मध्य प्रदेश Switch to English
रक्षा मंत्री ने महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज का दौरा किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्री ने मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज का दौरा किया। उन्होंने युद्ध के 'अपरंपरागत तरीकों' को देश के सामने नई चुनौतियों के रूप में बताया।
मुख्य बिंदु
- आधुनिक युद्ध में चुनौतियाँ:
- युद्ध के नए रूप जैसे सूचना युद्ध, AI-आधारित युद्ध, छद्म युद्ध, विद्युत-चुंबकीय युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और साइबर हमले प्रमुख चुनौतियों के रूप में उभर रहे हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक चिप उत्पादन में प्रभुत्व और दुर्लभ मृदा सामग्रियों पर एकाधिकार भी इन चुनौतियों में योगदान दे रहे हैं।
- हाइब्रिड युद्ध और ग्रेज़ोन युद्ध सुरक्षा चिंताओं को और अधिक जटिल बनाते हैं।
- महू प्रशिक्षण केंद्र की भूमिका:
- इस जटिल वातावरण में, भारतीय सेना के लिये सभी संभावित खतरों से निपटने के लिये अच्छी तरह प्रशिक्षित और सुसज्जित रहना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- महू स्थित प्रशिक्षण केंद्र इन आधुनिक चुनौतियों के लिये सैन्य बलों को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- महू 200 से अधिक वर्षों से अपनी सैन्य उत्कृष्टता के लिये जाना जाता है, जिसके कारण इसके प्रशिक्षण केंद्र सेना की तैयारी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- सेनाओं के बीच एकीकरण और संयुक्तता:
- सरकार तीनों सैन्य शाखाओं के बीच एकीकरण और संयुक्तता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- इस दृष्टिकोण का उद्देश्य भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिये बलों को बेहतर ढंग से सुसज्जित करना है।
- महू छावनी सेना की सभी शाखाओं के अधिकारियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करती है।
- भारत के विकास का विजन:
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है तथा वर्तमान अवधि को वह परिवर्तन का समय मानता है।
- भारतीय सेना निरंतर आधुनिक हथियारों से उन्नत हो रही है, न केवल अपनी सेना को सुसज्जित कर रही है, बल्कि घरेलू स्तर पर निर्मित उपकरणों का निर्यात भी अन्य देशों को कर रही है।
- रक्षा मंत्री का दौरा:
- रक्षा मंत्री ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर को समर्पित भीम जन्मभूमि स्मारक का दौरा किया, जहाँ उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माता को श्रद्धांजलि अर्पित की।
- उन्होंने डॉ. अंबेडकर की प्रशंसा करते हुए उन्हें निस्वार्थ सेवा का प्रतीक बताया, जो सामाजिक समानता और सशक्तिकरण के लिये समर्पित थे।
ग्रे-ज़ोन युद्ध
- यह संघर्ष के एक ऐसे स्वरूप को संदर्भित करता है, जिसमें ऐसी कार्रवाइयां की जाती हैं जो पारंपरिक युद्ध की सीमा से नीचे होती हैं, लेकिन इनका उद्देश्य अस्पष्टता, अस्वीकार्यता और बल प्रयोग के माध्यम से रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करना होता है।
- ग्रे-ज़ोन युद्ध में, विरोधी सीधे खुले युद्ध में शामिल हुए बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये साइबर हमले, आर्थिक दबाव और छद्म संघर्ष जैसी रणनीति अपनाते हैं।
- यह शांति और संघर्ष के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देता है तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिये गंभीर चुनौतियां उत्पन्न करता है।
राजस्थान Switch to English
जयपुर में गैस रिसाव को लेकर NGT ने नोटिस जारी किया
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जयपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट को जयपुर में संदिग्ध गैस रिसाव के बाद कई छात्रों के अस्पताल में भर्ती होने के मामले में उत्तर देने का निर्देश दिया है।
मुख्य बिंदु
- घटना:
- NGT ने जयपुर में संदिग्ध गैस रिसाव की घटना पर स्वतः संज्ञान लिया।
- 15 दिसंबर, 2024 को महेश नगर इलाके में घटी इस घटना में एक कोचिंग संस्थान के 10 छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, जब वे पास के नाले से रिसाव के कारण बेहोश हो गए थे।
- NGT ने जयपुर में संदिग्ध गैस रिसाव की घटना पर स्वतः संज्ञान लिया।
- न्यायाधिकरण की टिप्पणियाँ:
- न्यायाधिकरण ने कहा कि रिपोर्ट में पीड़ितों के लिये किसी मुआवज़े का उल्लेख नहीं किया गया था।
- पीठ ने सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम 1991 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के अनुपालन से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला।
- प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर उन्हें अपना उत्तर या प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया गया।
- न्यायाधिकरण ने निम्नलिखित पक्षों को प्रतिवादी के रूप में शामिल किया:
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव
- जयपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट
- केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का क्षेत्रीय कार्यालय
- जलवायु परिवर्तन
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)
- यह एक वैधानिक संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1974 में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
- CPCB को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ एवं कार्य भी निर्दिष्ट किये गए।
- यह एक क्षेत्रीय इकाई के रूप में कार्य करता है तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के संबंध में पर्यावरण एवं वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में गौ-आधारित नेचुरल फार्मिंग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ-आधारित नेचुरल फार्मिंग से प्रति एकड़ 10,000 से 12,000 रुपए की बचत होकर किसानों की आय बढ़ सकती है।
- उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि राज्य के अधिकांश किसान इस पद्धति को अपनाएँ तो काफी सामूहिक बचत संभव है।
मुख्य बिंदु
- गौ-आधारित खेती के लाभ:
- इससे कृषि लागत कम होती है और पशुधन का संरक्षण होता है।
- दीर्घकाल में मृदा, जल और मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
- इनपुट पर वर्तमान निर्भरता:
- बीज:
- उत्तर प्रदेश अपनी आवश्यकता का केवल आधा बीज ही उत्पादित करता है तथा शेष बीज को अन्य राज्यों, विशेषकर दक्षिणी भारत से ऊंची लागत पर आयात करता है।
- उर्वरक:
- गौ-आधारित नेचुरल फार्मिंग की संभावनाएँ:
- विशेषज्ञ उर्वरक आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा को बचाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डालते हैं।
- उत्तर प्रदेश में 2.78 करोड़ किसान और लगभग 2 करोड़ मवेशी हैं, जो गौ-आधारित खेती के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान करते हैं।
- एक गाय के गोबर और मूत्र से लगभग चार एकड़ भूमि पर खेती की जा सकती है।
- सरकारी पहल:
- आत्मनिर्भर गौशालाएँ: गौशालाओं को गौ-आधारित नेचुरल फार्मिंग के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
-
समर्पित विश्वविद्यालय: पारंपरिक तरीकों को आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करने के लिये नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना।
वित्तीय सहयता: किसानों को तीन वर्षों में वित्तीय सहायता मिलती है, पहले वर्ष 4,800 रुपए, दूसरे वर्ष 4,000 रुपए और तीसरे वर्ष 3,600 रुपए।
- पशु शेड और बायोगैस संयंत्र के लिये भी अनुदान उपलब्ध है।
- उत्पाद विपणन: प्राकृतिक कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये संभागीय मुख्यालयों पर समर्पित आउटलेट स्थापित किये गए हैं।
- सरकार उपभोक्ता विश्वास और बाज़ार विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये उत्पाद प्रमाणन को प्राथमिकता दे रही है।
-
जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग:
- कोविड के बाद, जैविक, क्षेत्रीय स्तर पर उत्पादित उत्पादों की मांग अधिक है।
- शोध संस्थान क्षेत्रीय स्वाद वाले स्वास्थ्यवर्द्धक खाद्य विकल्पों के प्रति बढ़ती प्राथमिकता पर प्रकाश डालते हैं।
नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming)
- यह कृषि की एक ऐसी पद्धति है जो एक संतुलित और आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करती है जिसमें सिंथेटिक रसायनों या आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों के उपयोग के बिना फसलें उगाई जा सकें।
- प्राकृतिक कृषि पद्धतियां प्रायः पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं पर आधारित होती हैं तथा इन्हें स्थानीय परिस्थितियों और संसाधनों के अनुरूप अनुकूलित किया जा सकता है।
- नेचुरल फार्मिंग का लक्ष्य स्वस्थ, पौष्टिक भोजन का उत्पादन करना है जो सतत् और पर्यावरण के अनुकूल हो।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान सरकार ने 9 ज़िलों को निरस्त किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने 2023 तक बनाए जाने वाले नौ ज़िलों और तीन संभागों को निरस्त कर दिया है।
मुख्य बिंदु
- ज़िलों और प्रभागों का पुनर्गठन:
- राजस्थान में अब 41 ज़िले और सात संभाग होंगे।
- पाली, सीकर और बांसवाड़ा संभागों को निरस्त कर दिया गया है।
- आठ ज़िलों को “प्रशासनिक आवश्यकताओं” के चलते बनाए रखा गया है।
- निरस्त किये गये ज़िले:
- दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीम का थाना, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर।
- बरकरार रखे गए ज़िले:
- बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, फलौदी और सलूंबर।
- नये ज़िलों से संबंधित प्रशासनिक मुद्दे:
- बुनियादी ढाँचे का अभाव:
- एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, नए ज़िलों में कार्यालय भवन, प्रशासनिक बुनियादी ढाँचे और आधिकारिक पदों का अभाव था।
- 18 विभागीय पदों का सृजन बोझिल सिद्ध हुआ।
- समिति की अनुशंसाएँ:
- एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट में नए ज़िलों को अव्यवहारिक पाते हुए उन्हें समाप्त करने की अनुशंसा की गई।
- इन ज़िलों की स्थिति की समीक्षा के लिये एक कैबिनेट उप-समिति भी गठित की गई।
उत्तर प्रदेश Switch to English
महाकुंभ 2025 में ड्रोन शो
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार महाकुंभ 2025 के दौरान एक ड्रोन शो आयोजित करने की योजना बना रही है, जिसमें महाकुंभ और प्रयागराज से संबंधित पौराणिक कथाओं को दर्शाया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- ड्रोन शो की मुख्य विशेषताएँ:
- 2,000 प्रकाशित ड्रोनों का एक बेड़ा 'प्रयाग महात्म्यम' और महाकुंभ की पौराणिक कथाओं का वर्णन करेगा।
- पौराणिक समुद्र मंथन (Ocean Churning) और अमृत कलश (Nectar Pot) के उद्भव जैसी ऐतिहासिक घटनाओं को दृश्यात्मक रूप से पुनः प्रस्तुत किया जाएगा।
- उद्देश्य:
- इस शो का उद्देश्य प्रयागराज के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व को उजागर करना है तथा तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करना है।
- महाकुंभ की तैयारियाँ:
- प्रत्येक बारह वर्ष में आयोजित होने वाला यह महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।
- राज्य सरकार प्रयागराज में मंदिरों, गंगा घाटों, पार्कों, सड़कों और फ्लाईओवरों के विकास और सौंदर्यीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- मुख्यमंत्री ने तैयारियों की प्रगति का निरीक्षण करने के लिये प्रयागराज का कई बार दौरा किया है।
कुंभ मेला
- यह धरती पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं। यह समागम 4 अलग-अलग जगहों पर होता है अर्थात्-
- हरिद्वार में, गंगा के तट पर।
- उज्जैन में, शिप्रा के तट पर।
- नासिक में, गोदावरी (दक्षिण गंगा) के तट पर।
- प्रयागराज में, गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर।
- कुंभ के विभिन्न प्रकार:
- कुंभ मेला 12 वर्षों में 4 बार मनाया जाता है।
- हरिद्वार और प्रयागराज में, अर्द्ध-कुंभ मेला हर 6 वें वर्ष आयोजित किया जाता है।
- महाकुंभ मेला 144 वर्षों (12 'पूर्ण कुंभ मेलों' के बाद) के बाद प्रयाग में मनाया जाता है।
- प्रयागराज में हर साल माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में माघ कुंभ मनाया जाता है।
Switch to English