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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कृत्रिम बुद्धिमत्ता: रक्षा एवं ऊर्जा क्षेत्र में उपयोगिता

  • 06 Oct 2022
  • 17 min read

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) क्या है?

  • यह उन कार्यों को पूरा करने वाली मशीनों की कार्रवाई का वर्णन करता है जिनके लिये ऐतिहासिक रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है।
    • इसमें मशीन लर्निंग, पैटर्न रिकग्निशन, बिग डेटा, न्यूरल नेटवर्क्स, सेल्फ एल्गोरिदम आदि जैसी प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं।
    • इस अवधारणा की उत्पत्ति ग्रीक पौराणिक कथाओं में देखी जा सकती है, हालाँकि यह केवल आधुनिक इतिहास के दौरान है जब संग्रहीत प्रोग्राम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (Stored program electronic computers) विकसित किये गए थे।
    • उदाहरण: मनुष्यों के आदेशों को समझने और मानव जैसे कार्यों को करने के लिये लाखों एल्गोरिदम और कोड हैं। अपने उपयोगकर्त्ताओं के लिये फेसबुक के सुझाए गए दोस्तों की सूची, एक पॉप-अप पेज, जो पसंदीदा ब्रांड के जूते और इंटरनेट ब्राउज़ करते समय स्क्रीन पर कपड़ों की आगामी बिक्री के बारे जानकारी देना इत्यादि, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का काम है।
  • एक जटिल प्रौद्योगिकी: एआई में जटिल चीजें शामिल होती हैं जैसे मशीन में किसी विशेष डेटा को फीड करना और इसका विभिन्न स्थितियों के अनुसार प्रतिक्रिया देना। यह मूल रूप से सेल्फ-लर्निंग पैटर्न के ज़रिये मशीन उन सवालों के जवाब भी देगी जो एक इंसान ही दे सकता है।

रक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का क्या महत्त्व है?

  • रसद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
    • इसमें निवेश का तत्काल परिणाम दिखेगा और सेना की दक्षता बढ़ेगी।
    • यह भारतीय सेना के साथ गहरे जुड़ाव के लिये विश्वास की नींव रखने में मदद करके इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी बढ़ावा दे सकता है।
    • रसद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के लिये एआई को तैनात करने के लेकर नागरिक क्षेत्र के भीतर पहले से ही महत्त्वपूर्ण विशेषज्ञता मौजूद है, जिसे आसानी से सैन्य डोमेन में स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • डेटा प्रबंधन और उन्नत ISR (खुफिया निगरानी और टोही) क्षमताएँ:
    • भारतीय सेना हर दिन बड़ी मात्रा में डेटा प्राप्त करती है, जिसका एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा अक्सर अप्रयुक्त या कम उपयोग किया जा सकता है।
    • भारतीय सशस्त्र बलों के लिये अधिक कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी प्रदान करने के लिये इस डेटा को संसाधित करने के लिये एआई का उपयोग किया जा सकता है।
    • इसमें मानव योद्धाओं के लिये अधिक-से-अधिक ऑन-फील्ड सहायता प्रदान करने की क्षमता भी है।
    • एआई के इस तरह के उपयोग का एक अच्छा उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका में 'प्रोजेक्ट मावेन' है, जहाँ मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग भारी मात्रा में वीडियो डेटा के माध्यम से करने के लिये किया जाता है जिसे अमेरिकी सेना एकत्र करती है और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उपयोग के लिये विश्वसनीय खुफिया जानकारी प्रदान करती है।
    • एआई सिस्टम भौतिक ISR में भी मूल्यवान साबित हो सकता है, खासकर दुर्गम इलाकों और चरम मौसमी स्थितियों में।
    • यह पाकिस्तान और चीन की सीमा से लगे ऊँचे हिमालय हो या हिंद महासागर में समुद्र के नीचे गश्त कर सकते हैं। इस तरह की प्रणालियाँ, चाहे मानवयुक्त हों या मानव रहित, सेना को मानव सैनिकों के लिये खतरे के बिना युद्ध के मैदान का पता लगाने की अनुमति देंगी।
  • हथियार प्रणाली:
    • एआई मौजूदा हथियार प्रणालियों की प्रभावकारिता को बढ़ा सकता है और यहाँ तक ​​कि हथियारों की एक पूरी नई श्रेणी तक ले जा सकता है।
    • यह यकीनन सैन्य अभियानों में एआई का सबसे विवादास्पद संभावित उपयोग है।
    • हथियार प्रणालियों में एआई के उपयोग से स्वायत्त हथियारों के विकास की संभावना है। ऐसे हथियार हैं जो मानवीय हस्तक्षेप के बिना सैद्धांतिक रूप से लक्ष्य चुन सकते हैं और उन्हें संलग्न कर सकते हैं।
  • साइबर सुरक्षा:
    • इसका उपयोग ISR गतिविधियों और हथियार प्रणाली (चाहे आक्रामक या रक्षात्मक) दोनों के लिये किया जा सकता है।
    • साइबर ऑपरेशन, विशेष रूप से वे जो प्रकृति में रक्षात्मक हैं, वे भी अपेक्षाकृत वर्तमान क्षमताओं को काफी बढ़ा सकते हैं।
    • साइबर खतरों का पता लगाने और उनका जवाब देने में प्रशिक्षित एआई सिस्टम इंसानों की तुलना में कहीं अधिक कुशल साबित हो सकते हैं।
    • जैसे-जैसे साइबर युद्ध तीव्रतर, अधिक परिष्कृत और अधिक खतरनाक होता जा रहा है, संभावना है कि इससे अकेले मनुष्य प्रभावी तरीके निपटने में सक्षम नहीं होंगे

सैन्य उद्देश्यों के लिये एआई-आधारित एप्लिकेशन के साथ क्या चुनौतियाँ हैं?

  • डेटा और गोपनीयता:
    • जब एआई वातावरण में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा की बात आती है तो गोपनीयता और समृद्धि के बीच समझौता हो सकता है।
  • नैतिक जोखिम:
    • मानवीय दृष्टिकोण से नैतिक जोखिम महत्त्वपूर्ण हैं।
    • जैसे-जैसे एआई आगे बढ़ता जाएगा, नैतिक विचार और शासन के मुद्दे पर निष्पक्षता, सुरक्षा, विश्वसनीयता, गोपनीयता, समावेशिता, पारदर्शिता और जवाबदेही को संबोधित करने वाले नियमों और शासन को फिर से परिभाषित करने की आवश्कता बढ़ेगी।
  • सामरिक जोखिम:
    • सामरिक जोखिमों में यह संभावना शामिल है कि एआई युद्ध की संभावना को बढ़ाएगा, पहले से चल रहे संघर्षों को बढ़ाएगा और दुर्भावनापूर्ण नेताओं के प्रचार को बढ़ाएगा।
  • इंसानों को नुकसान:
    • एआई सिस्टम को जानबूझकर या तो उपयोगकर्त्ताओं द्वारा या किसी विरोधी द्वारा सिस्टम पर हमले के माध्यम से मौत या विनाश का कारण बनने के लिये प्रोग्राम किया जा सकता है।
    • अनपेक्षित नुकसान त्रुटि के कारण भी हो सकता है जो लागू दिशानिर्देशों के अनुसार एआई सिस्टम के कठोर परीक्षण और प्रूफिंग के बाद भी मौजूद हो सकता है।
  • पूर्वाग्रह :
    • एआई अनजाने में या जानबूझकर पूर्वाग्रहों को कायम रख सकता है और हमले या हैकिंग की चपेट में आ सकता है।
    • चूँकि इन प्रणालियों को अक्सर बड़े डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाता है, इसलिये वे उन्हीं पूर्वाग्रहों को दोहराते हैं जो मूल डेटासेट में मौजूद थे।
    • इसी तरह एल्गोरिदम के डेवलपर्स के व्यक्तिगत पूर्वाग्रह इस समस्या को और बढ़ा सकते हैं।

संबंधित पहल

  • कार्यान्वयन के लिये कार्यबल:
    • एन चंद्रशेखरन टास्क फोर्स की स्थापना वर्ष 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा में एआई के प्रभाव का अध्ययन करने के लिये की गई थी।
    • उक्त टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर डिफेंस एआई काउंसिल (DAIC) और डिफेंस एआई प्रोजेक्ट एजेंसी  (DAIPA) बनाई गई।
    • DAIPA का लक्ष्य रक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर अधिक जोर देना, एआई-सक्षम उत्पादों को विकसित करने के लिये प्रत्येक रक्षा पीएसयू और आयुध निर्माणी बोर्ड के लिये एआई रोडमैप तैयार करना है।
    • सेना द्वारा उपयोग के लिये एआई के आवेदन के लिये आवश्यक मार्गदर्शन और संरचनात्मक सहायता प्रदान करने के लिये डीएआईसी की स्थापना की गई है।
  • डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज:
  • AIDEF संगोष्ठी और प्रदर्शनी:
    • रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में पहली बार 'एआई इन डिफेंस' (AI in Defence -AIDEF) संगोष्ठी और प्रदर्शनी के दौरान 75 नव विकसित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) उत्पादों/प्रौद्योगिकियों का शुभारंभ किया।
    • "स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव" के एक भाग के रूप में रक्षा मंत्रालय के तहत रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा AIDEF संगोष्ठी और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था।
    • इसने रक्षा क्षेत्र में "आत्मनिर्भर भारत" को बढ़ावा देने की मांग की।

आगे की राह

  • सेट-अप प्रक्रियाएँ और नए अभ्यास:
    • सेना में एआई का प्रभावी उपयोग करने हेतु भारतीय रक्षा मंत्रालय के लिये प्रक्रियाओं और प्रथाओं को स्थापित करना महत्त्वपूर्ण है जो इसे अनुसंधान प्रयोगशालाओं, शिक्षाविदों, स्टार्टअप और निजी क्षेत्र के साथ काम करने की अनुमति देता है।
  • संतुलन बनाए रखना:
    • देश के अंदर क्या बनाया जा सकता है और किन रक्षा उपकरणों के लिये दूसरे देशों से साझेदारी की जा सकती है, इसके बीच एक अच्छा संतुलन बनाना होगा।
    • ऐसा करने में भारतीय सेना अत्याधुनिक कार्य और सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाएगी साथ ही अखंडता और गोपनीयता बनाए रखेगी।
  • निजी क्षेत्र की भूमिका:
    • एआई को सुलभ और कुशल बनाने में निजी क्षेत्र की भूमिका अहम होगी।
    • चूँकि एआई उच्च-कौशल और पूंजी की मांग करता है इसलिये नवाचारों को पैसे एवं कौशल दोनों के मुक्त प्रवाह का समर्थन करने वाले पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता होती है।
  • मजबूत हार्डवेयर और डेटा बैंकों को सक्षम करना:
    • चूँकि एआई डेटा के बल पर जटिल एल्गोरिदम चलाता है, इसलिये देश के भीतर मजबूत हार्डवेयर और सक्षम डेटा बैंकों का होना आवश्यक है।
    • भारत में नागरिक और सैन्य उपयोग दोनों के लिये एआई की संभावनाओं में महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की कमी सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
    • यदि एक महत्त्वपूर्ण एआई-आधारित सैन्य तकनीक सीमाओं से परे स्थित एक दूरस्थ सर्वर पर डेटा का उपयोग करती है तो यह संभावित रूप से भारतीय विदेश नीति के लक्ष्य,रणनीतिक स्वायत्तता को, संरक्षित रखने में बाधित कर सकती है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

Q. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निम्नलिखित में से क्या प्रभावी ढंग से कर सकता है? (वर्ष 2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत कम करें
  2. सार्थक लघु कथाएँ और गीत बनाएँ
  3. रोग निदान
  4. टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण
  5. विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

 नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

 (A) केवल 1, 2, 3 और 5
 (B) केवल 1, 3 और 4
 (C) केवल 2, 4 और 5
 (D) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (B)

व्याख्या:

  • गूगल अपने डेटा केंद्रों में ऊर्जा की खपत को 30% तक कम करने के लिये अपने डीपमाइंड एक्विजिशन (DeepMind Acquisition) से इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग कर रहा है। अत: 1 सही है।
  • संगीत बनाने या संगीतकारों की सहायता के लिये एआई को एक उपकरण के रूप में उपयोग करना काफी समय से चलन में है। 1990 के दशक में डेविड बॉवी ने वर्बासाइज़र (Verbasizer) को विकसित करने में मदद की, जिसने साहित्यिक स्रोत सामग्री ली और नए संयोजन बनाने के लिये शब्दों को फिर से व्यवस्थित किया जिन्हें गीत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता था। चूँकि एआई प्रोग्राम किये गए पारिस्थितिकी तंत्र में काम करता है और इसमें भावनाएँ नहीं होती हैं इसलिये एआई के लिये सार्थक लघु कथाएँ और गीत बनाना कठिन होगा। अत: 2 सही नहीं है।
  • रोबोटिक्स और इंटरनेट ऑफ मेडिकल थिंग्स (IoMT) के साथ संयुक्त एआई स्वास्थ्य देखभाल के लिये संभावित रूप से नई क्रांति हो सकती है, जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिये समाधान पेश करता है। कैंसर देखभाल में एआई प्रौद्योगिकी के एकीकरण से निदान की सटीकता और गति में सुधार हो सकता है, नैदानिक ​​निर्णय लेने में सहायता मिल सकती है और बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। अत: 3 सही है।
  • वाक् संश्लेषण मानव भाषण का कृत्रिम उत्पादन है। यह भाषा को मानव आवाज़ (या भाषण) में बदलने का एक तरीका है। उदाहरण के लिये, Google Assistance, Amazon का Echo, Apple का Siri आदि। अतः कथन 4 सही है।
  • ऊर्जा क्षेत्र में एआई के कई उपयोग हो सकते हैं, जिनमें ऊर्जा प्रणाली मॉडलिंग, अप्रत्याशितता में कमी, ऊर्जा संतुलन बनाए रखना, साथ ही, उपयोग में दक्षता बढ़ाने के लिये पूर्वानुमान शामिल हैं। हालाँकि इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा के संचरण के लिये नहीं किया जा सकता है। अत: 5 सही नहीं है। अतः विकल्प (B) सही उत्तर है।

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