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वन नेशन-वन राशन कार्ड

  • 06 Aug 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम

मेन्स के लिये:

प्रवासी एवं गरीब लोगों के संदर्भ में वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना का महत्त्व तथा इसके कार्यान्वयन से संबंधित समस्याएँ/मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, मणिपुर, नागालैंड, उत्तराखंड राज्यों एवं जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory-UT) को ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ (One Nation-One Ration Card- ONORC) योजना में शामिल किया गया हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ योजना में अब तक कुल 24 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को जोड़ा जा चुका है।
  • शेष राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को मार्च 2021 तक इस योजना के तहत एकीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है।

ONORC योजना:

  • इस योज़ना को वर्ष 2019 में राशन कार्डों की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी (Inter-State Portability) सुविधा के तहत शुरू किया गया था।
  • इस योज़ना के तहत प्रवासी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Migratory National Food Security Act- NFSA), 2013 के लाभार्थी देश में कहीं भी अपनी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान ( Fair Price Shop- FPS) से अपने हिस्से के  खाद्यान्न  कोटे की खरीद कर सकते हैं।
    • ऐसा योजना के तहत पात्र व्यक्ति द्वारा आधार द्वारा प्रमाणिक अपने मौजूदा राशन कार्ड का उपयोग करके किया जा सकता है।
  • इस योजना में 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 65 करोड़ लाभार्थी शामिल है, जिनमें से कुल 80% लाभार्थी NFSAके अंतर्गत हैं, जो अब 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कहीं से भी रियायती दर पर राशन प्राप्त कर सकते हैं।

ONORC योजना के लाभ:

  • पारदर्शिता: इस योज़ना के माध्यम से खाद्यान्नों के वितरण में अधिक पारदर्शिता एवं दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
  • पहचान:  यह नकली/डुप्लिकेट राशन कार्डों की पहचान करने के लिये तंत्र को और अधिक सुद्धढ स्थिति प्रदान करेगा तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public distribution system- PDS) के लाभार्थियों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पसंद के उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न को लेने/खरीदने का विकल्प प्रदान करेगा।
  • खाद्य सुरक्षा: यह योजना उन प्रवासी मज़दूरों की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी, जो बेहतर रोज़गार के अवसर तलाशने में दूसरे राज्यों में जाते हैं।
  • सतत विकास लक्ष्य: यह योजना वर्ष 2030 तक भूख को खत्म करने के लिये सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Developmental Goals- SDG)- 2 के तहत निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित होगी।

योजना के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे:

  • राशन का वितरण: राशन का वितरण लॉकडाउन के दौरान एक मुद्दा बन गया था जब प्रवासी श्रमिकों के पास उन राज्यों में राशन कार्ड नहीं थे जहाँ वे रह रहे थे। इसके चलते प्रवासियों ने तालाबंदी के बीच अपने गाँवों की ओर रुख किया।
  • लॉजिस्टिक मुद्दे: एक ‘उचित मूल्य की दुकान’ के विक्रेता को मासिक आधार पर उसके पास पंजीकृत लोगों की संख्या के अनुसार  निर्धारित खाद्यान कोटे की मात्रा मुश्किल से प्राप्त हो पाती है।
  • जब यह योजना पूरी तरह से लागू होगी तो इसके संचालन में विवाद उत्पन्न हो सकते हैं क्योंकि कुछ उचित मूल्य की दुकानों के क्रताओं के पास अधिक कार्डधारक होंगे जबकि कुछ के पास लोगों के प्रवास कर जाने के कारण कार्डधारकों की कम संख्या होगी।
  • आँकड़ों की कमी: राज्यों के भीतर तथा एक राज्य से दूसरे राज्य में काम की तलाश के लिये पलायन करने वाले गरीब परिवारों का तथा श्रमिकों को रोज़गार देने वाले क्षेत्रों का कोई सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है।

सुझाव:

  • असंगठित क्षेत्र के सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 (The Unorganised Sector Social Security Act, 2008) के कल्याणकारी बोर्डों की एक प्रणाली के माध्यम से अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के दस्तावेजीकरण की प्रणाली तैयार की गई थी।
    • प्रवासी श्रमिकों के संबंध में विश्वसनीय आँकड़ों को प्राप्त करने के लिये इसके दस्तावज़ों एवं मूल प्रावधानों को लागू किया जाना चाहिये।
  • एक पूर्ण रूप से समर्पित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ONORC योजना से संबंधित तार्किक मुद्दों की चुनौती को हल कर सकता है।
  • ONORC के  क्रियान्वयन का मूल्यांकन करने के लिये सोशल ऑडिटिंग को अनिवार्य किया जाना चाहिये।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act-NFSA) खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा के रूप में परिभाषित करता है।
    • समेकित बाल विकास सेवाओं की वहनीयता, मध्याह्न भोजन, टीकाकरण, स्वास्थ्य देखभाल और गरीब प्रवासी परिवारों के लिये अन्य सुविधाओं की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। इन्हें अधिक वहनीय बनाए जाने की आवश्यकता है।
  • दीर्घकालीन समाधान के तौर पर गरीबों के हितों को ध्यान में रखते हुए,सार्वजनिक वितरण प्रणाली को एक फुलप्रूफ फूड कूपन सिस्टम या फिर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है जहाँ गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार  कूपन के माध्यम से या नकद भुगतान करके किसी भी किराने की दुकान से चावल, दाल, चीनी और तेल खरीद सकते हैं।

स्रोत:द हिंदू

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