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स्वचालित आयुध प्रणालियाँ: चुनौतियाँ एवं अवसर

  • 18 Nov 2023
  • 19 min read

यह एडिटोरियल 15/11/2023 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “India, ‘killer robots’ and the China challenge” लेख पर आधारित है। इसमें भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिये स्वचालित घातक आयुध प्रणालियों (LAWS), जिन्हें ‘किलर रोबोट्स’ के रूप में भी जाना जाता है, के विकास एवं तैनाती के निहितार्थों के बारे में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वचालित घातक आयुध प्रणालियाँ (LAWS), स्वचालित घातक आयुध प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका।

मेन्स के लिये:

स्वचालित घातक आयुध प्रणालियाँ (LAWS): भारत के लिये लाभ, चुनौतियाँ, स्थिति और आगे की राह।

अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी प्रगतियों के ही समान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) भी वैश्विक स्तर पर, विशेष रूप से नागरिक एवं सैन्य दोनों क्षेत्रों में ज़िम्मेदार उपयोग के संबंध में महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ पेश करती है। जबकि नागरिक अनुप्रयोगों में AI के विनियमन एवं प्रसार के संबंध में विमर्श ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है, अब इसके सैन्य उपयोग के बारे में चर्चा भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गति प्राप्त कर रही है। AI के सैन्य उपयोग पर, विशेष रूप से स्वतंत्र संचालन में सक्षम स्वचालित हथियारों के संबंध में कठोर सीमाओं की वकालत करने वाली वैश्विक आम सहमति बढ़ रही है। इसके साथ ही, विश्व की प्रमुख शक्तियाँ AI के माध्यम से आयुध प्रणालियों के स्वचालन में वृद्धि के तेज़ी से विकास हेतु भारी निवेश कर रही हैं।

स्वचालित घातक आयुध प्रणालियाँ क्या हैं?

  • स्वचालित घातक आयुध प्रणालियाँ (Lethal autonomous weapons systems- LAWS), जिन्हें ‘किलर रोबोट्स’ के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार की स्वचालित सैन्य प्रणाली है जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के लक्ष्य का चयन करने और उस पर हमला करने की क्षमता रखती है।
  • वे हवा में, भूमि पर, जल पर, जल के नीचे या अंतरिक्ष में कार्य कर सकती हैं।
  • स्वचालित हथियार प्रणाली को किसी विशिष्ट ‘टारगेट प्रोफ़ाइल’ पर हमले के लिये प्री-प्रोग्राम किया गया होता है।
    • इस हथियार को फिर ऐसे वातावरण में तैनात किया जाता है जहाँ यह चेहरे की पहचान (facial recognition) जैसे सेंसर डेटा का उपयोग कर उस ‘टारगेट प्रोफ़ाइल’ की खोज करती है।
  • ‘LAWS’ विवादास्पद हैं और नैतिक, विधिक एवं मानवीय चिंताओं की वृद्धि करते हैं।

LAWS में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की क्या भूमिका है?

  • आयुध प्रणालियों में स्वचालन: स्वचालित आयुध प्रणालियों को मानव अभिकर्ता के निर्देश या इनपुट के बिना अपन कार्य करने के लिये स्वचालन या स्वायत्तता की आवश्यकता होती है। यह स्वायत्तता दो दृष्टिकोणों से प्राप्त की जा सकती है:
    • पूर्व-परिभाषित कार्यों के माध्यम से: इसमें वर्तमान परिवेश के आधार पर वास्तविक समय में निर्णय लेने की आवश्यकता के बिना विशिष्ट कार्य करने के लिये निर्देशों के एक समूह के साथ सिस्टम का प्रोग्रामिंग करना शामिल है।
    • AI के माध्यम से: इसमें डेटा से व्यवहार प्राप्त करने के लिये AI टूल्स या साधनों का उपयोग करना शामिल है। सिस्टम प्राप्त डेटा से सीख ग्रहण करता है, जिससे उसे निर्णय लेने या अपने व्यवहार को स्वतंत्र रूप से अनुकूलित करने की अनुमति मिलती है।
  • एक सक्षमकर्ता (Enabler) के रूप में AI: स्वचालित आयुध प्रणालियों के कार्यकरण के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता कोई पूर्व-शर्त नहीं है, लेकिन, जब इसे शामिल किया जाता है तो AI ऐसी प्रणालियों को और अधिक सक्षम कर सकता है।
    • दूसरे शब्दों में, सभी स्वचालित आयुध प्रणालियाँ विशेष कार्यों को निष्पादित करने के लिये AI को शामिल नहीं करती हैं
  • सहायक भूमिका में AI: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग उन प्रणालियों में सहायक भूमिका में भी किया जा सकता है जो प्रत्यक्ष रूप से मानव द्वारा संचालित होती हैं।
    • उदाहरण के लिये, मानव द्वारा संचालित एक कंप्यूटर विज़न सिस्टम विज़न फील्ड में स्थित उल्लेखनीय वस्तुओं की पहचान करने और उनकी ओर ध्यान आकर्षित करने के लिये (उन वस्तुओं पर किसी भी प्रकार स्वचालित रूप से प्रतिक्रिया करने की क्षमता के बिना) कृत्रिम बुद्धिमत्ता को नियोजित कर सकता है।

स्वचालित घातक आयुध प्रणालियों (LAWS) के क्या लाभ हैं?

  • बल गुणक और युद्धक्षेत्र विस्तार:
    • LAWS बल गुणक (Force Multiplier) के रूप में कार्य कर सैन्य प्रभावशीलता को बढ़ा सकती हैं। वे संभावित रूप से कार्यों को स्वचालित रूप से पूरा कर सकती हैं, जिससे मानव बलों को रणनीतिक योजना और निर्णय लेने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है।
    • LAWS अतिरिक्त क्षमताएँ और कवरेज प्रदान कर युद्धक्षेत्र का विस्तार कर सकती हैं, जिससे सैन्य अभियानों के लिये अधिक व्यापक दृष्टिकोण सक्षम हो सकता है।
  • संसाधन आवंटन दक्षता:
    • LAWS में प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स और कार्मिकों से जुड़ी लागत को कम कर संसाधन आवंटन दक्षता (Resource Allocation Efficiency) में सुधार लाने की क्षमता है।
    • स्वचालित प्रणालियाँ आराम या व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता के बिना विस्तारित अवधि तक कार्य कर सकती हैं।
  • हताहतों की संख्या और मानवीय पीड़ा को कम करना:
    • LAWS ऐसे जोखिम भरे कार्य कर या खतरनाक स्थितियों में शामिल होकर अपने स्वयं के सैन्य बलों के लिये हताहतों की संख्या को कम करने में योगदान दे सकती है जहाँ प्रत्यक्ष मानवीय संलग्नता से अधिक कर्मी हताहत हो सकते हैं।
  • सूचना एकत्रीकरण और निर्णयन में सुधार:
    • उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेंसर और एल्गोरिदम से लैस LAWS सूचना एकत्र करने, पता लगाने और निर्णय लेने की क्षमताओं को बढ़ा सकती है।
    • वे डेटा की बड़ी मात्रा को तेज़ी से संसाधित कर सकती हैं और कमांडरों को अधिक सटीक और समयबद्ध सूचनाएँ प्रदान कर सकती हैं।

LAWS से संबद्ध प्रमुख मुद्दे

  • नैतिक मुद्दे: घातक बल का उपयोग करने का निर्णय एल्गोरिदम को सौंपने से इस संबंध में महत्त्वपूर्ण सवाल खड़े होते हैं कि स्वायत्त हथियारों द्वारा बल के उपयोग के लिये, विशेष रूप से अप्रत्याशितता की ओर उनकी प्रवृत्ति को देखते हुए, अंततः कौन ज़िम्मेदार और जवाबदेह होगा।
  • कानूनी मुद्दे: LAWS अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून एवं मानवाधिकार कानून के अनुपालन के संबंध में—जैसे कि भेद, आनुपातिकता एवं एहतियात के सिद्धांत (principles of distinction, proportionality and precaution), साथ ही उल्लंघन के लिये जवाबदेही तंत्र, चुनौतियाँ पेश करती हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (António Guterres) इस बात से सहमत हैं कि “मानव संलग्नता के बिना लोगों की जान लेने की शक्ति और विवेक रखने वाली मशीनें राजनीतिक रूप से अस्वीकार्य एवं नैतिक रूप से प्रतिकूल हैं और इन्हें अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिये।”
  • तकनीकी मुद्दे: LAWS त्रुटियों, विफलताओं और कमज़ोरियों (जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेंसर और एल्गोरिदम की मज़बूती, विवेचनीयता एवं प्रतिकूल प्रत्यास्थता की कमी) के अधीन हैं जो उनकी विश्वसनीयता, अहानिकारकता और सुरक्षा को कम कर सकते हैं।
  • सुरक्षा संबंधी मुद्दे: LAWS बल के उपयोग की सीमा को कम कर, युद्ध के दायरे एवं पैमाने का विस्तार कर और हमलों एवं जवाबी कार्रवाइयों के नए रूपों को सक्षम कर सशस्त्र संघर्ष, तनाव और सैन्य प्रसार के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

स्वचालित हथियारों पर संयुक्त राष्ट्र का रुख

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हाल ही में स्वचालित स्वायत्त हथियारों से संबंधित एक प्रस्ताव पर मतदान किया है।
  • इस प्रस्ताव को व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ जहाँ 164 देशों ने इसके पक्ष में और 5 ने विपक्ष में मतदान किया, जबकि 8 देश अनुपस्थित रहे
    • प्रमुख सैन्य शक्तियों के बीच मतदान का पैटर्न अलग-अलग रहा, जहाँ अमेरिका और उसके सहयोगियों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया जबकि भारत ने इसके विपक्ष में मतदान किया।
  • संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से स्वचालित हथियारों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने का आग्रह किया।
  • प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से एक रिपोर्ट की मांग की गई जहाँ विशेष रूप से सरकारों और नागरिक समाज समूहों के विचारों को ध्यान में रखा जाए।

स्वचालित हथियारों के क्षेत्र में विभिन्न देश क्या कर रहे हैं?

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: स्वचालित हथियारों के विकास में अमेरिका एक प्रमुख खिलाड़ी है। इसने मानवरहित प्रणालियों की तैनाती की है (नौसेना के जहाज़ों सहित) और आने वाले वर्षों में अपने मानवरहित जहाज़ों के बेड़े का विस्तार करने की योजना रखता है।
    • अमेरिकी सैन्य शाखाएँ- जैसे कि नौसेना, वायु सेना और थल सेना, ड्रोन प्रणालियों में निवेश कर रही हैं और मानवयुक्त एवं मानवरहित दोनों प्रणालियों को शामिल करते हुए संयुक्त अभियानों के प्रयोग कर रही हैं।
    • पेंटागन (Pentagon) ने स्वचालित हथियारों के उपयोग पर मानव नियंत्रण के महत्त्व पर बल देते हुए, AI को रक्षा प्रबंधन में एकीकृत करने के लिये विभिन्न संस्थानों की स्थापना की है।
  • चीन: चीन ने बुद्धिमत्ता संपन्न (intelligentized) पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के निर्माण में AI को प्राथमिकता दी है। चीन इन्वेंट्री प्रबंधन, रखरखाव, लॉजिस्टिक्स, टोही कार्य (reconnaissance), निगरानी और युद्ध सहित विभिन्न सैन्य कार्यकरणों में AI को तैनात कर रहा है।
    • चीन की उल्लेखनीय औद्योगिक क्षमता और संसाधनों पर केंद्रीकृत नियंत्रण उसे तेज़ गति से स्वचालित हथियारों का निर्माण कर सकने की अनुमति देता है।
    • अमेरिका AI प्रौद्योगिकी में बढ़त बनाए रखने के महत्त्व को चिह्नित करते हुए AI विकास में सक्रिय रूप से चीन से आगे बने रहने की कोशिश कर रहा है।
  • भारत: भारत भी स्वचालित हथियारों के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, जो वैश्विक मुद्दों पर उसके व्यावहारिक दृष्टिकोण का संकेत देता है। स्वचालित हथियारों पर UNGA में नकारात्मक मतदान के बावजूद भारत राष्ट्रीय रक्षा योजनाओं में, विशेष रूप से चीन के साथ सैन्य असंतुलन को देखते हुए AI के महत्त्व को चिह्नित करता है। जबकि भारत AI में शक्ति रखता है, वह स्वीकार करता है कि इस तकनीक के सैन्य अनुप्रयोग में वह अमेरिका और चीन से पीछे है।

LAWS के संबंध में अपनी क्षमताएँ बढ़ाने के लिये भारत को क्या करना चाहिये?

  • रक्षा के लिये राष्ट्रीय AI क्षमताओं में निवेश करना:
    • प्रमुख AI विज्ञान के निर्माण के लिये पर्याप्त संसाधन आवंटित करें।
    • AI से संबंधित प्रौद्योगिकीय क्षमताओं की एक व्यापक शृंखला विकसित करें।
    • परिचालनात्मक सैन्य सिद्धांत स्थापित करें जो AI को भारतीय रक्षा प्रबंधन और सशस्त्र बलों में प्रभावी ढंग से एकीकृत करें।
  • अमेरिका के साथ प्रौद्यिगिकीय साझेदारी बढ़ाना:
    • अमेरिका के साथ बढ़ती प्रौद्योगिकीय साझेदारी, विशेष रूप से AI के क्षेत्र में, का लाभ उठाएँ।
    • AI क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिये संयुक्त पहल और परियोजनाओं पर सहयोग का निर्माण करें।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानदंड को आकार देना:
    • अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों को आकार देने की परंपरा को, विशेष रूप से उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में, जारी रखें।
    • AI के उत्तरदायित्वपूर्ण सैन्य उपयोग के लिये वैश्विक शासन विकसित करने हेतु समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर कार्य करें।
  • उत्तरदायित्वपूर्ण AI उपयोग पर सहयोग:
    • AI का उत्तरदायित्वपूर्ण सैन्य उपयोग सुनिश्चित करने के लिये अन्य देशों के साथ सहयोग करें।
    • स्वचालित हथियारों की तैनाती में मानव नियंत्रण और निरीक्षण को शामिल करने का पक्षसमर्थन करें।
  • संस्थानों का निर्माण:
    • रक्षा क्षेत्र में AI अनुसंधान, विकास और कार्यान्वयन के लिये समर्पित संस्थानों की स्थापना करें।
    • AI से संबंधित मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये मौजूदा ढाँचे को सुदृढ़ करें।
  • कूटनीति से संलग्नता:
    • AI शासन पर अन्य देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के लिये कूटनीतिक प्रयासों में सक्रिय रूप से संलग्न रहें।
    • रक्षा क्षेत्र में AI के नैतिक उपयोग के लिये विचार-विमर्श और दिशानिर्देश तय करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंचों में भागीदारी करें।

निष्कर्ष

चीन के साथ वृहत सैन्य असंतुलन और हिमालय क्षेत्र एवं समुद्री क्षेत्र में देश के लिये मौजूद चुनौतियों को देखते हुए, भारत की राष्ट्रीय रक्षा योजनाओं में AI को आवश्यक रूप से एक महत्त्वपूर्ण अंग होना चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: स्वचालित घातक आयुध प्रणालियों (LAWS) से जुड़े लाभों एवं चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिये। ऐसे कार्रवाई योग्य कदमों के प्रस्ताव कीजिये जो भारत LAWS पर अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिये उठा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020) 

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना  
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना    
  3. रोगों का निदान  
  4. टेक्स्ट से स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन 
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण  

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4 
(c) केवल 2, 4 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और 5 

उत्तर: (b) 

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