उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- परिचय में भारतीय मूल्यों और इसकी धार्मिक विविधता का उल्लेख कीजिये।
- धार्मिक विविधता भारत की ताकत कैसे है, यह भी बताइये।
- उल्लेख कीजिये कि कैसे धार्मिक विविधता समस्याएं पैदा करती है और देश के लिये कमज़ोरी साबित हो सकती है।
- निष्कर्ष में लिखिये कि भारत अपनी धार्मिक विविधता का उपयोग करके संवैधानिक लक्ष्यों को कैसे प्राप्त कर सकता है।
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परिचय
सहिष्णुता, महानगरीयता और बहुसंस्कृतिवाद के भारतीय सभ्यता के मूल्य भारतीय संस्कृति को एक अनूठा चरित्र प्रदान करते हैं। हमारे देश में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग हैं। जबकि दुनिया के 94% हिंदू भारत में रहते हैं इसके बाद भी यहाँ मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और अन्य धर्मों के अनुयायियों की भी पर्याप्त आबादी है।
इन सभी को धर्म की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार भी प्राप्त है (अनुच्छेद 25-28), जिससे भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश बन गया है।
प्रारूप
धार्मिक विविधता निम्नलिखित तरीके से भारत की ताकत है:
- यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जोड़ता है। होली, दिवाली, क्रिसमस, ईद जैसी विविध परंपराएं और त्यौहार भारत को जीवन जीने का एक अनूठा तरीका प्रदान करते हैं। यह विविधता समृद्ध संगीत, नृत्य, कला और साहित्य को भी जन्म देती है।
- यह बौद्धिक दृष्टिकोण में विविधता लाता है जो कानूनों को सामाजिक मूल्यों के अनुकूल बनाने में मदद करता है।
- भारत धार्मिक असहिष्णुता के साथ चिह्नित वर्तमान युग में अंतर्राष्ट्रीय समाज के लिये एक मॉडल का प्रतिनिधित्व करता है। ' वसुधैव कुटुम्बकम' का भारतीय मूल्य दुनिया को शांति और समृद्धि की ओर ले जा सकता है।
- धार्मिक विविधता भारत को दुनिया भर में लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने का अवसर देती है। यह न केवल भारत की व्यापार सीमाओं के विस्तार में मदद करता है बल्कि संकट की स्थितियों में बैकचैनल कूटनीति के रूप में भी कार्य करता है।
हालाँकि धार्मिक विविधता बहुत सी चुनौतियाँ भी पैदा करती है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- इससे सांप्रदायिक वैमनस्य की संभावना बढ़ जाती है। कुछ लोग सांप्रदायिक घृणा फैलाने के लिये अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं जिससे विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच दंगे और तनाव हो सकता है।
- कुछ राष्ट्र-विरोधी तत्व धर्म का उपयोग नाजायज हितों के लिये करते हैं जैसे धर्म के नाम पर युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने के लिये कट्टरपंथी बनाना।
- विविध धार्मिक प्रथाओं को समायोजित करना जो देश के बाकी हिस्सों के लिये उपयुक्त नहीं हो सकते हैं। यह विभिन्न धार्मिक प्रथाओं को वैध बनाने के लिये भानुमती का पिटारा खोल सकता है।
- अल्पसंख्यकों की धार्मिक प्रथाओं में राज्य का हस्तक्षेप उनकी स्वायत्तता को भंग कर सकता है और संवैधानिक सिद्धांतों में उनके विश्वास को बाधित कर सकता है। इस प्रकार, संवैधानिक नैतिकता और धार्मिक नैतिकता के बीच संघर्ष न्यायपालिका के लिये कठिन प्रश्न हैं।
निष्कर्ष
भारत विभिन्न सांस्कृतिक पहचानों के सबसे जटिल समामेलन का प्रतिनिधित्व करता है। धार्मिक विविधता समाज की परिपक्वता के आधार पर वरदान या अभिशाप हो सकती है। यदि नागरिक बंधुत्व और भाईचारे के संवैधानिक सिद्धांतों का पालन करते हैं, तभी भारत वास्तव में 'अनेकता में एकता' प्राप्त कर सकता है।