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सामाजिक न्याय

कालाज़ार उन्मूलन

  • 12 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले में कालाज़ार (Kala-Azar) या आँत के लीशमैनियासिस (Visceral Leishmaniasis) के नए मामले सामने आए हैं। ये मामले वर्ष 2022 तक राज्य में इस बीमारी के उन्मूलन के प्रयासों पर गंभीर संदेह व्यक्त करते हैं।

  • बिहार वर्ष 2010 से कालाज़ार उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करने में चार बार चूक गया है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Health Programme) के अंतर्गत इस बीमारी के उन्मूलन की पहली समय-सीमा वर्ष 2010 थी, जिसे बाद में वर्ष 2015, वर्ष 2017 और वर्ष 2020 तक तीन बार बढ़ाया गया।

प्रमुख बिंदु

कालाज़ार या लीशमैनियासिस:

  • आँत का लीशमैनियासिस, जिसे कालाज़ार के रूप में भी जाना जाता है,  में बुखार, वज़न में कमी, प्लीहा और यकृत में सूजन आदि लक्षण देखे जाते हैं।
  • यदि बीमारी का इलाज नहीं किया जाता है तो विकासशील देशों में मृत्यु दर 2 साल के भीतर ही 100% तक पहुँच सकती है।
  • यह एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease) है जिससे भारत सहित लगभग 100 देश प्रभावित हैं।
    • NTD संचारी रोगों का एक विविध समूह है जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय स्थितियों वाले 149 देशों में व्याप्त हैं।
  • यह लीशमैनिया (Leishmania) नामक एक परजीवी के कारण होता है जो बालू मक्खियों (Sand Flies) के काटने से फैलता है।
  • लीशमैनियासिस के तीन प्रकार हैं:
    1. आँत का लीशमैनियासिस: यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है और यह रोग का सबसे गंभीर रूप है। 
    2. त्वचीय (Cutaneous) लीशमैनियासिस: यह बीमारी त्वचा के घावों का कारण बनती है और यह बीमारी का आम रूप है। 
    3. श्लेष्मत्वचीय (Mucocutaneous) लीशमैनियासिस: यह बीमारी त्वचा एवं श्लैष्मिक घावों का कारण है।
  • भारत में आमतौर पर कालाज़ार के नाम से जाना जाने वाला आँत का लीशमैनियासिस 95% से अधिक मामलों में इलाज़ न किये जाने पर घातक हो सकता है।

समय-सीमा में चूक का कारण:

  • निर्देशन का अभाव: उन्मूलन कार्यक्रमों में उचित निर्देशन की कमी के कारण कालाज़ार की साल-दर-साल वापसी होती रहती है।
  • व्यापक गरीबी: यहाँ के ज़्यादातर गरीब जो दलितों, अन्य पिछड़े समुदायों और मुसलमानों से संबंधित हैं, मुख्य रूप से इस बीमारी के शिकार हैं।

गिरावट की प्रवृत्ति: हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में बिहार में कालाज़ार के मामलों में गिरावट आई है।

  • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, जहाँ वर्ष 2010 में 23,084 मामले देखे गए थे, वहीं वर्ष 2020 तक ये मामले गिरकर 2,712 रह गए।

राष्ट्रीय कालाज़ार उन्मूलन कार्यक्रम

  • भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (National Health Mission), 2002 में वर्ष 2010 तक कालाज़ार उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे वर्ष 2015 में संशोधित किया गया।
  • भारत ने उच्च राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ निरंतर गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र से कालाज़ार का उन्मूलन करने के लिये बांग्लादेश और नेपाल के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
  • भारत में कालाज़ार उन्मूलन के अंतर्गत उप-ज़िला स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या में 1 मामले का लक्ष्य रखा गया।
  • वर्तमान में इस कार्यक्रम से संबंधित सभी गतिविधियों को राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Vector Borne Disease Control Programme) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है जो वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिये एक अम्ब्रेला कार्यक्रम है तथा इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत रखा गया है।

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम

  • यह भारत में छह वेक्टर जनित बीमारियों (मलेरिया, डेंगू, लिम्फैटिक फाइलेरिया, कालाज़ार, जापानी इंसेफेलाइटिस और चिकनगुनिया) की रोकथाम तथा नियंत्रण के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसी है।
  • यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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