कृषि
फॉस्फोरस की समस्या
- 26 Sep 2023
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:फॉस्फोरस, सिंथेटिक उर्वरक, एपेटाइट, कैडमियम संदूषण, परिशुद्ध कृषि, पीएम-प्रणाम मेन्स के लिये:फॉस्फोरस से जुड़ी समसामयिक चुनौतियाँ, फॉस्फोरस उपयोग के प्रबंधन के लिये संभावित रणनीतियाँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
वैश्विक स्तर पर फॉस्फोरस संबंधी समस्या केंद्र में बनी हुई है। फॉस्फोरस के सीमित भंडार, संदूषण से जुड़े मुद्दे और उर्वरक बाज़ार में व्यवधान आदि को देखते हुए एक धारणीय समाधान की खोज वर्तमान में एक महत्त्वपूर्ण प्राथमिकता है।
फॉस्फोरस से संबंधित प्रमुख तथ्य:
- परिचय:
- फॉस्फोरस एक रासायनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक चिह्न "P" तथा परमाणु संख्या 15 है। यह पृथ्वी पर जीवन के लिये एक आवश्यक घटक है और इसमें विभिन्न विशेषताएँ है एवं इसका विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है।
- रासायनिक गुण:
- फॉस्फोरस सरलता से अन्य तत्त्वों, विशेषकर ऑक्सीजन के साथ मिलकर यौगिकों का निर्माण करता है जिससे फिर विभिन्न फॉस्फेट बनते हैं।
- यह अत्यंत अभिक्रियाशील होता है और हवा में स्वतः ही दहन हो सकता है जिससे सफेद धुआँ निकलता है।
- फॉस्फोरस यौगिक का जीव विज्ञान में काफी महत्त्व है क्योंकि यह डी.एन.ए., आर.एन.ए. और ए.टी.पी. (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का एक मूलभूत घटक है।
- प्राकृतिक उपलब्धता:
- फॉस्फोरस आमतौर पर पृथ्वी की भू-पर्पटी में विभिन्न फॉस्फेट खनिजों (एपेटाइट) के रूप में पाया जाता है।
- औद्योगिक उपयोग:
- फॉस्फोरस यौगिकों का उपयोग उर्वरकों के उत्पादन में किया जाता है, क्योंकि वे पादपों की वृद्धि के लिये आवश्यक होते हैं।
- इसका उपयोग डिटर्जेंट में भी किया जाता है, जिसमें फॉस्फेट यौगिक दाग-धब्बों को हटाने में मदद करते हैं।
- फॉस्फोरस का उपयोग इस्पात तथा अन्य धातुकर्म प्रक्रियाओं के उत्पादन में किया जाता है।
- भारत में फॉस्फोरस का वितरण:
- भारत में एपेटाइट (फॉस्फेट खनिजों का समूह) और रॉक फॉस्फेट की उपलब्धता की कमी है।
- इंडियन मिनरल्स ईयरबुक 2018 के अनुसार, एपेटाइट के मामले में भारत पूर्णतः आयात पर निर्भर है, जबकि रॉक फॉस्फेट का उत्पादन केवल दो राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश में होता है।
- भारत विश्वभर में फॉस्फोरस का सबसे बड़ा आयातक है, यह मुख्यतः अफ्रीका से, कैडमियम के द्वारा दूषित रूप में, आयात किया जाता है।
- भारत की एक प्रमुख फसल धान है, जिसके उत्पादन में कैडमियम की सांद्रता वाले उर्वरक की अहम भूमिका होती है। भारतीय किसान धान के खेतों में बड़े पैमाने पर उर्वरकों का उपयोग करते हैं।
उर्वरकों के उपयोग का विकास और फॉस्फोरस से जुड़ी समकालीन चुनौतियाँ:
- ऐतिहासिक विकास:
- भूमि को उपजाऊ बनाने का मुद्दा काफी समय से ही कृषि क्षेत्र के लिये एक बड़ी समस्या रहा है। प्रारंभिक कृषि समाजों ने स्वीकार किया कि बार-बार खेती और फसल चक्रों से मृदा में आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है, जिससे अंततः फसल की पैदावार भी निम्न हो जाती है।
- स्वदेशी समुदायों ने खेतों की उर्वरता को बनाए रखने के लिये विभिन्न विधियाँ तैयार कीं, जिनमें मछली के अवशेष और पक्षियों का मल/विष्ठा (गुआनो) का उपयोग शामिल है।
- हालाँकि, 19वीं शताब्दी के दौरान रसायन विज्ञान में हुई महत्त्वपूर्ण प्रगति के कारण सिंथेटिक उर्वरकों का निर्माण हुआ और मृदा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटेशियम जैसे प्रमुख तत्त्वों की पहचान की गई।
- इन तत्वों ने आधुनिक रासायनिक उर्वरकों की नींव रखी और 20वीं सदी के मध्य की हरित क्रांति के दौरान कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्तमान परिदृश्य में, उर्वरकों के एक महत्त्वपूर्ण घटक फॉस्फोरस को लेकर एक बहुआयामी चुनौती मौजूद है।
- भूमि को उपजाऊ बनाने का मुद्दा काफी समय से ही कृषि क्षेत्र के लिये एक बड़ी समस्या रहा है। प्रारंभिक कृषि समाजों ने स्वीकार किया कि बार-बार खेती और फसल चक्रों से मृदा में आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है, जिससे अंततः फसल की पैदावार भी निम्न हो जाती है।
- फॉस्फोरस से जुड़ी चुनौतियाँ:
- सीमित भंडार और कैडमियम संदूषण:
- फॉस्फोरस दुर्लभ पदार्थ है और मुख्य रूप से विशिष्ट भू-वैज्ञानिक संरचनाओं में पाया जाता है। यह एक प्रमुख भू-राजनीतिक चिंता का विषय है।
- मोरक्को और पश्चिमी सहारा क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा फॉस्फोरस भंडार है, लेकिन इन भंडारों में कैडमियम अशुद्धि के रूप में उपस्थित होता है, यह एक हानिकारक भारी धातु है जो उपभोग करने पर जानवरों और मनुष्यों के गुर्दे में जमा हो सकती है।
- फॉस्फोरस संसाधनों से कैडमियम का निष्कर्षण और निष्कासन महँगी प्रक्रियाएँ हैं।
- कैडमियम युक्त उर्वरक फसलों को दूषित कर सकते हैं, जिससे हृदय रोग जैसे संभावित स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं।
- सीमित भंडार और कैडमियम संदूषण:
नोट: फॉस्फोरस स्रोतों से कैडमियम को अलग करने में विफलता से सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की संभावना उत्पन्न हो सकती है। इसके विपरीत, कैडमियम को हटाने से उर्वरक खर्च बढ़ सकता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और कृषि सामर्थ्य बनाए रखने के बीच एक जटिल समझौता हो सकता है।
- यूरोपीय संघ ने उर्वरकों में कैडमियम के स्तर को विनियमित करने के लिये कानून प्रस्तुत किया है।
- बाज़ार व्यवधान और संबंधित चिंताएँ:
- विश्व में केवल छह देशों के पास कैडमियम मुक्त फॉस्फोरस के महत्त्वपूर्ण भंडार हैं।
- उनमें से चीन ने वर्ष 2020 में निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और कई यूरोपीय संघ के देशों ने रूस से खरीदारी बंद कर दी।
- परिणामस्वरूप, शुद्ध फॉस्फोरस की मांग में वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2021 में कैडमियम की उपस्थिति के कारण ही श्रीलंका ने सिंथेटिक उर्वरक आयात पर प्रतिबंध लगाने और जैविक कृषि में बदलाव करने का निर्णय लिया।
- हालाँकि इस परिवर्तन के कारण फसल की उपज में अचानक गिरावट आई, जिससे देश में राजनीतिक और आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया।
- उनमें से चीन ने वर्ष 2020 में निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और कई यूरोपीय संघ के देशों ने रूस से खरीदारी बंद कर दी।
- विश्व में केवल छह देशों के पास कैडमियम मुक्त फॉस्फोरस के महत्त्वपूर्ण भंडार हैं।
- फॉस्फोरस का अति प्रयोग: अत्यधिक उर्वरक प्रयोग से फॉस्फोरस जल निकायों में चला जाता है। अत्यधिक फॉस्फोरस शैवाल के पनपने को बढ़ावा देता है, जल निकायों में ऑक्सीजन की कमी करता है और मछलियों की मृत्यु का कारण बनता है।
- शैवाल मनुष्यों के लिये विषैला भी हो सकता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियाँ और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
- ऊर्जा गहन खनन: फॉस्फेट रॉक के उत्खनन तथा प्रसंस्करण उद्योग में अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और पर्यावरणीय गिरावट में योगदान देता है।
फॉस्फोरस उपयोग के प्रबंधन हेतु संभावित रणनीतियाँ:
- स्मार्ट कृषि और परिशुद्धता उर्वरक: सटीक कृषि तकनीकों को लागू करना आवश्यक है जो खेतों पर फॉस्फोरस के उपयोग को अनुकूलित करने के लिये सेंसर नेटवर्क, AI और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि फसलों को फॉस्फोरस की आवश्यक मात्रा प्राप्त हो रही है, जिससे जल निकायों में अतिरिक्त अपवाह कम हो जाता है।
- केंद्रीय बजट 2023-24 ने पुनर्योजी कृषि (RA) के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने, रासायनिक और वैकल्पिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पी.एम.-प्रणाम योजना शुरू की।
- सीवेज और अपशिष्ट से फॉस्फोरस पुनर्प्राप्ति: सीवेज एवं विभिन्न अपशिष्ट धाराओं से फॉस्फोरस पुनर्प्राप्ति के लिये उन्नत प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की आवश्यकता है।
- इसमें उर्वरकों या अन्य अनुप्रयोगों में उपयोग हेतु फॉस्फोरस का निष्कर्षण और पुनर्चक्रण करने के लिये उन्नत निस्यंदन, अवक्षेपण तथा आयन-विनिमय प्रक्रियाओं का उपयोग सम्मिलित हो सकता है।
- उदाहरण: ईज़ीमाइनिंग जैसी कंपनियाँ उच्च गुणवत्ता वाले फॉस्फोरस उत्पादों को पुनर्प्राप्त करने के लिये सीवेज उपचार संयंत्रों को पुनर्स्थापित कर रही हैं।
- चक्रीय फॉस्फोरस अर्थव्यवस्था: फॉस्फोरस के लिये एक चक्रीय अर्थव्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता है, जहाँ फॉस्फोरस युक्त उत्पादों को सरल पुनर्प्राप्ति और रीसाइक्लिंग के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिससे खनन की आवश्यकता तथा पर्यावरणीय प्रभाव न्यूनतम हों।
- वैश्विक फॉस्फोरस प्रबंधन ढाँचा: वैश्विक जलवायु समझौतों के समान फॉस्फोरस प्रबंधन के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय ढाँचा विकसित करने की आवश्यकता है। यह वैश्विक स्तर पर फॉस्फोरस संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये सहयोग और समन्वित प्रयासों को बढ़ावा देगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: B व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |