इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलेगी सब्सिडी | राजस्थान | 13 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
राज्य मे इलेक्ट्रिक वाहनों को बढावा देने हेतु इलेक्ट्रिक वाहन नीति- 2022 के अंतर्गत 200 करोड़ रुपए का ई-व्हीकल प्रमोशन फंड गठित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- फंड के बारे में:
- राज्य सरकार की ‘‘इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2022” के अंतर्गत फेम-2 के दिशा निर्देशों के अनुरूप आधुनिक बैटरी युक्त इलैक्ट्रिक वाहनों के क्रेताओं को स्टेट जीएसटी राशि का पुनर्भरण एवं एकमुश्त अनुदान ई-व्हीकल प्रमोशन फंड में से दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
- पुनर्भरण एवं एकमुश्त अनुदान राशि 01.09.2022 से क्रय किये गए एवं राज्य में पंजीकृत किये गये वाहनो पर देय होगा।
- वाहन का क्रय राजस्थान राज्य से ही किया जाना आवश्यक है।
- सब्सिडी की प्रक्रिया:
- सब्सिडी प्राप्त करने के लिये सबसे पहले वाहन निर्माता को विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक है।
- फिर निर्माता को पोर्टल पर वाहन का मॉडल, बैटरी का प्रकार और बैटरी की क्षमता जैसी जानकारी भरनी होगी।
- इसके बाद विभाग इस जानकारी का सत्यापन करेगा और वाहन क्रेता को अनुदान के लिये आवेदन करने की अनुमति दी जाएगी। वाहन मालिक को अपना पंजीकरण नंबर और चेसिस नंबर के अंतिम 5 अंक पोर्टल पर दर्ज करने होंगे।
- इसके बाद, वाहन मालिक के मोबाइल नंबर पर OTP भेजा जाएगा। फिर, वाहन मालिक को अपने बैंक खाते की जानकारी जैसे पासबुक के पहले पेज या रद्द किये गए चेक की फोटो अपलोड करनी होगी।
- उसके बाद, आवेदन सबमिट किया जाएगा और अनुदान राशि सीधे वाहन मालिक के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
- इस नीति के तहत दुपहिया वाहन से लेकर भारी वाहनों तक सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल किया गया है।
- सरकार का उद्देश्य है कि ज्यादा-से-ज्यादा लोग डीज़ल और पेट्रोल के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करें। इससे प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभ:
- उत्सर्जन में कमी: शून्य टेलपाइप उत्सर्जन उत्पन्न करना, स्वच्छ वायु में योगदान देना और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना।
- कम परिचालन लागत: बिजली गैसोलीन की तुलना में सस्ती हो सकती है, जिससे प्रति किलोमीटर ईंधन लागत कम हो सकती है।
- शांत संचालन: इलेक्ट्रिक मोटर गैसोलीन इंजन की तुलना में काफी कम शोर उत्पन्न करते हैं।
- बेहतर दक्षता: इलेक्ट्रिक मोटर गैसोलीन इंजन की तुलना में अधिक प्रतिशत ऊर्जा को उपयोगी शक्ति में परिवर्तित करते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन
- इलेक्ट्रिक वाहन एक प्रकार के वाहन हैं, जो पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (ICE) के बजाए, जो गैसोलीन या डीज़ल जलाते हैं, प्रणोदन के लिये एक या एक से अधिक इलेक्ट्रिक मोटर्स का उपयोग करते हैं।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रकार:
- बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV): ये प्रणोदन के लिये पूरी तरह बैटरी शक्ति पर निर्भर होते हैं तथा शून्य टेलपाइप उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं।
- प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (PHEV): इलेक्ट्रिक मोटर को गैसोलीन इंजन के साथ संयोजित करें। इन्हें बाहरी रूप से चार्ज किया जा सकता है और सीमित दूरी तक बैटरी पावर पर चलाया जा सकता है, फिर लंबी यात्राओं के लिये गैसोलीन इंजन पर स्विच किया जा सकता है।
- हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (HEVs ): इनमें इलेक्ट्रिक मोटर और गैसोलीन इंजन दोनों का उपयोग होता है, लेकिन बैटरी को सीधे प्लग इन करके चार्ज नहीं किया जा सकता।
7 नए एक्सप्रेस-वे को मंजूरी | उत्तर प्रदेश | 13 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में सड़क परिवहन को सुगम बनाने हेतु 7 नए एक्सप्रेस-वे के निर्माण की मंज़ूरी दी है।
मुख्य बिंदु
- एक्सप्रेस-वे के बारें में:
- मुख्यमंत्री इस परियोजना पर 50 हजार करोड़ रुपए निवेश करने की घोषणा की है।
- ये 7 एक्सप्रेस-वे लखनऊ SCR और दिल्ली NCR के बीच उत्तर प्रदेश के 56 ज़िलों को आपस में जोड़ेंगे। इन सात एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 866 किमी. होगी। ये एक्सप्रेस-वे आने वाले 2-3 वर्ष में बनकर तैयार हो जाएंगे।
- यह कदम उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर करने की दिशा मेंअहम भूमिका निभाएगा।
- प्रस्तावित 7 एक्सप्रेस-वे:
- चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे: 120 किमी लंबा यह एक्सप्रेस-वे बुंदेलखंड के विभिन्न ज़िलों को आपस में जोड़ने का कार्य करेगा।
- झाँसी लिंक एक्सप्रेस-वे: इसकी लंबाई 100 किलोमीटर होगी और इसके माध्यम से बुंदेलखंड के प्रमुख ज़िलों को एक्सप्रेस-वे से सीधे संपर्क मिलेगा।
- जेवर लिंक एक्सप्रेस-वे: 76 किमी. लंबा यह एक्सप्रेस-वे जेवर एयरपोर्ट को यमुना एक्सप्रेस-वे से जोड़ेगा जिससे लोग सीधे एयरपोर्ट से जुड़ सकेंगे।
- विंध्य एक्सप्रेस-वे: इसकी लंबाई 320 किमी है और इस एक्सप्रेस-वे से उत्तर प्रदेश के पिछड़े ज़िलों को बेहतर यातायात की सुविधा मिलेगी। इसमें मिर्ज़ापुर, बनारस, जौनपुर जैसे ज़िले प्रयागराज से जुड़ेंगे।
- विंध्य पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेस-वे: इसकी लंबाई 100 किमी है और विंध्याचल क्षेत्र को पूर्वांचल से जोड़ने के लिये मिर्ज़ापुर से गाज़ीपुर के बीच निर्मित होगा।
- लखनऊ लिंक एक्सप्रेस-वे: 50 किमी लंबा यह एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल और आगरा एक्सप्रेस-वे को जोड़ेगा।
- आगरा-लखनऊ गंगा एक्सप्रेस-वे लिंक रोड: इस लिंक एक्सप्रेस-वे की लंबाई 90 किमी होगी, जिसे प्रयागराज से मेरठ के बीच गंगा एक्सप्रेस-वे को लखनऊ से जोड़ने के लिये बनाया जाएगा।
- अपेक्षित लाभ:
- आर्थिक विकास: इन एक्सप्रेस-वे के निर्माण से राज्य के विभिन्न हिस्सों में बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित होगी, जिससे व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी।
- यात्रा में सुविधा: यात्रा की गति और समय में काफी कमी आएगी, जिससे लोगों को यात्रा में अधिक सुविधा होगी।
- स्थानीय विकास: इन एक्सप्रेस-वे के बनने से उन क्षेत्रों में स्थानीय विकास होगा, जिनसे ये मार्ग गुजरेंगे। विशेषकर पिछड़े और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में अवसंरचना सुधारने में मदद मिलेगी।
- राज्य की कनेक्टिविटी: इन एक्सप्रेस-वे के जरिये राज्य के विभिन्न ज़िलों और प्रमुख शहरों को एक दूसरे से जोड़ने से राज्य के सडक परिवहन में सुधार होगा।
- रोजगार के अवसर: इन परियोजनाओं के निर्माण और संचालन से रोज़गार के कई नए अवसर सृजित होंगे।
उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे नेटवर्क:
- देश में सर्वाधिक एक्सप्रेस-वे नेटवर्क उत्तर प्रदेश में है। उत्तर प्रदेश के प्रमुख एक्सप्रेस-वे निम्नलिखित हैं-
- यमुना एक्सप्रेस-वे: उत्तर प्रदेश का पहला एक्सप्रेस-वे
- गंगा एक्सप्रेस-वे: उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे
- आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे: उत्तर प्रदेश का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे
- दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे
- पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे
- बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे
- गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे
- लखनऊ कानपुर एक्सप्रेस-वे
गुरु रविदास जयंती | उत्तर प्रदेश | 13 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश में 12 फरवरी को गुरु रविदास जयंती मनाई गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं।
मुख्य बिंदु

भक्ति आंदोलन
- भक्ति आंदोलन का विकास तमिलनाडु में 7वीं और 9वीं शताब्दी के बीच हुआ।
- यह नयनारों (शिव के भक्त) और अलवर (विष्णु के भक्त) की भावनात्मक कविताओं में परिलक्षित होता है। इन संतों ने धर्म को एक ठंडी औपचारिक पूजा के रूप में नहीं बल्कि पूजा और पूजा करने वाले के बीच प्रेम पर आधारित एक प्रेमपूर्ण बंधन के रूप में देखा।
- समय के साथ दक्षिण के विचार उत्तर की ओर बढ़े लेकिन यह बहुत धीमी प्रक्रिया थी।
- भक्ति विचारधारा को फैलाने का एक और प्रभावी तरीका स्थानीय भाषाओं का उपयोग था। भक्ति संतों ने स्थानीय भाषाओं में अपने पद रचे।
- उन्होंने संस्कृत की रचनाओं का अनुवाद भी किया ताकि उन्हें व्यापक दर्शकों के लिये समझा जा सके।
जागरुकता अभियान का आयोजन | मध्य प्रदेश | 13 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
बेटी बचाओ बेटी पढाओं’ अभियान के 10 वर्ष पूरे होने पर बैतूल के शासकीय बालिका छात्रावास में जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बेटियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना और समाज में उनके अधिकारों को लेकर सकारात्मक सोच विकसित करना था।
- इस अभियान के दौरान, बालिकाओं को पॉक्सो एक्ट, चाइल्ड हेल्पलाइन (1098), वन स्टॉप सेंटर की सेवाओं और माहवारी स्वच्छता प्रंबधन पर जानकारी दी गई।
- POCSO एक्ट 14 नवंबर, 2012 को लागू हुआ, जो वर्ष 1992 में बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के भारत के अनुसमर्थन के परिणामस्वरूप अधिनियमित किया गया था।
- इसका उद्देश्य बच्चों के यौन शोषण और यौन उत्पीड़न के अपराधों को रोकना है।
- यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को बच्चे के रूप में परिभाषित करता है। और अपराध की गंभीरता के आधार पर सज़ा का प्रावधान करता है। वर्ष 2019 में इस कानून की समीक्षा कर इसमें संशोधन किया गया, जिसमें बच्चों के यौन शोषण के मामलों में मृत्युदंड जैसे कठोर दंड का प्रावधान किया गया।
- भारत सरकार ने POCSO नियम, 2020 को भी अधिसूचित कर दिया है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ:
- परिचय: 22 जनवरी 2025 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना के शुभारंभ के 10 वर्ष पुरे हो गए हैं।
- मुख्य उद्देश्य:
- लिंग आधारित चयन पर रोकथाम।
- बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के लिये शिक्षा की उचित व्यवस्था तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
मानव तस्करी से निपटने पर राष्ट्रीय सम्मेलन | छत्तीसगढ़ | 13 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष ने 'डिजिटल युग में मानव तस्करी का सामना ' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- सम्मेलन के बारे में:
- सम्मेलन में मानव तस्करी में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के बढ़ते दोहन की जाँच की गई।
- चर्चा में तस्करी अपराधों को बढ़ावा देने में इंटरनेट, सोशल मीडिया, क्रिप्टोकरेंसी और अन्य ऑनलाइन उपकरणों की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- विशेषज्ञों ने प्रौद्योगिकी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सामुदायिक भागीदारी से जुड़े निवारक उपायों पर विचार-विमर्श किया।
- अध्यक्ष का मुख्य भाषण:
- अध्यक्ष ने यौन शोषण, श्रम शोषण, अंग तस्करी और जबरन विवाह सहित डिजिटल तस्करी के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डाला।
- उन्होंने रिक्रूटमेंट रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की जैसे:
- उन्होंने डिजिटल शोषण का सामना करने के लिये जन जागरुकता, मज़बूत नियामक ढाँचे और तकनीकी समाधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- मुख्य सिफारिशें:
- अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम (ITPA) में संशोधन करके बाल एवं वयस्क तस्करी के बीच स्पष्ट अंतर किया जाए तथा साइबर तस्करी को भी इसमें शामिल किया जाए।
- डिजिटल तस्करी से संबंधित कानूनी कमियों को दूर करने के लिये ITPA और IT अधिनियम के बीच औपचारिक संबंध स्थापित करना।
- बेहतर सार्वजनिक भागीदारी के लिये महिलाओं और बच्चों के केंद्रीकृत शिकायत एवं रोकथाम (CCPWC) जैसे स्व-रिपोर्टिंग पोर्टलों पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाएँ।
- डिजिटल युग में मानव तस्करी से निपटने के लिये मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (AHTU) के प्रशिक्षण और संसाधनों को बढ़ाना।
- नीति निर्माण के लिये विभिन्न श्रेणियों में मानव तस्करी के मामलों को व्यवस्थित रूप से ट्रैक करने के लिये डाटा संग्रह तंत्र में सुधार करना।
- स्थानीय समुदायों को तस्करी अपराधों की रोकथाम और रिपोर्ट करने में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु सामुदायिक सहभागिता को मज़बूत करना।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- परिचय
- यह व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा से संबंधित अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- भारतीय संविधान और अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदाओं द्वारा गारंटीकृत अधिकार, जिन्हें भारतीय न्यायालयों द्वारा लागू किया जा सकता है।
- स्थापना:
- 12 अक्टूबर 1993 को मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत स्थापित।
- मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 और मानव अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित।
- मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण देने के लिये अपनाए गए पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप इसकी स्थापना की गई है।
बेरोज़गार युवाओं को सशक्त बनाने के लिये समझौता ज्ञापन | हरियाणा | 13 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, अपैरल ट्रेनिंग एंड डिज़ाइन सेंटर (ATDC), गुरुग्राम और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL), बिलासपुर ने आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के वंचित युवाओं के लिये व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
मुख्य बिंदु
- समझौते के बारे में:
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान करके आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के वंचित युवाओं का उत्थान करना है।
- CSR पहल:
- यह पहल साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) प्रयासों का हिस्सा है।
- इसके तहत 400 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित करने के लिये कुल 3.12 करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम संरचना:
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गैर-आवासीय प्रशिक्षण:
- ATDC स्वरोज़गार दर्जी कार्यक्रम के तहत 300 उम्मीदवारों के लिये प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करेगा।
- SECL बिश्रामपुर, सोहागपुर और कोरबा क्षेत्र में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
- आवासीय प्रशिक्षण:
- 100 अभ्यर्थियों को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा स्थित ATDC प्रशिक्षण केंद्र में पूर्णतः आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना होगा।
- इस कार्यक्रम में निःशुल्क भोजन और आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- अभ्यर्थियों का चयन SECL प्रतिष्ठानों के 25 किलोमीटर के दायरे से किया जाएगा।
- उद्देश्य:
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR)
- सामान्य तौर पर CSR को पर्यावरण पर कंपनी के प्रभाव और सामाजिक कल्याण पर प्रभाव का आकलन करने और ज़िम्मेदारी लेने के लिये एक कॉर्पोरेट पहल के रूप में संदर्भित किया जा सकता है।
- यह एक स्व-विनियमन व्यवसाय मॉडल है जो किसी कंपनी को सामाजिक रूप से जवाबदेह बनने में मदद करता है। कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी का पालन करके, कंपनियाँ आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सचेत रहती हैं।
- भारत पहला देश है जिसने कंपनी अधिनियम, 2013 के खंड 135 के अंतर्गत संभावित CSR गतिविधियों की पहचान के लिये रूपरेखा के साथ CSR को अनिवार्य बनाया है।
- भारत के विपरीत, अधिकांश देशों में स्वैच्छिक CSR व्यवस्थाएँ हैं। नॉर्वे और स्वीडन, जो अनिवार्य CSR प्रावधानों की ओर बढ़ चुके हैं, ने स्वैच्छिक मॉडल के साथ शुरुआत की थी।
गुरु रविदास की जयंती | हरियाणा | 13 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने गुरु रविदास को उनकी जयंती पर शुभकामनाएँ और बधाई दी। गुरु रविदास जयंती माघ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।
मुख्य बिंदु
- संतों के सम्मान हेतु सरकारी पहल
- हरियाणा सरकार ने संत-महापुरुष सम्मान और विचार प्रचार-प्रसार योजना शुरू की।
- इस पहल के तहत राज्य स्तर पर संतों और महापुरुषों की जयंती और शताब्दी मनाई जाएगी।
- गुरु रविदास के बारे में:
- संत गुरु रविदास, जिनका जन्म 1377 ई. में सीर गोवर्धनपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था, एक संत, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक के रूप में पूजनीय हैं।
- रैदास, रोहिदास और रविदास जैसे विभिन्न नामों से भी जाने जाते हैं और वे पारंपरिक रूप से चमड़े के काम से जुड़े समुदाय से संबंधित थे।
- गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पण पर ज़ोर दिया और आध्यात्मिक समानता को बढ़ावा दिया।
- उनकी शिक्षाओं में मानव अधिकार, समानता और आध्यात्मिक ज्ञान पर ज़ोर दिया गया है।
- उनकी कुछ रचनाएँ प्रतिष्ठित धर्मग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब जी में शामिल हैं, जो उनके साहित्यिक और दार्शनिक महत्त्व को बढ़ाती हैं।
भक्ति आंदोलन
- भक्ति आंदोलन का विकास तमिलनाडु में 7वीं और 9वीं शताब्दी के बीच हुआ।
- यह नयनारों (शिव के भक्त) और अलवारों (विष्णु के भक्त) की भावनात्मक कविताओं में परिलक्षित होता है।
- इन संतों ने धर्म को एक ठंडी औपचारिक पूजा के रूप में नहीं, बल्कि पूज्य और उपासक के बीच प्रेम पर आधारित एक प्रेमपूर्ण बंधन के रूप में देखा।
- समय के साथ दक्षिण के विचार उत्तर की ओर बढ़े लेकिन यह बहुत धीमी प्रक्रिया थी।
- भक्ति विचारधारा को फैलाने के लिये एक अधिक प्रभावी तरीका स्थानीय भाषाओं का उपयोग था। भक्ति संतों ने स्थानीय भाषाओं में अपने पद लिखे।
- उन्होंने संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद भी किया ताकि उन्हें व्यापक दर्शकों के लिये समझने योग्य बनाया जा सके।
38वाँ सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला | हरियाणा | 13 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने हरियाणा के फरीदाबाद ज़िले में 38वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- सूरजकुंड मेले के बारे में:
- सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 7 फरवरी से 23 फरवरी 2025 तक चलेगा।
- इस कार्यक्रम में भारत और विश्व भर के कारीगरों की कला, शिल्प कौशल और प्रतिभा का प्रदर्शन किया जाएगा।
- केंद्रीय मंत्री ने सूरजकुंड मेले को सिर्फ एक बाज़ार से कहीं अधिक बताते हुए प्राचीन शिल्पकला को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
- हरियाणा में MICE पर्यटन की संभावनाएँ:
- दिल्ली से हरियाणा की निकटता इसे रणनीतिक लाभ प्रदान करती है तथा इसे MICE (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियाँ) पर्यटन के लिये एक आदर्श केंद्र बनाती है।
- मंत्री ने राज्य को प्रोत्साहित किया:
- सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक:
MICE (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियाँ)
- MICE शब्द का उपयोग पर्यटन और इवेंट उद्योग में व्यवसाय और कॉर्पोरेट पर्यटन से संबंधित खंड को वर्गीकृत करने और उसका प्रतिनिधित्व करने के लिये किया जाता है।
- MICE पर्यटन में कंपनियों और समूहों के लिये कार्यक्रम, बैठकें, सम्मेलन, प्रदर्शनियाँ और प्रोत्साहनों का आयोजन और मेज़बानी शामिल है।
- इन गतिविधियों का उद्देश्य नेटवर्किंग, ज्ञान का आदान-प्रदान, व्यावसायिक सहयोग तथा व्यावसायिक संदर्भ में उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन सुगम बनाना है।