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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 Feb 2025
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महाकुंभ में योजनाओं की प्रदर्शनी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महाकुंभ मेला में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित महत्त्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन पर प्रदर्शनी आयोजित की गई।

मुख्य बिंदु 

  • प्रदर्शनी के बारे में:
    • यह प्रदर्शनी महाकुंभ मेला में ग्रामीण विकास विभाग भारत सरकार एवं ग्रामीण विकास विभाग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित की गई।
    • इसमें विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन एवं उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के बदलते परिवेश को उकेरने का प्रयास किया गया है। 
    • इनमें महत्त्वपूर्ण योजनाएँ निम्नलिखित हैं:

  • मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विकास कार्य जैसे अमृत-सरोवर, सोक पिट, रेन वाटर हर्वेस्टिंग, नालियों का निर्माण, वृक्षारोपण, पंचायत भवन आदि कराए गए। इन कार्यों से ग्रामीण क्षेत्र का स्वरूप बदला और विकास हुआ। 
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सरस हाट के माध्यम से महिलाओं के उत्पादों को प्रमोट कर उनकी आजीविका को संवर्धित किया गया। बीसी सखी और ड्रोन सखी जैसे कार्यक्रमों से महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक जीवन में सुधार दिखाया गया। 
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत मॉडल आवासों से ग्रामीण क्षेत्रों में आवास का बदलता स्वरूप और हर परिवार को अपना पक्का मकान देने का लक्ष्य पूरा किया गया।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 250 से अधिक आबादी वाली ग्रामीण क्षेत्रों को सभी मौसमों में चलने योग्य सड़कों से जोड़ा गया है।
  • एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन प्रणाली
  • स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण

  • मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अमृत-सरोवर, सोख्ता गड्ढा, वर्षा जल संचयन, नालियों का निर्माण, वृक्षारोपण आदि विभिन्न विकास कार्य कराए गए, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की तस्वीर बदल गई और विकास को बढ़ावा मिला।

सरस हाट के बारे में:

  • यह सामान्य रूप से ग्रामीण भारत और विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के जीवन को बदलने का एक कार्यक्रम है।
  • मेले के दौरान, ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों और कारीगरों को शिक्षित करने के लिये उत्पाद पैकेजिंग और डिजाइन, संचार कौशल, सोशल मीडिया प्रचार और बिजनेस टू बिजनेस मार्केटिंग पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी।

आयोजक:

  • यह ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) द्वारा पीपुल्स एक्शन एंड रूरल टेक्नोलॉजी (CAPART) की उन्नति परिषद द्वारा आयोजित एक पहल है।
  • CAPART ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित एक स्वायत्त निकाय है, जो सरकार और गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के बीच इंटरफेस के लिये है जो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना चाहते हैं।

उद्देश्य:

  • ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को एक मंच पर लाना ताकि वे अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकें, अपने उत्पाद बेच सकें और थोक खरीदारों के साथ संबंध बनाने में उनकी मदद कर सकें।
  • सरस आजीविका मेले में भागीदारी के माध्यम से, इन ग्रामीण स्वयं सहायता समूह महिलाओं को शहरी ग्राहकों की मांग और रुचि को समझने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण अनुभव प्राप्त होगा।

कुंभ मेले के बारे में

  • र्ष 2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें आध्यात्मिक शुद्धि, सांस्कृतिक उत्सव एवं एकता के प्रतीक के रूप में लाखों तीर्थयात्री प्रतिदिन आ रहें।
  • 'कुंभ' शब्द की उत्पत्ति 'कुंभक' (अमरता के अमृत का पवित्र घड़ा) धातु से हुई है।
  • यह तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं। यह समागम 4 अलग-अलग जगहों पर होता है, अर्थात्:
    • हरिद्वार में गंगा के तट पर।
    • उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर।
    • नासिक में गोदावरी (दक्षिण गंगा) के तट पर।
    • प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर

कुंभ के विभिन्न प्रकार:

  • कुंभ मेला 12 वर्षों में 4 बार मनाया जाता है।
  • हरिद्वार और प्रयागराज में अर्द्धकुंभ मेला हर छठे वर्ष आयोजित किया जाता है।
  • महाकुंभ मेला 144 वर्षों (12 'पूर्ण कुंभ मेलों' के बाद) के बाद प्रयाग में मनाया जाता है।
  • प्रयागराज में प्रतिवर्ष माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में माघ कुंभ मनाया जाता है।


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हिंडन नदी

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में गाज़ियाबाद में हिंडन नदी में भारी मात्रा में गाद और धार्मिक सामग्री डाल दी गई है, जो पहले से ही प्रदूषित नदी को और अधिक प्रदूषित कर रहा है।

मुख्य बिंदु 

  • उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने नदी के प्रदूषित होने का कारण  कुप्रबंधन और पानी की गुणवत्त्ता पर ध्यान न देना तथा अनेक अनुपचारित नालों का नदी में गिरना बताया है।
  • घुलित ऑक्सीजन (DO) 1.43 से 4.22 मिलीग्राम/लीटर के बीच है, जबकि जलीय जीवन के लिये न्यूनतम DO 4 मिलीग्राम/लीटर होना चाहिये।
    • कुल कोलीफॉर्म का स्तर 260,000 से 380,000 MPN/100ML तक है, जबकि मानक सीमा 1,000 MPN/100 ML है।
    • उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने नदी की जल गुणवत्ता को 'ई' श्रेणी में रखा, जिसका अर्थ है कि पानी सिर्फ सिंचाई, औद्योगिक शीतलन और नियंत्रित अपशिष्ट निपटान के लिये उपयुक्त है।
  • वर्ष 2015 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने हिंडन नदी को "मृत नदी" घोषित कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि इसमें प्रदूषण का स्तर अत्यधिक है, विभिन्न भागों में यह स्नान के लिये अनुपयुक्त है।

हिंडन नदी के बारे में:

  • यह नदी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में शिवालिक पहाड़ियों से निकलती है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में० लगभग 400 किमी. तक बहती हुई नोएडा में यमुना नदी में मिल जाती है
  • अतः यह यमुना नदी की एक सहायक नदी है।
    • यह एक मानसून पोषित नदी है।
    • इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 7,083 वर्ग किमी. है।
  • काली (पश्चिम) नदी और कृष्णी नदी हिंडन नदी की मुख्य सहायक नदियाँ हैं।
  • इसी नदी के तट पर हड़प्पा सभ्यता के साक्ष्य मिले हैं, जो 2500 ईसा पूर्व तक पुराने हैं।
  • गाज़ियाबाद और नोएडा इस नदी के किनारे पर ही स्थित हैं।



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उच्च न्यायालय के न्यायधीश को हटाना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के विवादित बयान के बाद उन्हे पद से हटाने के लिये 55 सदस्यों की ओर से हस्ताक्षरित महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया गया है। 

मुख्य बिंदु 

  • मुद्दे के बारे में:
    • न्यायाधीश ने विगत वर्ष दिसंबर में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में कथित तौर पर कुछ सांप्रदायिक टिप्पणियाँ की थीं।
    • राज्यसभा में विपक्ष के 55 सांसदों ने न्यायाधीश जाँच अधिनियम, 1968 के तहत न्यायाधीश को उनके कथित कदाचार के लिये न्यायाधीश के पद से हटाने के लिये प्रस्ताव पेश करने हेतु नोटिस दिया है।
  • न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया:
    • अनुच्छेद 124 और 218 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा “सिद्ध दुर्व्यवहार ” या “अक्षमता” के आधार पर हटाया जा सकता है।
    • हटाने के लिये संसद के दोनों सदनों द्वारा प्रस्ताव पारित होना आवश्यक है:
      • सदन की कुल सदस्यता का बहुमत।
      • उसी सत्र में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई का विशेष बहुमत
    • संविधान में “सिद्ध कदाचार” और “अक्षमता” शब्दों को परिभाषित नहीं किया गया है।
      • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्याख्या के अनुसार दुर्व्यवहार में जानबूझकर किया गया कदाचार, भ्रष्टाचार, निष्ठा की कमी या नैतिक अधमता शामिल है।
      • अक्षमता से तात्पर्य न्यायिक कार्यों में बाधा डालने वाली शारीरिक या मानसिक स्थिति से है।
  • न्यायाधीश (जाँच) अधिनियम, 1968 के अंतर्गत प्रक्रिया:
  • प्रस्ताव की सूचना:
    • इसके लिये कम से कम 50 राज्यसभा सदस्यों या 100 लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं।
    • परामर्श के बाद अध्यक्ष या स्पीकर यह निर्णय लेते हैं कि प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं।
  • गठित जाँच समिति:
    • यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो न्यायाधीशों और एक प्रतिष्ठित न्यायविद सहित तीन सदस्यीय समिति गठित की जाती है।
    • समिति आरोपों की जाँच करती है:
      • यदि न्यायाधीश को दोषमुक्त कर दिया जाता है, तो प्रस्ताव निरस्त हो जाता है।
      • यदि दोषी पाया जाता है तो समिति की रिपोर्ट मतदान के लिये संसद में भेजी जाती है।
  • संसदीय अनुमोदन:
    • राष्ट्रपति द्वारा न्यायाधीश को हटाने के लिये दोनों सदनों को विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित करना होगा।


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