प्रारंभिक परीक्षा
वन नेशन,वन टाइम के लिये परमाणु घड़ियाँ
- 09 Apr 2024
- 7 min read
स्रोत: लाइव मिंट
चर्चा में क्यों?
भारत भविष्य में देश भर में परमाणु घड़ियाँ स्थापित करके अपनी राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं के साथ ही अपने सटीक समय आकलन में सुधार करना चाहता है।
- संपूर्ण भारत में परमाणु घड़ियों की स्थापना का उद्देश्य एकरूपता सुनिश्चित करते हुए सभी डिजिटल उपकरणों को भारतीय मानक समय (IST) के साथ समांतर करना है।
- इन परमाणु घड़ियों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अंर्तगत राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) द्वारा स्थापित किया जा रहा है।
परमाणु घड़ियाँ क्या हैं?
- परिचय:
- परमाणु घड़ी, एक ऐसी घड़ी है, जो अपनी असाधारण सटीकता के लिये जानी जाती है और साथ ही परमाणुओं की विशिष्ट अनुनाद आवृत्तियों, आमतौर पर सीज़ियम अथवा रुबिडियम के उपयोग से संचालित होती है।
- इसका आविष्कार लुईस एसेन ने वर्ष 1955 में किया था।
- परमाणु घड़ियों के अत्यधिक परिशुद्धता स्तर की व्याख्या इस तथ्य से की जा सकती है कि वे लगभग प्रति 100 मिलियन वर्ष में एक सेकंड कम हो जाता है।
- वर्तमान में, भारत में परमाणु घड़ियाँ अहमदाबाद एवं फरीदाबाद में संचालित हो रही हैं।
- परमाणु घड़ी के प्रकार:
- सबसे अधिक उपयोग किये जाने वाले सीज़ियम परमाणु बीम, हाइड्रोजन मेसर और रुबिडियम गैस सेल हैं।
- सीज़ियम घड़ी में सटीकता और बेहतर दीर्घकालिक स्थिरता होती है। हाइड्रोजन मेज़र में केवल कुछ घंटों तक की अवधि के लिये सबसे अच्छी स्थिरता होती है।
- परमाणु घड़ियों का कार्य:
- परमाणु घड़ियों के इलेक्ट्रॉनिक घटक, माइक्रोवेव विद्युत चुम्बकीय विकिरण (EM) द्वारा नियंत्रित होते हैं। सीज़ियम या रुबिडियम परमाणुओं में क्वांटम संक्रमण को प्रेरित करने के लिये इस विकिरण की सटीक आवृत्ति को बनाए रखना आवश्यक है।
- सीज़ियम या रूबिडियम परमाणुओं का क्वांटम संक्रमण (ऊर्जा परिवर्तन) केवल तभी प्रेरित होता है, जब विकिरण को असाधारण विशिष्ट आवृत्ति पर बनाए रखा जाता है।
- एक परमाणु घड़ी में इन क्वांटम संक्रमणों को फीडबैक लूप में देखा और बनाए रखा जाता है। फिर इन क्वांटम संक्रमणों में उत्पन्न तरंगों को सेकंड पर पहुँचने के लिये गिना जाता है।
SI आधारित यूनिट: सेकेंड
सेकेंड का चिह्न: s, समय की SI यूनिट है। इसे सीज़ियम आवृत्ति Avcs के निश्चित संख्यात्मक मान को लेते हुए परिभाषित किया गया है, सीज़ियम-133 परमाणु की अपरिवर्तित ग्राउंड-स्टेट हाइपरफाइन संक्रमण आवृत्ति, यूनिट हर्ट्ज में व्यक्त करने पर 9 192 631 770 होती है, जो s¹ के बराबर है।
भारत अपनी परमाणु घड़ियाँ क्यों विकसित कर रहा है?
- पृष्ठभूमि:
- यह पहल कारगिल युद्ध के दौरान ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की जानकारी न मिलने के कारण प्रारंभ की गई थी क्योंकि रक्षा, साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन लेनदेन हेतु स्वतंत्र समय निर्धारण क्षमताओं का अस्तित्व महत्त्वपूर्ण है।
- उन्नत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता:
- उपग्रह-आधारित समय प्रसार सहायक द्वारा आपात स्थिति या युद्ध के दौरान संभावित व्यवधानों के विरुद्ध सुरक्षा बढ़ाने के लिये ऑप्टिकल केबल के माध्यम से परमाणु घड़ियों को जोड़ने के प्रयास चल रहे हैं।
- भारत विदेशी परमाणु घड़ियों पर निर्भरता कम करने के लिये, विशेष रूप से भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS), जिसे NavIC भी कहा जाता है, जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिये अपनी परमाणु घड़ियाँ विकसित कर रहा है।
- स्वदेशी परमाणु घड़ियाँ विकसित करने से भारत को अपने नेविगेशन सिस्टम पर पूर्ण नियंत्रण रखने की अनुमति मिलती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी स्वतंत्रता दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
और पढ़ें… इसरो का नया NavIC उपग्रह NVS-01
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किस देश का अपना सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है? (2023) (a) ऑस्ट्रेलिया उत्तर: (d) विश्व में परिचालन नेविगेशन प्रणाली:
अतः विकल्प (d) सही है। प्रश्न. भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (A) मेन्स:प्रश्न. भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) की आवश्यकता क्यों है? यह नेविगेशन में कैसे मदद करती है? (2018) |