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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Jun 2024
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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ एग्रीकल्चर स्टार्टअप

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के एग्रीकल्चर कमोडिटी स्टार्टअप्स को केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) से जोड़ने की योजना बना रही है।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य सरकार ने कृषि विभाग को निर्देश दिया है कि वह विशेष किसान उत्पादक सेल का उपयोग करके किसान उत्पादक संगठनों (FPO) को ONDC और ई-नाम से जोड़े, जिसका गठन शीघ्र ही किया जाएगा।
    • स्टार्टअप्स को किसी भी ई-कॉमर्स या डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ने की स्वतंत्रता है।
  • राज्य उर्वरकों, बीजों और कीटनाशकों जैसे इनपुट के लिये लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके, साथ ही साथ बाज़ार यार्ड, वस्तु एवं सेवा कर (GST), भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण (FSSAI) के लिये लाइसेंस एवं बाज़ार तक पहुँच के लिये ONDC व e-NAM प्लेटफार्मों के साथ जुड़कर एक खुले कृषि बाज़ार का समर्थन करने की योजना बना रहा है।
    • आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के तहत उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 3,240 FPO सक्रिय हैं।
    • आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के तहत 2,725 FPO का गठन किया जाएगा, जिससे 27.25 लाख शेयरधारक किसानों को सीधे लाभ मिलेगा।
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने और कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लागू करने हेतु उद्योग भागीदारों के साथ सहयोग किया है।
    • उनका लक्ष्य भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII) के साथ साझेदारी में नवंबर 2024 में कृषि भारत वैश्विक किसान सम्मेलन आयोजित करना भी है।
    • लखनऊ में आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम में अमेरिका, जर्मनी, ब्राज़ील, इटली, पोलैंड, फ्राँस, स्पेन, इंडोनेशिया और केन्या सहित कई देशों के किसानों के शामिल होने की उम्मीद है।

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC)

  • ONDC का उद्देश्य किसी विशिष्ट प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र, खुले विनिर्देशों और ओपन नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए ओपन-सोर्स पद्धति पर विकसित ओपन नेटवर्क को बढ़ावा देना है।
  • ओपन-सोर्स तकनीक पर आधारित नेटवर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को एकीकृत करने की परियोजना को भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India) को सौंपा गया है।
  • ONDC जिसका कार्यान्वयन एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI) की तर्ज पर होने की उम्मीद है, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा किये गए विभिन्न परिचालन पहलुओं को समान स्तर पर ला सकता है।
  • विभिन्न परिचालन पहलुओं में विक्रेताओं की ऑनबोर्डिंग, विक्रेता की खोज, मूल्य की खोज और उत्पाद सूचीकरण आदि शामिल हैं।
  • ONDC पर खरीदार और विक्रेता इस तथ्य के बावजूद लेन-देन कर सकते हैं कि वे एक विशिष्ट ई-कॉमर्स पोर्टल से जुड़े हुए हैं।

राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM )

  • यह  एग्रीकल्चर कमोडिटी के लिये अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है।
  • यह किसानों को अपनी उपज सीधे खरीदारों को बेचने में सक्षम बनाता है, बिचौलियों को कम करता है, उचित मूल्य सुनिश्चित करता है और स्थिरता को बढ़ाता है।

भारत में कृषि-निर्यात को बढ़ावा देने हेतु अन्य सरकारी योजनाएँ

  • ऑपरेशन ग्रीन: ऑपरेशन ग्रीन फलों और सब्जियों सहित आवश्यक कृषि वस्तुओं की आपूर्ति तथा कीमतों को स्थिर करने की एक पहल है।
    • इसका उद्देश्य मूल्य अस्थिरता को कम करना, किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना तथा सतत् कृषि निर्यात को बढ़ावा देना है।
  • बाज़ार पहुँच पहल (MAI): MAI एक ऐसा कार्यक्रम है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी, क्षमता निर्माण और बाज़ार अनुसंधान सहित निर्यात संवर्द्धन गतिविधियों का समर्थन करता है। यह भारतीय कृषि निर्यातकों को नए बाज़ार तलाशने तथा बाज़ार तक पहुँच हासिल करने में सहायता करता है।
  • कृषि-समुद्री प्रसंस्करण और कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टरों के विकास के लिये योजना (SAMPADA): SAMPADA का उद्देश्य कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टरों के लिये बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना है, जिससे फसल-उपरांत होने वाले नुकसान को कम करने, कृषि उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने और भारतीय कृषि-उत्पादों की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): NHM जैविक खेती, परिशुद्ध खेती और जल-उपयोग दक्षता सहित सतत् बागवानी प्रथाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है। यह निर्यात के लिये उच्च मूल्य वाले बागवानी उत्पादों के उत्पादन का समर्थन करता है।
  • APEDA (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण): APEDA अनुसूचित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार है तथा निर्यातकों के लिये स्थिरता, गुणवत्ता एवं प्रमाणन आवश्यकताओं के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
  • कृषि निर्यात क्षेत्रों Agri Export Zones- AEZ) की स्थापना: विशिष्ट कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये देश के विभिन्न भागों में AEZ स्थापित किये गए हैं।
    • ये क्षेत्र बुनियादी ढाँचे के विकास और प्रौद्योगिकी अपनाने के माध्यम से सतत् कृषि निर्यात के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
  • जैविक खेती को बढ़ावा: सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये कार्यक्रम शुरू किये हैं, जो पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देता है और जैविक उत्पादों की निर्यात क्षमता को बढ़ाता है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII)

  • CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-नेतृत्व वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1895 में हुई थी।
  • यह सलाहकारी और परामर्श प्रक्रियाओं के माध्यम से उद्योग, सरकार तथा नागरिक समाज के साथ साझेदारी करके भारत के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाने एवं बनाए रखने के लिये कार्य करता है।


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मलेरिया उन्मूलन अभियान

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2027 तक राज्य से मलेरिया उन्मूलन के लिये तीव्र अभियान शुरू किया है।

इस पहल में मलेरिया के प्रत्येक मामले की गहन जाँच और पूर्ण उपचार शामिल है।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जून माह मलेरिया रोधी माह है, इस वर्ष राज्य में मलेरिया के 771 मामले सामने आए।
    • प्रयासों में बेहतर केस रिपोर्टिंग, प्रबंधन, तथा महामारी विज्ञान और कीट विज्ञान संबंधी जाँच में वृद्धि, साथ ही वेक्टर नियंत्रण उपायों में तेज़ी लाना शामिल है।
  • अधिकारियों के अनुसार, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता व्यापक सर्वेक्षण और परीक्षण कर रहे हैं तथा मलेरिया की रोकथाम एवं लक्षणों पर सामुदायिक शिक्षा जारी है
  • जून के अंत में मानसून आने की संभावना है, जो मच्छर जनित बीमारियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण समय है, इसलिये मलेरिया की रोकथाम के लिये व्यापक गतिविधियों की योजना बनाई गई है।
    • इनमें कीटनाशक का छिड़काव और फॉगिंग (Fogging) तथा सामुदायिक जागरूकता सेमिनार शामिल हैं।

मलेरिया

  • मलेरिया प्लाज़्मोडियम परजीवी के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है।
    • प्लाज़्मोडियम परजीवी की पाँच प्रजातियाँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं और इनमें से दो प्रजातियाँ पी. फाल्सीपेरम तथा पी. विवैक्स सबसे बड़ा खतरा हैं।
  • मलेरिया मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय तथा  उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • मलेरिया संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है।
    • मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद संक्रमित हो जाता है। मलेरिया परजीवी फिर मच्छर द्वारा काटे गए अगले व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं। परजीवी यकृत तक जाते हैं, परिपक्व होते हैं और फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
  • मलेरिया के लक्षणों में बुखार और फ्लू जैसी बीमारी शामिल है, जिसमें ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द तथा थकान शामिल है। उल्लेखनीय है कि मलेरिया के संक्रमण को रोका जाता सकता है एवं इसका उपचार किया जा सकता है।

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Vector-Borne Disease Control Programme- NVBDCP)


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एक परिवार, एक पहचान योजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में प्रत्येक परिवार को 'परिवार पहचान-पत्र' जारी करने की प्रक्रिया की समीक्षा की और इसके त्वरित क्रियान्वयन के निर्देश दिये।

  • उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रत्येक परिवार को सरकारी लाभ तथा कम-से-कम एक सदस्य को रोज़गार के अवसर सुनिश्चित करने के लिये परिवार पहचान-पत्र जारी किये जा रहे हैं।

मुख्य बिंदु:

  • "एक परिवार, एक पहचान" योजना के तहत, प्रत्येक परिवार को एक विशिष्ट पहचान-पत्र प्राप्त होता है, जिससे राज्य में परिवार इकाइयों का एक व्यापक लाइव डेटाबेस तैयार होता है
  • यह डेटाबेस लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के प्रबंधन, समय पर लक्ष्य निर्धारण, पारदर्शी संचालन में सुधार करेगा और पहुँच को सरल बनाकर पात्र लोगों तक योजनाओं का 100% वितरण सुनिश्चित करेगा।
    • उत्तर प्रदेश में 3.60 करोड़ परिवारों के लगभग 15.07 करोड़ लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 से लाभान्वित हो रहे हैं, जो अपने राशन कार्ड नंबर को अपने परिवार पहचान-पत्र के रूप में उपयोग कर रहे हैं
    • राशन कार्ड विहीन 1 लाख से अधिक परिवारों को परिवार पहचान-पत्र जारी किये गए हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

  • अधिसूचित: 10 सितंबर, 2013
  • उद्देश्य
    • इसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर अच्‍छी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
  • कवरेज
    • लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये ग्रामीण आबादी का 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का 50 प्रतिशत।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की कुल आबादी के 67 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है।
  • पात्रता:
    • राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले घर।
    • अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर किये गए घर।
  • प्रावधान:
    • प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेंहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो।
    • हालाँकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत मौजूदा प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करना जारी रहेगा।
    • गर्भवती महिलाओं और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्‍था के दौरान तथा बच्चे के जन्‍म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम-से-कम 6000 रुपए का मातृत्‍व लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
    • 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये भोजन।
    • खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता।
    • ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।


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विश्व का पहला एशियन किंग वल्चर संरक्षण केंद्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश ने महाराजगंज ज़िले में एशियन किंग वल्चर (एशियाई गिद्ध) के लिये विश्व का पहला संरक्षण और प्रजनन केंद्र स्थापित किया है।

मुख्य बिंदु:

  • इस सुविधा प्रबंधन का उद्देश्य एशियन किंग वल्चर की जीवसंख्या में सुधार करना है, जिन्हें वर्ष 2007 से अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • केंद्र का नाम जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र है, जहाँ गिद्धों की 24x7 निगरानी की जा रही है।
  • एशियन किंग वल्चर (जिन्हें लाल सिर वाला गिद्ध भी कहा जाता है) अपने आवासों के नुकसान और घरेलू पशु-पक्षियों में डाइक्लोफेनाक, एक नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (NSAID: आमतौर पर दर्द से राहत, सूजन को कम करने में कारगर दवा), जो गिद्धों के लिये जहरीला हो जाता है, के अत्यधिक प्रयोग के कारण गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
  • वर्तमान में केंद्र में नर तथा मादा गिद्धों का एक जोड़ा है। एवियरी/पक्षीशाला में मौजूद तीन और मादाओं को धीरे-धीरे उनके नर सहचर मिल जाएँगे। यह पक्षीशाला 20 फीट गुणा 30 फीट की है।
  • केंद्र का उद्देश्य बढ़ते गिद्धों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना और उन्हें एक जोड़ा प्रदान करना है। एक बार मादा द्वारा अंडा देने के बाद, जोड़े को उनके प्राकृतिक वातावरण में स्वतंत्र छोड़ दिया जाएगा।

एशियन किंग वल्चर (Asian King Vultures) 

  • यह भारत में पाई जाने वाली गिद्ध की 9 प्रजातियों में से एक है।
  • इसे एशियन किंग वल्चर या पांडिचेरी गिद्ध भी कहा जाता है, यह भारत में बड़े पैमाने पर पाया जाता था, लेकिन डाइक्लोफेनाक विषाक्तता के बाद इसकी संख्या में भारी कमी आई।
  • संरक्षण स्थिति:


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