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भारतीय अर्थव्यवस्था

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) और विदेशी मुद्रा भंडार

  • 13 May 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विदेशी मुद्रा भंडार और उसके घटक, एफपीआई, एफडीआई, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर)

मेन्स के लिये:

विदेशी मुद्रा भंडार रखने का उद्देश्य और इसका महत्त्व, एफपीआई और एफडीआई का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने पिछले छह महीनों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में 16.58 टन और अधिक स्वर्ण को शामिल किया है, जिससे देश की सोने की होल्डिंग 700 टन (लगभग 760.42) से अधिक हो गई है।

  • RBI द्वारा सोने का अधिग्रहण ऐसे समय में किया गया था जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors- FPIs) की भारत में रुचि समाप्त हो गई थी और विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2021 में 642.45 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से घटकर 29 अप्रैल, 2022 को 597.72 बिलियन अमेरिकी डाॅलर हो गया था।
  • अब भारत नौवांँ सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार धारक देश है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI):

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment- FPI) में विदेशी निवेशकों द्वारा निष्क्रिय रूप से रखी गई प्रतिभूतियांँ और अन्य वित्तीय परिसंपत्तियांँ शामिल होती हैं। यह निवेशक को वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्रदान नहीं करता तथा ये बाज़ार की अस्थिरता के आधार पर अपेक्षाकृत तरल होती हैं।
  • FPI किसी देश के पूंजी खाते का हिस्सा होता है और इसके भुगतान संतुलन (Balance of Payments- BOP) में दर्शाया जाता है।
    • BOP एक मौद्रिक वर्ष में एक देश से दूसरे देशों में होने वाले धन के प्रवाह की  मात्रा को मापता है। 
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा वर्ष 2014 के पूर्ववर्ती FPI विनियमों के स्थान पर नया एफपीआई विनियम, 2019 लागू किया गया। 
  • FPI को अक्सर "हॉट मनी" के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था में किसी भी प्रकार के संकट की स्थिति में सबसे पहले भागने वाले संकेतों की प्रवृत्ति को दर्शाता है। एफपीआई अधिक तरल और अस्थिर होता है, इसलिये यह FDI की तुलना में अधिक जोखिम भरा है। 

FPIs के लाभ:

  • अंतर्राष्ट्रीय ऋण तक पहुँच:
    • निवेशक विदेशों में ऋण की बढ़ी हुई राशि तक पहुँचने में सक्षम हो सकते हैं, जिससे निवेशक अधिक लाभ प्राप्त और अपने इक्विटी निवेश पर उच्च रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।
  • ह घरेलू पूंजी बाज़ारों की तरलता को बढ़ाता है:
    • जैसे-जैसे बाज़ार में तरलता बढ़ती जाती हैं, बाज़ार अधिक गहन और व्यापक होते जाते हैं, फलस्वरूप अधिक व्यापक श्रेणी के निवेशों को वित्तपोषित किया जा सकता है।
    • नतीजतन, निवेशक यह जानकर विश्वास के साथ निवेश कर सकते हैं कि यदि आवश्यकता हो तो वे अपने पोर्टफोलियो का शीघ्र प्रबंधन कर सकते हैं या अपनी वित्तीय प्रतिभूतियों को बेच सकते हैं।
  • यह इक्विटी बाज़ारों के विकास को बढ़ावा देता है:
    • वित्तपोषण के लिये बढ़ी हुई प्रतिस्पर्द्धा बेहतर प्रदर्शन, संभावनाओं और कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार करती है।  
    • जैसे-जैसे बाज़ार की तरलता और कार्यक्षमता विकसित होती है, इक्विटी की कीमतें निवेशकों के लिये उचित व प्रासंगिक बन जाती हैं और अंततः ये बाज़ार की दक्षता को बढ़ावा देती हैं।

FPI और FDI में अंतर:

  • अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं के लिये FPI और FDI दोनों ही वित्तपोषण के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) एक देश में एक फर्म या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया निवेश है। FDI एक निवेशक को विदेश में प्रत्यक्ष व्यापारिक गतिविधियों  में भागीदारी करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • उदाहरण: एक निवेशक कई तरह से FDI के अंतर्गत निवेश कर सकता  है। किसी अन्य देश में सहायक कंपनी स्थापित करना, किसी मौजूदा विदेशी कंपनी का अधिग्रहण करना या उनमें विलय करना, या किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त-उद्यम साझेदारी शुरू करना इसके कुछ सामान्य उदाहरण हैं।

FDI-FPI

विदेशी मुद्रा भंडार:

  • विदेशी मुद्रा भंडार एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्ति है, जिसमें बाँड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हो सकती हैं।
    • अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में है।
  • भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं:
  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का महत्त्व:
    • सरकार के लिये बेहतर स्थिति: विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही बढ़ोतरी भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार तथा रिज़र्व बैंक को बेहतर स्थिति प्रदान करती है।
    • संकट प्रबंधन: यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन, (BoP) संकट की स्थिति से निपटने में मदद करता है।
    • रुपए का अभिमूल्यन (Rupee Appreciation): बढ़ते भंडार ने डॉलर के मुकाबले रुपए को मज़बूत करने में मदद की है।
    • बाज़ार में विश्वास: यह भंडार बाज़ारों और निवेशकों को विश्वास का स्तर प्रदान करेगा कि एक देश अपने बाहरी दायित्वों को पूरा कर सकता है। 
  • नीति निर्माण में भूमिका: 
    • मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन के लिये नीतियों में समर्थन और विश्वास बनाए रखना।

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा समूह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल है? (2013)   

(a) विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और विदेशों से ऋण।
(b) विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ, आरबीआई और एसडीआर की स्वर्ण होल्डिंग्स।
(c) विदेशी मुद्रा संपत्ति, विश्व बैंक से ऋण और एसडीआर। 
(d) विदेशी मुद्रा संपत्ति, आरबीआई की स्वर्ण होल्डिंग और विश्व बैंक से ऋण।

उत्तर: (b) 


प्रश्न. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी इसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है? (2020)   

(a) यह अनिवार्य रूप से एक सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों के माध्यम से किया गया निवेश है।
(b) यह बड़े पैमाने पर गैर-ऋण उत्पन्ननकर्त्ता पूंजी प्रवाह है।
(c) इसमें ऋण-सेवा शामिल है।
(d) यह विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में किया गया निवेश है।

उत्तर: (b)  

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा पूंजी उपकरणों के माध्यम से किया गया निवेश है::  
    • एक असूचीबद्ध भारतीय कंपनी; या
    • एक सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के पूरी तरह से ‘पेड-अप’ इक्विटी पूंजी का 10% या अधिक।
  • इस प्रकार FDI किसी सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध कंपनी में हो सकता है।
  • एफडीआई के माध्यम से भारत में निवेश की गई पूंजी गैर-ऋण उत्पन्नकर्त्ता पूंजी प्रवाह वाली है और इससे ऋण चुकाने की अनुमति नहीं है।
  • एक निवेश को विदेशी पोर्टफोलियो निवेश कहा जाता है, यदि पूंजी उपकरणों में भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति (या संस्थागत निवेशक) द्वारा निवेश किया जाता है:
  • अतः विकल्प B सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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