क्वांटम प्रौद्योगिकी | 27 Jan 2025

प्रिलिम्स के लिये:

क्वांटम कंप्यूटिंग, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, टेलीमैटिक्स विकास केंद्र (C-DOT), आई-हब क्वांटम टेक्नोलॉजी फाउंडेशन, प्रगत संगणन विकास केंद्र (C-DAC), इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग

मेन्स के लिये:

क्वांटम कंप्यूटिंग का महत्व, क्वांटम कंप्यूटिंग संबंधी भारत की पहल और संबंधित चुनौतियाँ, अवसर और आगे की राह

क्वांटम टेक्नोलॉजी क्या है?

  • परिचय:
    • क्वांटम कंप्यूटिंग/प्रौद्योगिकी का तात्पर्य प्रौद्योगिकियों के ऐसे वर्ग से है जिनसे क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग कर संगणना की जाती है और ऐसी क्षमताएँ प्राप्त होती हैं जो परंपरागत प्रौद्योगिकी से संभव नहीं हैं।
  • परंपरागत बनाम क्वांटम कंप्यूटिंग:
    • परंपरागत कंप्यूटिंग: 
      • इसमें सूचना को ‘बिट्स’ या ‘1’ और ‘0’ में प्रोसेस किया जाता है, यह प्रणाली चिरसम्मत भौतिकी का अनुसरण करती है जिसके तहत हमारे कंप्यूटर एक समय में '1' या '0’ को प्रोसेस कर सकते हैं। 

Bits_Vs_Qubit

  • क्वांटम कम्प्यूटिंग: 
    • क्वांटम कंप्यूटर "क्यूबिट्स" (क्वांटम बिट्स) का उपयोग करके संगणना करते हैं, जो परमाणु स्तर पर पदार्थ के व्यवहार को निर्धारित करते हैं। 
    • ये प्रायिकतात्मक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, जिससे वे परंपरागत प्रौद्योगिकियों के दायरे से बाहर अन्य कार्यों को पूरा करने में सक्षम होते हैं, जबकि क्लासिकल प्रणालियाँ निर्धारणात्मक/निश्चयात्मक नियमों का पालन करती हैं। 
  • प्रमुख विशेषताऐं:
    • सुपरपोज़िशन: क्यूबिट्स, क्वांटम सुपरपोज़िशन की स्थिति में मौजूद हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक साथ 1 और 0 दोनों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
      • इस अद्वितीय गुण से क्वांटम कंप्यूटरों को, सिद्धांततः, संगणना इस प्रकार करने की क्षमता मिलती है जैसे अनेक परंपरागत कंप्यूटर समानांतर रूप से कार्य कर रहे हों।
      • उदाहरण के लिये, हवा में उछाला हुआ सिक्का भूमि पर गिरने से पहले हेड्स या टेल्स दोनों रूपों को दर्शाता है। इसी प्रकार, एक इलेक्ट्रॉन क्वांटम सुपरपोज़िशन में तब तक मौजूद रह सकता है जब तक कि उसकी संगणना न की जाए।
    • एंटैंगलमेंट: एंटैंगलमेंट तब होता है जब दो क्यूबिट एक साझा क्वांटम अवस्था में होते हैं, जिससे एक क्यूबिट की अवस्था में परिवर्तन दूसरे क्यूबिट को तत्क्षण प्रभावित करता है, चाहे उनके बीच कितनी भी दूरी कितनी भी हो।
      • अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस घटना को "स्पूकी एक्शन एट ए डिस्टेंस" नाम दिया था।
    • डीकोहेरेंस: असंसक्ति अथवा डीकोहेरेंस वह प्रक्रिया है जिसमें क्वांटम कणों और प्रणालियों का  क्षय, निपतन अथवा उनमें परिवर्तित हो सकता है तथा चिरसम्मत भौतिकी द्वारा मापन योग्य एकल अवस्थाओं में परिवर्तित हो सकती हैं।
    • इंटरफेरेंस: क्वांटम इंटरफेरेंस से कणों (जैसे कि क्यूबिट) को सुपरपोज़िशन के कारण एक साथ कई स्थितियों में रहने की सुविधा मिलती है।
      • एक एकल कण, जैसे कि फोटॉन, अपने ही प्रक्षेप पथ में इंटरफेरेंस कर सकता है, जिससे उसका मार्ग पूर्वानुमेय रूप से परिवर्तित हो सकता है।

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क्वांटम प्रौद्योगिकी के प्रमुख अनुप्रयोग क्या हैं?

  • फार्मास्यूटिकल्स: 
    • क्वांटम कंप्यूटर आणविक व्यवहार का अनुकरण कर सकते हैं, जिससे जीवनरक्षक औषधियों और उपचारों के विकास को गति प्रदान की जा सकती है।
    • यह प्रोटीन फोल्डिंग के अध्ययन में सहायता करता है तथा अल्ज़ाइमर और पार्किंसंस जैसे रोगों के उपचार में इसके संभावित अनुप्रयोग हैं। 
  • रसायन विज्ञान: 
    • क्वांटम कणों से रासायनिक अभिक्रियाओं को परिवर्द्धित किया जा सकता है, जैसे पेट्रोकेमिकल विकल्पों के लिये उत्प्रेरकों में सुधार करना और हानिकारक उत्सर्जन को कम करना।
    • ये उच्च ताप सुपरकंडक्टर विकसित करने के लिये भी महत्वपूर्ण हैं।
  • उन्नत प्रौद्योगिकियों में सुधार: 
    • क्वांटम सामग्रियों का उपयोग उन्नत प्रौद्योगिकियों जैसे ऊर्जा-कुशल उपकरणों, सौर सेल, बैटरी और स्वास्थ्य देखभाल निदान में किया जाता है। 
      • क्वांटम पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो क्वांटम स्तर पर अद्वितीय और जटिल गुण प्रदर्शित करते हैं।  इन पदार्थों की विशेषता उनके व्यवहार से होती है, जो क्वांटम यांत्रिकी द्वारा नियंत्रित होता है।
    • उदाहरण: फ्लोरोसेंट क्वांटम डॉट्स, मल्टीकलर बायोइमेजिंग और सेलुलर प्रोटीन लेबलिंग में सहायता करते हैं।
  • मशीन लर्निंग का परिवर्द्धन: 
    • क्वांटम कंप्यूटिंग, परंपरागत तरीकों की पहुँच से परे जटिल डेटा पैटर्न का विश्लेषण करने वाले नवीन एल्गोरिदम विकसित कर मशीन लर्निंग को उन्नत बना सकती है।
    • क्वांटम एल्गोरिदम AI मॉडल को अनुकूलित कर सकते हैं, कार्यों में तेज़ी ला सकते हैं और ऊर्जा की खपत को कम कर सकते हैं।
  • आपदा प्रबंधन: 
  • सुरक्षित संचार: 
    • वर्ष 2016 में प्रक्षेपित चीन का क्वांटम संचार उपग्रह, मिसियस, भू केंद्रों और उपग्रहों के बीच सुरक्षित क्वांटम संचार लिंक प्रदर्शित करने वाला विश्व का पहला उपग्रह बना।
    • यह उन्नति उपग्रहों, सैन्य और साइबर सुरक्षा के लिये महत्वपूर्ण है, जो अल्ट्रा-फास्ट कंप्यूटिंग और अनहैकेबल संचार की क्षमता प्रदान करती है तथा उपयोगकर्त्ताओं के लिये उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
  • क्वांटम क्रिप्टोग्राफी: 
    • क्वांटम क्रिप्टोग्राफी सैद्धांतिक रूप से अभाजनीय एन्क्रिप्शन बनाकर साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ बनाती है, तथा संवेदनशील डेटा को भविष्य के क्वांटम कंप्यूटरों की डिक्रिप्शन क्षमताओं से सुरक्षित रखती है।

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क्वांटम यांत्रिकी क्या है?

  • परिचय:
    • क्वांटम यांत्रिकी भौतिकी में एक मौलिक सिद्धांत है जो बहुत छोटे पैमाने, जैसे परमाण्विक और अवपरमाण्विक कण, पर पदार्थ और ऊर्जा के व्यवहार का वर्णन करता है। 
    • यह चिरसम्मत भौतिकी से काफी भिन्न है, जो मैक्रोस्कोपिक पैमाने पर वस्तुओं के व्यवहार को नियंत्रित करता है। 
    • क्वांटम यांत्रिकी उन घटनाओं को समझने की रूपरेखा प्रदान करती है जिन्हें चिरसम्मत भौतिकी द्वारा समझाया नहीं जा सकता।
  • अनुप्रयोग:
    • क्वांटम कंप्यूटिंग: सुपरपोज़िशन और एन्टेंगलमेंट का उपयोग करके क्लासिकल कंप्यूटरों की अपेक्षा अकल्पनीय गति से संगणना करना।
    • क्वांटम क्रिप्टोग्राफी: क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग कर सैद्धांतिक रूप से अभाजनीय एन्क्रिप्शन विधियाँ प्रदान करना।
    • क्वांटम सेंसर: चिकित्सा इमेजिंग, नेविगेशन और पर्यावरण निगरानी में अनुप्रयोगों के साथ, क्लासिकल कंप्यूटरों की सीमाओं से परे माप परिशुद्धता का परिवर्द्धन करना।
    • क्वांटम सिमुलेशन: रासायनिक अभिक्रियाओं, भौतिक गुणों और जैविक प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिये जटिल क्वांटम प्रणालियों के सिमुलेशन की सुविधा प्रदान करना।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन क्या है?

  • परिचय:
    • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) भारत सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी (QT) में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान को उन्नत बनाना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों (QTA) में अग्रणी देश के रूप में स्थापित करना है।
    • इसका विनियमन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन है तथा इसे वर्ष 2023 से 2031 तक क्रियान्वित किया जाना है।
    • इस मिशन के शुभारंभ के साथ, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्राँस, कनाडा और चीन के बाद समर्पित क्वांटम मिशन वाला सातवाँ देश बन जाएगा।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • क्वांटम कंप्यूटर का विकास: सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक प्रौद्योगिकियों जैसे प्लेटफाॅर्मों का उपयोग कर, 8 वर्षों में 50 से 1000 भौतिक क्यूबिट के साथ मध्यवर्ती-स्तरीय क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना।
    • सुरक्षित संचार:
      • भारत में 2000 किमी. से अधिक दूरी पर स्थित ग्राउंड स्टेशनों के बीच उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार।
      • अन्य देशों के साथ लंबी दूरी का सुरक्षित क्वांटम संचार।
      • 2000 किमी. से अधिक अन्तर-शहर क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन।
      • क्वांटम मेमोरी के साथ बहु-नोड क्वांटम नेटवर्क की स्थापना।
    • क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी:
      • सटीक समय निर्धारण, संचार और नेविगेशन के लिये उच्च सुग्राहिता वाले मैग्नेटोमीटर और परमाण्विक घड़ियों का विकास।
    • क्वांटम सामग्री और उपकरण:
      • यह मिशन क्वांटम उपकरणों के लिये सुपरकंडक्टर और टोपोलॉजिकल सामग्रियों जैसे क्वांटम सामग्रियों को डिज़ाइन करने और क्वांटम अनुप्रयोगों के लिये सिंगल-फोटॉन स्रोतों, डिटेक्टरों और एंटैंगल्ड फोटॉन स्रोतों को विकसित करने में सहायता करता है।
  • विषयगत केंद्रों (T-Hubs) की स्थापना: निम्नलिखित क्षेत्रों में शीर्ष शैक्षणिक और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में 4 T-हब स्थापित किये जाएंगे:

National Quantum Mission

भारत में क्वांटम प्रौद्योगिकी से संबंधित पहल 

  • क्वांटम लैब: भारतीय सेना ने क्वांटम प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और प्रशिक्षण का नेतृत्व करने के लिये मध्य प्रदेश में सैन्य दूरसंचार इंजीनियरिंग कॉलेज में क्वांटम लैब की स्थापना की।
  • QuEST पहल: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने क्वांटम प्रौद्योगिकी के लिये अनुसंधान सुविधाएँ विकसित करने हेतु क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (QuEST) पहल शुरू की।
  • QSim टूलकिट: देशज रूप से विकसित टूलकिट, QSim टूलकिट, शोधकर्त्ताओं और छात्रों को क्वांटम कंप्यूटिंग सीखने और समझने में सक्षम बनाता है, जिससे क्वांटम कोडिंग और हार्डवेयर डिज़ाइन में कौशल विकास में मदद मिलती है।
  • टेलीमेटिक्स विकास केंद्र (C-DOT): C-DOT ने क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) उत्पाद विकसित किये हैं और क्वांटम संचार में अनुसंधान जारी रखा है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों जैसे गूगल और इंटरनेशनल बिज़नेस मशीन (IBM) ने भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग के लिये समर्पित कार्यक्रम शुरू किये हैं, जबकि BosonQ, QRDLab और QpiAI जैसी भारतीय स्टार्टअप कंपनियाँ क्वांटम आधारित अनुप्रयोगों पर कार्य कर रही हैं।
  • I-हब क्वांटम टेक्नोलॉजी फाउंडेशन: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने IISER पुणे के 13 अनुसंधान समूहों के साथ मिलकर क्वांटम प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के लिये I-हब क्वांटम टेक्नोलॉजी फाउंडेशन की शुरुआत की।

नोट:

भारत में क्वांटम प्रौद्योगिकी के स्वीकरण संबंधी कौन-सी चुनौतियाँ हैं?

  • विनियमन और मानक: वर्तमान में, क्वांटम हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और संचार इंटरफेस के लिये संगतता और अंतर-संचालन सुनिश्चित करने हेतु मानकों का अभाव है। 
    • इसके अतिरिक्त, किसी प्रकार के स्पष्ट बौद्धिक संपदा स्वामित्व और लाइसेंसिंग ढाँचे का भी अभाव है।
  • बुनियादी ढाँचे संबंधी मुद्दे: उन्नत प्रयोगशालाओं, विशेष उपकरणों और उच्च निष्पादन कंप्यूटिंग सुविधाओं के निर्माण और अनुरक्षण के लिये पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होती है। 
    • प्रगति के लिये बुनियादी ढाँचे का निरंतर उन्नयन किया जाना आवश्यक है।
  • विस्‍तार क्षमता और तकनीकी चुनौतियाँ: सुसंगतता बनाए रखते हुए और त्रुटि दर को न्यूनतम रखते हुए क्वांटम प्रणालियों को सैकड़ों या हज़ारों क्यूबिट में विस्तारित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। 
    • क्वांटम कम्प्यूटरों को क्यूबिट की क्वांटम अवस्था को संरक्षित करने के लिये अत्यंत निम्न तापमान की आवश्यकता होती है, क्योंकि उच्च तापमान के कारण परमाण्विक गति बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप विसंबद्धता उत्पन्न होती है और क्वांटम के गुणधर्मों की हानि होती है।
  • सीमित अनुसंधान एवं विकास निवेश: अनुसंधान एवं विकास पर भारत का सकल व्यय (GERD) उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.64% (2020-21 तक) है, जो अमेरिका, दक्षिण कोरिया और चीन जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की अपेक्षा कम है। 
    • इसके अतिरिक्त, निजी क्षेत्र का अनुसंधान एवं विकास में लगभग 36% का योगदान है, जो अमेरिका और चीन जैसे उन्नत देशों से कम है, जहाँ निजी निवेश 70% से अधिक है।

आगे की राह

  • निजी निवेश को प्रोत्साहन: अनुसंधान एवं विकास में निवेश को बढ़ावा देने के लिये कर प्रोत्साहन, अनुदान और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • क्षेत्रीय अवसंरचना विकास को बढ़ावा: समग्र भारत में क्वांटम अनुसंधान सुविधाओं को विकसित करने के लिये संसाधन आवंटित किया जाना, जिससे व्यापक क्षेत्रीय भागीदारी और प्रतिभा वितरण सुनिश्चित होगा।
  • समर्पित नियामक निकाय की स्थापना: क्वांटम प्रौद्योगिकियों को विनियमित करने, प्रासंगिक नीतियों का मसौदा तैयार करने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु एक केंद्रीय निकाय की स्थापना की जानी चाहिये।
  • प्रौद्योगिकी अंतरण को सुविधाजनक बनाना: शैक्षणिक अनुसंधान और व्यावसायीकरण के बीच के अंतराल को पाटने के लिये तंत्र का सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिये, जिससे निजी कंपनियाँ उन्नत क्वांटम प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में सक्षम होंगी।
  • IPR ढाँचे का सुदृढ़ीकरण: नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देते हुए क्वांटम-संबंधित बौद्धिक संपदा के स्वामित्व, लाइसेंसिंग और अंतरण के लिये स्पष्ट और कुशल ढाँचे का विकास किया जाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. “क्यूबिट (Qubit)” शब्द का उल्लेख निम्नलिखित में से कौन-से एक प्रसंग में होता है? (2022)

(a) क्लाउड सेवाएँ
(b) क्वांटम संगणन 
(c) दृश्य प्रकाश संचार प्रौद्योगिकियाँ 
(d) बेतार संचार प्रौद्योगिकियाँ 

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के उद्भव ने सरकार के अभिन्न अंग के रूप में ई-गवर्नेंस की शुरुआत की है"। चर्चा कीजिये। (2020)