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भारतीय राजनीति

भारतीय और अमेरिकी राष्ट्रपतियों का तुलनात्मक विश्लेषण

  • 04 Nov 2024
  • 16 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

आम चुनाव, निर्वाचन आयोग, राजनीतिक दल, गुप्त मतदान, निर्वाचक मंडल , राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाएँ , प्रस्तावक, समर्थक, वीटो , आपातकाल, मंत्रिपरिषद, महाभियोग

मुख्य परीक्षा के लिये:

भारतीय और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में समानताएँ और अंतर।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

संयुक्त राज्य अमेरिका वर्ष 2024 के आम चुनाव में देश के राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिये पूरी तरह तैयार है, जिसके लिये 5 नवंबर, 2024 को निर्वाचक मंडल के माध्यम से मतदान होना है।

  • इस चुनाव ने अमेरिका और भारत के राष्ट्रपतियों की शक्तियों तथा भूमिकाओं में समानताओं एवं भिन्नताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया। 

अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली क्या है? 

  • परिचय: यह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को औपचारिक रूप से चुनने के लिये प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है।
    • नागरिक अपना मत सीधे राष्ट्रपति के लिये नहीं, बल्कि प्रत्येक राज्य में प्रत्येक उम्मीदवार के राजनीतिक दल द्वारा चुने गए  निर्वाचकों के एक समूह को देते हैं।
    • इसके बाद ये निर्वाचकगण राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिये औपचारिक रूप से मत देने हेतु एकत्रित होते हैं, जिसे निर्वाचक मंडल के नाम से जाना जाता है।
  • उद्भव: यह अमेरिकी संविधान में एक समझौता था, जो राष्ट्रपति के चुनाव के लिये प्रत्यक्ष लोकप्रिय मत और कॉन्ग्रेस द्वारा चयन के बीच संतुलन स्थापित करता था।
    • यह राष्ट्रपति को जनता से सीधे अपील करने से रोकने तथा मध्यस्थ निकाय के माध्यम से कार्यकारी शक्ति पर अंकुश लगाने के लिये एक सुरक्षा उपाय के रूप में कार्य करता था।
  • संरचना: इसमें कुल 538 निर्वाचक हैं। राष्ट्रपति पद जीतने के लिये किसी उम्मीदवार को 270 निर्वाचक मतों के बहुमत की आवश्यकता होती है।
  • निर्वाचन मंडल का प्रभाव: राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय मत जीतने वाला उम्मीदवार भी राष्ट्रपति के पद से वंचित रह सकता है, यदि निर्वाचक मंडल में नागरिकों की पसंद के विरुद्ध मतदान करते हैं। 
    • अमेरिकी इतिहास में ऐसा पाँच बार हुआ है, जिसमें वर्ष 2000 और 2016 के चुनाव भी शामिल हैं, जहाँ लोकप्रिय मत का विजेता इलेक्टोरल कॉलेज हार गया था।

भारतीय राष्ट्रपति चुनाव अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से किस प्रकार भिन्न है?

  • निर्वाचक मंडल संरचना: राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल प्रणाली के माध्यम से होता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
    • निर्वाचित संसद सदस्य (MP): इसमें संसद के दोनों सदनों अर्थात् लोकसभा (लोकसभा) और राज्यसभा (राज्य परिषद) के सभी निर्वाचित सदस्य शामिल हैं।
    • विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (MLA): इसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों दिल्ली तथा पुदुचेरी की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल हैं।
  • नामांकन प्रक्रिया: एक उम्मीदवार को 50 प्रस्तावकों और 50 समर्थकों की हस्ताक्षरित सूची के साथ नामांकन में दाखिल करना होगा। 
    • इन प्रस्तावकों और समर्थकों को निर्वाचक मंडल के सदस्यों में से चुना जाना चाहिये।
  • मतदान प्रक्रिया: राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल के मतदाता किसी पार्टी के उम्मीदवार को मत नहीं देते हैं, बल्कि वरीयता क्रम में उम्मीदवारों के नाम मतपत्र पर लिखते हैं। 
    • यह प्रणाली मतदाताओं को एकल विकल्प के स्थान पर अपनी प्राथमिकताएँ व्यक्त करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • वोट के मूल्य का परिकलन: मतदान प्रणाली में सांसदों और विधायकों द्वारा दिये गए वोटों का अलग-अलग मूल्य निर्धारित है:
    • किसी सांसद के वोट का मूल्य: प्रत्येक सांसद, चाहे वह लोकसभा से हो या राज्यसभा से, का वोट मूल्य 700 निर्धारित है।
    • किसी विधायक के वोट का मूल्य: प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य राज्य की जनसंख्या को उसकी विधानसभा में विधायकों की संख्या से भाग देकर निर्धारित किया जाता है और प्राप्त भागफल को 1000 से विभाजित किया जाता है। उदाहरण के लिये, उत्तर प्रदेश में प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य अधिकतम (208) है जबकि अरुणाचल प्रदेश में सबसे कम (8) है।
  • जीत का कोटा: उम्मीदवार को जीतने के लिये दिये गए कुल वोटों का 50% + 1 वोट हासिल करना होता है। यह आम चुनावों से अलग है जहाँ साधारण बहुमत ही पर्याप्त होता है।

नोट: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की अनुपस्थिति के कारण वोट का मूल्य 708 से घटकर 700 हो गया।

भारत के राष्ट्रपति के लिये संबंधित सांविधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 54: राष्ट्रपति का निर्वाचन
  • अनुच्छेद 55: राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति।
  • अनुच्छेद 56: राष्ट्रपति की पदावधि
  • अनुच्छेद 57: पुनर्निर्वाचन के लिये पात्रता।
  • अनुच्छेद 58: राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिये अर्हताएँ

भारतीय और अमेरिकी राष्ट्रपतियों की कार्यप्रणाली में क्या समानता है?

  • राज्य (देश) प्रमुख: दोनों राज्य के औपचारिक प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं, आधिकारिक समारोहों और राजनयिक आयोजनों में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • निर्वाचन प्रक्रिया: दोनों को अपनी-अपनी भूमिकाओं का निर्वाह करने हेतु निर्वाचित किया जाता है, हालाँकि निर्वाचन की प्रक्रिया में भिन्नता होती है (भारत में अप्रत्यक्ष, अमेरिका में प्रत्यक्ष)
  • वीटो शक्ति: दोनों को अपने-अपने विधायी निकायों द्वारा पारित विधान पर वीटो लगाने का प्राधिकार है।
  • आपातकाल शक्तियाँ: दोनों ही देश आपातकाल की उद्घोषणा कर सकते हैं और विशेष शक्तियाँ ग्रहण कर सकते हैं, हालाँकि इन शक्तियों की प्रकृति एवं सीमा में भिन्नता होती है।
  • राजनयिक भूमिका: दोनों राष्ट्रपतियों के पास संधियों पर वार्ता करने और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अपने देशों का प्रतिनिधित्व करने की शक्ति है।
  • औपचारिक कर्त्तव्य: दोनों विभिन्न औपचारिक कर्त्तव्यों का पालन करते हैं, जिनमें नए अधिनियमों की शुरुआत, सम्मान प्रदान करना और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की मेज़बानी शामिल है।

भारतीय और अमेरिकी राष्ट्रपतियों की कार्यप्रणाली में क्या अंतर है?

पहलू

भारतीय राष्ट्रपति

अमेरिकी राष्ट्रपति

शक्तियाँ

सीमित कार्यकारी शक्तियाँ, मुख्य रूप से औपचारिक भूमिका का निर्वहन, जबकि वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के पास होती है।  

कार्यकारी शाखा का नेतृत्व करने वाले राज्य और सरकार दोनों के प्रमुख के रूप में कार्य करने वाला महत्त्वपूर्ण कार्यकारी प्राधिकारी।

कार्यप्रणाली

मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है; प्रधानमंत्री के साथ सामूहिक रूप से लिये गए निर्णय।

कार्यकारी निर्णय लेने, अधिकारियों की नियुक्ति करने और स्वतंत्र रूप से कार्यकारी आदेश जारी करने की स्वायत्तता।

निर्वाचन प्रक्रिया

संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों के निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित।

प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के माध्यम से निर्वाचित, जहाँ नागरिक निर्वाचकों के लिये मतदान करते हैं, जो फिर राष्ट्रपति के लिये मतदान करते हैं।

पदावधि

पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करता है , किसी भी संख्या में पुनः निर्वाचित होने के लिये पात्र होता है। 

चार वर्ष का कार्यकाल पूरा करता है, एक अतिरिक्त कार्यकाल (कुल आठ वर्ष) के लिये पुनः निर्वाचित हो सकता है ।

महाभियोग

संविधान का उल्लंघन करने के लिये महाभियोग लगाया जा सकता है, जिसके लिये संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।

राष्ट्रपति पर राजद्रोह, रिश्वतखोरी या अन्य गंभीर अपराध या दुराचार के लिये महाभियोग लगाया जा सकता है।" महाभियोग प्रतिनिधि सभा द्वारा शुरू किया जाता है, जिसके बाद सीनेट द्वारा मुकदमा चलाया जाता है।

कार्यपालक प्राधिकारी

सीमित स्वतंत्र प्राधिकार के साथ मुख्य रूप से प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह पर शक्तियों का प्रयोग करता है।

स्वतंत्र रूप से कार्य करने, संघीय अधिकारियों को नियुक्त करने और कॉन्ग्रेस की स्वीकृति के बिना कार्यकारी शाखा को निर्देशित करने का अधिकार है।

विशेषाधिकार

आधिकारिक क्षमता में कार्यों के लिये कानूनी कार्यवाही से प्रतिरक्षा के संबंध में कुछ विशेषाधिकार हैं।

कॉन्ग्रेस और न्यायालयों से जानकारी गुप्त रखने के लिये कार्यकारी विशेषाधिकार सहित व्यापक विशेषाधिकार प्राप्त हैं।

उन्मुक्ति

आधिकारिक कार्यों के लिये विधिक कार्यवाही से उन्मुक्ति, लेकिन व्यक्तिगत कार्यों के लिये मुकदमा चलाया जा सकता है। 

कार्यालय में रहते हुए की गई कार्रवाइयों के लिये सिविल मुकदमों से उन्मुक्ति लेकिन अवैध गतिविधियों के लिये आपराधिक आरोपों का सामना कर सकता है।

राजनीतिक संबद्धता

सामान्यतः एक राजनीतिक दल से संबद्ध लेकिन कार्यालय में निष्पक्ष रूप से कार्य करने की अपेक्षा की जाती है।

दल संबद्धता के आधार पर निर्वाचित, एक विशिष्ट राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व करने वाला तथा पक्षपातपूर्ण राजनीति में संलग्न।

निष्कर्ष

अमेरिका और भारत की निर्वाचन प्रणाली संरचना, नामांकन प्रक्रिया, वोट मूल्य गणना तथा जीतने के मानदंडों में महत्त्वपूर्ण अंतर प्रदर्शित करती है। जबकि अमेरिका निर्वाचक मंडल पर निर्भर करता है, भारत की पद्धति अपने सांसदों और विधायकों के माध्यम से प्रतिनिधित्व पर ज़ोर देती है जो देश के नेता को चुनने के लिये अद्वितीय दृष्टिकोण प्रदर्शित करती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: राष्ट्रपति चुनावों के लिये अमेरिका और भारत की चुनावी प्रणालियों में अंतर पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. प्रत्येक एम.एल.ए. के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है।
  2. लोक सभा के सदस्यों के वोट का मूल्य राज्य सभा के सदस्यों के वोट के मूल्य से अधिक होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)    केवल 1    
(b)    केवल 2
(c)    1 और 2 दोनों   
(d)    न तो 1, न ही 2

उत्तर: (a)


प्रश्न: भारतीय राष्ट्रपति के निर्वाचन के बारे में निम्निलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. संसद के दोनों में से किसी भी सदन या राज्यों की विधान-सभाओं में नामनिर्दिष्ट किये गए सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल किये जाने के लिये भी अर्ह है।
  2. निर्वाच्य विधान-सभा सीटें जितनी अधिक होती हैं, उस राज्य के प्रत्येक एम.एल.ए. के वोट का मान भी उतना ही अधिक होता है।
  3. मध्य प्रदेश के प्रत्येक एम.एल.ए. के वोट का मान, केरल के प्रत्येक एम.एल.ए. के वोट के मान से अधिक है।
  4. पुदुचेरी के प्रत्येक एम.एल.ए. के वोट का मान, अरुणाचल प्रदेश के प्रत्येक एम.एल.ए. के वोट के मान से अधिक है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश की तुलना में पुदुचेरी में कुल जनसंख्या का निर्वाच्य सीटों की कुल संख्या से अनुपात अधिक है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है?

(a)  केवल 1 
(b)  केवल 2 
(c)  केवल 3 
(d)  सभी 4 

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारत एवं यू.एस.ए. दो विशाल लोकतंत्र हैं। उन आधारभूत सिद्धांतों का परीक्षण कीजिये जिन पर ये दो राजनीतिक तंत्र आधारित हैं। (2018)

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