ग्रामीण विकास क्षेत्र हेतु प्रमुख नई पहल तथा घोषणाएँ
चर्चा में क्यों?
संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने घोषणा की कि देश के ग्रामीण क्षेत्र में जीविका के साधन, कृषि और संबद्ध कार्यकलापों और ग्रामीण आधारभूत सुविधाओं के निर्माण पर सरकार द्वारा अधिक से अधिक धनराशि खर्च की जा रही है ताकि ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध हो सके। वर्ष 2018-19 में ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका और आधारभूत सुविधाओं के सृजन के लिये मंत्रालयों द्वारा 14.34 लाख करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। इसमें 11.98 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजटीय और गैर-बजटीय संसाधन शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
खेती से जुड़े कार्यकलापों और स्व-रोज़गार के कारण रोज़गार के अलावा, इस खर्च से 321 करोड़ मानव दिवस के रोज़गार, 3.17 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कों, 51 लाख नए ग्रामीण मकानों, 1.88 करोड़ शौचालयों का सृजन होगा। उन्होंने बताया कि इससे कृषि को प्रोत्साहन मिलने के अलावा 1.75 करोड़ नए परिवारों को बिजली के कनेक्शन प्राप्त होंगे।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Prime Minister Krishi Sinchai Yojna)
- केंद्र सरकार ने सूखे की समस्या के स्थायी समाधान के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) की शुरुआत की है।
- इसके अलावा सरकार ‘हर खेत को पानी’ उपलब्ध कराने का लक्ष्य पाने के लिये संपूर्ण सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला, जल संसाधन, वितरण नेटवर्क और खेत-स्तरीय अनुप्रयोग समाधान विकसित करने के लिये पाँच वर्षों में 50 हज़ार करोड़ रुपए निवेश करने की योजना बना रही है।
- हर खेत को पानी के अंतर्गत भू-जल सिंचाई योजना को मज़बूत बनाने के लिये यह योजना सिंचाई से वंचित 96 जिलों में शुरू होगी इसके लिये 2600 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
ग्रामीण विकास विभाग
- भारत सरकार द्वारा निरंतर ग्रामीण विकास विभाग ग्रामीण निर्धनों के जीवन स्तर में सुधार के लिये सतत् प्रयास किये जा रहे हैं।
- वर्ष 2012-13 के 50,162 करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान से 2017-18 में ग्रामीण विकास विभाग का आवंटन 109042.45 करोड़ रुपए पर पहुँच गया।
- इसके अलावा बढ़े हुए वित्तीय प्रावधान के अतिरिक्त, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना-2011, आईटी/डीबीटी भुगतान प्रणाली, लेन-देन आधारित कार्यक्रम एमआईएस (Monthly Income Scheme) तथा सम्पदाओं के जियो-टेगिंग के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पारदर्शिता बढ़ाने के लिये दूरगामी प्रशासनिक व्यवस्था शुरू की है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana)
- प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का लक्ष्य मैदानी क्षेत्र में 500 की जनसंख्या तथा पहाड़ी क्षेत्र में रह रही 250 जनसंख्या वाले 1,78,184 निवासियों के लिये सभी मौसमों के दौरान सड़क सम्पर्क मुहैया कराना है।
- वर्तमान में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत 1,30,947 निवासियों तथा राज्य सरकारों के कार्यक्रमों के माध्यम से अन्य 14,620 निवासियों को जोड़ा गया है, जिससे कुल 82 प्रतिशत निवासी इससे जुड़ चुके हैं।
- वर्ष 2016-17 में 130 किलोमीटर प्रतिदिन की गति से कुल 47,447 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया। वर्ष 2017-18 में 140 किलोमीटर प्रतिदिन की गति से इसे 51,000 किलोमीटर तक ले जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इससे मार्च 2019 तक सभी पात्र निवासियों को सभी मौसमीय सड़क सम्पर्क पूर्ण उपलब्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाएंगे।
- कृषि बाज़ार (मंडी) के लिये अच्छी-चौड़ी सड़कों को ध्यान में रखते हुए मौजूदा चुनिंदा ग्रामीण सड़कों के उन्नयन हेतु उनके आर्थिक महत्त्व और ग्रामीण बाज़ार केंद्रों तथा ग्रामीण हबों में वृद्धि की सुविधा प्रदानगी में सडकों की भूमिका के आधार पर ग्रामीण सड़क तंत्र को समेकित करने का प्रयास किया जा रहा हैं।
- इससे चरण-।।। और सुदृढ़ होगा जिसका पहले ही कार्यान्वयन जारी है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना-।।। के रूप में 1,10,000 किलोमीटर का उन्नयन प्रस्तावित है।
- ऐसा करने के लिये 2022 तक केंद्रीय सरकार से 19,000 करोड़ रुपए के वार्षिक वित्तपोषण की व्यवस्था जारी रखी जाएगी।
- प्रधानमंत्री के ‘नया भारत-2022’ के स्वप्न को पूरा करने के लिये बाज़ारों को सड़कों से जोड़ने और उन्हें निकट लाने की ज़रूरत है ताकि किसान बाज़ारों का लाभ उठा सकें।
- सड़कों के रखरखाव और सभी सड़कों की जीआईएस (ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम) मैपिंग के महत्व को समझते हुए निश्चित तौर पर एक दमदार रखरखाव नीति तैयार करने और सभी सड़कों की जीआईएस मैपिंग को पूरा करने के साथ वित्तपोषण की व्यवस्था भी ज़रूरी है। इससे उच्च मानकों के साथ पीएमजीएसवाई सड़कों के रखरखाव के साथ-साथ किसानों की बाज़ारों तक सहज़ पहुँच को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- 15 फीसदी पीएमजीएसवाई सड़कों को अब प्लास्टिक, जिओ-टेक्सटाइल,फ्लाई एस, लोहा और तांबे के कचरे के इस्तेमाल जैसी नवोन्मेषी हरित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से तैयार किया जा रहा है। इससे न केवल निर्माण लागत में कमी आएगी, बल्कि स्थानीय कचरे के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojna - National Rural Livelihood Mission)
- दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है।
- इस योजना में दो घटक हैं—एक ग्रामीण भारत के लिये तथा दूसरा शहरी भारत के लिये और यहाँ हम इसके ग्रामीण पक्ष पर चर्चा कर रहे हैं।
- इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिला किसानों के लिये कृषि और गैर-कृषि आधारित आजीविका को बढ़ावा देने के लिये समर्पित घटक सहित महिला सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- सरकार देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर) में डीएवाई- एनआरएलएम लागू कर रही है।
- दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में विविधता लाने के लिये 4.5 करोड़ से अधिक महिलाओं को एसएचजी (Self help group) के तहत लाया गया।
- क्षमता विकास एवं कौशल प्रशिक्षण के ज़रिये आर्थिक गतिविधियों हेतु बैंक लिंकेज में भी पिछले कुछ वर्षों के दौरान उल्लेखनीय विस्तार किया गया है।
- वर्ष 2014-15 में 23,953 करोड़ रुपए के बैंक लिंकेज से वर्तमान ऋण बकाए का आकार बढ़कर करीब 60 हज़ार करोड़ रुपए हो गया है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान उत्तरी, पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में महिला एसएचजी के तहत आजीविका में भी दक्षिणी राज्यों के एसएचसी की तरह विविधता आई है।
- इससे गरीब परिवारों को अपनी आय और उत्पादकता बढ़ाकर गरीबी से बाहर आने में मदद मिलेगी।
- एक हज़ार ऑर्गेनिक क्लस्टर के विकास की ओर रुख करते हुए सतत् कृषि के लिये 32 लाख से अधिक महिला किसानों के साथ काम किया जा रहा है।
मनरेगा
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कानून (MGNREGA) 2 फरवरी, 2006 को लागू किया गया था।
- इस कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अभी तक इसके अंतर्गत तकरीबन 3,00,000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किये जा चुके हैं।
- इसमें से 71 प्रतिशत राशि ‘श्रमिकों’ को पारिश्रमिक के रूप में प्रदान की गई है।
- इस कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत से अधिक कार्य कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों में हुआ है।
- मनरेगा ने समय की ज़रूरत के मुताबिक सामाजिक बीमा की भूमिका प्रदान की है।
- पिछले तीन साल के दौरान दिहाड़ी रोज़गार के लिये संसाधनों का प्रभावी तौर पर इस्तेमाल किया गया ताकि गरीब परिवारों के लिये आजीविका सुरक्षा में सुधार हो सके।
- इस दौरान 10 लाख से अधिक तालाब और 6.7 लाख कम्पोस्ट पिट तैयार किये गए।
- इसके अलावा विभिन्न राज्यों में 1.6 लाख लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट सोक पिट और सॉलिड रिसोर्स मैनेजमेंट तैयार किये गए।
- मनरेगा संसाधनों का इस्तेमाल गरीब परिवारों को 90 से 95 दिनों के लिये काम उपलब्ध कराने और स्वच्छ भारत मिशन अथवा मनरेगा के तहत गरीब परिवारों को शौचालय सहित नया मकान उपलब्ध कराने में किया गया।
- पिछले तीन साल के दौरान 71.50 लाख मकान पहले ही तैयार किये जा चुके हैं जिसमें 17.83 लाख पीएमएवाई(जी) (Pradhan Mantri Awaas Yojana Gramin) मकान भी शामिल हैं।
- 33 लाख अतिरिक्त पीएमवाई(जी) मकान 31 मार्च, 2018 तक पूरे होने के उम्मीद है क्योंकि वे पहले से ही उन्नत चरण में पहुँच चुके हैं।
- मनरेगा का इस्तेमाल आजीविका संसाधन के तौर पर किया जा रहा है और यह तालाब, सिंचाई के कुएँ, बकरी पालन, दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन आदि जैसी व्यक्तिगत लाभकारी योजनाओं में शामिल हैं।
भारत निर्माण
- वर्ष 2022 तक नए भारत के निर्माण के साथ ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी दूर हो जाएगी। इसे ग्रामीण आजीविका में विविधीकरण और बुनियादी ढाँचे में सुधार जैसे ठोस कदमों से बल मिलेगा।
- विभाग गरीबी के सभी आयामों को प्रभावी तौर पर दूर करने के लिये राज्य सरकारों के साथ मिलकर 50 हजार ग्राम पंचायतों में 5000 क्लस्टर स्थापित करने के लिये काम पहले ही शुरू कर चुका है।
- विभाग हर साल 7 लाख गरीब परिवारों के लिये ग्रामीण स्वरोज़गार प्रशिक्षण संस्थान के ज़रिये स्वरोज़गार और डीडीयूजीकेवाई (Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana) के तहत दिहाड़ी रोज़गार के लिये कौशल का विकास कर रहा है।
- कौशल भारत कार्यक्रम को प्रभावी तौर पर लागू करने के साथ-साथ डीडीयूजीकेवाई और आरएसईटीआई (Rural self employment training institute) कार्यक्रमों के बेहतर कार्यान्वयन के ज़रिये गरीब परिवारों के कौशल सुधार लाने और क्षमता बेहतर करने की कोशिश की जा रही है।
- पिछले बजट में मिशन अंत्योदय के तहत 50000 ग्राम पंचायतों के एक करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर लाने की घोषणा की गई थी।
- ग्रामीण विकास विभाग ने इन ग्राम पंचायतों की रैंकिंग की है। बुनियादी ढाँचा मानव विकास एवं आर्थिक मानदंडों में खाई की पहचान की जा रही है। और सरकार उन खाइयों को पाटने और सबसे गरीब परिवारों के जीवन में बदलाव लाने के लिये प्रतिबद्ध है।