।
- भारतीय रिज़र्व बैंक और नाबार्ड के समर्थन से SHG, बैंकों तथा गैर सरकारी संगठनों के बीच इस सहयोगात्मक प्रयास का उद्देश्य वंचित गरीब परिवारों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना है।
- समय के साथ यह विश्व की सबसे बड़ी माइक्रोफाइनेंस परियोजना बन गई है जो लगभग 16.19 करोड़ परिवारों, मुख्य रूप से महिला समूहों लाभान्वित कर समग्र देश में महिलाओं को सशक्त बनाता है।
- नाबार्ड के प्रयासों में नीति समर्थन, प्रशिक्षण कार्यक्रम और सभी हितधारकों के लिये क्षमता निर्माण शामिल हैं जो इस बचत-आधारित माइक्रोफाइनेंस मॉडल की सफलता में योगदान दे रहे हैं।
SHG के सम्मुख क्या चुनौतियाँ हैं?
- सीमित संसाधन:
- SHG साधारणतः सीमित वित्तीय संसाधनों के साथ कार्य करते हैं, जिससे परिचालन क्षमता में वृद्धि करने हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचे, विपणन और वितरण चैनलों में निवेश करना मुश्किल हो जाता है।
- गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण:
- विशेषकर सीमित संसाधनों और तकनीकी विशेषज्ञता के साथ छोटे पैमाने पर कार्य करते हुए उत्पादों अथवा सेवाओं की गुणवत्ता में निरंतरता तथा मानकीकरण सुनिश्चित करना SHG के लिये एक चुनौती हो सकती है।
- प्रौद्योगिकी तक पहुँच:
- डिजिटल प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स समाधान और स्वचालित उत्पादन प्रक्रियाओं जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियों तक सीमित पहुँच, SHG की कुशलतापूर्वक स्केल करने तथा व्यापक बाज़ारों तक पहुँच की क्षमता में बाधा डाल सकती है।
- बाज़ार तक सीमित पहुँच:
- बाज़ार की जानकारी के अभाव, सीमित वितरण चैनल और स्थापित व्यवसायों से प्रतिस्पर्द्धा जैसे कारकों के कारण SHG अमूमन अपने स्थानीय समुदायों के अतिरिक्त व्यापक बाज़ार तक पहुँच प्राप्त करने में संघर्ष करते हैं।
- सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ:
- कुछ समुदायों में SHG को सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे- लैंगिक भेदभाव, परिवार के सदस्यों से समर्थन की कमी अथवा परिवर्तन का प्रतिरोध जो उनके विकास और स्वीकृति में बाधा बन सकता है।
SHG से संबंधित पहल क्या हैं?
- दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन: इसे ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (SHG ) में संगठित करने के लिये मिशन मोड में लागू किया गया है।
- इसका उद्देश्य SHG की आय में वृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु उन्हें सहायता प्रदान करना है।
- स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम और महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना इसकी उप-योजनाएँ हैं।
- SVEP का लक्ष्य गैर-कृषि क्षेत्रों में ग्रामीण स्तर पर उद्यम स्थापित करने में SHG सदस्यों की सहायता करना है।
- MKSP देशभर में लगभग 1.77 करोड़ महिला किसानों को कवर करते हुए कृषि में महिलाओं को सशक्त बनाता है।
- सूक्ष्म उद्यम विकास कार्यक्रम (MEDPs):
- नाबार्ड, वर्ष 2006 से परिपक्व SHG के लिये आवश्यकता-आधारित कौशल विकास कार्यक्रमों (MEDP) का समर्थन कर रहा है जिनके पास पहले से ही बैंकों से वित्त तक पहुँच है।
- MEDP एक ऑन-लोकेशन कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो कौशल की कमी को पूरा करने अथवा SHG सदस्यों द्वारा पहले से अपनाई गई उत्पादन गतिविधियों के अनुकूलन को सुविधाजनक बनाने का प्रयास करता है।
- नाबार्ड, वर्ष 2006 से परिपक्व SHG के लिये आवश्यकता-आधारित कौशल विकास कार्यक्रमों (MEDP) का समर्थन कर रहा है जिनके पास पहले से ही बैंकों से वित्त तक पहुँच है।
- भारत के पिछड़े और वामपंथी उग्रवाद ज़िलों में महिला स्वयं सहायता समूहों (WSHGs) को बढ़ावा देने की योजना:
- इस योजना का लक्ष्य एंकर एजेंसियों की सहायता से स्थायी WSHG स्थापित करना, बैंकों के साथ क्रेडिट लिंकेज की सुविधा प्रदान करना, आजीविका के लिये सहायता प्रदान करने के साथ ऋण भुगतान सुनिश्चित करना भी है।
आगे की राह
- दूरदराज़ के क्षेत्रों और वंचित समुदायों तक एसएचजी-बीएलपी की पहुँच का विस्तार करना।
- क्रेडिट आवेदन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ ही SHG की विभिन्न आवश्यकताओं के अनुरूप वित्त प्रदान करना।
- SHG तथा बड़े निगमों, खुदरा शृंखलाओं एवं ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के बीच बाज़ार संपर्क को सुविधाजनक बनाना।
- प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों एवं ऑनलाइन बाज़ारों में भागीदारी के माध्यम से SHG उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को बढ़ावा देना।
- SHG गतिविधियों का समर्थन करने के लिये भंडारण सुविधाओं, परिवहन नेटवर्क एवं सामान्य उत्पादन केंद्रों जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश करना।
- स्वयं सहायता समूहों के समग्र विकास के लिये संसाधनों, विशेषज्ञता तथा नेटवर्क का लाभ उठाने हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण क्षेत्रीय निर्धनों के आजीविका विकल्पों को सुधारने का किस प्रकार प्रयास करता है? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. "वर्तमान समय में स्वयं सहायता समूहों का उद्भव राज्य के विकासात्मक गतिविधियों से धीमे परंतु निरंतर पीछे हटने का संकेत है"। विकासात्मक गतिविधियों में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका का एवं भारत सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिये किये गए उपायों का परीक्षण कीजिये। (2017) प्रश्न. आत्मनिर्भर समूह (एस.एच.जी.) बैंक अनुबंधन कार्यक्रम (एस.बी.एल.पी.), जो कि भारत का स्वयं का नवाचार है, निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण कार्यक्रमों में एक सर्वाधिक प्रभावी कार्यक्रम साबित हुआ है। सविस्तार स्पष्ट कीजिये। (2015) |
भारत-भूटान संबंध
प्रिलिस्म के लिये:भारत भूटान संबंध, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध, सतत् विकास मेन्स के लिये:भारत-भूटान संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भूटान के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया जिस दौरान भारत ने भूटान के साथ व्यापक वार्ता की और दोनों देशों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- भारत और भूटान के बीच घनिष्ठ तथा सौहार्दपूर्ण संबंध विश्वास, सद्भावना एवं साझा मूल्यों में गहराई से निहित हैं, जो सभी स्तरों पर साझीदारी के माध्यम से व्याप्त हैं।
- दोनों देशों की यह चिरस्थाई मित्रता दक्षिण एशिया में पारस्परिक समृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता के लिये आधारशिला का कार्य करती है।
नोट: अंतरिम बजट 2024-25 में विदेश मंत्रालय (MEA) को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये 22,154 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के अनुरूप भूटान को सहायता पोर्टफोलियो का सबसे बड़ा हिस्सा प्रदान किया गया है। वर्ष 2023-24 में 2,400 करोड़ रुपए के आवंटन की तुलना में वर्ष 2024-25 में भूटान को 2,068 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
भारत-भूटान द्विपक्षीय वार्ता से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- पेट्रोलियम समझौता:
- दोनों देशों ने हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में आर्थिक सहयोग और विकास को बढ़ावा देने, भारत से भूटान को विश्वसनीय तथा निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- खाद्य सुरक्षा सहयोग:
- भूटान के खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण तथा भारत के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने खाद्य सुरक्षा उपायों में सहयोग बढ़ाने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- यह समझौता खाद्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित कर और अनुपालन लागत को कम करके दोनों देशों के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाएगा।
- ऊर्जा दक्षता और संरक्षण:
- दोनों देशों ने ऊर्जा दक्षता और संरक्षण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जो सतत् विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- भारत का लक्ष्य घरों में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने, ऊर्जा-कुशल उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने और मानकों तथा लेबलिंग योजनाओं को विकसित करने में भूटान की सहायता करना है।
- सीमा विवाद समाधान:
- भूटान के प्रधानमंत्री का यह दौरा चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिये चल रही चर्चा के साथ मेल खाती है जिसका क्षेत्रीय सुरक्षा, विशेषकर डोकलाम क्षेत्र में, पर प्रभाव पड़ता है।
- अगस्त 2023 में चीन और भूटान ने अपनी सीमा विवाद का समाधान करने हेतु एक योजना पर सहमति व्यक्त की।
- इसके बाद अक्तूबर 2021 में समझौते पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किये गए।
- यह समझौता डोकलाम में भारत और चीन के बीच जारी संघर्ष के चार वर्ष बाद हुआ जो वर्ष 2017 में चीन द्वारा संबद्ध क्षेत्र में सड़क बनाने के प्रयास के कारण शुरू हुआ था।
- गेलफू में भूटान का क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र:
- गेलेफू में एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र के लिये भूटान की यह योजना क्षेत्रीय विकास एवं कनेक्टिविटी की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- दिसंबर 2023 में भूटान के राजा द्वारा शुरू की गई इस परियोजना का लक्ष्य 1,000 वर्ग किलोमीटर में फैले "गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी" की स्थापना करना है। गगनचुंबी इमारतों की विशेषता वाले पारंपरिक वित्तीय केंद्रों के विपरीत, गेलेफू आईटी, शिक्षा, आतिथ्य एवं स्वास्थ्य देखभाल जैसे गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत् विकास को प्राथमिकता देगा।
- भारत की "एक्ट ईस्ट" नीति तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं भारत-प्रशांत क्षेत्र में उभरती कनेक्टिविटी पहल के चौराहे पर स्थित, गेलेफू आर्थिक एकीकरण तथा व्यापार सुविधा को बढ़ावा देने में रणनीतिक महत्त्व रखता है।
- गेलेफू में एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र के लिये भूटान की यह योजना क्षेत्रीय विकास एवं कनेक्टिविटी की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
भारत के लिये भूटान का महत्त्व क्या है?
- सामरिक महत्त्व:
- भूटान की सीमाएँ भारत और चीन के साथ लगती हैं तथा इसकी रणनीतिक स्थिति इसे भारत के सुरक्षा हितों के लिये एक महत्त्वपूर्ण बफर राज्य बनाती है।
- भारत ने भूटान को रक्षा, बुनियादी ढाँचे एवं संचार जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है, जिससे भूटान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने में सहायता प्राप्त हुई है।
- भारत ने भूटान को अपनी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने तथा अपनी क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिये सड़क और पुल जैसे सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे के निर्माण तथा रखरखाव में सहायता प्रदान की है।
- वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान, भूटान ने चीनी घुसपैठ का विरोध करने के लिये भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आर्थिक महत्त्व:
- भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार तथा भूटान का प्रमुख निर्यात गंतव्य है।
- भूटान की जलविद्युत क्षमता उसके राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है साथ ही भारत ने भूटान की जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने में भी सहायता की है।
- सांस्कृतिक महत्त्व:
- भूटान तथा भारत मज़बूत सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं, क्योंकि दोनों देशों में मुख्य रूप से बौद्ध धर्म को मानने वाली जनसंख्या निवास करती हैं।
- भारत ने भूटान को उसकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में सहायता की है एवं कई भूटानी छात्र उच्च शिक्षा के लिये भारत भी आते हैं।
- पर्यावरणीय महत्त्व:
- भूटान विश्व के उन कुछ देशों में से एक है जिसने कार्बन-तटस्थ रहने का संकल्प लिया है एवं भारत, भूटान को इस लक्ष्य को प्राप्त कराने में प्रमुख सहायक रहा है।
- भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा, वन संरक्षण एवं सतत् पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भूटान को सहायता प्रदान की है।
भारत-भूटान संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?
- चीन का बढ़ता प्रभाव:
- भूटान में, विशेषकर भूटान और चीन के बीच विवादित सीमा पर चीन की बढ़ती उपस्थिति ने भारत की चिंताएँ बढ़ा दी हैं। भारत भूटान का सबसे करीबी सहयोगी रहा है और उसने भूटान की संप्रभुता तथा सुरक्षा की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- चीन और भूटान ने अभी तक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किये हैं, लेकिन मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान बनाए रखा है।
- सीमा विवाद:
- भारत तथा भूटान के बीच 699 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो काफी हद तक शांतिपूर्ण रही है।
- हालाँकि, हाल के वर्षों में चीनी सेना द्वारा सीमा पर घुसपैठ की कुछ घटनाएँ हुई हैं।
- वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध भारत-चीन-भूटान ट्राइ-जंक्शन में एक प्रमुख टकराव का बिंदु था। ऐसे किसी भी विवाद के बढ़ने से भारत-भूटान संबंधों में तनाव आ सकता है।
- जलविद्युत परियोजनाएँ:
- भूटान का जलविद्युत क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है।
- हालाँकि, भूटान में कुछ जलविद्युत परियोजनाओं की शर्तों को लेकर चिंताएँ हैं, जिन्हें भारत के लिये बहुत अनुकूल माना जाता है।
- इसके कारण भूटान में इस क्षेत्र में भारतीय भागीदारी का कुछ लोगों ने विरोध किया है।
- भूटान का जलविद्युत क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है।
- व्यापार मुद्दे:
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भूटान के कुल आयात और निर्यात में 80% से अधिक योगदान है। हालाँकि, व्यापार असंतुलन को लेकर भूटान में कुछ चिंताएँ हैं, भूटान निर्यात की तुलना में भारत से अधिक आयात करता है।
- भूटान अपने उत्पादों के लिये भारतीय बाज़ार तक अधिक पहुँच की मांग कर रहा है, जिससे व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भूटान के कुल आयात और निर्यात में 80% से अधिक योगदान है। हालाँकि, व्यापार असंतुलन को लेकर भूटान में कुछ चिंताएँ हैं, भूटान निर्यात की तुलना में भारत से अधिक आयात करता है।
भूटान से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- भूटान भारत और चीन के बीच बसा हुआ है तथा चारों तरफ से भू-आबद्ध देश है। भूटान के परिदृश्य पर पहाड़ एवं घाटियाँ की बहुलता है।
- थिम्पू भूटान की राजधानी है।
- देश में प्रथम लोकतांत्रिक चुनाव होने के बाद वर्ष 2008 में भूटान एक लोकतंत्र बन गया। भूटान के राजा राष्ट्र के प्रमुख हैं।
- भूटान का आधिकारिक नाम ‘किंगडम ऑफ भूटान' है, जिसे भूटानी भाषा में ‘ड्रुक ग्याल खाप’ (Druk Gyal Khap) कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'लैंड ऑफ थंडर ड्रैगन'।
- भूटान भारत और चीन के बीच बसा हुआ है तथा चारों तरफ से भू-आबद्ध देश है। भूटान के परिदृश्य पर पहाड़ एवं घाटियाँ की बहुलता है।
- नदी:
- भूटान की सबसे लंबी नदी मानस नदी है जिसकी लंबाई 376 किमी. से अधिक है।
- मानस नदी दक्षिणी भूटान और भारत के बीच हिमालय की तलहटी में सीमा बनाती है।
- भूटान की सबसे लंबी नदी मानस नदी है जिसकी लंबाई 376 किमी. से अधिक है।
आगे की राह
- भारत बुनियादी ढाँचे के विकास, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में निवेश करके भूटान को उसकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इससे न केवल भूटान को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी बल्कि वहाँ के लोगों के लिये रोज़गार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
- भारत और भूटान एक-दूसरे की संस्कृति, कला, संगीत तथा साहित्य की अधिक समझ एवं सराहना को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकते हैं।
- दोनों देशों के लोगों की वीज़ा-मुक्त आवागमन उप-क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत कर सकती है।
- भारत और भूटान साझा सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिये अपने रणनीतिक सहयोग को मज़बूत कर सकते हैं। वे आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये मिलकर काम कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:Q. दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (2016) |
मानव विकास रिपोर्ट 2023-24
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, मानव विकास रिपोर्ट, सकल घरेलू उत्पाद , सकल राष्ट्रीय आय मेन्स के लिये:मानव विकास रिपोर्ट 2023-24, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप तथा उनके विनिर्माण एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
'ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक: रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड' शीर्षक वाली मानव विकास रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, भारत वैश्विक मानव विकास सूचकांक में 134वें स्थान पर है जबकि स्विट्जरलैंड को पहला स्थान प्राप्त हुआ है।
- यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी की गई है।
मानव विकास रिपोर्ट:
- परिचय:
- मानव विकास रिपोर्ट (HDR) वर्ष 1990 से जारी की रही है, जिसने मानव विकास दृष्टिकोण के माध्यम से विभिन्न विषयों का पता लगाया है।
- यह मानव विकास रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित की जाती है।
मानव विकास सूचकांक:
- HDI एक समग्र सूचकांक है जो चार संकेतकों को ध्यान में रखते हुए मानव विकास में औसत उपलब्धि को मापता है:
- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (सतत् विकास लक्ष्य 3),
- स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष (सतत् विकास लक्ष्य 4.3),
- स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष (सतत् विकास लक्ष्य 4.4),
- सकल राष्ट्रीय आय-GNI) (सतत् विकास लक्ष्य 8.5)
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रदर्शक:
- शीर्ष तीन देश (स्कोर): स्विट्ज़रलैंड (0.967), नॉर्वे (0.966) और आइसलैंड (0.959)।
- अंतिम तीन देश: सोमालिया (0.380), दक्षिण सूडान (0.381), मध्य अफ़्रीकी गणराज्य (0.387)।
- बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ: यूएसए (0.927), यूके (0.889), जापान (0.878), रूस (0.821)।
- सूचकांक में रैंक नहीं किये गए देश: डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) और मोनाको।
- विकास असमानता के अभूतपूर्व स्तर:
- विकसित देशों ने अभूतपूर्व विकास का अनुभव किया। लेकिन दुनिया के आधे सबसे अविकसित देश अपने पूर्व-कोविड-19 संकट के स्तर से नीचे बने हुए हैं।
- विकसित और अविकसित देशों के बीच असमानताओं को लगातार कम करने का दो दशकों का रुझान अब उलट गया है।
- जबकि HDI के वर्ष 2020 और 2021 में गिरावट के बाद वर्ष 2023 में रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँचने का अनुमान है, विकसित तथा अविकसित देशों के बीच विकास के स्तर में काफी अंतर है।
- विकसित देशों ने अभूतपूर्व विकास का अनुभव किया। लेकिन दुनिया के आधे सबसे अविकसित देश अपने पूर्व-कोविड-19 संकट के स्तर से नीचे बने हुए हैं।
- लोकतंत्र का विरोधाभास:
- एक उभरता हुआ "लोकतंत्र विरोधाभास" है, जिसमें सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश लोग लोकतंत्र के लिये समर्थन व्यक्त करते हैं, लेकिन ऐसे नेताओं का भी समर्थन करते हैं जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमज़ोर कर सकते हैं।
- इस विरोधाभास ने, शक्तिहीनता की भावना और सरकारी निर्णयों पर नियंत्रण की कमी के साथ मिलकर राजनीतिक ध्रुवीकरण तथा अंतर्मुखी नीति दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है।
- वैश्विक असमानताएँ और बढ़ता मानव विकास अंतर:
- पर्याप्त आर्थिक संकेंद्रण के कारण वैश्विक असमानताएँ और बढ़ गई हैं- वस्तुओं में वैश्विक व्यापार का लगभग 40% तीन या उससे कम देशों में संकेंद्रित है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 में, विश्व की तीन सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से प्रत्येक का बाज़ार पूंजीकरण उस वर्ष 90% से अधिक देशों के सकल घरेलू उत्पाद से अधिक हो गया।
- भारतीय अवलोकन:
- विभिन्न संकेतकों पर प्रदर्शन: भारत की औसत जीवन प्रत्याशा वर्ष 2022 में 67.7 वर्ष तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष 62.7 वर्ष थी।
- भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय बढ़कर 6951 अमेरिकी डॉलर हो गई है, जो 12 महीनों की अवधि में 6.3% की वृद्धि दर्शाती है।
- स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में वृद्धि हुई है, जो प्रति व्यक्ति 12.6 तक पहुँच गई है।
- HDI स्कोर: भारत ने वर्ष 2022 में 0.644 का HDI स्कोर प्राप्त किया, जो संयुक्त राष्ट्र की वर्ष 2023-24 रिपोर्ट में 193 देशों में से 134 वें स्थान पर है।
- यह भारत को 'मध्यम मानव विकास' के अंतर्गत वर्गीकृत करता है।
- वर्ष 1990 में भारत का HDI 0.434 था, जो वर्ष 2022 का स्कोर HDI 48.4% के सकारात्मक परिवर्तन को दर्शाता है।
- उल्लेखनीय उपलब्धियाँ: जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 9.1 वर्ष की वृद्धि, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में 4.6 वर्ष की वृद्धि एवं स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों में 3.8 वर्ष की वृद्धि हुई है।
- लिंग असमानता को कम करने में भारत की प्रगति ने वैश्विक औसत को पार करते हुए 0.437 के लिंग असमानता सूचकांक (GII) को उजागर किया।
- GII- 2022 सूची में जो प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तीकरण एवं श्रम बाज़ार भागीदारी के आधार पर देशों का मूल्यांकन करती है, भारत वर्ष 2022 में 166 देशों में से 108 वें स्थान पर था।
- लिंग असमानता को कम करने में भारत की प्रगति ने वैश्विक औसत को पार करते हुए 0.437 के लिंग असमानता सूचकांक (GII) को उजागर किया।
- विभिन्न संकेतकों पर प्रदर्शन: भारत की औसत जीवन प्रत्याशा वर्ष 2022 में 67.7 वर्ष तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष 62.7 वर्ष थी।
- भारत के पड़ोसी राष्ट्रों का प्रदर्शन:
- श्रीलंका को 78वें स्थान पर रखा गया है, जबकि चीन को 75वें स्थान पर रखा गया है, दोनों को उच्च मानव विकास श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
- भारत का स्थान भूटान, जो 125वें स्थान पर है और बांग्लादेश जो 129वें स्थान पर है, से भी नीचे है। भारत, भूटान और बांग्लादेश सभी मध्यम मानव विकास श्रेणी में हैं।
- नेपाल (146) और पाकिस्तान (164) को भारत से नीचे स्थान दिया गया है।
- श्रीलंका को 78वें स्थान पर रखा गया है, जबकि चीन को 75वें स्थान पर रखा गया है, दोनों को उच्च मानव विकास श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q. UNDP के समर्थन से 'ऑक्सफोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास नेतृत्व' द्वारा विकसित 'बहु-आयामी निर्धनता सूचकांक' में निम्नलिखित में से कौन-सा/से सम्मिलित है/हैं? (2012)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. उच्च संवृद्धि के लगातार अनुभव के बावजूद, भारत के मानव विकास के निम्नतम संकेतक चल रहे हैं। उन मुद्दों का परीक्षण कीजिये, जो संतुलित और समावेशी विकास को पकड़ में आने नहीं दे रहे हैं। (2019) |
छावनियों का राज्य नगर पालिकाओं के साथ विलय
प्रिलिम्स के लिये:छावनियों का राज्य नगर पालिकाओं, राज्य नगर पालिकाओं, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, शहरी स्वशासन, छावनी अधिनियम, 1924 के साथ विलय करना। मेन्स के लिये:छावनियों को राज्य नगर पालिकाओं, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के साथ विलय करना। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र ने देश की 10 छावनियों (58 में से) के नागरिक क्षेत्रों को गैर-अधिसूचित करने की अधिसूचना जारी की है। इन क्षेत्रों को संबंधित राज्य नगर पालिकाओं (स्थानीय निकायों) में विलय कर दिया जाएगा।
- सरकार की योजना उक्त छावनियों के कुछ क्षेत्रों को बाहर करने और ऐसे क्षेत्रों को राज्य के स्थानीय निकायों में विलय करने की है।
छावनियाँ क्या हैं?
- छावनियाँ मुख्य रूप से सैन्य कर्मियों के आवास और सहायक बुनियादी ढाँचे के लिये नामित क्षेत्र हैं।
- फ्राँसीसी शब्द "कैंटन" से उत्पन्न, जिसका अर्थ है "कोना" या "ज़िला", छावनियों को ऐतिहासिक रूप से अस्थायी सैन्य छावनियों के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- हालाँकि समय के साथ, वे अर्ध-स्थायी बस्तियों में विकसित हो गए हैं जो सैन्य कर्मियों और उनके परिवारों के लिये आवास, कार्यालय, स्कूल तथा अन्य सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
- भारत में छावनियों का इतिहास ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के काल से मिलता है। पहली छावनी वर्ष 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद वर्ष 1765 में कलकत्ता के पास बैरकपुर में स्थापित की गई थी।
- इन क्षेत्रों को शुरू में सैन्य टुकड़ियों को तैनात करने के लिये बनाया गया था, लेकिन नागरिक आबादी को शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया गया है जो सेना को सहायता और रसद सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- भारत के छावनी अधिनियम,1924 ने छावनियों के शासन और प्रशासन को औपचारिक रूप दिया, उनके प्रबंधन, विकास तथा विनियमन के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान किया।
भारत में छावनी प्रशासन के लिये तंत्र क्या है?
- छावनियाँ और उनकी संरचना:
- क्षेत्र और जनसंख्या के आकार के आधार पर छावनियों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है- वर्ग I से वर्ग IV तक।
- जबकि प्रथम श्रेणी छावनी में आठ निर्वाचित नागरिक और बोर्ड में आठ सरकारी अथवा सैन्य सदस्य होते हैं, वहीं चतुर्थ श्रेणी छावनी में दो निर्वाचित नागरिक एवं दो सरकारी अथवा सैन्य सदस्य होते हैं।
- यह बोर्ड छावनी प्रशासन के विभिन्न पहलुओं के लिये ज़िम्मेदार है।
- छावनी का स्टेशन कमांडर बोर्ड का पदेन अध्यक्ष होता है तथा रक्षा संपदा संगठन का एक अधिकारी मुख्य कार्यकारी एवं सदस्य-सचिव होता है।
- आधिकारिक प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिये बोर्ड में निर्वाचित एवं नामांकित अथवा पदेन सदस्यों का समान प्रतिनिधित्व होता है।
- प्रशासकीय नियंत्रण
- रक्षा मंत्रालय का एक अंतर-सेवा संगठन प्रत्यक्ष रूप से छावनी प्रशासन को नियंत्रित करता है।
- भारत के संविधान की संघ सूची (अनुसूची VII) की प्रविष्टि 3 के अनुसार, छावनियों का शहरी स्वशासन तथा उनमें आवास भारत की संघ सूची का विषय है।
- देश में लगभग 62 छावनियाँ हैं जिन्हें छावनी अधिनियम, 1924 (छावनी अधिनियम, 2006 द्वारा सफल) के तहत अधिसूचित किया गया है।
- नगर पालिकाओं द्वारा शहरी शासन की प्रशासनिक संरचना एवं विनियमन:
- केंद्रीय स्तर पर: 'शहरी स्थानीय सरकार' का विषय निम्नलिखित तीन मंत्रालयों द्वारा देखा जाता है:
- आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय।
- छावनी बोर्डों के मामले में रक्षा मंत्रालय।
- केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में गृह मंत्रालय।
- राज्य स्तर पर:
- संविधान के तहत शहरी प्रशासन राज्य सूची का हिस्सा है। इस प्रकार ULB का प्रशासनिक ढाँचा और विनियमन राज्यों में भिन्न-भिन्न है।
- संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 स्थानीय स्वशासन के संस्थानों के रूप में शहरी स्थानीय निकायों (ULB,नगर निगमों सहित) की स्थापना का प्रावधान करता है।
- इसने राज्य सरकारों को इन निकायों से राजस्व एकत्र करने के लिये कुछ कार्य, अधिकार एवं शक्ति सौंपने का अधिकार दिया और साथ ही उनके लिये समय-समय पर चुनाव अनिवार्य कर दिया।
- केंद्रीय स्तर पर: 'शहरी स्थानीय सरकार' का विषय निम्नलिखित तीन मंत्रालयों द्वारा देखा जाता है:
छावनियों के नगर पालिकाओं में विलय की क्या आवश्यकता है?
- विभिन्न प्रतिबंध:
- छावनी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों ने लंबे समय से विभिन्न प्रतिबंधों से संबंधित मुद्दों की शिकायत की है और कहा है कि छावनी बोर्ड उन्हें हल करने में विफल रहे हैं।
- उदाहरण के लिये, गृह ऋण तक पहुँच और परिसर के भीतर मुक्त आवागमन।
- स्थानीय शासन और नागरिक सुविधाएँ:
- नागरिक क्षेत्रों को नगरपालिका प्रशासन में शामिल करने से बेहतर नागरिक सुविधाएँ और ढाँचागत विकास हो सकता है।
- स्थानीय शासन के मामलों में निवासियों की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप शहरी नियोजन और सार्वजनिक सेवाएँ बेहतर होंगी।
छावनियों को नगर पालिकाओं में विलय करने में क्या मुद्दे हैं?
- कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियाँ:
- एक छावनी शहर से एक विलय किये गए नगर पालिका में परिवर्तन से छावनी और नागरिक क्षेत्रों के बीच सड़क, जल आपूर्ति, सीवेज तथा विद्युत जैसी बुनियादी ढाँचा प्रणालियों को एकीकृत करने जैसी विभिन्न कानूनी एवं प्रशासनिक चुनौतियाँ आ सकती हैं।
- मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों का विरोध:
- नगर पार्षद और राजनीतिक प्रतिनिधि नए विलय वाले क्षेत्रों के समर्थन के लिये अपने निर्वाचन क्षेत्रों से धन आवंटित करने का विरोध कर सकते हैं।
- यह प्रतिरोध शहर के भीतर असमानताओं को और बढ़ा सकता है तथा विलय वाले क्षेत्रों में सेवाओं एवं बुनियादी ढाँचे में सुधार-प्रयासों में बाधा डाल सकता है।
- बुनियादी ढाँचे की मांग:
- ULB में छावनी क्षेत्रों को अचानक शामिल करने से जल की आपूर्ति, सीवेज सिस्टम, परिवहन नेटवर्क और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं जैसे मौजूदा बुनियादी ढाँचे पर दबाव पड़ सकता है।
- ULB को विलय किये गए क्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में बुनियादी ढाँचे के उन्नयन और विस्तार के लिये संघर्ष करना पड़ सकता है, जिससे सेवा में व्यवधान तथा जीवन यापन की स्थिति खराब हो सकती है।
- पर्यावरणीय चिंता:
- विलय वाले क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण और व्यावसायीकरण, विशेष रूप से हिल स्टेशनों जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में, पर्यावरण एवं स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
- खराब विनियमित विकास से निर्वनीकरण, मृदा अपरदन, भू-स्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सुभेद्यता बढ़ सकती है।
- सुरक्षा संबंधी विचार:
- नागरिक क्षेत्रों की सैन्य प्रतिष्ठानों से निकटता, विशेष रूप से रक्षा सुविधाओं के समीप अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण के संबंध में, सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाती है।
- सैन्य कर्मियों और परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ULB को सेना द्वारा निर्धारित सुरक्षा दिशा-निर्देशों तथा नियमों का पालन करना चाहिये।
निष्कर्ष:
- छावनियों का ULB के साथ विलय करने का निर्णय वर्तमान की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और यह सुविचारित है।
- भारत के चारों ओर शत्रु देशों की उपस्थिति को देखते हुए, सेना को सीमाओं की रक्षा के प्रमुख कार्य के लिये स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित करने की आवश्यकता है और उस पर सैनिकों तथा युद्ध से असंबंधित कार्यों का बोझ नहीं डालना चाहिये।
- चूँकि सभी 62 छावनियों के विलय के बाद नागरिक क्षेत्रों की देखरेख का उत्तरदायित्व ULB का होगा इसलिये रक्षा बजट इन क्षेत्रों पर विक्रय किये जाने वाले धन को सेना की मुख्य आवश्यकताओं और जहाँ भी आवश्यक हो, सामाजिक बुनियादी ढाँचे हेतु उपयोग कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. स्थानीय स्वशासन की सर्वोत्तम व्याख्या यह की जा सकती है कि यह एक प्रयोग है। (2017) (a) संघवाद का उत्तर: (b) प्रश्न. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) |