लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

परमाणु घड़ी

  • 13 Jun 2024
  • 8 min read

स्रोत: द हिंदू

वैज्ञानिक पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में जहाज़ो पर उपयोग के लिये एक नए प्रकार की पोर्टेबल ऑप्टिकल परमाणु घड़ी प्रस्तुत की गई।

  • यह नई आयोडीन घड़ी प्रयोगशाला में इस्तेमाल की जाने वाली ऑप्टिकल परमाणु घड़ी जितनी सटीक नहीं है, लेकिन यह अधिक पोर्टेबल और टिकाऊ है। यह हर 9.1 मिलियन वर्ष में एक सेकंड प्राप्त या खो देती है।

परमाणु घड़ियाँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • परमाणु घड़ी, एक ऐसी घड़ी है, जो अपनी असाधारण सटीकता के लिये जानी जाती है और साथ ही परमाणुओं की विशिष्ट अनुनाद आवृत्तियों, आमतौर पर सीज़ियम अथवा रुबिडियम के उपयोग से संचालित होती है।
    • इसका अविष्कार लुईस एसेन ने वर्ष 1955 में किया था। वर्तमान में, भारत में परमाणु घड़ियाँ अहमदाबाद एवं फरीदाबाद में संचालित हो रही हैं।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • परमाणु घड़ियाँ पारंपरिक घड़ियों की तुलना में कहीं अधिक सटीक होती हैं क्योंकि परमाणु दोलनों की आवृत्ति बहुत अधिक होती है और वे कहीं अधिक स्थिर होती हैं।
    • परमाणु घड़ियाँ बहुत सटीक होती हैं, पारंपरिक परमाणु घड़ियाँ 300 मिलियन वर्षों में एक सेकंड कम करती या अधिक प्राप्त करती हैं, जबकि ऑप्टिकल परमाणु घड़ियाँ 300 बिलियन वर्षों तक इस सटीकता को बनाए रख सकती हैं।
    • सीज़ियम परमाणु घड़ी हर 1.4 मिलियन वर्षों में एक सेकंड कम करती या प्राप्त करती है।
  • परमाणु घड़ियों का कार्य:
    • सीज़ियम (Cs) परमाणु घड़ियाँ, Cs परमाणुओं को उच्च ऊर्जा स्तर पर स्थानांतरित करके कार्य करती हैं, जो माइक्रोवेव विकिरण की आवृत्ति और सेकंड में समय के मापन से जुड़ा हुआ है।
    • इस प्रक्रिया में Cs परमाणुओं को एक गुहा में रखा जाता है और एक विशिष्ट आवृत्ति के साथ माइक्रोवेव विकिरण को उनकी ओर निर्देशित किया जाता है।
    • जब विकिरण की आवृत्ति Cs परमाणुओं के ऊर्जा संक्रमण से समानता रखती है, तो यह एक अनुनाद की स्थिति बनाता है।
    • Cs परमाणु इस विकिरण को अवशोषित करते हैं और उच्च ऊर्जा अवस्था में चले जाते हैं। यह संक्रमण ठीक उसी समय होता है जब विकिरण की आवृत्ति 9,192,631,770 हर्ट्ज़ होती है। 
      • इसका अर्थ यह है कि जब Cs-133 परमाणु अपने ऊर्जा स्तरों के बीच 9,192,631,770 दोलनों से गुज़रता है तो एक सेकंड बीत जाता है।
    • परमाणु घड़ियों की परिशुद्धता एक ऐसी प्रणाली के माध्यम से प्राप्त की जाती है जो अनुनाद आवृत्ति में किसी भी विचलन को ज्ञात कर सकती है तथा अनुनाद को बनाए रखने के लिये इसे माइक्रोवेव विकिरण में समायोजन कर लेती है।

  • ऑप्टिकल परमाणु घड़ियाँ:
    • इनकी सटीकता परमाणु घड़ियों से बेहतर होती है।
    • इन घड़ियों में परमाणु संक्रमणों को उत्तेजित करने के लिये लेज़र का उपयोग किया जाता है, जिससे अत्यधिक सुसंगत प्रकाश उत्पन्न होने के साथ उत्सर्जित सभी प्रकाश तरंगों की आवृत्ति समान तथा तरंगदैर्घ्य स्थिर होती है।
    • यह परमाणु घड़ी से निम्न कारणों से भिन्न है:
      • उच्च परिचालन आवृत्ति: ऑप्टिकल परमाणु घड़ियाँ उच्च आवृत्तियों पर संचालित होती हैं, जिससे ये पारंपरिक परमाणु घड़ियों की तुलना में किसी निश्चित समय सीमा में अधिक दोलन पूरा कर सकती हैं।
        • निश्चित समय अवधि में अधिक दोलन के कारण इसके द्वारा समय की निम्न वृद्धि को अधिक सटीकता से मापा जा सकता है।
      • संकीर्ण लाइनविड्थ: इनमें बहुत संकीर्ण लाइनविड्थ होती है जिस पर परमाणु संक्रमण होता है। संकीर्ण लाइनविड्थ से ऑप्टिकल प्रकाश की आवृत्ति को सटीक रूप से ट्यून करना सरल होता है, साथ ही इससे अधिक सटीकता के साथ समय का मापन भी होता है।
    • संकीर्ण लाइनविड्थ तथा स्थिर ऑप्टिकल संक्रमण जैसे गुणों के कारण स्ट्रोंटियम (Sr) नामक तत्त्व का उपयोग आमतौर पर ऑप्टिकल परमाणु घड़ियों में किया जाता है।

ऑप्टिकल परमाणु घड़ियों के अनुप्रयोग क्या हैं?

  • आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत की विदेशी, विशेष तौर पर अमेरिका की परमाणु घड़ियों पर  निर्भरता, संघर्ष के समय में NavIC (भारतीय GPS) जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिये जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
    • परमाणु घड़ियों के को देशज रूप से निर्मित करने से स्वतंत्र समय-निर्धारण होगा, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुदृढ़ होगी।
  • अधिक सटीकता और विश्वसनीयता: परमाणु घड़ियाँ संबद्ध विषय में अन्य परंपरागत विधियों की अपेक्षा कहीं अधिक सटीकता प्रदान करती हैं। इनका नियोजन संपूर्ण देश में करके, भारत सभी डिजिटल उपकरणों को भारतीय मानक समय (IST) के साथ समक्रमिक (एक ही समय  में होना- Synchronise) कर सकता है, जिससे एक एकीकृत और अत्यधिक सटीक समय संदर्भ सुनिश्चित होता है।
  • प्रकाशिक/ऑप्टिकल परमाणु घड़ियों के माध्यम से समय को समक्रमिक करने से विभिन्न क्षेत्रों को लाभ होगा:
    • दूरसंचार: सटीक समय-निर्धारण से त्रुटियाँ कम होती हैं और संचार नेटवर्क में निर्बाध डेटा अंतरण की सुविधा मिलती है।
    • वित्तीय प्रणाली: वित्तीय लेनदेन, विशेष रूप से बार-बार होने वाले व्यापार, के लिये सटीक टाइम स्टैम्प धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
    • साइबर सुरक्षा: परमाणु घड़ियाँ लेनदेन के लिये टाइमस्टैम्प की सटीकता सुनिश्चित करके भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो धोखाधड़ी की रोकथाम करने, डेटा की अखंडता को बनाए रखने और साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने में सहायता करती हैं।
    • महत्त्वपूर्ण अवसंरचना और पावर ग्रिड: परमाणु घड़ियाँ पावर ग्रिड, परिवहन प्रणालियों और आपातकालीन सेवाओं सहित महत्त्वपूर्ण अवसंरचना को समक्रमिक करने में अहम भूमिका निभाती हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित देशों में से किस एक के पास अपनी उपग्रह मार्गनिर्देशन (नैविगेशन) प्रणाली है? (2023)

(a) ऑस्ट्रेलिया
(b) कनाडा
(c) इज़रायल
(d) जापान

उत्तर: (d)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2