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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

उभरती सुरक्षा चुनौतियों हेतु अनुकूल रक्षा प्रणाली

  • 13 Nov 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अनुकूल रक्षा प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ड्रोन, उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्वचालित आयुध प्रणालियाँ, हाइपरसोनिक आयुध, रडार, दक्षिण चीन सागर, AIRAWAT, IndiaAI मिशन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी, आभासी और संवर्द्धित वास्तविकता, राष्ट्रीय  ब्लॉकचेन रणनीति, क्वांटम प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय मिशन (NMQTA), ड्रोन हब विज़न, एंटी-सैटेलाइट (ASAT)

मेन्स के लिये:

अनुकूली रक्षा की आवश्यकता, राष्ट्रीय सुरक्षा पर उभरती प्रौद्योगिकियों की भूमिका।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री ने तेज़ी से बदलते विश्व के समक्ष उत्पन्न नई सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के क्रम में देश में "अनुकूल रक्षा प्रणाली" विकसित करने पर बल दिया है। 

  • उन्होंने यह भी कहा कि भारत विविध चुनौतियों का सामना करते हुए उभरती प्रौद्योगिकियों पर कार्य कर रहा है।

अनुकूल रक्षा प्रणाली क्या है?

  • परिचय: यह एक रणनीतिक दृष्टिकोण है जिसके तहत उभरते खतरों का मुकाबला करने के क्रम में किसी राष्ट्र के सैन्य और रक्षा तंत्र का निरंतर विकसित होना शामिल है।
    • इसके तहत केवल अतीत या वर्तमान खतरों पर प्रतिक्रिया करने के बजाय भविष्य के खतरों का पूर्वानुमान लगाने पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
  • अनुकूल रक्षा प्रणाली के प्रमुख तत्त्व:
    • परिस्थितिजन्य जागरूकता: गतिशील वातावरण को समझने और उस पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता।
    • लचीलापन: समय पर और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने हेतु रणनीतिक और सामरिक आयामों पर ध्यान देना।
    • लचीलापन: बदलती परिस्थितियों के अनुसार शीघ्रता से उबरने के साथ अनुकूलन करने की क्षमता।
    • उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ एकीकरण: उभरती प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के लिये अनुकूल रक्षा प्रणाली की आवश्यकता पर बल देना।
    • संयुक्त सैन्य दृष्टिकोण: भविष्य के खतरों से निपटने के लिये संयुक्त सैन्य रणनीतियों के विकास पर ध्यान देना, जिसमें न केवल राष्ट्रीय सैन्य बल, बल्कि रणनीतिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी शामिल हो।
  • युद्ध का विकास:
    • ग्रे ज़ोन और हाइब्रिड युद्ध: साइबर हमलों और आतंकवाद जैसे नए खतरों के कारण युद्ध की पारंपरिक धारणाएँ बदल रही हैं। आधुनिक युद्ध में अब गैर-पारंपरिक तत्त्व शामिल हो रहे हैं, जिससे निरंतर अनुकूलन की मांग बढ़ रही है।
    • तकनीकी परिवर्तन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), स्वार्म प्रौद्योगिकी एवं ड्रोन जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ युद्ध और रक्षा रणनीतियों को नया आकार दे रही हैं।
      • स्वार्म प्रौद्योगिकी ड्रोन, उपग्रहों या अंतरिक्ष यान को विकेंद्रीकृत नियंत्रण, स्वचालन एवं समूहकरण का उपयोग करके समन्वित तरीके से एक साथ कार्य करने की अनुमति देती है।
    • मनोवैज्ञानिक युद्ध: जनमत को प्रभावित करने, धोखा देने या सरकारों की निर्णय लेने की प्रक्रिया को बाधित करने के लिये सूचना में हेरफेर करना, बाधा डालना या नियंत्रण करना सामान्य हो गया है।
  • अनुकूल रक्षा प्रणाली हेतु सरकारी पहल:

नोट:

  • ग्रे ज़ोन युद्ध: इसमें ऐसी रणनीति और रणनीतियाँ शामिल हैं जो पूर्ण पैमाने पर संघर्ष की सीमा से नीचे हैं लेकिन फिर भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण जोखिम पैदा करती हैं। उदाहरणतः साइबर हमले, गुप्त प्रभाव संचालन और जासूसी।
  • हाइब्रिड युद्ध: यह रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये गतिज (भौतिक) और गैर-गतिज (मनोवैज्ञानिक, साइबर, आर्थिक) दोनों तरह के युद्ध साधनों को एकीकृत करता है। उदाहरणतः नियमित सैन्य बलों (पारंपरिक) और अनियमित बलों, जैसे विद्रोही, भाड़े के सैनिक या प्रॉक्सी बल (अपरंपरागत) का मिश्रण।
  • असममित युद्ध: आतंकवादी समूह, विद्रोही और अन्य गैर-राज्य अभिनेता अक्सर बेहतर सैन्य बलों को चुनौती देने के लिये गुरिल्ला युद्ध तथा आत्मघाती बम विस्फोट जैसी अपरंपरागत रणनीति पर भरोसा करते हैं। उदाहरणतः इजरायल पर हमास का हमला।

भारत के लिये नई सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं?

  • उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ: 
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): सैन्य अनुप्रयोगों में AI प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में हेरफेर कर सकता है और नए हथियार विकसित कर सकता है।
    • सिंथेटिक बायोलॉजी: जीवविज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के संयोजन से जैविक हथियारों या यहाँ तक ​​कि हानिकारक प्रभावों वाले नए जीवन रूपों को डिज़ाइन और विकसित किया जा सकता है।
    • साइबर सुरक्षा: साइबर हमले परमाणु सुविधाओं, सैन्य प्रणालियों और खुफिया नेटवर्क  जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को कमज़ोर कर सकते हैं।
  • स्वायत्त हथियार: 
    • स्वचालित घातक आयुध प्रणालियाँ (Lethal autonomous weapons systems- LAWs): LAWs AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करके मानवीय हस्तक्षेप के बिना स्वतंत्र रूप से खतरों की पहचान, लक्ष्य और उनसे निपटने में सक्षम हैं।
    • मानवरहित जल वाहन (UUV): यह सैन्य निगरानी, ​​बारूदी सुरंगों का पता लगाने, वैज्ञानिक अनुसंधान और पानी के भीतर मानचित्रण करने में सक्षम हैं।
  • हाइपरसोनिक मिसाइलें: हाइपरसोनिक हथियार रडार की पकड़ से बच सकते हैं तथा अपना रास्ता स्वयं समायोजित कर सकते हैं, जिससे उनसे बचाव करना कठिन हो जाता है।
  • अंतरिक्ष युद्ध: अंतरिक्ष सैन्यीकरण उपग्रह प्रणालियों और अन्य अंतरिक्ष आधारित सेवाओं जैसे संचार, नेविगेशन प्रणालियों आदि को बाधित या नष्ट कर सकता है।
  • आतंकवाद: ड्रोन से पारंपरिक रक्षा प्रणालियों की निगरानी के साथ ​​लक्षित हमलों या विस्फोटकों की डिलीवरी को अप्रभावी किया जा सकता है। 
  • भू-राजनीतिक तनाव: चीन-अमेरिका तनाव, यूक्रेन युद्ध, कोरिया और दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों में परमाणु खतरे, क्षेत्रीय स्थिरता के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।
  • पर्यावरण सुरक्षा: बढ़ते तापमान, समुद्र के जल स्तर में परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाओं से नई सुरक्षा चुनौतियों को जन्म मिल सकता है, जिनमें जनसंख्या का विस्थापन एवं संसाधन-आधारित संघर्ष शामिल हैं।  
  • वैश्विक सुरक्षा संरचना: चीन  के उदय से संयुक्त राज्य अमेरिका के पारंपरिक प्रभुत्व को चुनौती मिल रही है।
    • इससे शक्ति शून्यता पैदा हो सकती है जिससे विभिन्न क्षेत्रों (विशेषकर मध्य पूर्व, अफ्रीका और पूर्वी यूरोप) में अस्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।

उभरती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने से संबंधित भारत की पहल:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): 
    • ऐरावत (AI Research, Analytics, and Knowledge Dissemination Platform- AIRAWAT): ऐरावत विभिन्न क्षेत्रों में AI अनुसंधान के लिये एक सामान्य कम्प्यूट प्लेटफॉर्म प्रदान करता है, जो प्रौद्योगिकी केंद्रों, स्टार्ट-अप और अनुसंधान प्रयोगशालाओं के लिये पहुँच को सुविधाजनक बनाता है।
    • इंडियाAI मिशन: इंडियाAI मिशन का उद्देश्य AI तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाना, स्वदेशी AI क्षमताओं का विकास करना और AI कंप्यूट क्षमता तथा AI इनोवेशन सेंटर जैसी पहलों के माध्यम से शीर्ष AI प्रतिभाओं को आकर्षित करना है।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI): भारत GPAI का संस्थापक सदस्य है, जो मानव अधिकारों, समावेशन एवं नवाचार पर जोर देने के साथ AI के विकास पर केंद्रित एक पहल है।
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): IoT, बिग डेटा, AI और रोबोटिक्स में स्टार्ट-अप्स तथा उद्यमों को समर्थन देने के लिये बेंगलुरु, गुरुग्राम, गांधीनगर व विशाखापत्तनम में IoT उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये गए हैं।
  • ऑगमेंटेड रिएलिटी (AR) और वर्चुअल रिएलिटी (VR): आभासी और संवर्धित वास्तविकता (ऑगमेंटेड रिएलिटी- AR और वर्चुअल रिएलिटी- VR) के लिये उद्यमिता केंद्र की स्थापना IIT भुवनेश्वर में VR/AR  नवाचार एवं कौशल विकास के लिये की गई है।
  • ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी: नागरिकों और व्यवसायों को सुरक्षित, पारदर्शी डिजिटल सेवा प्रदान करने के लिये ब्लॉकचेन पर राष्ट्रीय रणनीति तैयार की गई है।
  • रोबोटिक्स: घरेलू रोबोटिक्स उद्योग को समर्थन देने के लिये रोबोटिक्स के लिये एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है।
  • क्वांटम प्रौद्योगिकी: क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग पर राष्ट्रीय मिशन (NMQTA) को 8 वर्षों में 50-1000 भौतिक क्यूबिट के साथ मध्यवर्ती स्तर के क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने के लिये शुरू किया गया था।

आगे की राह:

  • प्रौद्योगिकीय एकीकरण: यदि AI और संबंधित प्रौद्योगिकियों को एकीकृत किया जाए तो भारत की रक्षा प्रणालियाँ खतरों का पूर्वानुमान लगाने तथा उभरते खतरों पर अधिक तेज़ी से एवं प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने में सक्षम होंगी।
  • साइबर सुरक्षा: एक मज़बूत साइबर रक्षा ढाँचे की स्थापना, नियमित साइबर सुरक्षा अभ्यास और सैन्य प्रणालियों को अद्यतन करने से साइबर हमलों को रोकने में मदद मिल सकती है।
    • साइबर हमलों से निपटने के लिये चीन के साइबरस्पेस फाॅर्स की तरह एक समर्पित साइबर फाॅर्स की स्थापना करना।
  • हाइब्रिड वारफेयर: जनता को फर्जी खबरों और दुष्प्रचार को पहचानने के लिये शिक्षित करना, विशेष रूप से संघर्षों के दौरान, सत्य, तथ्य-आधारित जानकारी को बढ़ावा देने तथा शत्रुतापूर्ण आख्यानों का सामना करने हेतु सोशल मीडिया एवं अन्य प्लेटफार्मों का उपयोग करना।
    • सेनाओं को गलत सूचना और दुष्प्रचार का सामना करने हेतु समर्पित इकाइयाँ स्थापित करनी चाहिये।
  • स्वायत्त प्रणालियाँ: भारत को ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकियों और ड्रोन रक्षा प्रणालियों में निवेश को बढ़ाना चाहिये, साथ ही अपने ड्रोन हब विज़न का विस्तार जारी रखना चाहिये।
  • अंतरिक्ष युद्ध: भारत को अपनी उपग्रह रोधी (ASAT) क्षमताओं को बढ़ाना जारी रखना चाहिये तथा उपग्रह प्रणाली को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।  
    • अंतरिक्ष आधारित बुनियादी ढाँचे और परिसंपत्तियों को संभावित खतरों से सुरक्षित करने के लिये संयुक्त राज्य अंतरिक्ष बल (USSF) की तर्ज पर अंतरिक्ष बल (फाॅर्स) विकसित करना।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: हाइब्रिड और ग्रे जोन वारफेयर के बढ़ने के साथ, भारत को साइबर हमलों, गलत सूचनाओं और पारंपरिक सैन्य खतरों के अभिसरण से निपटने हेतु अपनी रक्षा रणनीतियों को किस प्रकार विकसित करने की आवश्यकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा वह संदर्भ है जिसमें "क्विबिट" शब्द का उल्लेख किया गया है?

(a) क्लाउड सेवाएँ
(b) क्वांटम कम्प्यूटिंग
(c) दृश्य प्रकाश संचार तकनीक
(d) बेतार (वायरलेस) संचार तकनीक 

उत्तर: (b)


प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से कौन-से कार्य प्रभावी ढंग से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना 
  2. सार्थक लघु कथाएँ और गीत की रचना 
  3. रोग निदान 
  4. टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण 
  5. विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न: निषेधात्मक श्रम के कौन-से क्षेत्र हैं जिन्हें रोबोट द्वारा स्थायी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है? उन पहलों पर चर्चा कीजिये जो प्रमुख शोध संस्थानों में शोध को वास्तविक और लाभकारी नवाचार के लिये प्रेरित कर सकती हैं। (2015)

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