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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

स्मार्टफोन में NavIC एकीकरण

  • 16 Sep 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

NavIC (भारतीय तारामंडल के साथ नेविगेशन), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI), इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाइज़ेशन, GPS (ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम)

मेन्स के लिये:

स्मार्टफोन में NavIC एकीकरण और भारत के लिये इसका महत्त्व

स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सभी उपकरणों के लिये घरेलू नेविगेशन सिस्टम NavIC (भारतीय नक्षत्र के साथ नेविगेशन) के समर्थन को अनिवार्य करने की योजना बना रहा है।

  • यह ऐसे समय में आया है जब नए लॉन्च किये गए Apple iPhone 15 ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित नेविगेशन सिस्टम को अपने हार्डवेयर में एकीकृत किया है।
  • भारत के NavIC का उद्देश्य अन्य वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों को प्रतिस्थापित करना नहीं है, बल्कि उन्हें पूरक बनाना है।

स्मार्टफोन में NavIc के एकीकरण के लिये सरकार की योजनाएँ: 

  • केंद्र सरकार वर्ष 2025 तक भारत में बेचे जाने वाले सभी स्मार्टफोन में NavIC के एकीकरण को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है, विशेष रूप से 5G फोन को लक्षित करते हुए।
  • निर्माताओं को घरेलू चिप डिज़ाइन और उत्पादन को बढ़ावा देने, NavIC तकनीक का समर्थन करने वाले चिप्स का उपयोग करने हेतु उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के माध्यम से अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान किया जा सकता है।

NavIC को अपनाने के लिये रोडमैप और भविष्य की संभावनाएँ:

  • NavIC को अपनाकर इसे बढ़ावा देने के लिये ISRO ने मई 2023 में दूसरी पीढ़ी के नेविगेशन उपग्रह लॉन्च किये थे जो अन्य उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणालियों के साथ अंतर-संचालनीयता को बढ़ाएंगे और उपयोग का विस्तार करेंगे।
    • दूसरी पीढ़ी के उपग्रह मौजूदा उपग्रहों द्वारा प्रदान किये जाने वाले L5 और S आवृत्ति संकेतों के अलावा तीसरी आवृत्ति, L1 में सिग्नल भेजेंगे।
    • L1 आवृत्ति ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली आवृत्तियों में से एक है और पहनने योग्य उपकरणों तथा व्यक्तिगत ट्रैकर्स में क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली के उपयोग को बढ़ाएगी जो कम-शक्ति, एकल-आवृत्ति चिप्स का उपयोग करते हैं।
  • यह रणनीतिक कदम प्रौद्योगिकी संप्रभुता स्थापित करने और एक प्रमुख अंतरिक्ष-प्रमुख राष्ट्र के रूप में उभरने की भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप है।

भारतीय तारामंडल में नेविगेशन (NavIC):

  • परिचय:
    • भारत का NavIC इसरो द्वारा विकसित एक स्वतंत्र नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है जिसकी शुरुआत वर्ष 2018 में की गई।
    • यह भारत और भारतीय मुख्यभूमि के आसपास लगभग 1500 किमी. तक फैले क्षेत्र में सटीक रियल-टाइम पोज़िशनिंग और टाइमिंग सेवाएँ प्रदान कर रहा है।  
    • इसे 7 उपग्रहों के समूह और 24×7 संचालित होने वाले ग्राउंड स्टेशनों के नेटवर्क के साथ डिज़ाइन किया गया है।
      • कुल आठ उपग्रह हैं हालाँकि केवल सात ही सक्रिय रहते हैं।
      •  तीन उपग्रह भूस्थैतिक कक्षा में और चार उपग्रह भूतुल्यकालिक कक्षा में हैं।
  • मान्यता:
    • इसे वर्ष 2020 में हिंद महासागर क्षेत्र में संचालन के लिये वर्ल्ड-वाइड रेडियो नेविगेशन सिस्टम (WWRNS) के एक भाग के रूप में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा मान्यता दी गई थी।
  • संभावित उपयोग:
    • स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन;
    • आपदा प्रबंधन;
    • वाहन ट्रैकिंग और बेड़ा प्रबंधन (विशेषकर खनन और परिवहन क्षेत्र के लिये);
    • मोबाइल फोन के साथ एकीकरण;
    • सटीक समय (ATM और पावर ग्रिड के लिये);
    • मैपिंग और जियोडेटिक डेटा कैप्चर।

भारत के लिये स्मार्टफोन में NavIC को एकीकृत करने का महत्त्व:

  • सामरिक प्रौद्योगिकी स्वायत्तता:
    • NavIC ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) जैसे विदेशी वैश्विक नेविगेशन सिस्टम पर निर्भरता कम करता है, जो महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी को स्वतंत्र रूप से विकसित करने और तैनात करने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
    • यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र अपने महत्त्वपूर्ण नेविगेशन अवसंरचना को नियंत्रित और सुरक्षित कर सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा तथा रक्षा अनुप्रयोगों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • उन्नत सटीकता और विश्वसनीयता:
    • NavIC विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप और आसपास के क्षेत्र में अत्यधिक सटीक एवं विश्वसनीय स्थिति व समय की सूचना प्रदान करता है।
    •   आपदा प्रबंधन और कृषि से लेकर शहरी नियोजन व परिवहन तक समग्र दक्षता तथा निर्णय लेने में सुधार के लिये सटीकता आवश्यक है।
  • भारतीय भू-भाग के लिये अनुकूलित समाधान:
    • NavIC को भारत की विशिष्ट भौगोलिक और स्थलाकृतिक स्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जहाँ पारंपरिक वैश्विक नेविगेशन सिस्टम की सीमाएँ हो सकती हैं।
    • भारत के विविध परिदृश्य के अनुरूप नेविगेशन प्रणाली को तैयार करना अधिक सटीक और कुशल स्थान-आधारित सेवा सुनिश्चित करता है।
  • उपयोग के मामलों का विस्तार और नवाचार:
    • NavIC का एकीकरण स्थान-आधारित सेवाओं, नेविगेशन एप्स और अन्य नवीन समाधानों के लिये अवसर प्रदान करता है जिन्हें विशिष्ट स्थानीय आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाया जा सकता है।
    • यह उद्यमिता को बढ़ावा देता है और एक उन्नतिशील एप विकास पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के साथ ही प्रौद्योगिकी में रचनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।

विश्व में संचालित अन्य नेविगेशन सिस्टम:

  • चार वैश्विक प्रणालियाँ:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका से GPS
    • रूस से ग्लोनास (GLONASS)
    • यूरोपीय संघ से गैलीलियो (Galileo)
    • चीन से BeiDou
  • दो क्षेत्रीय प्रणालियाँ:
    • भारत से NavIC
    • जापान से QZSS

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस देश का अपना सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है? (2023)

(a) ऑस्ट्रेलिया
(b) कनाडा
(c) इज़रायल
(d) जापान

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. IRNSS के भूस्थिर में तीन उपग्रह और भू-समकालिक कक्षाओं में चार उपग्रह हैं। 
  2. IRNSS पूरे भारत को कवर करता है और लगभग 5500 वर्ग किमी. इसकी सीमाओं से परे है। 
  3. वर्ष 2019 के मध्य तक भारत के पास पूर्ण वैश्विक कवरेज के साथ अपना स्वयं का उपग्रह नेविगेशन सिस्टम होगा।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) की आवश्यकता क्यों है? यह नेविगेशन में कैसे मदद करती है? (2018)

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