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सिंधु-सरस्वती सभ्यता और उज्जयिनी मध्याह्न रेखा

  • 23 Jul 2024
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

NCERT की नई पाठ्यपुस्तकों में पुरानी पाठ्यपुस्तकों की तुलना में कई बदलाव किये गए हैं। इसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2023 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों को तैयार करना है, जिसमें पारंपरिक भारतीय ज्ञान के एकीकरण एवं सामाजिक विज्ञान शिक्षण हेतु विषयगत दृष्टिकोण पर बल दिया गया है।

NCERT की पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तन:

  • इनमें हड़प्पा सभ्यता को 'सिंधु-सरस्वती' सभ्यता के रूप में संदर्भित किया गया है, जिसमें सरस्वती नदी की प्रमुखता पर प्रकाश डाला गया है।
    • इसमें उल्लेख किया गया है कि सरस्वती नदी (जिसे अब घग्गर-हकरा नदी के रूप में जाना जाता है) की हड़प्पा सभ्यता में प्रमुख भूमिका थी और इसके सूखने से इस सभ्यता के पतन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • ग्रीनविच मध्याह्न रेखा को अपनाने से बहुत पहले भारत की अपनी प्रधान मध्याह्न रेखा थी जिसे "मध्य रेखा" के नाम से जाना जाता था, जो उज्जैन शहर से होकर गुजरती थी।
    • पाठ्यपुस्तक में 'उज्जयिनी मध्याह्न रेखा' की अवधारणा का परिचय दिया गया है जो भारत की एक प्राचीन प्रधान मध्याह्न रेखा थी जिसका उपयोग खगोलीय गणनाओं के लिये किया जाता था।
  • संरचना और विषय-वस्तु में अन्य परिवर्तन:
    • इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल विषयों की पूर्व की अलग-अलग पाठ्यपुस्तकों के विपरीत, नई पाठ्यपुस्तक के एक ही खंड में पाँच विषयों को शामिल किया गया है।
      • इसका उद्देश्य सामाजिक विज्ञान शिक्षा के क्रम में अधिक एकीकृत और अंतःविषयक दृष्टिकोण विकसित करना है।
    • पुरानी पाठ्यपुस्तकों की तुलना में, विविधता पर आधारित अध्याय में अब जाति-आधारित भेदभाव तथा असमानता पर कम बल दिया गया है।

और पढ़ें… राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2023

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