शासन व्यवस्था
वन नेशन वन राशन कार्ड
- 22 Jun 2022
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, उचित मूल्य की दुकान, प्रवासी श्रमिक, आत्मनिर्भर भारत। मेन्स के लिये:वन नेशन वन राशन कार्ड, महत्त्व और चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
असम वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) को लागू करने वाला 36वाँ राज्य/केद्रशासित प्रदेश बन गया है।
- इसके साथ ही ONORC कार्यक्रम को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है, जिससे पूरे देश में खाद्य सुरक्षा निश्चित हुई है।
- ONORC योजना का अधिकतम लाभ उठाने के लिये सरकार ने 'मेरा राशन' मोबाइल एप्लीकेशन भी शुरू किया है। मोबाइल ऐप लाभार्थियों को उपयोगी रीयल-टाइम जानकारी प्रदान कर रहा है और यह 13 भाषाओं में उपलब्ध है।
- कोविड-19 महामारी के पिछले दो वर्षों के दौरान, ONORC योजना ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के लाभार्थियों विशेष रूप से प्रवासी लाभार्थियों को रियायती खाद्यान्न सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
ONORC:
- परिचय:
- ONORC योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत लागू की जा रही है।
- इस योज़ना के तहत प्रवासी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Migratory National Food Security Act- NFSA), 2013 के लाभार्थी देश में कहीं भी अपनी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान ( Fair Price Shop- FPS) से अपने हिस्से के खाद्यान्न कोटे की खरीद कर सकते हैं।
- यह प्रणाली उनके परिवार के सदस्यों को घर पर यदि कोई हो तो उसे राशन कार्ड पर शेष खाद्यान्न का दावा करने की अनुमति देती है।
- ONORC का कार्यान्वयन अगस्त 2019 में शुरू किया गया था।
- उद्देश्य:
- सभी NFSA लाभार्थियों को उनके मौजूदा राशन कार्डों की सुवाह्यता के माध्यम से देश में कहीं भी उनकी खाद्य सुरक्षा के लिये आत्मनिर्भर बनने हेतु सशक्त बनाना।
- उनकी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान से उनके हकदार सब्सिडी वाले खाद्यान्न (आंशिक या पूर्ण) को निर्बाध रूप से उठाना।
- परिवार के सदस्यों को अपनी पसंद के उचित दर दुकान से अपने मूल स्थान/किसी भी स्थान पर उसी राशन कार्ड पर शेष/आवश्यक मात्रा में खाद्यान्न उठाने में सक्षम बनाना।
ONORC का महत्त्व:
- भोजन के अधिकार को सक्षम करना: पूर्व में राशन कार्डधारक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सब्सिडीयुक्त खाद्यान्न की अपनी पात्रता का लाभ केवल संबंधित राज्य के अंदर निर्दिष्ट उचित मूल्य की दुकान (FPS) से ही प्राप्त कर सकते थे।
- यदि कोई लाभार्थी किसी दूसरे राज्य में प्रवास या पलायन करता है तो उसे उस दूसरे राज्य में नए राशन कार्ड के लिये आवेदन करना होता है।
- ONORC सामाजिक न्याय के लिये इस भौगोलिक बाधा को दूर करने और भोजन के अधिकार को सक्षम करने की परिकल्पना करता है।
- आबादी के लगभग एक-तिहाई भाग का समर्थन: देश की लगभग 37% आबादी प्रवासी श्रमिकों की है। इसलिये यह योजना उन सभी लोगों के लिये महत्त्वपूर्ण है जो रोज़गार आदि कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर पलायन करते हैं।
- रिसाव कम करना: ONORC रिसाव या लीकेज को कम कर सकता है क्योंकि इस योजना की पूर्व शर्त नकली/डुप्लिकेट राशन कार्डों की पहचान करना या डी-डुप्लीकेशन है।
- इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक ही व्यक्ति देश के दो अलग-अलग स्थानों में लाभार्थी के रूप में चिह्नित नहीं है।
- इसके अलावा, यह योजना आधार और बायोमेट्रिक्स से लिंक्ड है जो भ्रष्टाचार की अधिकांश संभावनाओं को दूर करती है और पारदर्शिता लाती है।
- सामाजिक भेदभाव को कम करना: ONORC महिलाओं और अन्य वंचित समूहों के लिये विशेष रूप से लाभप्रद होगा क्योंकि PDS तक पहुँच प्रदान करने में सामाजिक पहचान (जाति, वर्ग और लिंग) और अन्य प्रासंगिक घटकों (शक्ति संबंधों सहित) को पर्याप्त महत्त्व दिया गया है।
संबद्ध चुनौतियाँ:
- अपवर्जन त्रुटि: आधार से लिंक्ड राशन कार्ड और स्मार्ट कार्ड के माध्यम से इस PDS प्रक्रिया के डिजिटलीकरण को लीकेज कम करने के प्रयास के तहत आगे बढ़ाया गया है। हालाँकि आधार-सीडिंग के बाद अपवर्जन त्रुटियों (Exclusion Error) में वृद्धि हुई है।
- समाज के कई वर्ग ऐसे हैं जिनके पास अभी भी आधार कार्ड नहीं है और इस कारण वे खाद्य सुरक्षा से वंचित हो रहे हैं।
- अधिवास-आधारित सामाजिक क्षेत्र योजनाएँ: न केवल PDS बल्कि निर्धनता उन्मूलन, ग्रामीण रोज़गार, कल्याण और खाद्य सुरक्षा संबंधी अधिकांश योजनाएँ ऐतिहासिक रूप से अधिवास-आधारित पहुँच पर आधारित रही हैं और सरकारी सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और खाद्य अधिकारों तक लोगों की पहुँच को उनके मूल स्थान या अधिवास स्थान तक के लिये सीमित रखती हैं।
- FPS पर आपूर्ति बाधित करना: किसी FPS को प्राप्त उत्पादों का मासिक कोटा कठोरता से उससे संबद्ध लोगों की संख्या के अनुसार सीमित रखा गया है।
- ONORC जब पूर्णरूपेण कार्यान्वित होगा तब इस अभ्यास को समाप्त कर देगा क्योंकि कुछ FPS को नए लोगों के आगमन के कारण अधिक संख्या में कार्डधारकों को सेवा देनी होगी जबकि कुछ अन्य FPS लोगों के पलायन के कारण निर्धारित कोटे से कम लोगों को सेवा देंगे।
योजना का अब तक का प्रदर्शन:
- यह देश में अपनी तरह का एक नागरिक केंद्रित पहल है, जिसे अगस्त 2019 में शुरू किये जाने के बाद, लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर करते हुए कम समय में तेजी से लागू किया गया है।
- वर्ष 2019 के बाद से पोर्टेबिलिटी के माध्यम से खाद्य सब्सिडी में लगभग 40,000 करोड़ रुपए की खाद्यान्न पहुंँचाने के लिये लगभग 71 करोड़ रुपए का पोर्टेबल लेन-देन हुआ है।
- वर्तमान में लगभग 3 करोड़ पोर्टेबल मासिक औसत लेन-देन दर्ज किया जा रहा है, लाभार्थियों को किसी भी स्थान पर लचीलेपन के साथ सब्सिडी वाले NFSA और मुफ्त प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है।
आगे की राह:
- यदि आपात स्थिति में राशन की दुकानों पर आपूर्ति बाधित होती है, तो कमज़ोर समूहों को खाद्यान्न पहुंँचाने के लिये वैकल्पिक वितरण चैनलों पर विचार किया जा सकता है।
- खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा के व्यापक ढांँचे से देखा जाना चाहिये। इसलिये ONOPC को समेकित बाल विकास योजनाओं, मध्याह्न भोजन, टीकाकरण, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सुविधाओं की पोर्टेबिलिटी की अनुमति देनी चाहिये।
- लंबे समय में PDS प्रणाली को फुल-प्रूफ फूड कूपन सिस्टम या प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
- वहीं गरीबी रेखा से नीचे का परिवार किसी भी किराना स्टोर से बाज़ार मूल्य पर चावल, दाल, चीनी और तेल कूपन के माध्यम से या नकद द्वारा पूरी तरह से भुगतान करके खरीद सकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |